Sagar watch News/ जिले में राजस्व महाअभियान ऐसे चल रहा है जैसे पटरी से उतरा गया है। अभियान की समीक्षा बैठक में इस बात का अहसास होते ही कलेटर का गुस्सा फूट पड़ा और तीन एसडीम और चार पटवारियों उसका शिकार हो गए ।
Sagar Watch/ जिला सड़क सुरक्षा समिति की बैठक में सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया कि मस्जिद के चारों तरफ फुटपाथ एवं हाथ ठेला पर व्यापार करने वाले व्यापारियों को सख्ती से हटाया जाएगा । बैठक में अभी तक विस्थापित नहीं हुईं डेयरियों को हटाने के लिए अब पुलिस कार्रवाई की जाएगी ।
SAGAR WATCH/ बुजुर्ग हमारे बहुमूल्य पूंजी होते हैं, हमें इन्हें संभलकर एवं सहेजकर रखना होगा। उक्त विचार कलेक्टर श्री दीपक आर्य ने अंतर्राष्ट्रीय वृद्धजन दिवस के अवसर पर 80 वर्ष से अधिक उम्र के बुजुर्ग मतदाताओं के सम्मान समारोह में व्यक्त किये।
सागर 02 जुलाई 2023/ UIDAI दिल्ली तथा MPSEDC भोपाल की दिशा-निर्देशों के अनुसार आधार पंजीयन केन्द्र का संचालन किसी शासकीय परिसर के अतिरिक्त अन्य स्थान पर नहीं किया जा सकता है।
सागर 13 जून 2023/ जेपी थर्मल पावर प्लांट बीना आगासोद से प्रभावित सभी ग्रामवासियों की समस्याओं के निराकरण के लिए शिविर लगाया जाएगा। उक्त निर्देश कलेक्टर श्री दीपक आर्य ने बीना आगासोद में स्थित जेपी पावर प्लांट के प्रभावित ग्रामवासियों की समस्याओं को सुनते हुए संबंधित अधिकारियों को दिए।
सागर वॉच/ कलेक्टर दीपक आर्य ने सभी अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि जिले के हर ग्राम, वार्ड स्तर पर एक लाड़ली बहना सेना गठित की जाए। जिसमें ग्राम की इच्छुक 23 से 60 आयु वर्ग की महिलाएं सदस्य होगी।
प्रत्येक ग्राम, जिसकी आबादी 1500 से कम है, ऐसे ग्राम में 11 महिलाएं सदस्य होंगे। ऐसे ग्राम जिनकी आबादी 1500 से अधिक है, वहाँ 21 सदस्यीय लाड़ली बहना सेना का गठन होगा। गठित लाड़ली बहना सेना की कुल सदस्य संख्या में कम से कम 50 प्रतिशत सदस्य मुख्यमंत्री लाड़ली बहना योजना से लाभांवित सदस्य होंगे।
प्रत्येक लाड़ली बहना सेना में सर्वसम्मति से लाड़ली बहना सेना प्रभारी एवं ’लाड़ली बहना सेना सहप्रभारी मनोनित किया जायेगा। प्रभारी एवं सहप्रभारी एक वर्ष तक अपने दायित्वों का निर्वहन करेंगे। उसके पश्चात लाड़ली बहना सेना के ही अन्य सदस्य प्रभारी एवं सहप्रभारी के रूप में मनोनीत होंगे। प्रभारी एवं सहप्रभारी में स्वप्रेरणा, स्वविवेक, स्वेच्छा, उत्साह से कार्य करने एवं नेतृत्व का गुण होना चाहिए।
कलेक्टर श्री आर्य ने बताया कि राज्य शासन के निर्देशानुसार ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों की महिलाओं को एक प्लेटफार्म उपलब्ध कराना होगा, जहां वे स्वयं के अस्तित्व और विकास की सोच को सुदृढ़ कर सकें। शासन की महिला कल्याण के लिए संचालित समस्त योजनाओं का बेहतर क्रियान्वयन एवं निगरानी, महिलायें अपने मौलिक अधिकारों एवं कर्तव्यों के प्रति जागरूक हों एवं इनका उपयोग करने में वे सक्षम हों।
लाड़ली बहना सेना की सदस्यता प्राप्त करने के लिए 23 से 60 आयु वर्ग की महिलाएं आंगनवाड़ी केंद्र में जाकर अपना नाम पंजीकृत करा सकती है। आंगनवाड़ी कार्यकर्ता लाड़ली बहना सेना की सदस्य बनने की इच्छुक महिलाओं को पंजीकृत करेंगी। आंगनवाड़ी कार्यकर्ता पंजीकृत महिलाओं की सूची सेक्टर पर्यवेक्षक को उपलब्ध करायेंगी ।
सेक्टर पर्यवेक्षक सेक्टर अंतर्गत आने वाले सभी केंद्रों पर गठित लाड़ली बहना सेना की सूची एवं समन्वयक के रूप में सम्बंधित ग्राम की आंगनवाड़ी कार्यकर्ता का नाम परियोजना अधिकारी को उपलब्ध करायेंगी।
परियोजना अधिकारी प्राप्त सूची अनुसार आंगनवाड़ी केंद्रवार लाड़ली बहना सेना के गठन संबंधी आदेश जारी करेंगें, है । लाड़ली बहना सेना के सदस्य लिखित में जानकारी, कारण सहित आंगनवाडी कार्यकर्ता को देकर अपनी सदस्यता समाप्त कर सकते हैं।
