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Sagar Watch News

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डॉ. हरीसिंह गौर विश्वविद्यालय, सागर के अभिमंच सभागार में श्री धर्मपाल स्मृति पर दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया जा रहा है, जिसे धर्मपाल शोधपीठ, स्वराज संस्थान निदेशालय, संस्कृति विभाग, भोपाल द्वारा प्रायोजित किया गया है। इसके विभिन्न तकनीकी सत्रों में आमंत्रित विद्वानों ने विभिन्न विषयों पर अपने विचार रखे।

यह चर्चा महात्मा गांधी के विचारों और भारतीय संस्कृति की प्रासंगिकता पर केंद्रित रही।समाजवादी चिंतक रघु ठाकुर ने कहा कि जब हम महात्मा गांधी को याद करते हैं, खासकर स्वराज पर बात करते हैं, तो उनकी किताब हिंद स्वराज ज़रूर याद आती है। ये एक छोटी लेकिन असरदार किताब है, जिसमें गांधीजी ने बताया कि असली स्वराज पाने के लिए सिर्फ अंग्रेज़ों को भगाना काफी नहीं है, बल्कि उनकी सोच और जीवनशैली को भी छोड़ना होगा। उन्होंने भारतीय संस्कृति को ही असली स्वराज का आधार बताया।

प्रो. विजय बहादुर सिंह ने कहा कि हमारे देश की खासियत इसकी विविधता है—हमारे खाने, पहनावे, देवी-देवताओं तक में भिन्नता है। फिर भी हम एक हैं, क्योंकि हम सत्य, अहिंसा और कर्म में विश्वास करते हैं। किसी व्यक्ति की पहचान उसके कपड़ों से नहीं, बल्कि उसके व्यवहार और मूल्यों से होती है।

प्रो. कुमार प्रशांत ने कहा कि तकनीक सिर्फ एक साधन है, न कि अंतिम सत्य। इसका सही या गलत इस्तेमाल समाज तय करता है। तकनीक का उद्देश्य लोगों को जोड़ना होना चाहिए, न कि उन्हें बाँटना। गलत हाथों में तकनीक का दुरुपयोग भी हो सकता है, जैसे भ्रूण लिंग परीक्षण और कन्या भ्रूण हत्या। आज तो हमारी निजी जिंदगी भी तकनीक के ज़रिए सार्वजनिक होती जा रही है।


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डॉ. मिथिलेश ने कहा कि आज का ज़्यादातर ज्ञान पश्चिम से प्रभावित है। लेकिन असली ज्ञान सिर्फ जानकारी नहीं, बल्कि आत्मा, समाज और प्रकृति से जुड़ा हुआ विवेक होता है, जो बदलाव लाने की ताकत रखता है। भारतीय परंपरा में ज्ञान को शक्ति का स्रोत माना गया है।

डॉ. कन्हैया त्रिपाठी ने बताया कि अगर हम सोच नहीं बदलते, तो हम आज भी उपनिवेशवाद की मानसिकता में जी रहे हैं। यह सिर्फ राजनैतिक नियंत्रण नहीं था, बल्कि हमारी सोच, संस्कृति और संस्थाओं को छोटा दिखाने की एक चाल थी। हमारी पारंपरिक शिक्षा प्रणाली जैसे गुरुकुल, जो नैतिक और समग्र विकास पर आधारित थी, उसे छोड़कर हम अब केवल नौकरी पाने वाली शिक्षा की ओर बढ़ रहे हैं।

प्रो. सत्यकेतु सांकृत ने कहा कि उपनिवेशवाद ने हमारी ज़मीन ही नहीं छीनी, बल्कि हमारी सोच, संस्कृति और पहचान पर भी असर डाला। आज हमें सबसे ज़्यादा ज़रूरत इस मानसिक गुलामी से आज़ादी पाने की है। डॉ. अंबेडकर ने हमेशा इस मानसिक आज़ादी की बात की थी। जब तक हम खुद सोचने की आज़ादी नहीं पा लेते, तब तक हम सच्चे नागरिक नहीं बन सकते।

 सभी वक्ताओं ने आत्मनिर्भर और सांस्कृतिक रूप से समृद्ध भारत के निर्माण पर बल दिया।

समापन सत्र की अध्यक्षता डॉ. हरीसिंह गौर विश्वविद्यालय के शैक्षणिक अध्ययन संकाय के डीन प्रो. अनिल कुमार जैन ने की। इस सत्र में मुख्य अतिथि प्रो. सुष्मिता लख्यानी, डीन, शिक्षा संकाय, दिल्ली विश्वविद्यालय ने अपने चित्रों के माध्यम से सरस्वती वाणी दी। विशिष्ट अतिथि के रूप में डॉ. मनीष वर्मा, संयुक्त निदेशक, लोक शिक्षण प्रभाग, सागर और प्रो. सत्यकेतु सांकृत, डीन, साहित्य अध्ययन केंद्र, बी.आर. अंबेडकर विश्वविद्यालय, दिल्ली ने अपना वक्तव्य दिया। डॉ. अनिल कुमार तिवारी ने अतिथियों का औपचारिक स्वागत किया। डॉ. अर्चना वर्मा ने संगोष्ठी की रिपोर्ट प्रस्तुत की। शिक्षा विभाग के डॉ. योगेश कुमार पाल ने आभार व्यक्त किया। सत्र का संचालन संस्कृत विभाग की सहायक प्राध्यापक डॉ. किरण आर्य ने किया।

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डॉ. हरीसिंह गौर विश्वविद्यालय सागर के उन्नत शोध केंद्र  (CAR-Center For Advance Research) में परमाणु चुंबकीय अनुनाद स्पेक्ट्रोमीटर (NMR-Nuclear Magnetic Resonance Spectrometer)* पर एक दिवसीय व्यावहारिक प्रशिक्षण आयोजित किया गया, जिसमें कुल 35 प्रतिभागियों ने सक्रिय रूप से भाग लिया।
 

*यह एक ऐसा वैज्ञानिक यंत्र है जो किसी रसायन (chemical) के अणुओं की आंतरिक संरचना (structure) को जानने के लिए उपयोग किया जाता है। (Sagar Watch Explainer)

डॉ. विवेक कुमार पांडे (प्रभारी, सीएआर) ने उन्नत अनुसंधान केंद्र के संक्षिप्त परिचय के साथ सत्र की शुरुआत की और प्रतिभागियों को ऐसे कार्यक्रमों के महत्व के बारे में बताया। व्याख्यान सत्र में मुख्य वक्ता डॉ. केके डे (प्रभारी शिक्षक) ने प्रतिभागियों को बताया कि NMR विश्लेषण एक उल्लेखनीय तकनीक है

इस तकनीक का उपयोग रसायन विज्ञान, पदार्थ विज्ञान, जीव विज्ञान और चिकित्सा सहित विविध क्षेत्रों में नमूने की शुद्धता, सामग्री के साथ-साथ आणविक संरचना का पता लगाने, खाद्य गुणवत्ता नियंत्रण और अनुसंधान दवाओं की खोज और विकास, आणविक गतिशीलता अध्ययन के लिए किया जाता है। 

उन्नत अनुसंधान केंद्र के इस सत्र की शुरुआत मुख्य समन्वयक प्रो  शिवप्रकाश सोलंकी, सौरभ शाह, प्रिंस सेन और आदर्श कुमार द्वारा एनएमआर के धातु-सामग्री (Hardware) भाग और उसके परिधीय उपकरणों के संक्षिप्त परिचय के साथ हुई। 

प्रतिभागियों को नमूना तैयार करने, विश्लेषण और डेटा व्याख्या का पूरा विवरण दिया गया। डॉ. के.के. डे ने प्रतिभागियों के रुचि के क्षेत्र से संबंधित प्रश्नों पर विचार किया और उनके उत्तर दिए।

