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Sagar Watch News

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कृषि विशेषज्ञों का मानना है कि नदियों, नालों , तालाबों से निकाली गई गाद में प्राकृतिक रूप से पाए जाने वाले पोषक तत्व मिट्टी को उपजाऊ बनाते हैं।

यदि यह प्रयोग बड़े पैमाने पर अपनाया जाए, तो रासायनिक खादों पर निर्भरता घटेगी और भूमि की उर्वरता लंबे समय तक बनी रहेगी। गाद का खेतों में उपयोग एक पारंपरिक लेकिन प्रभावी उपाय है, जो पर्यावरण और खेती—दोनों के लिए लाभकारी है।

इसी सिलसिले में जिला कलेक्टर संदीप जी आर ने जिले के किसानों को खेतों की उपज और जमीन की उर्वरकता बढ़ाने के लिए गाद (सिल्ट) के उपयोग की सलाह दी है। खेतों की उर्वरता बढ़ाने के लिए नदियों, नालों , तालाबों से निकाली गई गाद का प्रयोग लाभकारी रहता है। कलेक्टर की यह पहल पर्यावरण के लिए लाभकारी होने के साथ-साथ किसानों के लिए भी फायदेमंद साबित होगी।

उल्लेखनीय है कि, कलेक्टर के निर्देश पर जिले के सभी तालाबों का जहां एक ओर सीमांकन किया जा रहा है, वहीं तालाब के पास मुनारें भी बनाई जा रहीं हैं, जिससे अतिक्रमण रोका जा सके और बेहतर प्रबंधन के साथ जल संरक्षण किया जा सके। 

कलेक्टर ने किसानों से अपील की है कि वह गाद का उपयोग करें। गाद में कुदरती तौर पर  पाए जाने वाले पोषक तत्व मिट्टी को उपजाऊ बनाते हैं। इसके अलावा, इस उपाय से सिंचाई की नालियों की सफाई भी हो जाती है, जिससे जल प्रवाह बेहतर होता है। बारिश के बाद खेतों की मिट्टी बह जाती है और उपज कम हो जाती है। लेकिन जब गाद का उपयोग खेतों में किया जाए तो मिट्टी की गुणवत्ता में सुधार होने के साथ फसल भी अच्छी आती है।

 

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 मप्र के खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण मंत्री के मुताबिक  प्रदेश में अभी तक एक लाख 88 हजार 645 किसानों ने पंजीयन कराया है। किसान 31 मार्च तक पंजीयन करा सकते हैं। 

न्यूनतम समर्थन मूल्य पर गेहूँ की बिक्री के लिए- 

  • जिला बुरहानपुर में 10, खरगौन में 487, बड़वानी में 56, 
  • अलीराजपुर में 23, खंडवा में 1999, धार में 9119, 
  • झाबुआ में 1872, इंदौर में 17298, मंदसौर 2077, 
  • नीमच 710, आगर-मालवा में 4353, देवास में 11215, 
  • रतलाम में 5684, शाजापुर में 14209, उज्जैन में 30215, 
  • अशोकनगर में 80, शिवपुरी में 222, ग्वालियर में 303, 
  • दतिया में 545, गुना में 366, भिंड में 137, 
  • श्योपुर में 367, मुरैना में 188, जबलपुर 42, 
  • बालाघाट 19, कटनी में 104, पांढुर्णा 2, 
  • डिंडौरी में 106, छिंदवाड़ा में 824, सिवनी में 1205, 
  • नरसिंहपुर में 1012, मंडला में 1696, हरदा में 1384, 
  • बैतूल में 1140, नर्मदापुरम में 6951, विदिशा में 7026, 
  • रायसेन में 9128, राजगढ़ में 8243, भोपाल में 6911, 
  • सीहोर में 31592, सतना में 309, रीवा में 328, 
  • सिंगरौली में 63, मऊगंज 5, मैहर में 36, 
  • सीधी में 393, अनूपपुर में 23, उमरिया में 359, 
  • शहडोल में 781, पन्ना में 345, निवाड़ी में 158, 
  • दमोह में 1018, टीकमगढ़ में 835, छतरपुर में 1280 और 
  • सागर में 3792 किसानों ने पंजीयन कराया है। 

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कृषि विज्ञान केंद्र सागर के वैज्ञानिकों ने क्रॉप कैफेटेरिया में प्रदर्शन ईकाई में सफेद फूल गोभी के साथ - साथ पोषक तत्वों से भरपूर बैंगनी, पीली एवं हरे रंग की रंग बिरंगी गोभियों को यहां की जलवायु में टमाटर की फसल के साथ लगाकर परीक्षण किया जा रहा है। 

प्रधान वैज्ञानिक डा यादव ने बताया कि सघन खेती को बढ़ावा देने के मकसद से तापमान सहनशील टमाटर की उन्नत किस्म को ड्रिप एवं पॉलिमलचिंग पद्धति* "Poly Mulching" से बीच में टमाटर की फसल तथा दोनों किनारे पर 15 से 20 दिन पूर्व ये रंगीन गोभियां लगा दी जाती है। 

* एक ऐसी प्रक्रिया है जिसका उपयोग मिट्टी में नमी बनाए रखने, खरपतवारों को दबाने, मिट्टी को ठंडा रखने और सर्दियों में पाले की समस्या से पौधों को सुरक्षित रखने के लिए  किया जाता है

ये गोभिया 90 से 100 दिन के भीतर उपयोग में ले ली जाती है,बाद में आगामी समय में टमाटर की फसल प्राप्त होती रहती है। ऐसा करने से टमाटर की फसल हेतु जो खाद उर्वरक टमाटर को दी जाती है उसी से इन गोभियों के लिए भी पोषक तत्वों की पूर्ति हो जाती। साथ ही , श्रम,समय तथा सिंचाई आदि की बचत भी होती है। 

परीक्षण में पाया गया कि इससे लागत में कमी के साथ साथ किसानों की आय में भी वृद्धि होती है।तथा सघन खेती को भी बढ़ावा मिलेगा। इस प्रयोग में किसी भी प्रकार के कीटनाशी तथा रोगनाशी के छिड़काव की आवश्यकता नहीं पड़ी।

केंद्र के तकनीकी विशेषज्ञ मयंक मेहरा बताते है कि सफेद गोभी की तुलना में इन रंगीन गोभी में खनिज लवण जैसे कैल्शियम, मैग्नीशियम, जिंक, आयरन के अतिरिक्त महत्वपूर्ण विटामिन ए, सी, के, आदि की मात्रा ज्यादा पाई जाती है। 

इनमें अच्छे प्रकार के पौधों से बनने वाले रसायन "Phyto Chemicals" और ऑक्सीकरणरोधी "Antioxidant" होता है, जो हमारे शरीर में रोग एवं बीमारियों से लड़ने में काफी मददगार होता है। यह बुजुर्ग और गर्भवती महिलाओं के लिए बहुत फायदेमंद है। 

किसानों के साथ साथ विशेषकर शहरवासियों को भी अपने किचेन गार्डन में लगाने के साथ साथ ऐसे रंगीन सब्जियों को स्वास्थ्य की दृष्टि से अपनी भोजन की आदतें ("Food Habitat") में लाना चाहिए। बड़े शहरों में ऐसी एक गोभी की कीमत 50 रुपए से लेकर 150 रुपए तक पाई जाती है। कृषि विज्ञान केंद्र द्वारा जन मानस में इन रंगीन सब्जियों के प्रति जागरूकता बढ़ाने की बात कही है।