ऐसे किसी भी रिक्त स्थान की पूर्ति लाड़ली बहना सेना प्रभारी एवं अन्य सदस्यों द्वारा सर्वसम्मति से की जायेगी एवं इसकी सूचना सेक्टर पर्यवेक्षक को दी जायेगी। परियोजना अधिकारी लाड़ली बहना सेना में किये गये परिवर्तन को अद्यतन करेंगे।
प्रदेश में महिला सशक्तिकरण की दिशा में महिलाओं के आर्थिक स्वालम्बन, उनके स्वास्थ्य एवं पोषण स्तर में सतत सुधार तथा परिवार के निर्णयों में उनकी भूमिका सुदृढ़ करने राज्य शासन द्वारा हेतु मुख्यमंत्री लाड़ली बहना योजना 2023 प्रारंभ की गयी है।
उक्त योजना सहित महिलाओं के कल्याण हेतु संचालित शासन की समस्त योजनाओं के बेहतर क्रियान्वयन और कार्य पर निगरानी रखने हेतु योजना अंतर्गत लाभांवित महिलाओं को सम्मिलित करते हुये 23 से 60 आयु वर्ग की महिलाओं की लाड़ली बहना सेना का गठन किया गया है।
स्वास्थ्य, शिक्षा, पोषण, रोजगार, सामाजिक सुरक्षा, आदि के क्षेत्र में महिलाएं ,बालिकाएं अपनी समान पहुंच बना सकें। महिलाओं एवं बालिकाओं के प्रति समाज की सोच में बदलाव, कुप्रथाओं, लिंग आधारित भेदभावों को समाप्त करना, ग्राम एवं वार्ड स्तर बैठक का संचालन लाड़ली बहना सेना प्रभारी द्वारा किया जायेगा।
प्रभारी की अनुपस्थिति में ’लाड़ली बहना सेना सहप्रभारी’ द्वारा बैठक का संचालन किया जायेगा। बैठक की सूचना सेक्टर पर्यवेक्षक को दी जाएगी। आयोजित बैठकों में परियोजना अधिकारी, सेक्टर पर्यवेक्षक, ए.एन.एम., समय-समय पर उपस्थित होकर मार्गदर्शन देगी।
लाड़ली बहना सेना आदिवासी, ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाओं को जागरूक करेंगी ताकि वे स्वयं के विकास के साथ-साथ समाज के विकास की सोच को सुदृढ़ कर सकें। इसके अलावा महिलाओं एवं बालिकाओं के प्रति समाज की नकारात्मक सोच, कुप्रथाओं, भेदभावों में परिवर्तन लाना, महिलाओं को बैंकिंग प्रणाली से अवगत कराना तथा मुख्यमंत्री लाड़ली बहना योजना में प्राप्त राशि के सदुपयोग हेतु चर्चा एवं मार्गदर्शन देना, समस्त बालिकाओं के शिक्षण तथा सतत स्कूली शिक्षा को सुनिश्चित करना आदि शामिल हैं।
SAGAR WATCH/ शहर को पशु विचरण मुक्त बनाने की योजना मंगलवार से शुरू हो गई है। प्रशासन ने मोती नगर वार्ड में डेयरी मालिकों के खिलाफ कार्रवाई करते हुए सभी डेयरी मालिकों को सन्देश दे दिया है कि अब उन्हें शहर से बाहर जाना ही होगा। चिन्हित डेयरी स्थल पर नहीं जाने वाले डेयरी मालिक अब कानूनी कारवाई से बच नहीं सकेंगे ।
SAGAR WATCH/ मुख्यमंत्री लाड़ली बहना योजना में 15 मई तक मोबाइल से आपत्ति दर्ज कर सकते हैं। जिले में मुख्यमंत्री लाड़ली बहना योजना के तहत 30 अप्रैल तक चार लाख 14 हजार से अधिक आवेदन पत्र भरे गये हैं ।
योजना का मुख्य उद्देश्य महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाना है । प्राप्त आवेदनों के बाद जनसामान्य से दावा आपत्तियो के लिए आवश्यक दस्तावेजों के साथ स्वयं के मोबाइल नम्बर बेबसॉइट पर निःशुल्क सुविधा दी गई है।
परीक्षा केन्द्र पर निर्धारित समय से देर से पहुंचने पर केन्द्र प्रभारी ने दो विद्यार्थियों को परीक्षा में बैठने नहीं दिया। मामला मीडिया मे आते ही प्रशासन सक्रिय हो गया। चुंकि मामला प्रदेश के एक कद्दावर मंत्री के क्षेत्र का भी था इसलिए प्रशासन ने आनन-फानन में मामले की जांच के लिए एक उच्च स्तरीय तीन सदस्यीय जांच समिति गठित कर दी।
कलेक्टर ने भी मीडिया को बयान जारी करने में देरी नहीं की और कहा कि जांच समिति शाम तक ही अपनी जांच रपट देगी। जांच समिति की रपट देर शाम को ही कार्रवाई के लिए संभागायुक्त को भेज दी गयी। जबकि कलेक्टर ने परीक्षा केन्द्र के प्रभारी को हटाने व नए केन्द्राध्यक्ष को नियुक्त करने के आदेश जारी कर दिए।
लेकिन इस सारे घटनाक्रम से कई सवाल उठ रहे हैं- सवाल यह है कि-
- क्या विद्यार्थियों को परीक्षाओं में समय पर पहंचने के मामले में अतिरिक्त सर्तकता नहीं बरतनी चाहिए ?
