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Sagar Watch News

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 मप्र का दूसरा सबसे बड़ा इस्कॉन मंदिर  सागर में मेनपानी गाँव में बन रहा है। इस्कॉन सागर के अध्यक्ष कृष्णार्चनदास प्रभुजी ने बताया कि  इंटरनेशनल सोसाइटी फॉर कृष्णा कॉन्शियसनेस यानी इस्कॉन (ISCON) संस्था शहर से लगे मेनपानी गांव की पहाड़ी पर भगवान राधा-कृष्ण का भव्य मंदिर बनाएगी। मंदिर निर्माण के लिए भूमिपूजन 30 अप्रैल को होगा। भूमिपूजन समारोह में मप्र के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव आएंगे।

उन्होंने बताया कि मंदिर बनने से सागर के इस क्षेत्र का तेजी से विकास होगा। धार्मिक पर्यटन बढ़ने से इस क्षेत्र में रोजगार के अवसर भी उपलब्ध होंगे। परिवहन सहित व्यापारिक गतिविधियां इस क्षेत्र में बढ़ने से सागर के निवासियों को भी फायदा मिलेगा।

मुख्य मंदिर के अलावा 12 प्रकल्प बनेंगे

उन्होंने बताया की मुख्य मंदिर सफेद मार्बल और राजस्थान के लाल पत्थरों से 20 हजार वर्गफीट में   पहाड़ी पर 3 एकड़ क्षेत्र में 50 करोड़ की लागत से बनेगा  इसके अलावा बाकी क्षेत्र में गौशाला और चिकित्सा जैसे सेवा के प्रकल्प बनाए जाएंगे। संस्था को दान में मिली  3 एकड़ भूमि  पर होने जा रहे  

इस्कॉन सागर के अध्यक्ष कृष्णार्चनदास प्रभुजी ने बताया कि भगवान राधा कृष्ण की प्रतिमाएं जयपुर से तैयार होकर आएंगी। प्रतिमाएं करीब साढ़े तीन से चार फीट ऊंची होंगी। मुख्य मंदिर के अलावा 12 प्रकल्प बनाए जाएंगे। 

जिनमें वैदिक गुरुकुल स्कूल, भक्तिवेदांत अस्पताल, गौ शाला व आर्गेनिक खेती, प्रसादम हाल, वैदिक लाइब्रेरी, संत आश्रम, प्राकृतिक गांव, बुजुगों के लिए आश्रम, गेस्ट हाउस, रेस्तरां, कीर्तन बैंक्वेट हाल, पशुओं की देखभाल के लिए फार्म बनाया जाना प्रस्तावित किया गया है। 

उन्होंने बताया कि पहले मंदिर बनेगा फिर प्रकल्पों के काम शुरू होंगे। मंदिर निर्माण के लिए कोई समय सीमा तो निर्धारित नहीं की गई है लेकिन प्रयास होगा मंदिर जल्द से जल्द बने। मंदिर निर्माण के लिए राशि दान से ही जुटाई जाएगी। मार्बल व लाल पत्थरों को तराशने के लिए जयपुर से कलाकार आएंगे, बाकी काम स्थानीय कलाकार ही करेंगे। मंदिर निर्माण के लिए एक समिति का गठन भी किया जाएगा।

इस्कॉन सागर के अध्यक्ष कृष्णार्चनदास ने बताया कि जबलपुर में भी बड़ा मंदिर निर्माण चल रहा है। वह इससे कुछ विशाल हो सकता है। भोपाल में बना मंदिर 2 एकड़ क्षेत्र में है। इंदौर और उज्जैन के भी मंदिर हैं तो बड़े ही लेकिन क्षेत्रफल के लिहाज से यह दूसरा बड़ा मंदिर बनेगा। 


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🌞 ग्रीष्मकालीन खेल प्रशिक्षण शिविर 2025

(आयोजक: संचालनालय, खेल एवं युवा कल्याण विभाग, म.प्र. भोपाल)

📅 आयोजन अवधि:
01 मई 2025 से अगले 30 दिनों तक
📍 स्थान: खेल परिसर, सागर (जिला मुख्यालय)
👧🧒 उम्र सीमा: 08 से 19 वर्ष तक के बालक/बालिका