इस परीक्षण में ड्रिप एवं मलचिंग पद्धति से पहले दोनों किनारे पर इन गोभी को 15 से 20 दिन पूर्व लगा दिया गया । तथा बाद में मध्य में टमाटर की फसल ली जा रही है। ऐसा करने से टमाटर की फसल हेतु जो खाद उर्वरक दी जाती है उसी से इन गोभियों के लिए भी पोषक तत्वों की पूर्ति हो जाती। साथ ही , श्रम,सिंचाई आदि की बचत भी होती है। ऐसा करने से लागत में कमी के साथ साथ किसानों की आय में भी वृद्धि तथा सघन खेती को भी बढ़ावा मिलेगा।


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 भारत सरकार द्वारा वर्ष 2025-26 के लिये गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) 2425 रूपये घोषित किया गया है। यह गत वर्ष से 150 रूपये अधिक है। 

खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण मंत्री गोविन्द सिंह राजपूत ने किसानों से आग्रह किया है कि अधिकाधिक क्षेत्र में गेहूं की बुवाई करें और बढ़ी हुई न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) से अपनी उपज का उचित मूल्य प्राप्त करें। 

रबी विपणन वर्ष 2025-26 के लिये अब किसानों से समर्थन मूल्य पर गेहूं उपार्जन के लिये विभाग द्वारा तैयारी प्रारम्भ कर दी गई है। इसके अंतर्गत गेहूं उपार्जन के लिए बारदाना, भंडारण, परिवहन की व्यवस्था की जा रही है। 

साथ ही भारत सरकार द्वारा निर्धारित एफएक्यू् मापदण्ड के गेहूं उपार्जन के लिए केन्द्रों पर मैकेनाइज्ड क्लीनिंग व्यवस्था की जाएगी। गेहूं की गुणवत्ता के परीक्षण के लिये सर्वेयर को सघन प्रशिक्षण दिया जाएगा।

उल्लेखनीय है कि प्रदेश में विगत वर्ष 6 लाख 16 हजार किसानों द्वारा 48 लाख 38 हजार मीट्रिक टन गेहूं का विक्रय समर्थन मूल्य पर किया गया। गेहूं उपार्जन के लिये किसानों की सुविधानुसार कुल 3694 उपार्जन केन्द्र स्थापित किए गए। 

उपार्जित गेहूं के परिवहन, हैण्डलिंग एवं किसानों के शीघ्र भुगतान के लिये 2199 उपार्जन केन्द्र गोदाम स्तर पर स्थापित किए गए। शेष 1495 उपार्जन केन्द्र समिति स्तर पर स्थापित किए गए। किसानों के आधार लिंक बैंक खाते में समर्थन मूल्य राशि के सीधे भुगतान की व्यवस्था की गई थी।

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 भारत सरकार द्वारा निर्धारित मात्रा के अनुसार समर्थन मूल्य पर धान की खरीदी 45 लाख मीट्रिक टन, बाजरा की 3 लाख मीट्रिक टन और ज्वार की 50 हजार मीट्रिक टन की जायेगी। 

गोदाम स्तर पर खाद्यान्न की गुणवत्ता का परीक्षण उपार्जन एजेंसी के गुणवत्ता सर्वेयर द्वारा स्टेक लगाने के पहले किया जायेगा। परिवहनकर्ता द्वारा समय-सीमा में उपार्जित खाद्यान्न का परिवहन नहीं करने पर जुर्माने की व्यवस्था साप्ताहिक रूप से की जायेगी।

मप्र के खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता मंत्री गोविन्द सिंह राजपूत के मुताबिक खरीफ विपणन मौसम 2024-25 के लिये धान कॉमन का न्यूनतम समर्थन मूल्य 2300 और धान ग्रेड-ए का 2320 रुपये है। इसी तरह ज्वार मालदण्डी का 3421 रूपये ज्वार हाईब्रिड का 3371 रूपये और बाजरा का समर्थन मूल्य 2625 रुपये है। किसानों की एफएक्यू गुणवत्ता की उपज इन्हीं दरों पर उपार्जित की जायेगी।

खाद्य मंत्री  ने बताया है कि ज्वार एवं बाजरा का उपार्जन 22 नवम्बर से 20 दिसम्बर तक और धान का उपार्जन 2 दिसम्बर से 20 जनवरी 2025 तक किया जायेगा। उपार्जन प्रत्येक सप्ताह के सोमवार से शुक्रवार तक होगा।

बैंक खाते में होगा भुगतान 

समर्थन मूल्य पर धान, ज्वार एवं बाजरा की खरीदी के बाद भुगतान, कृषक पंजीयन के दौरान आधार नम्बर से लिंक बैंक खाते में किया जायेगा। धान, ज्वार एवं बाजरा उपार्जन अवधि के दौरान पड़ोसी राज्यों से उपार्जन केन्द्र पर लायी जाने वाली उपज की अवैध बिक्री को रोकने के लिये समुचित कार्रवाई के निर्देश कलेक्टर्स को दिये गये हैं। 

पंजीयन एवं उपार्जन में आने वाली तकनीकी समस्याओं के समाधान के लिये जिले में एक तकनीकी सेल का गठन किया जायेगा। राज्य स्तर पर भी तकनीकी सेल का गठन किया जायेगा। 

जिला स्तरीय समिति उपार्जन संबंधी सभी विवादों का अंतिम निराकरण तथा उपार्जित खाद्यान्न की गुणवत्ता की निगरानी करेगी। 

राज्य स्तर पर एक कंट्रोल-रूम भी स्थापित किया जायेगा। इसका टेलीफोन नम्बर 0755-2551471 रहेगा। उपार्जन अवधि में यह सुबह 9 से रात 7 बजे तक संचालित रहेगा।

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मप्र शासन ने न्यूनतम समर्थन मूल्य पर धान, ज्वार एवं बाजरा की उपार्जन नीति घोषित कर दी है। समर्थन मूल्य पर ज्वार एवं बाजरा की अगले पखवाड़े से खरीदी  की जायेगी। 22 नवम्बर और धान की खरीदी 2 दिसम्बर

खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण मंत्री गोविंद सिंह राजपूत ने बताया कि प्रदेश के समस्त जिला कलेक्टर , नागरिक आपूर्ति निगम तथा (Ware Housing Corporation) के अफसरों को निर्देश दिए गए हैं कि उपार्जन नीति का अक्षरशः पालन  कराएं, जिससे किसानों को लाभ पहुंचाने की सरकार की मंशा पूरी हो सके। इसमें किसी भी प्रकार की लापरवाही होने  पर उपार्जन कार्य से जुड़े अधिकारी-कर्मचारियों पर कार्रवाई की जाए। 

खाद्य मंत्री ने बताया कि निर्धारित अवधि में उपार्जन किया जाएगा। उपार्जन मात्रा का निर्धारण विगत तीन वर्षों में धान, ज्वार एवं बाजरा की उपार्जन मात्रा में औसत वृद्धि तथा बोए गए रकबे के आधार पर किया जाएगा। 