- निर्धारित समय से देर से आने पर परीक्षा में प्रवेश नहीं देने के परीक्षा मंडल के निर्देशों का पालन कराना शिक्षकों के लिए सजा की वजह क्यों बने ?
- अगर विद्यार्थियों के विलम्ब से आने की वजह को वाजिब मानकर कोई शिक्षक उन्हें प्रवेश देता भी है तो क्या वह परीक्षा मंडल के नियमों की अवहेलना करने के आरोपों के घेरे में नहीं आ जाता ?
- इस सारे घटनाक्रम के सिलसिले में प्रशासन के किसी जिम्मेदार नुमाईंदे या जनप्रतिनिधि द्वारा नैतिक आधार पर विद्यार्थियों को परीक्षा के नियमों का पालन सख्ती से करने के लिए सार्वजनिक तौर पर नसीहत क्यों नहीं दी जानी चाहिए ?
- जब परीक्षा मंडल के साफ-साफ निर्देश हैं कि बोर्ड की परीक्षाओं में शामिल हो रहे विद्यार्थियों को सुबह साढ़े आठ बजे तक अनिवार्य रूप से परीक्षा केन्द्र पर उपस्थित होना है व किसी भी विद्यार्थी को आठ बजकर पैतालिस मिनिट के बाद परीक्षा केन्द्र में प्रवेश नहीं दिया जाएगा तो तय समय से देर से आने वाले विद्यार्थियों को प्रवेश से रोकना गुनाह कैसे हो सकता है?
- इस पूरे घटनाक्रम में परीक्षा से वंचित हुए विद्यार्थियों के अभिभावकों की भूमिका भी सामने नहीं आयी कि आखिर उन्होंने बारहवी बोर्ड के जैसी अहम परीक्षा में अपने बच्चों को तय समय से पहले परीक्षा केन्द्र पर पहुंचना सुनिश्चित कराने के लिए कितनी चिंता की थी?
इन सवालों पर भी सवाल उठाए जा सकते हैं लेकिन विद्यार्थियों के भविष्य का ख्याल रखने वालों के जेहन में यह बात भी रहना चाहिए कि अनुशासन भी कोई चीज होती है। इसके बिना भविष्य निर्माण नहीं हो सकता है।
यह घटना अपवाद हो सकती है लेकिन इस घटना के बहाने इन सवालों पर तो विचार किया ही जा सकता है।
सागर वॉच/ दिगम्बर स्व-सहायता समूह बम्हौरी केसली धान उपार्जन केन्द्र पर घोर अनियमिताएं पाये जाने पर शासन के निर्देश पर आरोपियों के खिलाफ पुलिस प्रकरण पंजीबद्ध किया गया है। दिगम्बर स्व. सहायता की संचालक मीना पति नरेन्द्र जैन खरीदी केन्द्र प्रभारी और कम्प्यूटर आपरेटर विवेक जैन के साथ ही समिति स्तर पर नियुक्त सर्वेयर प्रशांत सेन के विरूद्ध एक लिखित आवेदन पेश किया था।
उक्त आरोपियों द्वारा अवैधानिक रूप से लाभ कमाने, शासन के साथ धोखाधड़ी की मंशा से अमानक स्तर की धान बोरियों में भरी पाई गयीं है। आरोपियों पर अपराध धारा 420, 406, 409, 34 भा.द.वि. का पाये जाने से आरोपी के विरूद्ध अपराध पंजीबद्ध किया गया है।
समर्थन मूल्य पर धान उपार्जन केन्द्र दिगम्बर स्व सहायता समूह (केन्द्र कोड क्रमांक 59010027) तहसील केसली के केन्द्र प्रभारी मीना जैन पति नरेन्द्र जैन, केन्द्र के कम्प्यूटर ऑपरेटर श्री विवेक जैन एवं सर्वेयर प्रशांत सेन के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज हुई हैं ।
कलेक्टर के निर्देशानुसार थाना प्रभारी केसली एवं तहसीलदार, राजस्व निरीक्षक एवं हल्का पटवारी के द्वारा समर्थन मूल्य पर धान उपार्जन केन्द्र दिगम्बर स्व सहायता समूह ( केन्द्र कोड क्रमांक 59010027 तहसील केसली, धान खरीदी केन्द्र जो कि, कृषि उपज मंडी केसली में संचालित है, की जांच की गई।
मौके पर केन्द्र के आपरेटर विवेक जैन एवं केन्द्र प्रभारी मीना जैन पति नरेन्द्र जैन, केन्द्र द्वारा नियुक्त सर्वेयर प्रशांत सेन अनुपस्थित थे। मौके पर उपस्थित कर्मचारी जांच के समय जांच दल को देखकर फरार हो गये थे ।
7 जनवरी को जांच के दौरान पाया गया कि दिगम्बर स्व. सहायता समूह में लगभग सभी बोरी में धान की जगह पर धान भूसा से भरा पाया गया। जिसमें लगभग 35000 बोरी में लाल धागे से मशीन सिलाई वाली टैग लगा हुआ पाया गया।
इन सभी बोरियों में धान एवं धान की भूसी भरी हुई पाई गई। कुछ बोरियों को एक हाथ से उठाने पर वे आसानी से उठाई जा रही थी। इसका तात्पर्य यह रहा कि बोरिया वजन में बहुत हल्की थी।