 

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पश्चिमी शिक्षा प्रणाली ने भारतीय मूल्यों को पीछे छोड़ दिया है, जबकि भारतीय संस्कृति वैज्ञानिक और दार्शनिक दृष्टिकोण में अग्रणी रही है। यह विचार मध्य प्रदेश शासन के राज्यमंत्री  धर्मेंद्र भाव सिंह लोधी ने डॉक्टर हरीसिंह गौर विश्वविद्यालय, सागर के अभिमंच सभागार में  धर्मपाल स्मृति द्विदिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी में मुख्या अतिथि के तौर पर अपने उद्बोधन के दौरान व्यक्त किये  

उन्होंने अनेक ऐतिहासिक और पौराणिक उदाहरणों के माध्यम से बताया कि भारतीय ज्ञान परंपरा ने पृथ्वी की गोलाई, गुरुत्वाकर्षण और जीवन विज्ञान जैसे विषयों पर हजारों वर्ष पहले ही गहन अध्ययन किया था. उन्होंने संस्कृत भाषा को सभी भाषाओं की जननी बताते हुए युवाओं से भारतीयता पर गर्व करने की बात कही 

विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. नीलिमा गुप्ता की अध्यक्षता में आयोजित इस कार्यक्रम में  इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि मुख्य चुनाव आयुक्त मनोज श्रीवास्तव, सागर स्कूल शिक्षा संयुक्त संचालक डॉ. मनीष वर्मा, धर्मपाल शोधपीठ के निदेशक संतोष वर्मा एवं शैक्षिक अध्ययनशाला के अधिष्ठाता प्रो. अनिल कुमार जैन विशिष्ट अतिथि के रूप में शामिल हुए 

कार्यक्रम की प्रस्तावना में  भारतीय इतिहासकार और गांधीवादी विचारक धर्मपाल जी के जीवन और चिंतन पर विस्तार से प्रकाश डाला गया।  बताया गया कि धर्मपाल जी आधुनिक शिक्षा व्यवस्था से असंतुष्ट थे और मानते थे कि यह भारतीय आत्मा से अलग करती है  उनका मानना था कि भारत का वास्तविक उत्थान तभी संभव है जब हम यूरोपीय बौद्धिक प्रभावों से मुक्त होकर अपनी सांस्कृतिक जड़ों से जुड़ें 

कुलपति ने अपने उद्बोधन में भारतीय संस्कृति, मूल्य आधारित शिक्षा और युवाओं के समग्र विकास की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि आधुनिकता के प्रभाव में समाज अपनी जड़ों से दूर हो गया है, इसलिए युवाओं में योग, आयुर्वेद, पारिवारिक संस्कार और राष्ट्र सेवा की भावना जागृत करना जरूरी है। नई शिक्षा नीति को चरित्र निर्माण और कौशल उन्मुख बताया। उन्होंने गीता, रामायण जैसे ग्रंथों को शिक्षा में शामिल करने की बात कही।

कार्यक्रम में छह तकनीकी सत्रों का आयोजन किया गया है, जिसमें विद्वान वक्ता धर्मपाल जी के विचारों, इतिहास विश्लेषण और सामाजिक दृष्टिकोण पर विस्तार से चर्चा होगी कार्यक्रम में स्कूल शिक्षा विभाग के प्रतिभागी, विवि के शिक्षक, शोधार्थी प्रतिभागिता कर रहे हैं

कार्यक्रम के उदघाटन से पूर्व मध्य प्रदेश शासन के राज्यमंत्री धर्मेंद्र भाव सिंह लोधी एवं विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. नीलिमा गुप्ता ने गौर समाधि पहुंचकर डॉ. गौर के चरणों में पुष्पांजलि अर्पित की

 शोध पत्रिका का विमोचन

कार्यक्रम के दौरान अतिथियों ने मानविकी एवं सामाजिक विज्ञान की शोध पत्रिका मध्य भारती के नवीनतम अंकों 86 एवं 87 का विमोचन किया. इस अवसर पर सम्पादक मंडल के सभी सदस्य उपस्थित थे।

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मप्र में सागर स्थित  रानी अवंतीबाई लोधी विश्वविद्यालय    (Rani Avanti Bai State University Sagar) की स्नातक प्रथम वर्ष की पहली वार्षिक परीक्षाएँ 25 अप्रैल से शुरु हो रहीं हैं  तथा 11 जून को समाप्त होंगी। इन इम्तिहानों में दो जिलों के 40  से ज्यादा शासकीय व निजी महाविद्यालयों के करीब बड़ी तादाद में विद्यार्थी शामिल हो रहे हैं। 

रानी अवंती बाई महाविद्यालय के परीक्षा नियंत्रक डॉ मिथलेश चौबे ने मीडिया को बताया की इन  परीक्षाओं में सागर व दमोह जिले के 27 परीक्षा केन्द्रों पर कुल 42 शासकीय, अनुदान प्राप्त तथा अशासकीय महाविद्यालयों के लगभग सोलह हजार नियमित तथा स्वाध्यायी परीक्षार्थी शामिल होंगे।

उन्होंने बताया की प्रातः पाली की परीक्षाएँ सुबह 9 बजे से दोपहर 12 बजे के मध्य आयोजित होंगी। इस पालि में बी.एस.सी., बी.एच.एस.सी., बी.कॉम., बी.बीए., बी.सी.ए., बी.लिब. तथा बी.कॉम. रिटेल मैनेजमेण्ट पाठ्यक्रम की परीक्षाएँ होना है। दोपहर 2 से शाम 5 बजे की पाली में बी.ए. की परीक्षाएँ आयोजित की जा रही हैं। 

इसी सिलसिले में कुलगुरु प्रो. विनोद कुमार मिश्रा  ने बताया कि पारदर्शिता व गोपनीयता के प्रति प्रतिबद्धता के निर्देश परीक्षा संचालन टीम को दिए है। साथ ही परीक्षा केन्द्रों व विद्यार्थियों की सुविधाओं का ध्यान रखने का प्रबल आग्रह किया है।

कुलसचिव प्रो. शक्ति जैन ने बताया कि स्नातक प्रथम वर्ष वार्षिक परीक्षाओं की समय सारिणी परीक्षा तिथि से 15 दिन पूर्व घोषित कर दी गई है जिसे समस्त महाविद्यालयों को इस निर्देश के साथ भेजा गया है कि सूचना पटल पर चस्पा करें तथा विद्यार्थियों के सोशल मीडिया ग्रुप में साझा करें। विश्वविद्यालय की अधिकृत वेबसाइट पर भी समय सारणी अपलोड है विद्यार्थी वहाँ भी देख सकते हैं।

परीक्षा नियंत्रक ने बताया कि समस्त परीक्षा केन्द्रों को परीक्षा सामग्री, मुख्य, पूरक व प्रायोगिक उत्तर पुस्तिकाएँ भेजी जा चुकी हैं साथ ही परीक्षा केन्द्र तथा संबंधित महाविद्यालयों के प्राचार्यों की बैठक भी परीक्षा तैयारियों के संबंध में 15 अप्रैल को आयोजित की गई। 

परीक्षा केन्द्रों का उड़नदस्ता करेंगे औचक निरीक्षण 

विश्वविद्यालय द्वारा इसके पूर्व सेमेस्टर परीक्षाएँ आयोजित की गई थी जिनमें दो जिलों के 17 परीक्षा केन्द्रों पर 28 महाविद्यालयों के लगभग दस हजार परीक्षार्थी शामिल हुए। प्रदेश के तीनों नवीन स्थापित राजकीय विश्वविद्यालयों में से सागर के राजकीय विश्वविद्यालय ने सर्वप्रथम परीक्षाएँ सम्पन्न कराई। वार्षिक परीक्षाओं के लिए दोनों जिलों के पृथक उड़न दस्ता दल सहित एक केन्द्रीय उड़न दस्ता दल का गठन किया जा रहा है। 