समर्थन मूल्य पर धान, ज्वार एवं बाजरा के उपार्जन के लिए मप्र राज्य नागरिक आपूर्ति निगम  (MP State Civil Supplies Corporation)   नोडल एजेंसी होगी। इसके अलावा विभाग द्वारा केन्द्र एवं राज्य सरकार की अन्य एजेन्सी अथवा उनके द्वारा अधिकृत संस्था को भी उपार्जन एजेन्सी घोषित किया जा सकेगा। जबकि उपार्जित खाद्यान्न के भण्डारण एवं रखरखाव के लिए मध्यप्रदेश वेअरहाऊसिंग एवं लाजिस्टिक कार्पोरेशन नोडल राज्य समन्वयक एजेन्सी होगी।

किसानों की सुविधा अनुसार होगा उपार्जन केन्द्रों का निर्धारण 

मंत्री श्री राजपूत ने बताया कि उपार्जन केन्द्र के स्थान का निर्धारण किसानों की सुविधा अनुसार किया जाएगा। उपार्जन केन्द्र प्राथमिकता से गोदाम/केप परिसर में स्थापित किए जाएंगे। गोदाम/केप उपलब्ध न होने पर समिति एवं अन्य स्तर पर उपार्जन केन्द्र स्थापित किए जा सकेंगे। जिले में उपार्जन केन्द्रों की संख्या का निर्धारण किसान पंजीयन, पंजीयन में दर्ज बोया गया रकबा एवं विगत वर्ष निर्धारित उपार्जन केन्द्रों के आधार पर राज्य उपार्जन समिति द्वारा किया जाएगा।

यह होंगी उपार्जन करने वाली संस्थाएँ 

  • उपार्जन कार्य सहकारी समितियां, 
  • बहुउद्देश्यीय प्राथमिक कृषि सहकारी संस्थाएँ, 
  • ब्लाक स्तरीय विपणन सहकारी संस्थाएँ, 
  • जिला थोक उपभोक्ता भण्डार, महिला स्व-सहायता समूह एवं 
  • क्लस्टर लेवल फेडरेशन, 

उपार्जन कार्य करने के लिए सहमति देने वाली अन्य संस्थाओं को दिया जा सकेगा। संस्थाओं की पात्रता का निर्धारण विभाग द्वारा किया जाएगा।

उपार्जन एजेंसी बारदाना व्यवस्था 

समर्थन मूल्य पर धान उपार्जन के लिये 46 प्रतिशत पुराने और 54 प्रतिशत नवीन जूट बारदाने उपयोग किये जायेंगे। बारदानों की व्यवस्था उपार्जन एजेंसी द्वारा की जायेगी। ज्वार एवं बाजरे का उपार्जन नवीन जूट बारदानों में किया जायेगा।

केन्द्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय द्वारा धान, ज्वार एवं बाजरा के समर्थन मूल्य पर उपार्जन के लिये निर्धारित यूनिफार्म स्पेसिफिकेशन्स के अनुसार एवं समय-समय पर इसमें दी गई शिथिलता के अनुसार उपार्जन किया जायेगा। गुणवत्ता परीक्षण का दायित्व उपार्जन केन्द्र में उपार्जन करने वाली संस्था और भण्डारण स्थल पर उपार्जन एजेंसी का होगा। 

पोर्टल पर होगी स्लॉट बुकिंग 

कृषि उपज मण्डियों में एफएक्यू मानक की धान, ज्वार एवं बाजरा की खरीदी समर्थन मूल्य से कम पर क्रय नहीं किया जायेगा। नॉन एफएक्यू उपज का सैम्पल कृषि उपज मण्डी द्वारा संधारित किया जायेगा। 

किसान पंजीयन में दर्ज फसल के रकबे एवं राजस्व विभाग द्वारा तहसीलवार निर्धारित उत्पादकता के आधार पर कृषक द्वारा खाद्यान्न की विक्रय योग्य अधिकतम मात्रा का निर्धारण किया जायेगा। कृषक द्वारा उपज बेचने के लिये उपार्जन केन्द्र एवं विक्रय दिनांक के चयन के लिये पर स्लॉट बुकिंग करानी होगी। 

उपार्जित खाद्यान्न का उपार्जन केन्द्र से गोदाम तक परिवहन का दायित्व उपार्जन एजेंसी का और धान को उपार्जन केन्द्र/गोदाम से सीधे मिलर्स तक परिवहन का दायित्व मिलर्स का होगा।

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पीएम किसान समृद्धि केन्द्र (Pradhan Mantri Kisan Samriddhi Kendra (PMKSK) वन स्टॉप सेंटर (One Stop Center)  के रूप में कार्य करेंगे। इनमें खाद, बीज, कृषि उपकरण और मिट्टी परीक्षण के अतिरिक्त खेती-किसानी से संबंधित अन्य जानकारियाँ भी एक ही छत के नीचे उपलब्ध कराई जायेंगी।

मुख्यमंत्री डॉ.मोहन यादव ने3 सितम्बर को  सहकारिता विभाग और नर्मदा नियंत्रण मण्डल के कार्यों की समीक्षा बैठक में प्रत्येक ग्राम पंचायत में पीएम किसान समृद्धि केन्द्र (Pradhan Mantri Kisan Samriddhi Kendra (PMKSK) स्थापित किये जाने के निर्देश दिये थे।

पीएम किसान समृद्धि केन्द्रों (Pradhan Mantri Kisan Samriddhi Kendra (PMKSK) का उद्देश्य है कि एक ही स्थान पर किसानों को मिट्टी, बीज, उर्वरक इत्यादि की जानकारी उपलब्ध कराई जाये। इसके साथ ही इन केन्द्रों को कस्टम हॉयरिंग सेंटर्स से जोड़कर किसानों को कृषि संबंधी छोटे और बड़े उपकरण भी उपलब्ध कराये जायें। किसानों को कृषि की बेहतर पद्धतियों और विभिन्न शासकीय योजनाओं के बारे में जानकारियाँ प्रदान की जायें।

किसानों को मिलेंगे ये लाभ

ग्राम पंचायतों में पीएम किसान समृद्धि केन्द्र स्थापित हो जाने से किसानों को अन्य स्थानों पर नहीं जाना पड़ेगा। उन्हें केन्द्र में ही खेती-किसानी के लिये आवश्यक सभी संसाधन उपलब्ध होंगे। संसाधन उपलब्ध न होने पर किसान समृद्धि केन्द्र समन्वयक की भूमिका निभाकर उन्हें संसाधन उपलब्ध करायेगा। 

इससे किसानों का खाद, बीज, उर्वरक और कृषि उपकरणों की खरीदी के लिये आने-जाने का समय भी बचेगा और अन्य व्यय भी नहीं होंगे। उन्हें किसान समृद्धि केन्द्र पर ही गुणवत्तापूर्ण सामग्री उपलब्ध होगी, जिससे वे बेहतर उपज भी प्राप्त कर सकेंगे।

किसान समृद्धि केन्द्र पर रहेगी सहायता केंद्र (Help-Desk)

पीएम किसान समृद्धि केन्द्र (Pradhan Mantri Kisan Samriddhi Kendra (PMKSK) पर सहायता केंद्र (Help-Desk) भी रहेगी। यहाँ से मृदा विश्लेषण और मृदा परीक्षण के आधार पर पोषक तत्वों के उपयोग की जानकारी मिलेगी। मौसम पूर्वानुमान की जानकारी मिलेगी। केन्द्र से फसल बीमा, ड्रोन, कृषि वस्तुओं की जानकारी के साथ अधिक लाभार्जन के लिये फसलों के पेटर्न के पैकेज संबंधी जानकारी भी मिलेगी।

प्रगतिशील किसानों का रहेगा व्हाट्सएप ग्रुप (WhatsApp Group)