मौका स्थल पर खरीदी केन्द्र के सभी कर्मचारी दल को देखकर भाग गये थे । सभी ने अपना मोबाईल फोन बंद कर लिया था । भूसी युक्त धान से भरी सभी बोरिया वही प्रांगण में खुले में एवं टीन शेड के नीचे रखी थी ।
धान की बोरी की भी गुणवत्ता अत्याधिक खराब पायी गई। टीन शेड के नीचे रखी अशासकीय बारदानों में पाई गई बोरियां तौलने के लिये रखी थी। 8 जनवरी को तहसीलदार केसली कैलाश कुर्मी, जिला प्रबंधक राजेश शिवा नागरिक आपूर्ति निगम सागर, टी.आई. केसली कृपाल मार्को, नीरज चौरसिया प्रभारी बी.एम. आजीविका मिशन केसली द्वारा संयुक्त रूप से दिगम्बर स्व. सहायता समूह ग्राम बम्होरी तहसील केसली धान खरीदी केन्द्र की जांच की गई।
मौके पर केन्द्र प्रभारी, ऑपरेटर कोई भी उपस्थित नहीं मिले। मौके पर उपार्जित की गई धान की बोरियां अस्त व्यस्त एवं बिना स्टेकिंग की परिसर में रखी पाई गई थी। मौके पर रखी धान की सेंपलिंग सर्वेयर लेखराम यादव से करवाई गई। उस समय डिस्ट्रिक क्वालिटी कंट्रोलर (सुपरवाईजर), श्री रजनीश कुमार कौरव भी उपस्थित रहे व उनके कथन भी लिपिबद्ध किये गये।
उनके द्वारा कथनों में बताया गया कि संपूर्ण भंडारण गोदामों पर सर्वेयर नियुक्त किये जाते है। आर.बी. एसोसिएट कंपनी द्वारा इन्हें काम में लगाया गया, जो सर्वेयर उपलब्ध करवाते है। धान खरीदी मानक स्तर की हो, इसमें शासन के पैरामीटर अनुसार सर्वेयर द्वारा गुणवत्ता की जांच की जाती है। तत्पश्चात ही धान को जमा किया जाता है।अमानक होने पर रिजेक्ट करके पुनः सफाई हेतु समिति को वापिस किया जाता है।
दिगम्बर स्व सहायता समूह, बम्होरी तहसील, केसली की धान परिवहन होकर ओमप्रकाश वेयर हाउस ढाना, तहसील सागर में भंडारित हो रही है। जहां पर सर्वेयर शुभम मिश्रा पदस्थ है।
धान की कुल मात्रा 6,190 किलोग्राम है, जो जमा की गई है। जिसमें से ख़ारिज मात्रा शून्य है। धान की गुणवत्ता की जांच की गई। जिसमें उनके द्वारा नमूने का परीक्षण कर बताया गया कि सेंपल में जिनमें कार्बनिक मात्रा (छिलका, भूसा) 10.5 प्रतिशत, अकार्बनिक पदार्थ 2.70 प्रतिशत, क्षतिग्रस्त, बदरंग दाने 8.5 प्रतिशत, अपरिपक्व, सुकड़े कुम्हलाये दाने 5.2 प्रतिशत नमी 15 प्रतिशत पाई गई।
भूसे की मात्रा बोरियों में बहुत अधिक होना पाया गया। उक्त सभी मात्रायें शासन द्वारा निर्धारित की गई मात्राओं से अधिक है। जिससे धान अमानक स्तर की होना सिद्ध होता है। इसके साथ ही मौके पर एक ढेर खुले में रखा हुआ पाया गया, जिसकी गुणवत्ता की जांच भी सुपरवाईजर व सर्वेयर द्वारा करवाई गई।
मौके पर रखी हुई समस्त धान अमानक स्तर की पायी गयी। मौके पर रखी बोरियों में से कुछ का वजन करवाया गया, जिसमें उनका वजन क्रमांश 14.250 किलोग्राम, 16.500 किलोग्राम, 15.220 किलोग्राम, 22.560 किलोग्राम, 27.00 किलोग्राम, 21.560 किलोग्राम, 24.00 किलोग्राम, 23.200 किलोग्राम, 25.400 किलोग्राम, 29.500 किलोग्राम पाया गया। जबकि, शासन निर्देशानुसार बारदाने के वजन को छोड़कर 40 किलोग्राम प्रति बोरी धान का वजन की तौल की जाना है।
परंतु मौके पर बोरियों का वजन बहुत कम पाया गया। मौके पर लाल रंग के धागे से सिली हुई एवं तौलकर रखी बिना सिली हुई बोरिया मिलाकर लगभग 35000 बोरियां केन्द्र पर रखी हुई पायी गई। मौके पर ई उपार्जन पोर्टल से खरीदी रिपोर्ट निकाली गई, जिसके अनुसार समूह द्वारा जांच समय तक कुल खरीदी 14363.94 क्वि., जिसमें रेडी टू ट्रांसपोर्ट मात्रा 9390.74 क्वि०, कुल परिवहन मात्रा 6190 क्वि. एवं केन्द्र पर शेष मात्रा 8173.94 लि. धान प्रदर्शित है।