📝 पंजीयन प्रक्रिया:

  • स्थान: खेल परिसर, सागर (कार्यालयीन समय में)

  • अथवा संबंधित खेल प्रशिक्षकों से सीधे संपर्क करें।

  • पंजीयन के समय साथ लाएं:

    • निर्धारित आवेदन पत्र

    • जन्म प्रमाण पत्र

    • आधार कार्ड की प्रति


🏅 उपलब्ध खेल (जिला मुख्यालय - सागर):

खेलप्रशिक्षक का नामसंपर्क नंबर

  • बास्केटबॉल

  • श्री प्रेमनेती राय

  • 9754289234

  • वॉलीबॉल

  • श्रीमती सीमा चक्रवर्ती

  • 8878181168

  • हॉकी

  • श्री उमेशचंद्र मोर्य / श्री नफीस खान

  • 9380049142 / 7879222075

  • फुटबॉल

  • श्री विशाल तोमर

  • 9131230483

  • कबड्डी

  • श्रीमती संगीता सिंह

  • 9826278476

  • एथलेटिक्स

  • श्री मंगल सिंह यादव

  • 9752778714

  • मलखंब

  • श्री श्यामलाल पाल

  • 9893968981

  • टेबल टेनिस

  • श्री शैलेन्द्र यादव

  • 7987579594

  • योगा

  • कु. वंदना तिवारी

  • 8463066067

  • ताईक्वांडो

  • कु. रीमा ठाकुर

  • 8889165723

  • कूडो

  • कु. मेघा भोजक

  • 7509644201

  • बैडमिंटन

  • श्री मिलन्द देउस्कर

  • 9827597797

  • कुश्ती

  • श्री नरेन्द्र सोनी (शिवाजी व्यायामशाला, चकराघाट)

  • 7697965332

  • खो-खो

  • श्री कमलेश कोरी

  • 6261857523

  • लॉन टेनिस

  • श्री नरवहादुर सिंह राजपूत

  • 8770381306


🏫 विकासखंड स्तर पर प्रशिक्षण शिविर:

(प्रत्येक विकासखंड मुख्यालय पर 2 खेलों में निःशुल्क प्रशिक्षण)

विकासखंडस्थान / प्रभारीसंपर्क नंबर
  • मालथौन
  • श्री श्यामलाल पाल
  • 9893968981
  • केसली
  • श्री मनोज गौड़ (खेल परिसर केसली)
  • 9993007423
  • देवरी
  • श्री बसीम राजा खान (स.सि.म. खेल मैदान)
  • 9424822208
  • जैसीनगर
  • श्री भीकम पटेल (गोविंद स्टेडियम)
  • 9993917588
  • रहली
  • श्री राजेश गौड़ (इंडोर स्टेडियम)
  • 6267122212
  • खुरई
  • श्री प्रेमनेती राय
  • 9754289234
  • बण्डा
  • श्रीमती कमला गौतम (शासकीय मिडिल स्कूल)
  • 9131110386
  • राहतगढ़
  • श्री मंगल सिंह यादव
  • 9752778714
  • शाहगढ़
  • कु. पल्लवी अवस्थी (खेल परिसर)
  • 6265411427
  • बीना
  • श्रीमती डॉली अवस्थी (स्टेडियम, अभिनव स्कूल)
  • 9340989149

ℹ️ अधिक जानकारी हेतु:

खिलाड़ी, खेल संघ एवं संस्थाएं खेल परिसर सागर या संबंधित विकासखंड प्रभारी से संपर्क कर निःशुल्क प्रशिक्षण शिविर में सहभागिता सुनिश्चित करें।

 

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भारत निर्माण का डॉ. अम्बेडकर का मानवशास्त्रीय स्वप्न"

डॉ. भीमराव रामजी अम्बेडकर, जिन्हें हम बाबासाहेब के नाम से जानते हैं, न केवल एक महान विधिवेत्ता और समाज सुधारक थे, बल्कि एक गहरे मानवशास्त्रीय दृष्टि वाले विचारक भी थे। उनका भारत के विकास और एकीकरण का दृष्टिकोण मात्र राजनीतिक या आर्थिक नहीं था, बल्कि यह सामाजिक और सांस्कृतिक संरचनाओं की गहरी समझ पर आधारित था।