पीएम किसान समृद्धि केन्द्र (Pradhan Mantri Kisan Samriddhi Kendra (PMKSK) के संचालक कृषि विभाग और कृषि संबंधी कार्यक्रम और गतिविधियों से जुड़े रहेंगे। पीएम किसान समृद्धि केन्द्र से जुड़े प्रगतिशील किसानों के किसान समृद्धि समूह नामक व्हाट्स-अप ग्रुप (WhatsApp Group) का निर्माण भी किया जायेगा।

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 कृषि वैज्ञानिकों के द्वारा  किसानों  को रबी के मौसम में बोई जाने वाली फसलों में उर्वरकों  के उपयोग हेतु सलाह दी गई है। प्रमुख कृषि वैज्ञानिक डॉ के एस यादव ने  सिंचित किस्मों वाले गेहूं अर्थात रबी के समय पर बुआई (नवंबर माह में बुआई करने) पर खाद एवं उर्वरक की मात्रा तथा प्रयोग की विधि कि बतायी

उन्होंने बताया कि  यदि किसान के  पास NPKS,20:20:0:13 तथा यूरिया, पोटाश उर्वरक उपलब्ध है तो बुआई के समय अंतिम जुताई पूर्व पोटाश 25 किलो , जिंक 8 किलो प्रति एकड़ (3 वर्ष में एक बार) तथा गोबर खाद कम से कम 50 किवंटल खेत में मिलाएं । उसके बाद NPKS, 20:20:0:13 को सीड कम फर्टिलाइजर ड्रिल मशीन से 120 किलो प्रति एकड़ डालकर बुआई करे।

इसके बाद  21 दिन बाद  प्रथम सिंचाई उपरांत 25 से 30 किलो यूरिया, 40 से 45 दिन बाद दूसरी सिंचाई बाद पुनः 25 से 30 किलो यूरिया तथा पुनः 60 से 65 दिन बाद सिंचाई के बाद फिर 30 किलो यूरिया की टॉप ड्रेसिंग या छिड़काव करे। यूरिया के स्थान दूसरी तथा तीसरी सिंचाई के बाद नैनो यूरिया  2 से 4 मिली प्रति लीटर पानी की दर से स्प्रे भी कर  सकते।

 नैनो डी ए पी से 4 मिली प्रति किलो की दर से बीज उपचार करने के बाद बुआई करने से अंकुरण अच्छा होता है। इसके अलावा बायो फर्टिलाइजर तथा कल्चर से बीजोपचार करने से सभी तरह के फसलों में सभी उर्वरकों की मात्रा 20 से 25 प्रतिशत कम कर डाले। यदि 2 से 3  पानी वाले अर्ध सिंचित गेहूं को बोते है तो इन उर्वरकों की मात्रा आधी कर देवे।

 

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Sagar Watch News/ मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि भारतीय किसान संघ द्वारा दिए गए सुझावों पर राज्य सरकार जरूरी कदम उठाएगी। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की डिजिटल इंडिया मिशन के तहत "संपदा 2.0" पोर्टल और मोबाइल एप का शुभारंभ किया, जिससे किसानों को काफी फायदा होगा। 

इस नई तकनीक से ऑनलाइन दस्तावेज पंजीकरण का काम सरल हो जाएगा, जिसे एक क्रांतिकारी कदम माना जा रहा है। किसान संघ के पदाधिकारियों ने इस नई व्यवस्था के लिए मुख्यमंत्री को बधाई दी और कहा कि घर बैठे डिजिटल सुविधा और जीआईएस लैब की स्थापना से प्रदेश की नई पहचान बनेगी। 

मुख्यमंत्री ने किसानों से जुड़े अन्य कार्यों को भी आसान बनाने का प्रयास करने का वादा किया। साथ ही, उन्होंने कहा कि भविष्य में किसानों को परियोजनाओं में भागीदार बनाने और बंदोबस्त कार्यों में ड्रोन सर्वे का उपयोग बढ़ाने पर भी विचार किया जाएगा, ताकि पारंपरिक खेतों के रास्ते बनाए रखे जा सकें

 मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने आज समत्व भवन मुख्यमंत्री निवास में पर भारतीय किसान संघ के पदाधिकारियों के साथ चर्चा की। मुख्यमंत्री ने कहा कि किसानों के कल्याण के लिए राज्य सरकार पूर्ण सजग है। किसान हितेषी फैसले निरंतर लिए जाएंगे, साथ ही किसानों के साथ नियमित संवाद भी होता रहेगा। 

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि मध्यप्रदेश में सोलर एनर्जी का उपयोग तेजी से बढ़ रहा है। किसानों को सौर ऊर्जा का इस्तेमाल करने पर प्रोत्साहित किया जा रहा है, जिससे कृषि कार्य में मदद मिल रही है। सोलर पंप और औद्योगिक बिजली उत्पादन को भी बढ़ावा दिया जा रहा है। केंद्र सरकार की पीएम कृषक मित्र सूर्य योजना से सोलर संयंत्र स्थापित करने में सहयोग मिल रहा है, जो किसानों को आत्मनिर्भर बनाने में मदद करेगा।

डॉ. यादव ने कहा कि कृषि के साथ पशुपालन और दुग्ध उत्पादन बढ़ाने के प्रयास किए जा रहे हैं। राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड के साथ समझौते से दुग्ध उत्पादन में वृद्धि होगी। किसानों को खाद्य प्रसंस्करण इकाइयां लगाने के लिए भी प्रोत्साहित किया जा रहा है, जिससे उनकी आय में वृद्धि होगी।

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/04 January 2024/ 
वर्तमान में विगत 2-3 दिनों से घना कोहरा के साथ-साथ आंशिक रूप से मेघमय मौसम के साथ ठंड पड़ रही है। वर्तमान में क्रमशः  अधिकतम तापमान 22-23 डिग्री सेंटीग्रेड तथा न्यून्तम तापमान 12-13 डिग्री सेंटीग्रेड के आस-पास चल रहा है। साथ ही कहीं-कहीं हल्की-फुल्की वर्षा की भी संभावना रहेगी। ऐसे कृषकों को निम्नानुसार कृषिगत सलाह दी गई है।

मौसम विभाग के अनुसार आगामी एक से दो दिनों बाद मौसम खुलते ही ठंड बढ़ेगी। फिलहाल वर्तमान मौसम फसलों की वृद्धि के लिए लाभदायक है। 

गेहूं में 40 व 60 दिन बाद दूसरी व तीसरी सिंचाई करें तत्पश्चात् यूरिया की 25 कि.ग्रा. प्रति एकड़ की दर से या नैनो यूरिया या डीएपी की 3 मिली प्रतिलीटर की दर से छिड़काव करें। 

मौसम खुलते ही चना तथा मसूर आदि फसलों में रस चूसक कीट एवं इल्लियों आदि का प्रकोप बढ़ने से जरूरत के मुताबिक  कीटनाशी का छिड़काव करें।

चने में इल्लियों के नियंत्रण के लिए प्रति एकड़ 20-25 टी आकार की जगह-जगह खूंटिया लगावें। रस चूसक कीटों सें बचाव के लिए पीले रंग के चिपचिपे स्टिीकी ट्रेप लगावें। फूल की अवस्था में विशेषकर चना व मसूर में सिंचाई करने से बचें। 