सम्बद्ध महाविद्यालयों के कामकाज पर रहेगी कड़ी नजर 

कुलगुरु प्रो मिश्रा ने बताया कि विश्वविद्यालय से संबद्ध कालेजों का लगातार निरीक्षण किया जा रहा है। इसके साथ ही पबंधन से चर्चा भी हो रही है।  इससे विश्वविद्यालय से कालेज की अपेक्षाओं का पता चल रहा है। वहीं इनकी समस्याओं को हल करने के प्रयास भी किए जा रहे है। शासकीय कालेज के प्राचार्यों की बैठक कर उनसे चर्चा की गई है। निजी कालेजों से जल्दी चर्चा होगी। ताकि विश्वविद्यालय अपना दायित्व बेहतर ढंग से निभा सके।

दौ सौ एकड़ बन रहा है विश्वविद्यालय 

प्रो विनोद मिश्रा ने बताया कि अभी प्रारंभिक अवस्था में विश्वविद्यालय है। इसकी पूर्णरूप लेने में समय लगेगा। विश्वविद्यालय के लिए 200 एकड़ जमीन रजौउआ  में मिली है। इसका भूमिपूजन मुख्यमंत्री डा मोहन यादव करेंगे। जनप्रतिनिधियों और शासन के लिए इस संबंध में पत्र लिखा है और चर्चा भी की है। 

पांच साल में करीब ढाई सौ पद भरे जायेंगे 

उन्होंने बताया कि अभी प्रतिनियुक्तियों के जरिए विश्वविद्यालय का संचालन हो रहा है। करीब 235 पद स्वीकृत किए गए है। इनको पांच साल में भरा जायेगा। जल्दी ही सरकार से अनुमति मिलने पर 102 पदों की पहले चरण में भर्ती की जाएगी । उन्होंने कहा कि विद्यार्थियों के लिए 24 घंटे उनके दरवाजे खुले है। इनसे संवाद के लिए अपना मोबाइल फोन नंबर भी दिया है। 

अधिकतर रोजगार मूलक पाठ्यक्रम होंगे शुरू 

कुलसचिव शक्ति जेन ने बताया कि आगामी सत्र से रोजगार मूलक पाठ्यक्रम जैसे  होटल प्रबंधन , विधि  और  पर्यटन आदि पाठ्यक्रम  शुरू किए जा रहे है। सागर ऐसा नया  विश्वविद्यालय बना है जो सरकार के अकादमिक कैलेंडर के अनुसार कार्य समय पर कर रहा है। 

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सागर जिले के कलेक्टर संदीप जी.आर.
ने परीक्षा परिणाम के पहले बच्चों को तनाव मुक्त रखने के उद्देश्य से एक अभिनव संवाद कार्यक्रम आयोजित किया। इस कार्यक्रम में उन्होंने पुलिस अधीक्षक विकास शाहवाल और अन्य अधिकारियों के साथ मिलकर कक्षा 12वीं के छात्र-छात्राओं से सीधा संवाद किया।

कलेक्टर ने छात्रों को समझाया कि:

  • परीक्षा जीवन का हिस्सा है, परिणाम से डरने की जरूरत नहीं।

  • असफलता अंत नहीं, बल्कि सफलता की शुरुआत होती है।

  • कर्म करते रहें, फल अपने आप मिलेगा (गीता के श्लोक का उदाहरण)।

  • खेल-कूद जरूरी है, यह शरीर को स्वस्थ रखता है और करियर का रास्ता भी बन सकता है।

  • आत्मविश्वास और सकारात्मक सोच को बनाए रखें।

  • तनाव को दूर करने के लिए मित्रवत व्यवहार, खुले संवाद और समय प्रबंधन अपनाएं।

पुलिस अधीक्षक विकास शाहवाल ने कहा:

  • शौक और दोस्त तनाव दूर करने में मदद करते हैं।

  • तनाव को साझा करें, छुपाने से समस्याएं बढ़ सकती हैं।

जिला शिक्षा अधिकारी अरविंद जैन और जिला परियोजना अधिकारी गिरीश मिश्रा ने भी छात्रों को लक्ष्य पर केंद्रित रहने और समस्याओं को साझा करने की सलाह दी।

इस कार्यक्रम को पूरे मध्यप्रदेश का पहला प्रयास बताया गया, जिसमें कलेक्टर ने स्वयं अभिभावक की भूमिका निभाते हुए छात्रों से संवाद किया और उन्हें तनाव से निपटने के उपाय बताए।


इस अवसर पर सीएम राइज विद्यालय क्रमांक-1 सागर की कक्षा 12वीं की छात्रा अन्वी ठाकुर ने संवाद करते हुए कहा कि असफल होने पर क्या करना चाहिए ,क्या नहीं करना चाहिए, किसका सपोर्ट लेना चाहिए, किसका नहीं। कलेक्टर एवं पुलिस अधीक्षक ने बड़े ही मार्मिक रूप से दोनों प्रश्नों के उत्तर दिए जिससे सभी बच्चे संतुष्ट हुए। 

उत्कृष्ट विद्यालय सागर की कक्षा 12वीं की छात्रा कुमारी कोमल गोस्वामी एवं कुमारी प्रांसी गोस्वामी ने, महारानी लक्ष्मीबाई विद्यालय क्रमांक 2 की छात्रा कुमारी निशा मकरानी, कुमारी प्रकृति वर्मा, कुमारी शरमीन खान, बेसिल स्कूल के छात्र वरुण अरोड़ा, आर्मी पब्लिक स्कूल की छात्रा अपेक्षा गोस्वामी ने भी कलेक्टर एवं पुलिस अधीक्षक से संवाद किया और अपनी जिज्ञासाओं का समाधान प्राप्त किया।

संवाद कार्यक्रम में जिला चिकित्सालय की मनोचिकित्सक डॉ. सोनू चौबे ने छात्र-छात्राओं की काउंसलिंग की। प्राचार्य कल्पना शर्मा ने संवाद कार्यक्रम का संचालन किया एवं अपने विचार व्यक्त किये। 

राज्य शिक्षा केंद्र की ओर से कुमारी शालू शर्मा ने छात्र-छात्राओं को तनाव मुक्त रहने के लिए सुझाव दिए। इस अवसर पर जिला शिक्षा केंद्र के श्री पंकज शर्मा, अतिरिक्त परियोजना अधिकारी श्री यशवर्धन चौबे, श्री कमलेश चढ़ार सहित शिक्षक मौजूद थे।

तनाव मुक्त रहने के लिए आयोजित किए गए इस कार्यक्रम में सीएम राईज शास. कन्या उमावि एमएलबी क्र 01 विखं सागर, शासकीय कन्या उमावि एमएलबी क्रमांक-2 विखं सागर, शासकीय उत्कृष्ट उमावि सागर, शास. बालक हाईस्कूल गोपालगंज, शासकीय हाईस्कूल काकागंज विखं सागर, शासकीय उमावि बाघराज तिली, शासकीय उमावि पुरानी सदर, शासकीय उमावि बरारु ,अशासकीय एमानुअल उमावि, अशासकीय सरस्वती शिशु मंदिर रमझिरिया विखं सागर, आर्मी पब्लिक स्कूल, केंद्रीय विद्यालय क्रमांक 4,केंद्रीय विद्यालय क्रमांक 1, टैगोर उच्चतर माध्यमिक विद्यालय, पर्ल पब्लिक स्कूल, वात्सल्य स्कूल के छात्र-छात्राओं सहित जिला शिक्षा अधिकारी अरविंद जैन, जिला परियोजना अधिकारी गिरीश मिश्रा, बीईओ मनोज तिवारी व अन्य अधिकारी  शामिल हुए।