जिला प्रबंधक नागरिक आपूर्ति निगम द्वारा बताया गया कि केन्द्र को कुल 27500 नग बारदाने खरीदी हेतु प्रदाय किये गये थे। जबकि खरीदी प्रदाय के विवरण अनुसार 40 किलोग्राम धान प्रति बारदाने के मान से कुल खरीदी 14363.94 क्वि. में 35910 नग वारदाने उपयोग किये गये, जिसमें से परिवहन की गई मात्रा में 6190 क्वि. में कुल 15475 बारदाने उपयोग किये गये।
केन्द्र पर शेष प्रदर्शित मात्रा 8173.94 क्वि. में 20435 नग बारदाने होना चाहिये। परंतु मौके पर लगभग 35,000 बारदाने में धान तोलकर रखी पाई गई। इस प्रकार केन्द्र पर 14565 अधिक बारदानों में धान तौलकर रखा जाना पाया गया । इसके साथ ही नागरिक आपूर्ति निगम द्वारा 27,500 नग बारदाने खरीदी हेतु दिये गये थे, परंतु केन्द द्वारा 50,475 बारदाने (परिवहन मात्रा एवं केन्द्र पर रखी मात्रा को मिलाकर ) उपयोग किये गये।
अर्थात केन्द्र द्वारा 22975 नग बारदाने अन्य अनाधिकृत माध्यम से प्राप्त किये गये। केन्द्र प्रभारी द्वारा किये गये उक्त कृत्य से यह सिद्ध होता है कि उनके द्वारा व्यापारियों की अमानक स्तर की धान उन्ही के बारदानों में प्राप्त कर तोली जा रही है एवं उनका फर्जी इंद्राज किसानो के नाम पर कराया गया है।
केन्द्र पर केन्द्र प्रभारी द्वारा सर्वेयर के रूप में श्री प्रशांत सेन का नाम दर्ज कराया है। जब किसान के द्वारा स्लाट बुकिंग के पश्चात अपनी धान केन्द्र पर लाई जाती है, तब टोकन जारी करने के समय ही तौल के पूर्व सर्वेयर द्वारा धान का परीक्षण कर अपने मोबाईल एप पर उस धान की गुणवत्ता के बारे में परीक्षण कर इन्द्राज की जाती है।
इसके पश्चात ही धान की तौल की जाती है। इससे यह सिद्ध होता है कि, केन्द्र पर बोरियों में तौलकर रखी धान को सर्वेयर द्वारा अमानक होने पर उसे फर्जी तरीके से मानक बताकर शासन के नीति निर्देशों के विरूद्ध कार्य किया गया है।
जब समय मौके पर उपस्थित प्रभारी विकासखण्ड प्रबंधक श्री नीरज चौरसिया के कथन लिपिबद्ध किये गये तो उनके द्वारा अपने कथनो में बताया गया कि, दिगम्बर स्व. सहायता समूह ग्राम बम्होरी तहसील केसली द्वारा 2022-23 में धान खरीदी कार्य किया जा रहा है।
यह समूह 10.05.2015 से पंजीकृत है एवं धान खरीदी कार्य हेतु पात्र है। समूह की अध्यक्ष लक्ष्मीरानी पति दामोदर साहू एवं सचिव श्रीमति मीना जैन पति श्री नरेन्द्र जैन है।
इस प्रकार दिगम्बर स्व सहायता समूह (केन्द्र कोड क्रमांक 59010027 ) तहसील केसली द्वारा संचालित समर्थन मूल्य पर धान खरीदी केन्द्र की केन्द्र प्रभारी मीना जैन पति नरेन्द्र जैन, केन्द्र के कम्प्यूटर ऑपरेटर विवेक जैन एवं सर्वेयर प्रशांत सेन के द्वारा केन्द्र पर किसानो से अमानक स्तर की धान खरीदी करना, जिसमें अत्याधिक मात्रा में भूसा (छिलका) पाया जाना, खरीदी गई धान की मात्रा नियमानुसार 40 किलोग्राम के स्थान पर तौल में कम वजन की पाई जाना व बारदानो की गणना का मिलान न होना, मौके पर छन्ना अथवा ग्रेडर नहीं पाया जाना, भौतिक सुविधायें उपलब्ध न होना, धान का ढेर लगाकर रखा जाना पाया गया।
केन्द्र पर रखी धान की सभी बोरियों में सिलाई एवं टैग / स्टेसिल किसान कोड नहीं लगे होना पाये गए। फीफो पद्धति से लगे होना नहीं पाया जाना, अनियमिततायें की जाना पाई गई ,जो कि खरीफ विपणन मौसम वर्ष 2022-23 में समर्थन मूल्य पर धान उपार्जन नीति का स्पष्टतः उल्लंघन है।
उक्त सभी कृत्य अवैधानिक रूप से लाभ कमाने, शासन के साथ धोखाधड़ी, की मंशा से किया जाना दर्शित है। शासन निर्देशानुसार संबंधितों के विरूद्ध भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं के अंतर्गत आरोपियों के खिलाफ संबंधित पुलिस थाने में एफआईआर पंजीबध्द की गई।