साथ ही फसल की वृद्धि अच्छी होने से आवश्यक  रूप से टॉनिक आदि का छिड़काव नहीं करें। मौसम खुलते ही आगे यदि तापमान 5-6 डिग्री सेंटीग्रेड से कम होने लगे तोपाले से बचाव के उपाय करें। 

विशेषकर सब्जियों आदि में। इसके लिए रात को मेड़ों पर धुंआ करें, शाम का फसलों में सिंचाई करें। मध्यय रात्रि के बाद सिंचाई नहीं करें। साथ ही 2-2.5 ग्राम प्रति लीटर की दर फसलों घुलनशील गंधक अर्थात् सल्फर का छिड़काव कर सकते हैं।

छोटे फलदार वृ़क्षों में आवश्यकतानुसार निराई गुड़ाई व खाद उर्वरकों की पूर्ति कर सूखी घास से मल्चिंग करें। आम नीबू तथा पपीता आदि में तना से 2 फीट की दूरी छोडकर 1-1.5 मीटर की चौडाई में नत्रजन फास्फोरस व पोटाश  तथा गोबर की खाद मिलाकर निराई गुड़ाई कर सिंचाई करें। सब्जियों आदि में पत्तियों पर धब्बा रोग आने पर टेबूकोनाजाल एवं सल्फर या मैंकोजेब का छिड़काव करें।

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 जिले में रबी फसलों का कार्य प्रगति पर है, जिसके चलते बेसल डोज (Basal Dose) के रूप में कृषकों को डीएपी (DAP-Di-Ammonium Phosphate) एनपीके (NPK-Nitrogen-Phosphate-Potassium) एवं एसएसपी (SSP-Single Super Phosphate) उर्वरक की आवश्यकता होती है। रबी फसलों के लिए कृषक डीएपी उर्वरक का अधिक उपयोग करते है।

उप संचालक किसान कल्याण कृषि विकास ने बताया कि किसान रबी फसलों के लिए बेसल डोज के रूप में एनपीके उर्वरक जैसे- 12.32.16 एवं 20.20.0.13 आदि डीएपी के स्थान पर एक अच्छा विकल्प है। 

एनपीके (NPK) का उपयोग करने से फसलों में एक साथ तीन तत्वों नत्रजन (Nitrogen), फास्फोरस (Phosphorous) एवं पोटाश (Potassium) की पूर्ति सुनिश्चित करता है जबकि डीएपी(DAP) उर्वरक से मात्र दो तत्वों नत्रजन, फास्फोरस की ही पूर्ति होती है। इस प्रकार डीएपी के स्थान पर एनपीके का उपयोग कृषको के लिए लाभकारी है। 

इसके अतिरिक्त कृषक भाईयों से अपील है कि, मृदा परीक्षण के आधार पर जारी मृदा स्वास्थ्य कार्ड में की गई अनुशंसा के अनुरूप ही उर्वरकों का संतुलित उपयोग करें तथा खेती में लागत कम कर के खेती को लाभ का धंधा बनाये।

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सागर,  31 जुलाई 2023/
  जिले में पर्याप्त मात्रा मे यूरिया उपलब्ध है। जिले में 2605 मीट्रिक टन यूरिया की एक रैक सागर को मिली है। जिसे मिलाकर 4 हजार मीट्रिक टन यूरिया जिले में उपलब्ध है। 

जिला विपणन श्रीमती राखी रघुवंशी ने बताया कि जिसमें 1830 मीट्रिक टन यूरिया विपणन संघ के गोदाम में भेजा गया है। इसमें गौरझामर, देवरी और केसली में 900 मीट्रिक टन, सागर और जैसीनगर में 520 मीट्रिक टन, गढ़ाकोटा और रहली 260 मीट्रिक टन, खुरई में 150 मीट्रिक टन यूरिया शामिल है। ये स्टाक 2 अगस्त से गोदामों से विक्रय हेतु उपलब्ध रहेगा।

शेष भण्डार के अंतर्गत बंडा में 100 मीट्रिक टन, शाहगढ़ में 300 मीट्रिक टन,  बीना में 380 मीट्रिक टन और राहतगढ़ 185 मीट्रिक टन यूरिया उपलब्ध है। जिला विपणन श्रीमती राखी रघुवंशी ने बताया कि जिले में इसी सप्ताह  यूरिया की 2 रैंक और आ रही है।

Sagar Watch

सागर  06 जुलाई 2023/
 किसानों को कृषि उपज विपणन के क्षेत्र में अभिनव कदम उठाते हुए मोबाईल एप के माध्यम से अपनी कृषि उपज का विक्रय अपने घर, खलिहान, गोदाम से कराने की सुविधा प्रदान की गई है। 

सर्वप्रथम किसान अपने एंड्राइड मोबाईल (Android Mobile) पर प्ले स्टोर (Play Store) में जाकर मंडी बोर्ड भोपाल का मोबाईल एप  MP FARM GATE APP डाउनलोड (download) करना होगा तथा एप इंस्टाल कर कृषक पंजीयन पूर्ण करना होगा। फसल विक्रय के समय किसानों को अपनी कृषि उपज के संबंध में मंडी फसल, ग्रेड-किस्म, मात्रा एवं वांछित भाव की जानकारी दर्ज करना होगा।

किसानों द्वारा अंकित की गई समस्त जानकारियां चयनित मंडी के पंजीकृत व्यापारियों को प्राप्त हो जाएगी तथा प्रदर्शित होगी। व्यापारी द्वारा फसल की जानकारी एवं बाजार की स्थिति के अनुसार अपनी दरें ऑनलाइन दर्ज की जाएगीं, जिसका किसान को एप में मैसेज प्राप्त होगा। 

जिसके उपरांत आपसी सहमति के आधार पर चयनित स्थल पर कृषि उपज का तौल कार्य होगा। कृषि उपज का तौल कार्य होने के बाद ऑनलाइन सौदा पत्रक एवं भुगतान पत्रक जारी किया जाएगा और शासन, मंडी बोर्ड के नियमानुसार नगर या बैंक खाते में भुगतान किया जाएगा। इस प्रकार किसान  MP FARM GATE APP  मोबाईल एप (Mobile App) के माध्यम से मंडी में आए बिना अपने घर, गोदाम, खलिहान से भी अपनी कृषि उपज का विक्रय कर सकते हैं।

इस एप से किसान प्रदेश की मंडियों में विक्रय की जाने वाली उपजों के दैनिक भाव की जानकारी भी प्राप्त कर सकते हैं। किसानों से इस एप (App) को अपने एंड्राइड मोबाईल (Android Mobile) में इंस्टाल (Install) कर राज्य शासन एवं मंडी बोर्ड की इस अभिनव पहल का अधिक से अधिक लाभ उठाने की अपील की गई है।

Agriculture Review Meeting- सागर संभाग में इस वर्ष 20 से 40 प्रतिशत वर्षा कम होगी

SAGAR WATCH/
मध्य प्रदेश की 
कृषि उत्पादन आयुक्त वीरा राणा का कहना है कि सागर संभाग में इस वर्ष 20 से 40 प्रतिशत वर्षा कम होने की भविष्यवाणी की गई है, जिसको देखते हुए किसानों को कम पानी वाली फसलों को पैदा करना होगा

कृषि उत्पादन संबंधी समीक्षा बैठक में ऑनलाइन शामिल हुईं कृषि आयुक्त ने कहा कि मिलेट उत्पादन के लिए रकबें में वृद्धि हेतु विशेष प्रयास किए जाएं। साथ में जैविक एवं प्राकृतिक खेती के लिए किसानों को प्राथमिकता से जागरूक किया जाए। खरीफ फसल हेतु खाद बीज का पर्याप्त भंडारण सुनिश्चित करें। उक्त निर्देश कृषि उत्पादन।