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डॉ. हरिसिंह गौर विश्वविद्यालय, सागर की शोधार्थी और वर्तमान में राष्ट्रीय औषधीय शिक्षा अनुसंधान संस्थान, अहमदाबाद में कार्यरत डॉ. साक्षी ने कैंसर उपचार में एक उल्लेखनीय उपलब्धि हासिल की है। उनके शोध “लिपोसोम कम्पोज़ीशन एंड मेथड फॉर टारगेटेड ड्रग डिलीवरी” को भारतीय पेटेंट प्राप्त हुआ है। यह नवाचार विशेष रूप से स्तन कैंसर (ब्रेस्ट कैंसर) के लिए दवाओं को लक्षित ढंग से (Targeted Drug Delivery) कोशिकाओं तक पहुँचाने की दिशा में एक बड़ी सफलता है।

इस तकनीक में डॉक्सोरूबिसिन (Doxorubicin – एक एंटी-कैंसर दवा) को पॉलीथिलीन ग्लाइकोल लेपित लिपोसोम (PEGylated Liposome – एक तरह का जैविक कण जो दवा को ले जाने में मदद करता है) के माध्यम से शरीर में पहुँचाया गया। साथ ही इसे सेल पेनेट्रेटिंग पेप्टाइड (CPP) नामक अणु से जोड़ा गया, जो कैंसर कोशिकाओं को पहचानकर दवा केवल उन्हीं तक पहुँचाता है।

🔹 कीमोथेरेपी की तुलना में यह तकनीक सुरक्षित है क्योंकि यह केवल कैंसर कोशिकाओं को प्रभावित करती है, जिससे बाल झड़ना, उल्टी, कमजोरी जैसे साइड इफेक्ट्स काफी कम हो जाते हैं।

🔹 इस तकनीक की इन विट्रो (In Vitro – प्रयोगशाला में कोशिकाओं पर) और इन वाइवो (In Vivo – जीवित प्राणियों पर) परीक्षणों में यह कारगर और सुरक्षित सिद्ध हुई है।

यह प्रणाली कैंसर कोशिकाओं के डीएनए को क्षति पहुँचाकर उनकी मृत्यु सुनिश्चित करती है और ट्यूमर साइट पर अधिक समय तक बनी रहती है, जिससे बार-बार दवा देने की ज़रूरत नहीं होती।

इस उत्कृष्ट शोध के लिए डॉ. साक्षी को विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन की 40वीं युवा वैज्ञानिक कांग्रेस में युवा वैज्ञानिक पुरस्कार एवं नगद राशि से सम्मानित किया गया। यह नवाचार अब क्लिनिकल परीक्षण और औद्योगिक उपयोग की दिशा में अग्रसर है।

विषय विशेषज्ञ मनोनीत

👉डॉ. दिवाकर सिंह राजपूत, जो डॉ. हरिसिंह गौर विश्वविद्यालय, सागर में मानविकी एवं समाज विज्ञान संकाय के अधिष्ठाता हैं, उन्हें महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय, वर्धा के संस्कृति विद्यापीठ के स्कूल बोर्ड में विषय विशेषज्ञ के रूप में दो वर्ष के लिए मनोनीत किया गया है।

वे पूर्व में महाराष्ट्र के अमरावती, रामटेक और नागपुर में भी अपनी अकादमिक उपस्थिति दर्ज करा चुके हैं। वर्तमान में वे मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, उत्तरप्रदेश, उत्तराखण्ड सहित विभिन्न राज्यों के विश्वविद्यालयों तथा कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय समितियों के सदस्य हैं।

इस सम्मानजनक मनोनयन पर उनके शुभचिंतकों ने उन्हें बधाई दी है।

सागर विश्वविद्यालय में दस्तावेजों में हिंदी का प्रयोग प्रशंसनीय 

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डॉ. हरीसिंह गौर विश्वविद्यालय, सागर में राजभाषा (हिंदी) के उपयोग की नियमित रूप से समीक्षा की जाती है। हाल ही में गृह मंत्रालय, राजभाषा विभाग, भोपाल के उपनिदेशक  नरेन्द्र सिंह मेहरा ने विश्वविद्यालय का निरीक्षण किया। 

उन्होंने राजभाषा अधिकारी संतोष सोहगौरा और अन्य कर्मचारियों से मुलाकात कर हिंदी के उपयोग की स्थिति पर चर्चा की। एक प्रस्तुति के माध्यम से बताया गया कि विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. नीलिमा गुप्ता के मार्गदर्शन में हिंदी और अन्य भारतीय भाषाओं को बढ़ावा दिया जा रहा है।

श्री मेहरा ने कुलपति से भेंट कर विश्वविद्यालय की सराहना की और कहा कि यहाँ का कार्य अन्य सरकारी संस्थानों के लिए प्रेरणा है। उन्होंने कई कार्यालयों का दौरा किया और दस्तावेजों में हिंदी के प्रयोग की प्रशंसा की। 

उन्होंने सुझाव दिया कि ऑनलाइन सिस्टम में भी हिंदी का अधिक उपयोग हो। उन्होंने गौर संग्रहालय का भी निरीक्षण किया जो डॉ. हरीसिंह गौर की विरासत को सहेजता है।

  • लू (तापघात) के प्रकोप से  करें बचाव • 

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 जिले में कोई भी विद्यालय दोपहर 12 बजे के बाद संचालित नहीं होगा। जिला कलेक्टर  संदीप जी आर ने 
तापमान में वृद्धि के कारण समस्त शासकीय/अशासकीय/ नवोदय विद्यालय / सी.बी.एस.ई. के प्राचार्यों को दिए। 

कलेक्टर संदीप जी आर ने ग्रीष्म ऋतु में बढ़ते तापमान को ध्यान में रखते हुए विद्यार्थियों के स्वास्थ्य की सुरक्षा हेतु स्कूलों के समय में बदलाव के आदेश दिए हैं। अब कक्षा 1 से 12 तक के सभी शासकीय, अशासकीय, नवोदय, सीबीएसई स्कूल प्रातः 7:30 बजे से दोपहर 12:00 बजे तक संचालित होंगे। 

आंगनवाड़ी केंद्र 

अब दिनांक 30 जून 2025 तक आंगनवाड़ी केंद्र प्रातः 7:30 बजे से दोपहर 12:00 बजे तक संचालित किए जाएंगे। आंगनवाड़ी कार्यकर्ता एवं सहायिका प्रातः 7:00 बजे उपस्थित होकर दोपहर 2:30 बजे तक विभागीय गतिविधियों का क्रियान्वयन सुनिश्चित करेंगी।

दो पालियों में चलने वाले स्कूल पूर्ववत समय पर ही चलेंगे। परीक्षाएं पहले से तय समय-सारणी के अनुसार ही होंगी और मूल्यांकन कार्य भी निर्धारित समय पर ही होगा। यह आदेश तत्काल प्रभाव से लागू किया गया है।

लू (तापघात) के प्रकोप से बचाव

जिले में बढ़ते तापमान को देखते हुये ग्रीष्म ऋतु में लू (तापघात) के प्रकोप से बचाव हेतु एडवायजरी जारी की गई है। लू (तापघात) से बचाव एवं उपचार हेतु जारी एडवायजरी में दिये गये सुझावों का पालन करें।

कलेक्टर श्री संदीप जी आर के निर्देश पर मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. ममता तिमोरे ने नागरिकों से अपील की है कि लू (तापघात) के लक्षण दिखाई देते ही निकट के अस्पताल में संपर्क कर आवश्यक दवा का उपयोग सुनिश्चित करें। लू (तापघात) के प्रकोप से बचाव के उपाय करें। 