सागर वॉच/ महज 15 सेकंड की ताली मानसिक तनाव दूर करने एवं निरोगी रहने में मददगार हो सकती है उक्त विचार अरुण ऋषि ने कलेक्ट्रेट कार्यालय के सभाकक्ष में आयोजित एक कार्यशाला में व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि एक दवा निराली 15 सेकंड की ताली बजाने पर व्यक्ति हमेशा स्वस्थ निरोग एवं तनाव मुक्त रहता है।
इसके लिए हमेशा 24 घंटे में 15 सेकंड की ताली हमें अवश्य बजाना चाहिए। उन्होंने कहा कि अधिकारी कर्मचारी लगातार कार्य करने से मानसिक तनाव महसूस करते हैं जिस को दूर करने के लिए 15 मिनट की ताली अत्यंत आवश्यक है।
सागर वॉच/ सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे एक फोटो के जरिये जिले में शासकीय कर्मचारी द्वारा जनप्रतिनिधि को खुले आम अपमानित करने का एक बेहद सनसनीखेज मामला सामने आया है। वायरल हुई तस्वीर में एक जनपद सदस्य पटवारी से पैर पड़कर माफ़ी मांग रहे हैं जबकि पटवारी जनप्रतिनिधि की पीठ पर पैर रखे हुए नजर आ रहा । मामले के सामने आते ही कलेक्टर ने पटवारी को निलंबित कर दिया है ।
जानकारी के मुताबिक बीना जनपद पंचायत के वार्ड क्रमांक 5 के सदस्य क्षमाधर कुर्मी, गांधी जयंती के अवसर पर एक सरकारी कार्यक्रम में पहुंचे थे। जहां उनकी स्थानीय पटवारी विनोद अहिरवार से किसी बात पर बहस हो गई। इस पर से पटवारी विनोद वहां से चले गए और उन्होंने बीना पुलिस थाने में जनपद सदस्य क्षमाधर के खिलाफ सरकारी काम में बाधा समेत अन्य धाराओं में एफआईआर दर्ज करा दी। जिसको लेकर क्षमाधर अगले दिन 3 अक्टूबर को पटवारी के बीना स्थित ऑफिस पहुंचे तो उन्होंने, उनसे पैरों में गिरकर माफी मांगने की बात कही और कहा की माफ़ी मांग लेने पर उसके खिलाफ पुलिस को की शिकायत वापस ले लेगा। क्षमाधर इसके लिए तैयार हो गए तो पटवारी ने उनके सिर पर एक पैर रखकर फोटो खिंचवा लिया और शिकायत भी वापस नहीं ली।माफ़ी मांगते जनप्रतिनिधि की पीठ पर पैर रखे हुए पटवारी का फोटो मंगलवार को वायरल हो गया। तस्वीर में नजर आ रहा पटवारी बीना तहसील के भानगढ़ वृत्त में पदस्थ है।
सूत्रों के अनुसार पीड़ित जनपद सदस्य क्षमाधर पटेल ने पटवारी विनोद अहिरवार द्वारा उनकी पीठ पर पैर रखकर फोटो खिंचाने और वायरल करने के बाद पुलिस व प्रशासिनक स्तर पर शिकायत की थी। इसके बाद कलेक्टर स्तर से मामले में जांच के निर्देश दिए थे। बताया जा रहा है कि बीना एसडीएम शैलेंद्र सिंह ने इस मामले में जांच कर प्रतिवेदन जिला प्रशासन के संबंधित अधिकारी को सौंप दिया।
जिला कलेक्टर दीपक आर्य के मुताबिक वायरल हुए फोटो के मामले में बीना के अनुविभागीय अधिकारी शैलेन्द्र के कार्यालय से मंगलवार को प्रतिवेदन प्राप्त हुआ है। जिसके आधार पर विनोद अहिरवार, पटवारी हल्का क्रमांक 14 वृत्त भानगढ़, तहसील बीना द्वारा बीना जनपद पंचायत के सदस्य के साथ अशोभनीय कृत्य किया है। पटवारी द्वारा जनपद सदस्य क्षमाधार पटेल के सिर पर पैर रखे हुए व जनपद सदस्य द्वारा पटवारी के पैर छूने का चित्र प्रकाशित कराया है । जिससे राजस्व विभाग की छवि धूमिल हुयी है । जनप्रतिनिधियों का अपमान किया जाना शासकीय कर्तव्यों के प्रति अशोभनीय व कदाचरण की श्रेणी में आता है। पटवारी विनोद अहिरवार को उनके अशोभनीय कृत्यों के चलते तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है । मामले की जांच कराई जा रही है जांच में दोषी पाए जाने वालों के खिलाफ सख्त करवाई की जाएगी।
इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय क्षेत्रीय केंद जबलपुर ने लोगों से अपने घर पर सम्मान सहित राष्ट्रीय ध्वज ‘तिरंगा’ फहराने और अपने इस गौरव के क्षण की सेल्फी/फोटो हमारे गूगल लिंक पर अपलोड करने का आग्रह किया है। केंद्र का कहना है कि भी की सभी फोटो को अपनी वेबसाईट, फेसबुक और ट्विटर पर सभी के साथ साझा की जायेंगीं ।