कृषि उत्पादन आयुक्त श्रीमती वीरा राणा ने निर्देश दिए कि सागर संभाग में मिलेट उत्पादन के लिए रकबे में वृद्धि करें। प्रचार-प्रसार के माध्यम से जागरूकता अभियान चलाएं। उन्होंने निर्देश दिए कि जैविक एवं प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए हर संभव प्रयास किए जाएं।

आयुक्त वीरा राणा ने कहा कि खरीफ फसल के लिए अभी से खाद, बीज का पर्याप्त भंडारण सुनिश्चित करें, जिससे कि खाद बीज के वितरण के समय किसी भी कानून व्यवस्था को बनाए रखा जाए। 

उन्होंने कहा कि नई फसल के लिए नई तकनीक अपनानी होगी। सुपर सीडर किसान लोन सहित अन्य उपकरणों का प्रयोग करें, जिससे नरवाई जलाने के कारण हो रही घटनाओं एवं भूमि बंजर होने से रोका जा सके। उन्होंने कहा कि खरीफ फसल में खाद बीज वितरण का रिकॉर्ड को संधारित किया जावे।

श्रीमती राणा ने निर्देश दिए कि सागर संभाग में इस वर्ष 20 से 40 प्रतिशत वर्षा कम होने की भविष्यवाणी की गई है, जिसको देखते हुए कम पानी वाली फसलों का चयन कर उपार्जन का कार्य करें। 

कृषि उत्पादन आयुक्त की समीक्षा बैठक में सहकारिता विभाग, राज्य सहकारी बीज उत्पादन एवं विपणन संघ की समीक्षा करते हुए निर्देश दिए गए कि सहकारिता विभाग के माध्यम से किसानों के द्वारा दो लाख के ऋण पर ब्याज माफी का अभियान चलाया जा रहा है, जिसमें अधिक से अधिक किसानों से ब्याज माफ करने के लिए आवेदन लिए जाएं।

उन्होंने कहा कि सागर जिले में सोयाबीन की फसल की अपेक्षा उड़द की फसलों के लिए रकबें को बढ़ाएं एवं उपार्जन करें। पशुपालन विभाग की समीक्षा करते हुए निर्देश दिए कि जिले में 882950 पशुओं के टीकाकरण के लक्ष्य के विरुद्ध 856064 का टीकाकरण हुआ है जिसको शत-प्रतिशत करें। उन्होंने निर्देश दिए कि लंपी स्किन रोग की रोकथाम के लिए लगातार मॉनिटरिंग करें एवं आवश्यक हो तो तत्काल टीकाकरण कराएं ।

उन्होंने निर्देश दिए कि युवा संवाद कार्यक्रम के अंतर्गत जिला स्तरीय व संवाद कार्यक्रम आयोजित किए जावे। जिसमें युवाओं को पशुपालन के संबंध में विस्तार से जानकारी दी जाए। जिले में संचालित मुख्यमंत्री गौ सेवा योजना अंतर्गत गौशाला संचालन की स्थिति की समीक्षा करते हुए निर्देश दिए कि जिले में 33 गौशाला संचालित हो रही हैं, जिनमें बिजली पानी की व्यवस्था की जा रही है। 

गौशालाओं को अनुदान की स्थिति की भी समीक्षा की गई। आचार्य विद्यासागर योजना के अंतर्गत दिए गए लक्ष्य एवं पूर्ति की समीक्षा की गई। मुर्रा पाड़ा योजना, नंदी योजना, कुटकुट इकाई योजना के अंतर्गत दिए गए लक्ष्य पूर्ति एवं खर्च की विस्तार से समीक्षा की गई। बैठक में कृत्रिम गर्भाधान कार्यक्रम के संबंध में आवश्यक दिशा निर्देश दिए गए।

समीक्षा बैठक में उद्यानिकी विभाग के माध्यम से जिले में कृषि उद्यान की भूमि 736300 हेक्टेयर है, जिसमें से सिंचित एवं उद्यानिकी के रकबें के संबंध में जानकारी दी गई। बैठक में बताया गया कि सागर में आम, अमरूद, नीबू, सीताफल, टमाटर, प्याज, लहसुन, अदरक, हल्दी सहित समस्त सब्जियों की फसल का उपार्जन किया जाता है। 

बागवानी विकास मिशन योजना अंतर्गत मसाला क्षेत्र,  जैविक खेती, प्याज भंडारण की प्रगति के संबंध में जानकारी दी गई। दुग्ध संघ की समीक्षा बैठक में कार्यरत समितियों के माध्यम से औसत दुग्ध संकलन की समीक्षा करते हुए निर्देश दिए गए कि दुग्ध संकलन बढ़ाया जावे, ताकि स्व सहायता समूह के माध्यम से समूह की महिला सदस्यों को आर्थिक रूप से समृद्ध बनाया जा सके।

इस अवसर पर संभागायुक्त डॉ. वीरेंद्र सिंह रावत, कलेक्टर श्री दीपक आर्य, ज्वाइंट कमिश्नर श्री अनिल द्विवेदी, जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी  पी.सी. शर्मा सहित कृषि उत्पादन से संबंधित विभागों के अधिकारी मौजूद थे।

CROP PROCUREMENT- जिले में तीन लाख मीट्रिक टन फसल का  किया जाना है उपार्जन

SAGAR WATCH
जिले में रबी उपार्जन का कार्य लगातार जारी है। अब तक 44 हजार मीट्रिक टन से अधिक गेहूं का उपार्जन किया जा चुका है। जिला खाद्य आपूर्ति नियंत्रक अनिल तंतुवाय ने बताया जिले में 153 उपार्जन केंद्र स्थापित किए गए हैं, जिनमें लगभग तीन लाख मीट्रिक टन फसल का उपार्जन किया जाना है।

उन्होंने बताया कि समस्त उपार्जन केंद्रों पर आवश्यक व्यवस्थाएं सुनिश्चित की गई है। किसानों की सुविधा के लिए अधिकारियों द्वारा निगरानी कराई जा रही है, जिसमें किसी भी प्रकार की गड़बड़ी न हो ।
श्री तंतुवाय ने बताया कि जिले में लगभग 3 लाख मीट्रिक टन उपार्जन हेतु 65,173 किसानों ने पंजीयन कराया है। अब तक 44,269 मीट्रिक टन की खरीदी की गई है, आज 8916 खरीदी की गई। उन्होंने बताया कि परिवहन हेतु 36,324 मीट्रिक टन तैयार है, जिसमें से अब तक 28,692 फसल को परिवहन किया जा चुका है। 1797 मीट्रिक टन का परिवहन आज किया गया।

श्री तंतुवाय ने बताया कि उपार्जन प्रक्रिया लगातार जारी रहेगी। किसानों की सुविधा के लिए कलेक्ट्रेट परिसर में कंट्रोल रूम भी स्थापित किया गया है, जिसमें किसानों की समस्या का निराकरण किया जा रहा है।    

तत्काल किया जा रहा है किसानो को फसल विक्रय का भुगतान 

इसी सिलसिले में  कलेक्टर ने बताया कि किसानों को उपार्जन के तत्काल बाद विक्रय की राशि  राशि का भुगतान किया जा रहा है