जाति व्यवस्था का मानवशास्त्रीय विश्लेषण

डॉ. अम्बेडकर ने भारतीय समाज की सबसे बड़ी चुनौती, जाति व्यवस्था, का मानवशास्त्रीय विश्लेषण किया। उन्होंने इसे मात्र सामाजिक भेदभाव का रूप नहीं माना, बल्कि एक ऐसी संस्था के रूप में देखा जो भारतीय समाज की संरचना को गहराई से प्रभावित करती है। 

जाति व्यवस्था..सामाजिक असमानता को बनाए रखती है

उन्होंने अपनी पुस्तक "जाति का विनाश" (Annihilation of Caste, 1936) में जाति व्यवस्था को एक ऐसी प्रणाली के रूप में वर्णित किया जो न केवल सामाजिक असमानता को बनाए रखती है, बल्कि मानवीय गरिमा को भी नष्ट करती है। 

उन्होंने तर्क दिया कि जाति व्यवस्था भारत के विकास के लिए एक बड़ी बाधा है, क्योंकि यह लोगों को उनकी क्षमता के अनुसार योगदान करने से रोकती है। (बी.आर. अम्बेडकर, "जाति का विनाश", 1936)

 सभी को समान अवसर मिले तो ही...देश का विकास संभव 

डॉ. अम्बेडकर ने भारत के विकास के लिए सामाजिक न्याय और समता को अनिवार्य माना। उनका मानना था कि जब तक समाज में सभी लोगों को समान अवसर नहीं मिलेंगे, तब तक देश का विकास संभव नहीं है। 

उन्होंने संविधान में सामाजिक न्याय के सिद्धांतों को शामिल करने पर जोर दिया, ताकि सभी नागरिकों को समान अधिकार और अवसर मिल सकें। उन्होंने "राज्य और अल्पसंख्यक" में अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा पर विशेष ध्यान दिया। (बी.आर. अम्बेडकर, "राज्य और अल्पसंख्यक", 1947)

सांस्कृतिक एकीकरण के लिए शिक्षा और जागरूकता अहम

डॉ. अम्बेडकर ने भारत के सांस्कृतिक एकीकरण और राष्ट्रीय एकता को महत्वपूर्ण माना। उन्होंने विभिन्न सांस्कृतिक समूहों के बीच संवाद और समझ को बढ़ावा देने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने यह भी माना कि राष्ट्रीय एकता के लिए सभी नागरिकों को अपनी सांस्कृतिक पहचान बनाए रखने का अधिकार होना चाहिए। उन्होंने "पाकिस्तान या भारत का विभाजन" में भारत के विभाजन पर अपने विचार व्यक्त किए। (बी.आर. अम्बेडकर, "पाकिस्तान या भारत का विभाजन", 1940)

 दलितों और वंचित समुदायों के लिए शिक्षा के ज्यादा अवसर मिलें..

डॉ. अम्बेडकर ने शिक्षा और जागरूकता को सामाजिक परिवर्तन के लिए महत्वपूर्ण उपकरण माना। उन्होंने दलितों और अन्य वंचित समुदायों के लिए शिक्षा के अवसरों को बढ़ाने पर जोर दिया। उनका मानना था कि शिक्षा लोगों को अपने अधिकारों के बारे में जागरूक करती है और उन्हें सामाजिक और आर्थिक रूप से सशक्त बनाती है। उन्होंने "शूद्र कौन थे?" में शिक्षा के महत्व को दर्शाया। (बी.आर. अम्बेडकर, "शूद्र कौन थे?", 1946)

डॉ. अम्बेडकर का भारत के विकास और एकीकरण का मानवशास्त्रीय दृष्टिकोण आज भी प्रासंगिक है। उन्होंने हमें दिखाया कि सामाजिक और सांस्कृतिक असमानताओं को दूर किए बिना भारत का विकास संभव नहीं है। उनका सपना एक ऐसे भारत का निर्माण करना था, जहां सभी नागरिकों को समान अधिकार और अवसर मिलें। हमें उनके विचारों को अपनाकर एक समतामूलक और न्यायपूर्ण समाज का निर्माण करना चाहिए।

🖋 प्रोफेसर अजीत जायसवाल 

मानव विज्ञान विभाग प्रमुख 

डॉ. हरिसिंह गौर विश्वविद्यालय, सागर (म.प्र.)