उन्होंने बताया कि गर्मी के मौसम में लू लगना स्वास्थ्य के लिए खतरनाक हो सकता है, जिससे खासकर वृद्ध, बच्चे, खिलाड़ी और बाहर काम करने वाले श्रमिक अधिक प्रभावित होते हैं। लू लगने के प्रमुख लक्षणों में पसीना न आना, लाल और सूखी त्वचा, सिरदर्द, चक्कर आना, उल्टी, थकान और बेहोशी शामिल हैं।

बचाव के उपायों में शामिल हैं:

  • खूब पानी पीना और खाली पेट न रहना

  • शराब, चाय और कॉफी से परहेज

  • ठंडे पानी से नहाना

  • सिर को ढकना और हल्के रंग, ढीले व पूरे बांह के कपड़े पहनना

  • बच्चों को बंद गाड़ी में न छोड़ना

  • दोपहर 12 से 4 बजे के बीच बाहर न निकलना

  • बाहर निकलते समय छतरी और चश्मे का उपयोग करना

  • धूप में निकलने से पहले दो गिलास पानी पीना

  • लू लगने पर तुरंत अस्पताल में इलाज कराना

ओ.आर.एस., नारियल पानी, छाछ, नींबू पानी व फलों का रस पीना लाभकारी होता है। इन उपायों से लू और गर्मी के प्रभाव से बचा जा सकता है।

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  जिला दमोह की तर्ज पर सागर जिले में भी  नवीन शैक्षणिक सत्र 2025 के प्रारंभ में क्रय किए जाने वाली पुस्तकें, स्टेशनरी, यूनिफार्म, शूज इत्यादि उचित मूल्य पर सुलभ कराए जाने हेतु पूर्व में आयोजित पुस्तक मेला की सफलता के बाद अभिभावकों की मांग एवं विद्यार्थियों को शैक्षणिक सामग्री सुलभ रूप से उपलब्ध कराए जाने के लिए पुनः तीन दिवसीय पुस्तक मेले का आयोजन किया जा रहा है

जिला कलेक्टर के मुताबिक 7 अप्रैल  से हर रोज  शाम 04.00 बजे से रात्रि 08.00 बजे तक स्वीडिश मिशन उमावि सागर प्रांगण में किया जा रहा है। मेले में स्कूल पुस्तक विक्रेताओं स्टाल पर उचित मूल्य सामग्री उपलब्ध रहेंगी।

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 डॉ. हरीसिंह गौर विश्वविद्यालय के मनोविज्ञान विभाग में 2 अप्रैल 2025 को अंतरराष्ट्रीय ऑटिज्म जागरूकता दिवस मनाया गया। इस कार्यक्रम का उद्देश्य समाज में ऑटिज्म को लेकर जागरूकता बढ़ाना था। ऑटिज्म एक स्नायु -विकास संबंधी विकार है, जो व्यक्ति की सामाजिक और संप्रेषण क्षमता को प्रभावित करता है। 

ऑटिज़्म एक ऐसा विकास से जुड़ा विकार (disorder) है जो बच्चों में जन्म से या बचपन में ही दिखने लगता है। इसका असर बच्चे के सोचने, समझने, बोलने और दूसरों से मेलजोल करने के तरीके पर पड़ता है।(SAGAR WATCH EXPLAINER)

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि प्रो. दिवाकर सिंह राजपूत ने बताया कि इसके लक्षण बचपन में ही दिखाई देने लगते हैं, जो प्रत्येक व्यक्ति में अलग-अलग हो सकते हैं। छात्र-छात्राओं ने नुक्कड़ नाटक और कविताओं के माध्यम से जागरूकता का संदेश दिया। 

विशेष रूप से दिल्ली के डायरेक्टरेट ऑफ एजुकेशन से प्रवीन कुमारी ने ऑनलाइन जुड़कर अपने व्यावहारिक अनुभव साझा किए और ऑटिज्म के कारण, लक्षण व उपचार पर प्रकाश डाला। जिला अस्पताल के विशेषज्ञों ने मोबाइल के अत्यधिक उपयोग को ऑटिज्म के बढ़ते मामलों से जोड़ा। कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के शिक्षक, शोधार्थी और विद्यार्थी सक्रिय रूप से सम्मिलित हुए।


सागर विवि को मिला 
पटकथा लेखन पुरस्कार 

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डॉ. हरिसिंह गौर विश्वविद्यालय, सागर के शैक्षिक मीडिया अनुसंधान केंद्र (ईएमएमआरसी) द्वारा निर्मित फिल्म ‘संचार के सिद्धांत’ को ‘सर्वश्रेष्ठ पटकथा लेखन पुरस्कार’(Best Script Writing Award) से सम्मानित किया गया है। यह पुरस्कार अखिल भारतीय बाल शैक्षिक ई-कंटेंट प्रतियोगिता 2024-25 में प्रदान किया गया, जिसका आयोजन 26-28 मार्च को एनसीईआरटी, उमियाम, मेघालय में हुआ। इस प्रतियोगिता में देशभर से 800 से अधिक ऑडियो-वीडियो प्रविष्टियों में से श्रेष्ठ कार्यक्रमों को चुना गया।

फिल्म का निर्माण, स्क्रिप्ट, निर्देशन और संपादन धीरज सनमोरिया द्वारा किया गया, जिसमें विवेकानंद सोनी और आकाश श्रीवास्तव ने अभिनय किया। कुलपति प्रो. नीलिमा गुप्ता और केंद्र निदेशक डॉ. पंकज तिवारी ने इस उपलब्धि पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए टीम की सराहना की।

ईएमएमआरसी द्वारा भेजी गई अन्य प्रविष्टियों में गुलज़ार पर आधारित डॉक्यूमेंट्री, स्टूडियो क्लास और परिचर्चा वीडियो शामिल थीं, जो विभाग की रचनात्मक विविधता को दर्शाती हैं।

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दिव्यांग विद्यार्थी होते हैं अद्भुत प्रतिभा के धनी

डॉ. हरीसिंह गौर विश्वविद्यालय, सागर के सामाजिक-आर्थिक रूप से वंचित समूहों प्रकोष्ठ (एस.ई.डी.जी. सेल) द्वारा विश्वविद्यालय में अध्ययनरत दिव्यांग विद्यार्थियों को भारत सरकार की योजनाओं की जानकारी दी गई। इसी क्रम में शिक्षाशास्त्र विभाग के विद्यार्थी विष्णु प्रसाद डांगी को जिला दिव्यांग पुनर्वास केंद्र सागर द्वारा ट्राइसाइकिल प्रदान की गई। 

कुलपति ने प्रकोष्ठ को निर्देश दिए कि सरकार द्वारा प्रदत्त सभी सहायक सामग्री दिव्यांग विद्यार्थियों तक पहुँचे और भविष्य में भी अधिक से अधिक संसाधन उपलब्ध कराए जाएं। उन्होंने कहा कि दिव्यांग विद्यार्थी अद्भुत प्रतिभा के धनी होते हैं और उचित अवसर मिलने पर वे राष्ट्र निर्माण में अहम भूमिका निभा सकते हैं। प्रकोष्ठ का उद्देश्य इनके बहुआयामी विकास को प्रोत्साहित करना है।