जिला खाद्य आपूर्ति नियंत्रक के मुताबिक  जिले में गेहूं खरीदी का कार्य सुचारू रूप से किया जा रहा है। इसी के अंतर्गत किसानों को उनकी फसल का भुगतान भी प्राप्त होने लगा है। अभी तक 558 किसानों को 1.48 करोड़ रुपए उनके खाते में प्राप्त हो गए हैं।  

उपार्जन केन्द्रों के तौल कांटों की जांच 

कलेक्टर दीपक आर्य के निर्देश पर समस्त उपार्जन केंद्रों की तौल कांटों की समय-समय पर जांच करने के निर्देश दिए गए थे। इसी परिप्रेक्ष्य में नापतौल विभाग के अधिकारी श्री जगदीश गोटिया के द्वारा लगातार जांच की जा रही है।

कलेक्टर ने उपार्जन केंद्रों के साथ-साथ पेट्रोल पंप की भी जांच करने के निर्देश दिए हैं। नापतौल विभाग द्वारा रहली के चांदपुर पेट्रोल पम्प की लोक सेवा गारंटी योजना के तहत आवेदन पर मशीन के इंजीनियर की उपस्थिति में जांच कर सत्यापन किया गया। उन्होंने बताया कि इसी प्रकार रहली के विभिन्न उपार्जन केंद्रों के इलेक्ट्रॉनिक तौल कांटो की भी जांच की गई।

Action- उपसंचालक कृषि एवं किसान कल्याण विभाग  निलंबित

Sagar Watch
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कृषि स्थाई समिति से कार्यक्रमों का अनुमोदन लिये बिना नियम विरूद्ध बीज ग्राम एवं राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन अन्तर्गत बीज वितरण कार्यक्रम  विकासखण्डों को जारी कर दिया गया था। 

कलेक्टर जिला टीकमगढ़  ने कु० छत्रपाल सिंह “छोटू राजा“ सदस्य जिला पंचायत ,अध्यक्ष कृषि स्थाई समिति, जिला पंचायत  की शिकायत पर श्री भरत राजवंशी, उपसंचालक कृषि एवं किसान कल्याण विभाग को निलंबित कर दिया गया है । 

श्री राजवंशी द्वारा पंचायती राज व्यवस्था का पालन नहीं किया जा रहा था । पूर्व में भी उनके  द्वारा  प्रभारी मंत्री के अनुमोदन उपरांत कर्मचारियों के स्थानानंतरण आदेश जारी नहीं किये गये थे।

कलेक्टर टीकमगढ़ द्वारा प्रेषित उक्त प्रस्ताव के परीक्षण में पाया गया  कि श्री राजवंशी का उक्त कृत्य प्रथम दृष्ट्या पदीय दायित्वों के निर्वहन में घोर लापरवाही, उदासीनता एवं स्वेच्छाचारिता को प्रदर्शित करता है। 

भरत राजवंशी, प्रभारी उपसंचालक किसान कल्याण एवं कृषि विकास विभाग जिला टीकमगढ़ को म०प्र० सिविल सेवा (वर्गीकरण, नियंत्रण एवं अपील) नियम के अन्तर्गत तत्काल प्रभाव से निलंबित किया गया है।

Wheat Procurement-   पंजीयन 1 फरवरी से 25 फरवरी तक होगा

सागर वॉच
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रबी विपणन वर्ष 2023-24 में समर्थन मूल्य पर गेहूं उपार्जन के लिए पंजीयन 1 फरवरी से 25 फरवरी तक करा सकते हैं। किसान पंजीयन की व्यवस्था को सहज और सुगम बनाने के लिए किसानों के स्वयं के मोबाईल में सुविधा दी गई है। अब किसान घर बैठे पंजीयन कर सकेंगे। किसानों को पंजीयन केन्द्रों में लाईन लगाकर पंजीयन कराने की समस्या से मुक्ति मिलेगी।

किसान को गेहूं के समर्थन मूल्य पर अपनी उपज का पंजीयन केन्द्रों पर निःशुल्क करा सकेंगे। रबी विपणन वर्ष में समर्थन मूल्य पर गेहूं का उपर्जान करने के लिए पंजीयन कराने की निशुल्क व्यवस्था की गई। 

किसान ग्राम पंचायत कार्यालय में स्थापित सुविधा केन्द्र, जनपद पंचायत कार्यालयों में स्थापित सुविधा केन्द्र, तहसील कार्यालयों में स्थापित सुविधा केन्द्र तथा सहकारी समितियों एवं विपणन संस्थाओं द्वारा द्वारा संचालित केन्द्रों का फसल का पंजीयन निशुल्क करा सकेंगे। 

वहीं सशुल्क पंजीयन के लिए किसान एमपी ऑनलाईन कियोस्क पर, कॉमन सर्विस सेंटर, लोक सेवा केन्द्र एवं निजी व्यक्तियों द्वारा संचालित साइबर कैफे पर सुशल्क पंजीयन करा सकते हैं। ग्राम पंचायत/जनपद पंचायत तहसील कार्यालय में पंजीयन के लिए सुविधा केन्द्र स्थापित करने के लिए जिला कलेक्टर आवश्यक कर्मचारियों की ड्यूटी लगाकर उन्हें प्रशिक्षित करना सुनिश्चित करेंगे।

एम.पी. ऑनलाईन कियोस्क, कॉमन सर्विस सेन्टर, लोक सेवा केन्द्र और निजी व्यक्तियों द्वारा संचालित साइबर कैफे को पंजीयन की कार्यवाही करने के पूर्व जिला कलेक्टर/सक्षम प्राधिकारी से विधिवत ऑथोराईजेशन प्राप्त करना होगा। प्रति पंजीयन के लिए 50 रूपये से अधिक शुल्क निर्धारित नहीं किया जाएगा। 

केन्द्रों पर पंजीयन सुविधा एवं शुल्क राशि के संबंध में आवश्यक बैनर लगाया जाना सुनिश्चित किया जाए। किसान का पंजीयन के लिए भूमि संबंधी दस्तावेज़ एवं किसान के आधार एवं अन्य फोटो पहचान पत्रों का समुचित परीक्षण कर उनका रिकार्ड रखा जाना अनिवार्य होगा। 

सिकमी/बटाईदार/कोटवार एवं वन पट्टाधारी किसान के पंजीयन की सुविधा केवल सहकारी समिति एवं विपणन सहकारी संस्था स्तर पर स्थापित पंजीयन केन्द्रों पर उपलब्ध होगी। श्रेणी के शत-प्रतिशत किसानों का सत्यापन राजस्व विभाग द्वारा किया जाएगा।

Review Meeting-जिले में  7750 किसानों ने करवाया धान विक्रय के लिए पंजीयन

सागर वॉच/
 धान उपार्जन और सार्वजनिक वितरण प्रणाली की समीक्षा की बैठक में जिला खाद्य एवं आपूर्ति अधिकारी ने बताया कि  समर्थन मूल्य पर किसानों से अभी तक 14 हजार मीट्रिक टन धान की खरीदी की गई है। जिले में बनाए गए 30 धान खरीदी केन्द्रों के माध्यम से खरीदी जारी है। जिले में कुल 7750 किसानों ने धान विक्रय के लिए पंजीयन करवाया था। अभी तक 2248 किसानों द्वारा धान विक्रय किया जा चुका है। 3986 किसानों द्वारा धान विक्रय के लिए स्लाट बुक किए गए है।

