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कलेक्टर संदीप जी. आर. ने सोमवार को सभी विभागों की समय सीमा बैठक लेते हुए कहा कि कलेक्टर कार्यालय सहित जिले के सभी शासकीय भवनों में वर्षा जल संचयन प्रणाली (Rain Water Harvesting System) अनिवार्य रूप से स्थापित कराया जाए । साथ में विद्युत आपूर्ति के लिए "सौर पट्टिका" (solar panel) भी लगाए जाएं। उन्होंने कहा कि इसकी शुरुआत कलेक्टर कार्यालय से की जाए।
बैठक में कलेक्टर ने अपर कलेक्टर रुपेश उपाध्याय को निर्देशित करते हुए कहा कि कार्यालय सहित जिले के सभी शासकीय कार्यालयों में (Rain Water Harvesting System) एवं सौर ऊर्जा के लिए "सौर पट्टिका" (solar panel) लगाने के लिए कार्रवाई सुनिश्चित कर निगरानी करें।
उन्होंने इसी प्रकार नगर निगम कमिश्नर को निर्देशित किया कि नगर निगम के द्वारा भवन अनुज्ञा प्रमाण पत्र प्रदान करने के साथ साथ वर्षा जल संचयन प्रणाली (Rain Water Harvesting System) लगाने का प्रमाण पत्र भी संबंधित भवन स्वामी से मांगे। उन्होंने कहा कि इसके लिए नगर निगम एवं नगरीय निकाय लगातार निरीक्षण करें।
कलेक्टर संदीप जी आर ने बताया कि वर्षा जल संचयन प्रणाली (Rain Water Harvesting System) की नवीनतम तकनीक जल संरक्षण और प्रबंधन में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। वर्षा जल संचयन के माध्यम से जल संकट को कम किया जा सकता है और भूमिगत जल स्तर में सुधार किया जा सकता है।
वर्षा जल संचयन (Rain Water Harvesting) के लाभ भी है जिनमें जल संरक्षण और प्रबंधन में मदद, भूमिगत जल स्तर में सुधार, जल प्रदूषण कमी, जल संकट के समय उपयोगी होता है। साथ ही सिंचाई के लिए, पीने के पानी के लिए, घरेलू उपयोग के लिए ,उद्योगों में उपयोग में काम आता है।
वर्षा जल संचयन की विधि
वर्षा जल को संचयित करने के लिए टैंक या तालाब बनाया जाता है। वर्षा जल को संचयित करने के लिए पाइपलाइन और अन्य उपकरणों का उपयोग किया जाता है। संचयित जल को शुद्ध किया जाता है और उपयोग के लिए तैयार किया जाता है।
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