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दिव्यांग से पी.एच.डी.छात्रवृत्ति के लिए 30 सितम्बर तक आवेदन आमंत्रित
देश की स्वतंत्रता का अमृत महोत्सव मनाने के लिए जिस बड़े निर्णय की घोषणा की गई वह है “हर घर तिरंगा“ वस्तुतः यह हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा देशवासियों को आजादी के अमृत महोत्सव पर दिया गया वह उपहार है जो उन्हें अपने घरों में ध्वज लहरा कर गौरवान्वित होने का अवसर प्रदान कर रहा है। हर व्यक्ति को अपने देश के ध्वज से प्रेम होता है और वह उसे अपने घर में भी फहरा कर अपनी राष्ट्रीय भावना तथा देश के प्रति प्रेम को प्रदर्शित करना चाहता है ।आमजन की इसी अभिलाषा को प्रधानमंत्री ने समझा और अनुभव किया तथा देशवासियों को यह सुखद अवसर और अनुभूति प्रदान करने के लिए राष्ट्रीय ध्वज संहिता में संशोधन करवाया। यह वास्तव में एक ऐतिहासिक कदम है।
सन 2002 में भी भारतीय ध्वज संहिता में संशोधन किया गया था तथा इसमें नागरिकों को कुछ कठोर शर्तों के साथ अपने घरों, कार्यालयों और फैक्ट्री में राष्ट्रीय दिवसों के अतिरिक्त किसी भी दिन ध्वज फहराने की अनुमति दी गई थी। अब नई संहिता की धारा 2 में सभी नागरिकों को अपने निज परिसर में अर्थात घरों में ध्वज फहराने का अधिकार दिया गया है।सोशल मीडिया पर भी यह छूट दी गई है कि प्रत्येक व्यक्ति अपनी डीपी में राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा लगा सकता है। हर घर तिरंगा के अभियान को उत्साहजनक और ग्लोबल बनाने के लिए एक साइड भी निर्मित की गई है जिस पर कोई भी व्यक्ति अपने घर में तिरंगा लहरा कर उसकी तस्वीर उस साइट पर अपलोड कर सकता है और अभियान में भाग लेने के स्वरूप सर्टिफिकेट डाउनलोड कर सकता है।
प्रत्येक स्वतंत्र राष्ट्र का अपना एक स्वतंत्र ध्वज होता है, जो उस देश का प्रतीक और उसकी पहचान होता है। यह ध्वज संपूर्ण देशवासियों के साथ ही देश के गौरव का भी प्रतीक होता है। इसीलिए प्रत्येक व्यक्ति से यह अपेक्षा की जाती है कि वह राष्ट्रीय ध्वज का सम्मान करेगा और अपने प्राणों से भी बढ़कर उसकी सुरक्षा करेगा।
भारतीय राष्ट्रीय ध्वज जिसे हम तिरंगा के नाम से जानते हैं, अपने तीन रंगों के कारण उसे यह नाम मिला है। इस तिरंगे को डिज़ाइन किया था आंध्र प्रदेश के पिंगली वेंकैयानंद ने। तिरंगे का वर्तमान स्वरूप सन 1947 की 22 जुलाई को आयोजित भारतीय संविधान सभा की बैठक के दौरान स्वीकार किया गया था। इसके कुछ दिन बाद 15 अगस्त को जिस समय मध्यरात्रि को देश स्वतंत्र हुआ तो इस स्वतंत्रता की घोषणा तिरंगा फहरा कर की गई थी।
भारतीय राष्ट्रीय ध्वज के रूप में मान्य तिरंगे में तीन रंग की आड़ी पट्टियां हैं। सबसे ऊपर केसरिया, बीच में सफेद और नीचे गहरे हरे रंग की पट्टी। यह तीनों आड़ी पट्टियां समान अनुपात में रहती हैं। ध्वज की चौड़ाई का अनुपात 2ः3 का है। सफेद पट्टी के मध्य में गहरे नीले रंग का एक चक्र है। यह चक्र अशोक के सारनाथ स्तंभ पर बने हुए चक्र से लिया गया है। इसका व्यास सफेद पट्टी की चौड़ाई के बराबर होता है और इसमें कुल 24 तीलियां हैं।
तिरंगे का इतिहास भी बहुत रोचक है। राष्ट्रीय ध्वज के रूप में तिरंगे को मान्यता प्राप्त होने से पूर्व सन 1906 की 7 अगस्त को पारसी बागान चौक अर्थात ग्रीन पार्क, कोलकाता में पहली बार राष्ट्रीय ध्वज फहराया गया था। इस ध्वज को लाल, पीले और हरे रंग की आड़ी पट्टियों से बनाया गया था।
इसके बाद सन 1907 में मैडम कामा और उनके साथ निर्वासित किए गए कुछ क्रांतिकारियों द्वारा पेरिस में भारतीय राष्ट्रीय ध्वज फहराया गया था। किंतु उसका स्वरूप भी तिरंगे के समान नहीं था। उस ध्वज में सबसे ऊपर की पट्टी पर एक कमल था और साथ में सात तारे थे जो सप्तऋषि को दर्शाते थे। यह ध्वज बर्लिन में हुए समाजवादी सम्मेलन में भी प्रदर्शित किया गया था।