बैठक में कलेक्टर ने खरीदी केन्द्रों पर जिले में उत्पादित धान किस्मों की ही खरीदी के साथ-साथ  उपसंचालक कृषि को खरीदी केन्द्रें का निरीक्षण करने के निर्देश भी दिए। कलेक्टर ने धान उपार्जन को सुचारू रखने के साथ वारदाने  की कमी न होने के लिए,समय पर परिवहनके लिए भी ताकीद किया। बैठक में बताया गया कि उपार्जित धान का 85 प्रतिशत परिवहन हो गया है।

सार्वजनिक वितरण प्रणाली की समीक्षा में खाद्यान  वितरण और उठाव की माह नबम्वर-दिसंबर की जानकारी लेकर कलेक्टर ने कहा कि प्रत्येक समूह और कल्याणकारी संस्था निर्धारित मात्रा का हर माह उठाव करें। महिला बाल विकास मैपिंग में बार बार बदलाव न करें। उचित मूल्य दुकानों के बहुउदेशीय बनाने हेतु लक्ष्य निर्धारण, एनयूटी माडल अंतर्गत दुकान निर्माण, गडबडी करने वाले  उचित मूल्य दुकानों के विरूघ्द कार्यवाही, पात्रता पर्ची , ई-केवायसी, नई दुकानों को समूह को आंवटित करने , सीएम हेल्पलाइन की षिकायतों का निराकरण आदि की समीक्षा की।

Press Conference- प्राकृतिक कृषि को बढ़ावा देने को चलेगा भूमि सुपोषण अभियान

सागर वॉच।
मध्य प्रदेश में किसानों को जैविक खेती के प्रति प्रेरित करने के लिए भारतीय जनता पार्टी किसान मोर्चा द्वारा भूमि सुपोषण अभियान-चलो खेत की ओर चलाया जा रहा है। जिसके माध्यम से किसान मोर्चा 75000 किसानों को तैयार कर 75000 हजार एकड़ भूमि में प्राकृतिक कृषि करवाएगा। यह बात दर्शन सिंह चौधरी प्रदेश अध्यक्ष किसान मोर्चा ने सागर में आयोजित पत्रकार वार्ता को संबोधित करते हुए कही


श्री चौधरी ने कहा कि इस जनजागरण अभियान के माध्यम से किसान मोर्चा केंद्र व राज्य सरकार की किसान हितैषी नीतियों को प्रत्येक किसान तक पहुंचाएगी व इस अभियान के माध्यम से 25 लाख नए कार्यकर्ता जोड़कर संगठन को मजबूत करेंगे साथ ही किसान मोर्चा आगामी चुनाव में मध्यप्रदेश में पुनःभाजपा की सरकार बनाने में महत्ती भूमिका निभाएगा।

श्री चौधरी ने का कहा कि पूर्व में कांग्रेस सरकारों की गलत नीतियों के कारण खेती व पशुपालन में किसानों को नुकसान हुआ जिस कारण उनका खेती व पशुपालन से मोहभंग हुआ हो रहा था परंतु भाजपा की केंद्र व राज्य सरकार सरकार किसानों की आय को दोगुना करने लिए प्रतिबद्ध हैं एवं निरन्तर विभिन्न योजनाओं के माध्यम से किसानों की लागत मूल्य को कम कर, फसल की उपज का वाजिब मूल्य किसानों को मिल सकें

इस ओर निरंतर विदेश नीतियों में भी परिवर्तन कर, दशकों पुरानी नीतियों के दुराभाव से किसानों को बाहर निकालने व वर्तमान समय मे किसानों की दशा और दिशा को बेहतर बनाने के लिए कार्य कर रही हैं जिसका परिणाम है कि आज का  युवा नई–नई तकनीक के साथ पुनःखेती की ओर आकर्षित हो रहा है एवं कृषि के क्षेत्र में नित्य नवाचारों के माध्यम से नए नए कीर्तिमान स्थापित कर रहा हैं।

पत्रकार वार्ता का संचालन जिला मीडिया प्रभारी श्रीकांत जैन ने एवं आभार आलोक केशरवानी ने व्यक्त किया। पत्रकार वार्ता में जिला पंचायत अध्यक्ष हीरा सिंह राजपूत,किसान मोर्चा प्रदेश मीडिया प्रभारी विवेक अहिरवार, सागर संभाग प्रभारी श्रीमती नर्मदा सिंह किसान मोर्चा जिला अध्यक्ष धीरज सिंह ओरिया, पार्षद शैलेंद्र ठाकुर पूर्व प्रदेश मंत्री शिवराज सिंह बेरखेड़ी जी उपस्थित रहें।

Kharif Season-किसानों की सुविधा के लिए समिति से किया ज रहा है खाद वितरण

सागर वॉच/
कलेक्टर दीपक आर्य ने बताया कि किसानों को खाद उपलब्ध आसानी से हो इसके लिए जिला वितरण केंद्र की वितरण केंद्रों से एवं समितियों की वितरण केंद्र से खाद का वितरण कराया जा रहा है जहां पर समस्त व्यवस्थाएं सुनिश्चित की गई है।

किसानों को खाद उपलब्ध कराने के लिए हर संभव प्रयास किए गए जिसके तहत उनको समस्त खाद वितरण केंद्रों पर खाद प्राप्त करने के लिए मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराई गई। जिसके तहत बैठने के लिए कुर्सी, पानी, पंडाल एवं चाय की व्यवस्था सुनिश्चित कराई गई।

उन्होंने बताया कि कालाबाजारी रोकने के लिए राजस्व विभाग के अधिकारी लगातार निगरानी कर रहे हैं जिसकी चलते कालाबाजारी करने वालों पर पुलिस कार्रवाई की गई है एवं उर्वरक को जब्त  किया गया है उन्होंने बताया कि किसान भाइयों को सुविधा से खाद उपलब्ध हो इसके लिए समस्त निजी वितरण केंद्रों पर पटवारियों एवं तहसीलदारों की नियुक्ति कर निगरानी की जा रही है।

कलेक्टर दीपक ने बताया कि गत वर्ष की तुलना में इस वर्ष यूरिया डीएपी एनपीके का दुगुना वितरण 14 नवम्बर तक किया जा चुका है उन्होंने बताया कि 2021 में 31 मार्च 2021 तक 34000 मेट्रिक टन यूरिया 26500 मेट्रिक टन डीएपी एवं 1990 टन एनपीके की विक्रय किया गया था, जबकि इस वर्ष 1 अक्टूबर 22 से 15 अक्टूबर 2022 तक 16245 मेट्रिक टन यूरिया 18927 मेट्रिक टन डीएपी एवं 4204 में मेट्रिक एनपीके का विक्रय किया जा चुका है।

कलेक्टर श्री आर्य ने बताया कि विगत वर्ष 1 अक्टूबर 2021 से 15 अक्टूबर 2021 तक 11000 मेट्रिक टन यूरिया 11358 मेट्रिक एनडीएपी एवं 5469 मेट्रिक टन एनपीके का वितरण किया गया था। कलेक्टर श्री आर्य ने बताया कि 2022 में 40000 मेट्रिक यूरिया 30,000 मेट्रिक टन डीएपी एवं 5000 में मेट्रिक एनपीके की मांग है उन्होंने बताया कि इसी वर्ष सितंबर माह में अग्रिम भंडारण के रूप में 5838 मेट्रिक टन डीएपी का वितरण भी किया गया है।