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श्री सर्व सिद्धेश्वर हनुमान समिति
के तत्वावधान में भगवान श्री हनुमान जी के प्रकटोत्सव पर एक भव्य शोभायात्रा और धार्मिक समारोह का आयोजन किया जा रहा है, जिसमें सागर शहर ही नहीं बल्कि पूरे जिले और अन्य राज्यों से भी हनुमान भक्त भाग लेंगे।

🔸 12 अप्रैल (शनिवार) को यह विशाल शोभायात्रा शाम 5 बजे चंपाबाग मंदिर से प्रारंभ होकर शहर के प्रमुख मार्गों से होती हुई वापस मंदिर पहुंचेगी।

🔸 प्रातः काल से ही मंदिर में 51 पंडितों द्वारा विशेष हनुमान पूजन, अनुष्ठान, सुंदरकांड पाठ और भोग प्रसादी का आयोजन होगा।

🔹 शोभायात्रा में इंदौर, उज्जैन, भोपाल, केरल, जबलपुर, गाडरवारा आदि से आए अखाड़े, ढोल-नगाड़े, दमरों की टोली, कीर्तन मंडलियां और केरल की थेय्यम झांकी विशेष आकर्षण रहेंगी।

🔹 गुजरात से निर्मित भगवान हनुमान जी की भव्य प्रतिमा पालकी में विराजमान होगी, जिसका श्रृंगार राजस्थान की मंडली द्वारा किया जाएगा।

🔹 शोभायात्रा के मार्ग पर 101 स्थानों पर पुष्पवर्षा की जाएगी।

🌸 पूरे शहर में स्वागत द्वार, घरों में निमंत्रण पत्र और मीडिया के माध्यम से सूचना दी जा रही है, जिससे हर नागरिक की सहभागिता सुनिश्चित हो सके।

🔹 शोभायात्रा में 100 से अधिक अखाड़े, कीर्तन मंडलियां, महिला मंडल, और युवा भक्त धर्म ध्वजा लेकर जयकारे लगाते हुए चलेंगे।

🔹 यह आयोजन सनातन धर्म की आस्था, धार्मिक एकता और भक्ति का संदेश पूरे शहर में फैलाने वाला होगा।

🔸 पत्रकार वार्ता में समिति के अध्यक्ष अभिषेक पुरोहित सहित श्री सर्व सिद्धेश्वर समिति के अमन खटीक चक्ररेश चौधरी अंकित खटीक, मोहित सोनी सोमू, आदित्य, मनोज रेंकवार विशाल सहित अन्य सदस्य एवं श्रद्धालुजन भी उपस्थित रहे।


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कायस्थ समाज की बैठक गोपालगंज में आयोजित की गई, जिसमें 4 मई 2025 (रविवार) को चित्रगुप्त जयंती के अवसर पर एक भव्य वाहन रैली निकालने का सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया।

  • 🔸 रैली सुबह 8 बजे मुख्य बस स्टैंड तालाब से प्रारंभ होकर शहर के प्रमुख मार्गों से होते हुए एसएलएस कॉलेज, मकरोनिया में पंचकुंडीय गायत्री यज्ञ के साथ समाप्त होगी।
  • 🔸 शहर के 48 वार्डों से कायस्थ समाज के लोग समूह में भाग लेंगे।
  • 🔸 रैली मार्ग में विभिन्न स्थानों पर पुष्पवर्षा और जलपान की व्यवस्था की गई है। 
  • 🔹 बैठक में यह स्पष्ट किया गया कि रैली किसी संगठन के नाम से नहीं, बल्कि केवल कायस्थ समाज के नाम से आयोजित की जाएगी।
  • 🔹 रैली की अगली तैयारी बैठक 20 अप्रैल को शाम 5 बजे, श्री बालाजी कंस्ट्रक्शन (क्रोमा मॉल, मकरोनिया) में आयोजित की जाएगी।
  • 🔹 बैठक में कायस्थ समाज के कई वरिष्ठजन और युवा सदस्य शामिल हुए और अपने-अपने सुझाव दिए।
  • इस आयोजन का उद्देश्य भगवान चित्रगुप्त जी के सम्मान में समाज को एकजुट करते हुए सांस्कृतिक और धार्मिक भावना को प्रकट करना है।