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जिले में पहली बार पुस्तक मेले का समापन हुआ। मेले के आयोजन को अभिभावकों द्वारा खूब सराहा गया
सोमवार को मेले के समापन के दिवस लोगों की भारी भीड़ उमड़ी। मेले की सफलता से चलते जिला कलेक्टर ने 15 अप्रैल से मेले का दोबारा लगाये जाने की घोषणा की है। उन्होंने कहा मेले के दूसरे चरण में जिन पुस्तकों के अभाव के कारण विद्यार्थियों को पूरी किताबें नहीं मिल सकीं हैं उन्हें मुहैया कराया जायेगा। साथ ही जो अभिभावक जानकारी के अभाव या किसी कारणवश मेले में नहीं पहुँच पाए हैं मेले के दूसरे चरण में वो भी इसका लाभ उठा सकेंगें 

Sagar Watch News/  दमोह कलेक्टर सुधीर कुमार कोचर ने समापन अवसर पर मेले में पहुंचकर अभिभावकों दुकानदारों एवं शिक्षा विभाग के अधिकारियों से चर्चा कर उन्हें प्रोत्साहित किया। 

उन्होंने कहा 15 से 20 अप्रैल को एक बार फिर मेले का आयोजन किया जाएगा। बहुत से अभिभावक एसे हैं जो या तो मेले में नहीं पहुंच सके अथवा पुस्तकों के अभाव से वह पूरी पुस्तक नहीं खरीद सके। इस 15 दिन के गैप में दुकानदार भी सामग्री की कमी है, तो उसे पूर्ण कर लेंगे, व्यवस्थित कर लेंगे तथा एक बार फिर पूरी ऊर्जा के साथ मेले में उतरेंगे। 

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कलेक्टर श्री कोचर ने कहा इसके अलावा 13 अप्रैल रविवार को एक अनोखा मेला लगाने वाले हैं और यह मेला अभिभावक लगाएंगे जो अभिभावक अपने बच्चों की पुस्तकों को दान करना चाहते हैं। जिन्हें पुरानी पुस्तकों की आवश्यकता है, ऐसे विद्यार्थी और अभिभावकों को हम एमएलबी स्कूल दमोह के इसी परिसर में पूरी सुविधा उपलब्ध कराएंगे ताकि पालक आपस में अपनी विद्यार्थियों की पुस्तकों को निशुल्क दे सके अथवा ले सकें।

इस एक्सचेंज मेले में कलेक्टर सुधीर कुमार कोचर ने ज्यादा से ज्यादा अभिभावकों को भाग लेने हेतु अनुरोध किया है।

जिला कलेक्टर के आदेश पर शहर में लगाये गए तीन दिवसीय स्कूली किताबों का आज अंतिम दिन रहा। पहली बार लगाये गए इस मेले को लेकर  विद्यार्थियों और अभिभावकों की ओर से मिलीजुली प्रतिक्रियाएं सामने आयीं हैं। 

मेले के शुरूआती दो दिनों में पुस्तक विक्रेताओं ने मेले में किताबें उपलब्ध करने में ज्यादा रूचि नहीं दिखायी मेला स्थल पर रखी शिकायत पुस्तिका और मीडिया को दिए गए अभिभावकों के बयानों से यह बात सामने आयी। 

शिकायतों को जिला प्रशासन से गंभीरता से लिया। जिला प्रशासन द्वारा सख्ती करने के बाद मेले के आखरी दिन सभी पुस्तक विक्रेताओं ने अपनी निजी दुकाने बंद रख कर मेले में पुस्तकें उपलब्ध कराईं

हालाँकि अभिभावकगण अभी भी पुस्तक मेले से पूरी तरह से संतुष्ट नजर नहीं आये। अभिभावकों ने कलेक्टर की इस पहल का स्वागत किया लेकिन यह भी कहा की जल्दबाजी में मेले लगाने के चलते पुस्तकें ख़रीदने में कोई ज्यादा फायदा नहीं हुआ सिर्फ कापियों में कुछ विकल्प उन्हें मिल पाए

अभिभावकों का कहना है कि जिन पुस्तक विक्रेताओं के किताबों को लेकर जिस किसी भी स्कूल से अघोषित अनुबंध हो चुके थे उसके चलते किसी विशेष स्कूल की किताबों का शहर में एक ही विक्रेता बना रहा उसने मेले में भी नाम मात्र का डिस्काउंट देकर तीन दिन निकाल लिए। 

अगर स्कूलों द्वारा मान्य की गयी किताबें और उनके प्रकाशक के नामों की सूची पहले से ही प्रशासन ने सार्वजनिक कर दी होती तो शहर के एक से ज्यादा पुस्तक विक्रेता वो किताबें लेकर आ जाते तब अभिभावक सर्वाधिक वाजिब दाम पर पुस्तक बेचने वाले से पुस्तक खरीद सकता था। तभी उसके स्कूलों और पुस्तक विक्रेताओं के चर्चित कुख्यात मिलीभगतऔर लूट से बच पाने के ज्यादा  आसार  बन पाते

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योग गुरु विष्णु आर्य ने योग शिक्षा और संस्कारों की आवश्यकता पर जोर देते हुए बताया कि बदलती दिनचर्या, गलत खानपान और मोबाइल के अत्यधिक प्रयोग से सभी आयु वर्ग के लोगों में स्वास्थ्य समस्याएँ बढ़ रही हैं। उन्होंने योग को दैनिक जीवन का हिस्सा बनाने की सलाह दी।

योग गुरु ने अपने ये विचार डॉक्टर हरीसिंह गौर विश्वविद्यालय सागर एवं राष्ट्रीय सामाजिक सुरक्षा संस्थान, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय भारत सरकार के संयुक्त तत्वावधान में विश्वविद्यालय के अभिमंच सभागार में वरिष्ठ नागरिकों के लिए  आयोजित दो दिवसीय राज्य स्तरीय सम्मेलन के दूसरे दिन अपने सम्बोधन के दौरान व्यक्त किये। 

इसी सिलसिले में डॉ. ज्ञानेश तिवारी ने मानसिक स्वास्थ्य में गिरावट और उससे निपटने के उपायों पर चर्चा की। इस दौरान मनोविज्ञान विभाग के विद्यार्थियों ने मानसिक स्वास्थ्य परामर्श शिविर भी आयोजित किया।

डॉ. रेखा कालिया भारद्वाज ने सकारात्मक सोच के महत्व को समझाया और कहा कि उम्र सिर्फ एक संख्या है। सही खानपान से स्वास्थ्य में सुधार किया जा सकता है।

संयुक्त कुलसचिव संतोष सोहगौरा ने मनोबल ऊंचा रखने और बच्चों को संस्कारवान बनाने पर जोर दिया। उन्होंने वरिष्ठ नागरिकों से संबंधित सरकारी योजनाओं, चिकित्सा और अधिनियमों की जानकारी दी।

पेंशनर्स एसोसिएशन के जिला प्रमुख हरिओम पाण्डेय ने वरिष्ठ जनों के संगठन की आवश्यकता बताई और कहा कि आपसी विमर्श और सहयोग से मानसिक एवं शारीरिक मजबूती बनाए रखी जा सकती है।

सामाजिक न्याय विभाग के संयुक्त संचालक डॉ. धनसिंह यादव ने कहा कि विकसित भारत के लिए मन का विकास जरूरी है। उन्होंने वरिष्ठ नागरिकों को समाज का ज्ञान भंडार बताया और सरकार द्वारा किए जा रहे प्रयासों, चिकित्सा सुविधाओं और वृद्ध आश्रमों की जानकारी दी।

एडवोकेट वीनू राणा ने वृद्ध जनों से जुड़े कानूनी पहलुओं पर चर्चा की और लोक अदालत तथा बेदखली से संबंधित कानूनों के बारे में जागरूक किया।

अपर जिला मजिस्ट्रेट रुपेश उपाध्याय ने समाज में वरिष्ठ जनों की स्थिति सुधारने और सामाजिक संरचना को नए सिरे से गढ़ने की आवश्यकता बताई। उन्होंने सागर में वरिष्ठ नागरिकों के लिए नई सरकारी पहलों पर चर्चा की।