भारतीय राष्ट्रीय ध्वज का तीसरा स्वरूप सन 1917 में सामने आया। जब एनी बेसेंट और लोकमान्य तिलक ने आंतरिक शासन आंदोलन के दौरान इसे राष्ट्रीय ध्वज के रूप में फहराया था। इस ध्वज में 5 लाल रंग की और 4 हरे रंग की आड़ी पट्टियां एक के बाद एक थीं और सप्तऋषि के आकार में सात तारे बने हुए थे। ध्वज के बायीं ओर ऊपरी किनारे पर यूनियन जैक था तथा एक कोने में सफेद अर्धचंद्र और सितारा भी था।
इसके बाद राष्ट्रीय ध्वज का एक और स्वरूप सामने आया, जब अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सत्र के दौरान सन 1921 में विजयवाड़ा में एक युवक ने झंडा बनाकर महात्मा गांधी को सौंपा। यह दो रंगों का बना था - लाल और हरे रंग का। किंतु गांधीजी ने उसे अस्वीकार करते हुए सुझाव दिया कि इसमें शांति के प्रतीक के रूप में सफेद पट्टी भी होनी चाहिए और साथ में स्वदेशी का संदेश देता हुआ चरखा भी होना चाहिए।
सन 1931 में भारतीय राष्ट्रीय ध्वज को अपना असली स्वरूप मिलना प्रारंभ हुआ, जब तीन रंग के ध्वज को राष्ट्रीय ध्वज के रूप में स्वीकार करने पर सहमति बनी। इस ध्वज में केसरिया और हरे रंग के बीच में सफेद रंग तथा मध्य में चरखे की आकृति बनाई गई थी।
जब देश को स्वतंत्रता मिलने की संभावना स्पष्ट दिखाई देने लगी तो ध्वज में परिवर्तन किए जाने का विचार सामने आया। 22 जुलाई 1947 को संविधान सभा ने तिरंगे को राष्ट्रीय ध्वज के रूप में घोषित करते हुए चरखे के स्थान पर अशोक के धर्म चक्र को अंकित किया गया। इस प्रकार स्वतंत्र भारत को अपना एक स्वतंत्र ध्वज प्राप्त हुआ। स्वतंत्र राष्ट्रीय ध्वज में जो तीन रंग स्वीकार किए गए उसमें सबसे ऊपर केसरिया रंग शक्ति और साहस को प्रदर्शित करता है। सबसे निचली पट्टी जो हरे रंग की है, देश की उर्वरता, समृद्धि और भूमि की महत्ता को दर्शाती है। बीच में स्थित सफेद पट्टी शांति का प्रतीक है और उस पट्टी के मध्य में अंकित चक्र सत्य और निरंतर प्रगति का द्योतक है।
हमें आजादी का अमृत महोत्सव मनाते हुए इस बार अपने राष्ट्रीय ध्वज तिरंगे को अपने-अपने घरों में फहराने का जो शुभ अवसर प्राप्त हुआ है, उसे सम्मानपूर्वक स्वीकार करना चाहिए । अपने घरों में राष्ट्रीय ध्वज लहरा कर राष्ट्र के प्रति अपनी निष्ठा एवं प्रेम को प्रदर्शित करना चाहिए। इस अवसर पर कवि श्यामलाल गुप्त “पार्षद“ का यह सुप्रसिद्ध गीत स्मरणीय है -
झंडा ऊंचा रहे हमारा।
सदा शक्ति बरसाने वाला,
प्रेम सुधा सरसाने वाला,
वीरों को हरषाने वाला,
मातृभूमि का तन-मन सारा।।
झंडा ऊंचा रहे हमारा ...
सागर वॉच । जिला कलेक्टर श्री दीपक आर्य ने विश्राम गृह भवन क्रमांक-एक में 3 जुलाई को राज्यसभा सांसद सुमित्रा वाल्मिकी के सामान को उनके कमरे से उनकी अनुपस्थिति में अन्य कमरे में हटाने तथा सांसद द्वारा नाराजगी व्यक्त करने संबंधी वायरल हुए वीडियो पर सख्त कार्रवाई की है। इस मामले में विश्राम गृह-एक के केयर-टेकर हरिप्रसाद कोरी को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर निलंबन अवधि में उनका मुख्यालय लोक निर्माण विभाग उप संभाग बण्डा किया गया है।
जिला कलेक्टर दीपक आर्य ने केयर-टेकर हरिप्रसाद कोरी के कृत्य को निर्धारित प्रोटोकॉल के विरूद्ध पाया, जो कि घोर लापरवाही की श्रेणी में आता है। केयर-टेकर श्री कोरी को म.प्र. सिविल सेवा नियम के तहत तत्काल प्रभाव से निलंबित किया गया है। निलंबन अवधि में उनका मुख्यालय लोक निर्माण विभाग उप संभाग बण्डा, जिला सागर किया गया है। श्री कोरी को निलंबन अवधि में नियमानुसार जीवन निर्वाह भत्ता देय होगा।