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भगवान महावीर के अनुसार मनुष्य अपने जीवन में जो धारण करे वही धर्म है। धर्म दिखावा, रूढ़ी, प्रदर्शन किसी के प्रति घृणा नहीं एवं एक दूसरे के प्रति भेदभाव नहीं, बल्कि मानव में मानवीयता के गुणों की विकास शक्ति है।

महावीर स्वामी की साधना आध्यात्मिक चिंतन और मनन का पर्याय है। भगवान महावीर ने जिस जीवन को दर्शाया है, वह वर्तमान परिवेश में सामाजिक समस्याओं का अहिंसात्मक समाधान है। उनकी वाणी ने मानव की दृष्टि को विहंगम बनाया। 

वे महामृत्यु के ध्याता तीर्थंकर थे, जिनके आदर्श और उपदेश आज भी जीवन प्रेरणा का स्रोत बने हुए हैं। भगवान महावीर के पुण्य-स्मरण से हम निश्चित रूप से गौरान्वित होते हैं। महावीर विश्व के महानतम युग प्रवर्तकों में एक हैं। वे पहले इतिहास पुरूष हैं,

जिन्होंने मुक्ति के मार्ग पर बढ़ने के लिए स्त्रियों को भी प्रेरित किया। उनके चिन्तन ने न केवल भारतीय जनमानस को आलोकित किया बल्कि संसार के समस्त प्राणियों के कल्याण का मार्ग भी प्रशस्त किया। भगवान महावीर भारतीय संस्कृति के प्रणेता थे। भारतीय संस्कृति से उनका जीवन दर्शन जुड़ा हुआ है। 

वे जैन धर्म के चौबीसवें तीर्थंकर है। उनसे पहले 23 तीर्थंकर और हुए है। भगवान महावीर ने जो भी कहा वह सर्वोदयी था। उनके सिद्धांतों को देखे तो वे विश्व कल्याण और बंधुत्व की भावना पर आधारित है। जनमानस के अत्याधिक निकट होने के कारण उन्होंने अपनी बात सरल भाषा में ही व्यक्त की। छुआछूत अथवा जात-पात से उनका कोई संबंध नहीं था। 

उनके मुख्य उपदेशों में जियो और जीने दो, सभी प्राणी महान है, मनुष्य की पहचान जन्म से नहीं कर्म से होती है, आत्मा ही अपने गुणों का विकास कर परमात्मा बनती है, शामिल है। 

अहिंसा, सत्य, अपरिग्रह, तप, त्याग और संयम ही जीवन के मूलाधार तत्व है, जैसी शिक्षाएं मानव के संपूर्ण पक्ष को छू लेने वाली हैं। भगवान महावीर की शिक्षा जीवन की आधार-शिला है, जिससे प्रत्येक प्राणी सुख और शांति से रह सकता है।

महावीर के दो पक्ष हैं, आध्यात्मिक एवं सामाजिक। पहले पक्ष में कठोर महाव्रत शामिल है, जिनको अंगीकार कर आत्मा परमात्मा पद प्राप्त होता है। दूसरे पक्ष के संदर्भ में महावीर ने जो दृष्टि दी, वह आज के युग में भी उतनी ही उपयोगी और शाश्वत सत्य है, जितनी ढाई हजार वर्ष पहले थी। 

महावीर का जब अभ्युदय हुआ, तब देश कर्मकाण्ड, वर्गभेद और मानवीय अत्याचार की स्थिति से पीड़ित था। भगवान महावीर ने इसके लिये आवाज उठाई, लेकिन इसके पूर्व स्वयं के जीवन को तप, त्याग, संयम और प्राणी कल्याण की भावना में तपाया। 