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समापन कार्यक्रम के मुख्य अतिथि प्रो. एस. पी. व्यास
 कहा कि मनुष्य को अपनी आवश्यकताओं को पहचानना चाहिए और विज्ञान के माध्यम से जीवन जीने की शैली समझनी चाहिए। उन्होंने सामाजिक जुड़ाव और वृद्धावस्था में अच्छे गुणों को अपनाने की आवश्यकता पर जोर दिया।

डॉ. रेखा भारद्वाज ने परोपकार, आशावाद और आत्मदेखभाल का महत्व बताया। उन्होंने कहा कि वर्तमान में जीना, संघर्ष करना और सामुदायिक भागीदारी से सक्रिय रहना आवश्यक है।

विशिष्ट अतिथि डॉ. रेखा कालिया भारद्वाज और अध्यक्षता प्रो. अर्चना पांडे ने की। कार्यक्रम का स्वागत उद्बोधन संयोजक प्रो. विनोद भारद्वाज ने दिया, और सम्मेलन का प्रतिवेदन डॉ. ऋतु यादव ने प्रस्तुत किया। प्रतिभागियों ने फीडबैक भी साझा किया।

कार्यक्रम में विश्वविद्यालय से सेवानिवृत्त शिक्षक, अधिकारी, कर्मचारयों सहित सागर शहर एवं आस-पास के गाँवों के वरिष्ठ नागरिकों ने इस आयोजन में अपनी सहभागिता की। 

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डॉ. हरीसिंह गौर विश्वविद्यालय, सागर के ललित कला एवं प्रदर्शन कला विभाग के नए भवन 'कौटिल्य भवन' में वार्षिक कला प्रदर्शनी का आयोजन किया गया। 

इसमें विद्यार्थियों ने अपनी रचनात्मक कलाकृतियों का प्रदर्शन किया। कुलपति प्रो. नीलिमा गुप्ता ने प्रदर्शनी का उद्घाटन किया और विद्यार्थियों की कला का अवलोकन करते हुए उनकी प्रतिभा को निखारने पर जोर दिया। उन्होंने गौर संग्रहालय में बुंदेलखंड की संस्कृति प्रदर्शित करने वाली कला वीथिका (Art Gallery)बनाने की स्वीकृति भी दी।

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प्रदर्शनी में बैचलर ऑफ फाइन आर्ट के छात्रों के साथ-साथ शिक्षक डॉ. बलवंत सिंह भदौरिया, डॉ. सुप्रभा दास और आकाश मालवीय द्वारा बनाई गई पेंटिंग और कलाकृतियां भी अवलोकन के लिए रखी गईं।

प्रदर्शनी में Graphic Design (चित्रों और पाठ के संयोजन से डिजिटल कला), Poster(सूचनात्मक चित्र एवं लेख), Cinematography (चलचित्र निर्माण कला),calligraphy सुलेख (आकर्षक लेखन कला), 2D और 3D कला (समतल एवं त्रिआयामी चित्रांकन), लोक कला (पारंपरिक चित्रकला), पट चित्र (कहानी दर्शाने वाली चित्रशैली), मधुबनी कला (बिहार की पारंपरिक चित्रकला), और मंडला कला (गोलाकार ज्यामितीय चित्र) जैसी कलाकृतियाँ प्रस्तुत की गईं। प्रदर्शनी में शिक्षकों और विद्यार्थियों की पेंटिंग्स को भी शामिल किया गया।

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डॉ. हरीसिंह गौर विश्वविद्यालय, सागर के भूगोल विभाग द्वारा अभिमंच सभागार में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर विश्वविद्यालय में अध्ययनरत समस्त छात्राओं के लिए बढ़ते (Growing), सीखते (Learning) & सपने साकार करते  (Achieving Dreams) "GLAD" कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया। 

इस कार्यक्रम का उद्देश्य विश्वविद्यालय के समस्त संकायों एवं विभागों में अध्ययनरत छात्राओं को उनके जीवन के सपनों को साकार करने एवं लक्ष्य प्राप्ति में सहायता प्रदान करना, उन्हें तनाव मुक्ति, प्रसन्नता एवं मुस्कान के साथ अध्ययन करने, रोजगारोन्मुखी क्षमता विकास एवं व्यवहारिक संचार कौशल जैसे आयामों में सहयोग प्रदान करना है।

ग्लैड कार्यक्रम के सूत्रधार और भूगोल विभागाध्यक्ष प्रो. विनोद कुमार भारद्वाज ने इस पहल की अवधारणा को स्पष्ट करते हुए बताया कि इसका मुख्य उद्देश्य छात्राओं को उनकी क्षमताओं को पहचानने में सहायता करना और उन्हें अपने जीवन के लिए सर्वोत्तम लक्ष्य चुनने के लिए प्रेरित करना है। 

इसके तहत, उनके अंदर मौजूद अनावश्यक डर को दूर कर आत्मविश्वास बढ़ाने पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। यह कार्यक्रम छात्राओं को एक ऐसा मंच प्रदान करेगा जहां वे खुलकर अपने विचार व्यक्त कर सकें, नई चीजें सीख सकें और अपने व्यक्तिगत और पेशेवर विकास की दिशा में आगे बढ़ सकें।

उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि समाज में बेटियों को भी अपने सपने जीने का उतना ही अधिकार है, जितना किसी और को। हालांकि, कई बार सामाजिक कारणों से उनके सपने सीमित रह जाते हैं। इसलिए, इस कार्यक्रम के माध्यम से उनके सपनों को जागरूक करने और उन्हें अपनी क्षमताओं का पूरा उपयोग करने के लिए प्रेरित किया जाएगा।

ग्लैड कार्यक्रम की प्रगति और गतिविधियां:
कार्यक्रम समन्वयक और भूगोल विभाग की सहायक प्रोफेसर डॉ. दीपिका वशिष्ठ ने बताया कि इस कार्यक्रम के लिए 650 से अधिक छात्राओं ने निःशुल्क पंजीकरण कराया है। साथ ही, इसमें आयोजित सभी आयोजन भी निःशुल्क होंगे, जिससे हर छात्रा को इसमें भाग लेने का अवसर मिल सके।

कार्यक्रम की दूसरी समन्वयक, भूगोल विभाग की सहायक प्रोफेसर शिवानी मीना ने बताया कि इसमें कई प्रकार की गतिविधियां आयोजित की जाएंगी, जैसे:मेरी दिशा, आरोग्य ध्यानम, जिंदगी तू बता, जरा हटके, प्रेरणा, कॅरियर ग्लोरी, चमकते सितारे, जीरो टू हीरो, सृजनात्मकता, सूचना प्रौद्योगिकी, डिजिटल जागरूकता, महिला अधिकार, रिमोट सेंसिंग एवं जीआईएस।

  • मेरी दिशा (गोल्डन ड्रीम्स): छात्राओं को अपने लक्ष्यों को समझने और तय करने में मदद करने के लिए
  • आरोग्य ध्यानम: मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर जागरूकता बढ़ाने के लिए
  • जिंदगी तू बता: जीवन की वास्तविकताओं और कठिनाइयों को समझाने के लिए
  • प्रेरणा: प्रेरणादायक कहानियों और व्यक्तित्वों से सीखने का अवसर
  • करियर ग्लोरी: करियर से जुड़ी जानकारी और मार्गदर्शन
  • डिजिटल अवेयरनेस: डिजिटल तकनीकों और सुरक्षित इंटरनेट उपयोग की जानकारी
  • वीमेन राइट्स: महिलाओं के अधिकारों और उनके संरक्षण से जुड़ी जागरूकता
  • रिमोट सेंसिंग एंड जीआईएस: आधुनिक तकनीक से जुड़ी जानकारी और कार्यशालाएं  (Sagar Watch Explainer)