भगवान महावीर ने अहिंसा, अपरिग्रह और अनेकांत की एक ऐसी संरचना प्रदान की, जो किसी भी सामाजिक व्यवस्था को सुचारू रूप से संचालित करने के लिये थी। भगवान महावीर ने धर्म की अहिंसात्मक क्रांति की उन्होंने धर्म के आपसी भेदों के विरूद्ध आवाज उठाई तथा धर्म को सीमाओं के कठघरे से बाहर निकालकर स्थापित किया। 

भगवान महावीर ने लोक मंगल की आचरण मूलक भूमिका के व्यावहारिक सामाजिक सूत्र भी प्रतिपादित किये हैं। सृष्टि के प्राणी मात्र के प्रति जब राग-द्वेष के स्थान पर सह-अस्तित्व, मैत्री एवं करूणा की भावना जागृत होती है, तभी उसका चित्त धार्मिक बनता है। 

जब व्यक्ति दूसरों को समभाव से देखता है तो राग-द्वेष का विनाश हो जाता है। उसका मन धार्मिक हो जाता है। राग-द्वेष हीनता धार्मिक बनने की प्रथम सीढ़ी है। समस्त जीवों पर समभाव की दृष्टि रखना ही अंहिसा है।

'अहिंसा' को मानव मानसिकता से जोड़ते हुए भगवान महावीर ने कहा कि अप्रमत्त आत्मा अहिंसक है। अहिंसा से मानवीयता एवं सामाजिकता का जन्म होता है। अपरिग्रह एवं अनेकांतवाद अहिंसा से जुड़ी हुई भावनाएँ हैं। 

अपरिग्रह वस्तुओं के प्रति ममत्वहीनता का नाम है। परिग्रह की प्रवृत्ति उनकी मानवीयता का विनाश करती है। अनेकांत व्यक्ति के अहंकार को झकझोरता है। उसकी आंतरिक दृष्टि के सामने प्रश्नवाचक चिन्ह लगाता है।

इस प्रकार महावीर दर्शन मौजूदा प्रजातांत्रिक शासन व्यवस्था तथा वैज्ञानिक सापेक्षवादी चिन्तन के भी अनुरूप है। मानव के भीतर अशांति, उद्वेग तथा मानसिक तनावों को दूर करता है। 

यदि मानव के अस्तित्व को बरकरार रखना है तो भगवान महावीर की वाणी को आज के संदर्भ में व्याख्यायित करना होगा। हम अपने चिंतन और मनन में उदारता लाएं तथा सह-अस्तित्व की भावना को आत्मसात कर प्राणी जगत का कल्याण करने का संकल्प लें। 

लेख: प्रलय श्रीवास्तव, पूर्व संभागीय संयुक्त संचालक, जनसंपर्क विभाग, मप्र 

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 मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने सागर जिला निवासी अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त लोकनृत्य कलाकार पद्मश्री रामसहाय पांडे के निधन पर दुख व्यक्त किया है।

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि श्री राम सहाय पांडे ने विपरीत परिस्थितियों में कला क्षेत्र को अपनाया और धारा के विपरीत बहते हुए इस क्षेत्र में अनेक उपलब्धियां अर्जित कीं। भारत के साथ अन्य देशों में भी उन्होंने बुंदेलखंड के राई लोक नृत्य को पहचान दिलवाई। उनके योगदान को रेखांकित करते हुए भारत सरकार द्वारा श्री पांडे को पद्मश्री से अलंकृत किया गया।

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि बुंदेलखंड के गौरव, लोकनृत्य राई को वैश्विक पहचान दिलाने वाले लोक कलाकार पद्मश्री श्री पांडे का निधन मध्यप्रदेश और कला जगत के लिए अपूरणीय क्षति है। लोक कला एवं संस्कृति को समर्पित उनका सम्पूर्ण जीवन हमें सदैव प्रेरित करता रहेगा।

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने स्व. पांडे को श्रद्धांजलि देते हुए उनकी आत्मा की शांति और शोकाकुल परिवार को यह दुख सहने करने की सामर्थ्य देने की ईश्वर से प्रार्थना की है।

बुंदेलखंड की पहचान 

लोक नृत्य राई के प्रसिद्ध कलाकार और पद्मश्री सम्मानित रामसहाय पांडे का निधन सागर के एक निजी अस्पताल में लंबी बीमारी के बाद हो गया। उनके निधन पर जनप्रतिनिधियों, प्रशासनिक अधिकारियों, सांस्कृतिक क्षेत्र से जुड़े लोगों और आम नागरिकों ने श्रद्धांजलि अर्पित की।

सागर विधायक शैलेन्द्र जैन, जिला पंचायत अध्यक्ष हीरा सिंह राजपूत, महापौर प्रतिनिधि सुशील तिवारी, और प्रशासनिक अधिकारियों सहित कई गणमान्य व्यक्तियों ने श्रद्धा सुमन अर्पित किए। संभाग आयुक्त डॉ. वीरेंद्र सिंह रावत और कलेक्टर संदीप जी आर ने उनके निधन को लोक संस्कृति के लिए अपूरणीय क्षति बताया।

रामसहाय पांडे (जन्म 11 मार्च 1933) ने राई नृत्य को सामाजिक मान्यता दिलाने में जीवन समर्पित कर दिया। वे बेड़िया समुदाय से नहीं थे, फिर भी उन्होंने इस परंपरागत नृत्य को राष्ट्रीय पहचान दिलाई। उन्हें 2022 में पद्मश्री, नृत्य शिरोमणि, और शिखर सम्मान सहित कई पुरस्कार मिले। उनकी अंतिम विदाई पूरे सम्मान के साथ की गई, मुखाग्नि उनके पुत्र संतोष पांडे ने दी।

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विश्व रंगमंच के उपलक्ष्य में डॉक्टर हरीसिंह गौर विश्वविद्यालय सागर के सांस्कृतिक परिषद और युगसृष्टि थियेटर ग्रुप, सागर के संयुक्त तत्त्वावधान में आठ दिवसीय ‘प्रथम सागर रंग महोत्सव 2025’ का आयोजन किया जा रहा है। 

इसकी शुरुआत विश्व रंगमंच 27 मार्च से होगी और हिन्दी रंगमंच दिवस 3 अप्रैल तक यह महोत्सव चलेगा।  प्रत्येक दिवस एक नाटक का मंचन होगा। 

सांस्कृतिक परिषद् के समन्वयक एवं आयोजन सचिव डॉ. राकेश सोनी ने बताया कि प्रत्येक दिन नाट्य प्रस्तुति के साथ ही रंग संगीत, नृत्य एवं कलाओं से सम्बंधित कार्यशालाएं, विचार-विमर्श इत्यादि का आयोजन भी किया जायेगा। 

 उद्घाटन सत्र 27 मार्च 2025 (विश्व रंगमंच दिवस) को शाम 6:30 बजे आयोजित है आठ दिवसीय रंग महोत्सव में पहले दिन 

  • 27 मार्च 2025 को असगर वजाहत लिखित एवं विवेकानंद सोनी द्वारा निर्देशित ‘पाकिटमार रंगमंडल’, 
  • 28 मार्च को अनुपम कुमार लिखित एवं डॉ. राकेश सोनी द्वारा निर्देशित ‘मृगतृष्णा’, 29 मार्च को कालिदास लिखित एवं रोहित रजक निर्देशित ‘शकुन्तला’, 
  • 30 मार्च को महेश एलकुंचवार लिखित एवं आकाश विश्वकर्मा द्वारा निर्देशित ‘होली’,

 31 मार्च को वेकन्ट रवण सूरी लिखित एवं आनंद अग्रवाल द्वारा निर्देशित ‘इग्गप्प हेगड़े का विवाह’

  • 1 अप्रैल को आकाश विश्वकर्मा द्वारा लिखित एवं निर्देशित ‘इश्कियापा’,
  • 2 अप्रैल को मच्छिन्द्र मोरे लिखित एवं अल्ताफ मुलानी निर्देशित ‘जानेमन’ तथा
  • 3 अप्रैल को गिरीश कर्नाड लिखित एवं मधुसूदन पांडे व मयंक विश्वकर्मा द्वारा निर्देशित ‘हयवदन’ की प्रस्तुतियां दी जायेंगी। 

 इस महोत्सव के सह सचिव सहायक प्राध्यापक अल्ताफ मुलानी एवं समन्वयक सहायक प्राध्यापक डॉ. नीरज उपाध्याय हैं. समस्त नाट्य प्रस्तुतियां विश्वविद्यालय के प्रदर्शनकारी कला विभाग परिसर में सायं 7 बजे से होंगी। 