इसके अलावा, इस कार्यक्रम में मोटिवेशनल सेशंस, करियर गाइडेंस और संवाद कौशल विकसित करने के लिए विशेष सत्र भी आयोजित किए जाएंगे। कुल मिलाकर, ग्लैड कार्यक्रम छात्राओं को आत्मनिर्भर और आत्मविश्वासी बनाने के लिए एक व्यापक मंच प्रदान करेगा।

कार्यक्रम की विशिष्ट अतिथि प्रो. अर्चना पांडे ने छात्राओं को संबोधित करते हुए शिक्षा को सफलता की कुंजी बताया और आत्मविश्वास व मेहनत से आगे बढ़ने की प्रेरणा दी। उन्होंने महिला शिक्षा और नेतृत्व को बढ़ावा देने पर जोर दिया। उन्होंने कुलपति को इस पहल के लिए बधाई देते हुए छात्राओं से अपने सपनों को साकार करने का आह्वान किया।

कार्यक्रम की दूसरी विशिष्ट अतिथि सागर कैंट की कार्यपालन अधिकारी मनीषा जाट ने विद्यार्थियों को अपने सपनों को पूरा करने के लिए कड़ी मेहनत करने की सलाह दी। उन्होंने आत्म-विकास, सीखने और आत्मविश्वास के साथ अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने पर जोर दिया। 

उन्होंने कहा कि कई विद्यार्थी अपनी क्षमताओं को पहचाने बिना ही हार मान लेते हैं और आर्थिक स्थिति, ग्रामीण-शहरी अंतर या अंग्रेजी भाषा की कमी से डरते हैं। यह सब केवल भ्रम हैं, जिन्हें तोड़कर आगे बढ़ना जरूरी है। उन्होंने इस कार्यक्रम की सराहना करते हुए भरोसा दिलाया कि वे भविष्य में भी छात्राओं के साथ खड़ी रहेंगी।

विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. नीलिमा गुप्ता ने ग्लैड  कार्यक्रम का उद्घाटन किया और इसे विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास की दिशा में महत्वपूर्ण कदम बताया। 

उन्होंने कहा कि यह पहल न केवल शैक्षणिक सशक्तिकरण बल्कि आत्मविश्वास, संचार कौशल और नेतृत्व क्षमता के विकास में भी सहायक होगी। उन्होंने छात्राओं से झिझक और आत्म-संदेह से मुक्त होकर अपने सपनों को साकार करने का आह्वान किया। 

उन्होंने महिला सशक्तिकरण पर जोर देते हुए कहा कि छात्राओं को अपने परिवार के सहयोग से निर्भय होकर आगे बढ़ना चाहिए। उन्होंने इस कार्यक्रम की टीम की सराहना करते हुए इसे सामाजिक विकास की दिशा में एक अनूठी पहल बताया।

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कार्यक्रम के अंत में कुलपति तथा सभी अतिथियों एवं उपस्थित छात्राओं ने मिलकर मुस्कान का प्रतीक  रंग-बिरंगे ‘‘खुशियों के गुब्बारे ’’ आकाश में उडाकर छात्राओं के सुनहरे सपनों और सफलता की उम्मीदों का संदेश दिया। 

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महिलाओं के खिलाफ अपराध के रुझान और बदलते समाज के लिए बच्चों का हस्तक्षेप","Trends in Crime against Women and Children's Intervention for the Changing Society" विषय पर केंन्द्रित 6 वीं अंतर्राष्ट्रीय एवं 44 वीं राष्ट्रीय अखिल भारतीय अपराधशास्त्र सम्मलेन  National All India Criminology Conference का आयोजन, यूनिवर्सिटी ऑफ मद्रास में विगत सप्ताह किया गया।

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कॉफ्रेंस में "इंडियन सोयायटी ऑफ क्रिमिनालॉजी" (Indian Society of Criminology'-ISC) के मुख्यालय - मद्रास के त्रिवार्षिक चुनाव संपन्न हुए ।  जिसमें डॉ. हरीसिंह गौर केन्द्रीय विश्वविद्यालय, सागर के अपराध शास्त्र  एवं विधि  विज्ञान विभाग के सहायक प्राध्यापक डॉ. मुकेश कुमार चौरसिया को आईएससी का उपाध्यक्ष नियुक्त किया गया है।

इसके साथ ही इस संस्था के द्वारा वर्ष 2009 में आई.एस.सी. फैलोशिप अवार्ड से सम्मानित किया गया था। डॉ. चौरसिया 1991 से आजीवन सदस्य के रूप में एवं कार्यकारिणी सदस्य के रूप में अपराधविज्ञान एवं न्यायिक विज्ञान के क्षेत्र में शिक्षण कार्य एवं शोध कार्यो को बढ़ावा देने के लिए कार्य कर रहे हैं।

मद्रास विश्वविद्यालय, मद्रास के सीनेट हाउस में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में "महिलाओं और बच्चों के विरुद्ध अपराध की प्रवृत्तियाँ" विषय पर पहला तकनीकी सत्र आयोजित किया गया। डॉ. चौरसिया को इस तकनीकी सत्र की सह-अध्यक्षता के लिए आईएससी द्वारा सम्मानित किया गया।

तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में डॉ. चौरसिया के मार्गदर्शन में तैयार 10 शोध पत्र प्रस्तुत किए गए। शोध पत्रों की प्रस्तुति में परास्नातक के छात्र 

  • ऋषिराज जी ने महिलाओं और बच्चों की तस्करी
  • स्नेहा अठिया ने भारत में महिलाओं के खिलाफ अपराध में पितृसत्तात्मक नारकोटिक्स के प्रभाव
  • प्राची देवलिया ने महिलाओं द्वारा महिलाओं पर की जाने वाली हिंसा
  • निष्ठा ठाकुर ने दहेज संबंधी महिलाओं पर हिंसा पर शोध पत्र प्रस्तुत किए। 

स्नातक के छात्रों में 

  • शमा फातिमा सिद्दीकी ने पुरुषों के खिलाफ घरेलू हिंसा फर्जी भरण-पोषण के मामले
  • शेरिल जैन ने महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराध की  प्रवृत्तिया,
  • तेजस्वी राय और 
  • ऐश्वर्या कलसिया ने सागर जिले में महिलाओं के खिलाफ घरेलू हिंसा, 
  • गरिमा दिया करनानी ने महिलाओं के खिलाफ अपराध की रोकथाम पर विश्वविद्यालय की छात्राओं की धारणा
  • खुशी सलूजा ने अंतरंग भागीदारों के खिलाफ हिंसा और 
  • नैन्सी यादव ने महिलाओं के खिलाफ डिजिटल अपराध पर शोध पत्र प्रस्तुत किए। 

सभी शोध पत्रों की प्रस्तुति के पश्चात तकनीकी सत्रों में उठाए गए प्रश्नों का समाधान डॉ. चौरसिया एवं शोधकर्ताओं द्वारा किया गया। सम्मेलन में परास्नातक एवं स्नातक स्तर के विद्यार्थियों द्वारा शोध पत्रों की प्रस्तुति विषय विशेषज्ञों के बीच सराहनीय चर्चा का विषय रही।

डॉ. चौरसिया ने इस उपलब्धि का श्रेय कुलपति प्रो. नीलिमा गुप्ता की प्रेरणा और अपराधशास्त्र एवं विधि-विज्ञान विभाग के अधिष्ठाता एवं स्कूल ऑफ एप्लाइड साइंसेज के प्रमुख प्रो. देबाशीष बोस तथा विभाग की वरिष्ठ प्रोफेसर ममता पटेल एवं शिक्षकों के सहयोग एवं मार्गदर्शन को दिया।