दिन के समय में अकादमिक कार्यक्रम, कार्यशाला एवं विचार गोष्ठी आयोजित की जायेगी।  डॉ. राकेश सोनी ने  विश्वविद्यालय परिवार सहित सागर शहर के समस्त नागरिकों और कला प्रेमियों को पहली बार आयोजित  सागर रंग महोत्सव में पधारने की अपील की है।

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बुंदेलखंडी लोकगीत चिलम तंबाकू का डब्बा... चर्चित हुए जबलपुर के गायक नरोत्तम बेन अब बॉलीवुड में भी अपने लिए जगह बनाते जा रहे हैंगायक के रूप में मुंबई फिल्म इंडस्ट्री में यह नई पारी की शुरुआत 21 मार्च को प्रदर्शित हुई फिल्म 'पिंटू की पप्पी' में भी वो अपनी आवाज का जादू बिखेरते देखे जा सकेंगे 

जबलपुर के रंगकर्मी और मुंबई फिल्म इंडस्ट्री के जाना पहचाना नाम बेहतरीन अभिनेता नरोत्तम बेन गायक के रूप में 21 मार्च को पूरे देश में रीलिज हुई 'पिंटू की पप्पी' फिल्म के जरिए सुर्खी बटोर रहे हैं। नरोत्तम बेन की गायक के रूप में मुंबई फिल्म इंडस्ट्री में यह नई पारी है।

निर्माता-कोरियोग्राफर-एक्टर गणेश आचार्य  की फिल्म पिंटू की पप्पी में वैसे तो कई गाने हैं लेकिन नरोत्तम बेन का गाया गीत-अरा . ररा . ररा बिन्नू बेला कली ..फिल्म रिलीज होने से पहले ही खासा लोकप्रिय हो गया। इस गीत को अब खूब और जमकर सुना जा रहा है। उनकी आवाज़ का जादू देश भर में बिखर रहा है।

बता दें कि फिल्म में उदित नारायण, शान, हिमेश रेशमिया, श्रेया घोषाल, सुनिधि चौहान, जावेद अली जैसे गायकों ने गीत गाए हैं लेकिन गणेश आचार्य ने नरोत्तम बेन की आवाज़ और अंदाज को देख कर उनसे अरा . ररा . ररा बिन्नू बेला कली गीत को गाने का अवसर दिया।

पिंटू की पप्पी फिल्म में सफल गायन के बाद नरोत्तम बेन भविष्य में  अभिनय के साथ पार्श्व गायन में नई पहचान बनाएंगे। नरोत्तम बेन को ढेर सारी बधाई।

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संगीत विभाग डॉ हरीसिंह गौर विश्वविद्यालय सागर एवं प्राचीन कला केन्द्र चंडीगढ़ के संयुक्त तत्वावधान मे 24 व 25 मार्च दो दिवसीय "नाद रंग-सुर ताल संग" नामक विषय पर गायन वादन कार्यशाला का आयोजन रंगनाथन भवन में होगा, जिसमें भारत वर्ष के वरिष्ठ कलाकार अपनी प्रस्तुति देंगे।  

24 मार्च को 

  • पूना से पधारे विशाल मोघे शास्त्रीय गायन की,
  •  खैरागढ़ से पधारे दीपक दास महंत एकल तबला वादन की एवं 
  • मुंबई से पधारे पंडित कैलास पात्रा वायलिन वादन की प्रस्तुति देंगे।  


25 मार्च को 

  • पूना के  मनोज सोलंके का पखावज़ वादन, 
  • दिल्ली से पधारे दिव्यांस श्रीवास्तव संतूर वादन एवं 
  • दिल्ली विश्वविद्यालय से डॉ अविनाश कुमार शास्त्रीय गायन की प्रस्तुति देंगे। 

इस अवसर पर प्राचीन कला केंद्र के निदेशक सजल कोसर, डॉ देवेंद्र वर्मा "ब्रजरंग" मुख्य अतिथि व संगोष्ठी समन्वयक डॉ राहुल स्वर्णकार होंगे।

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भारतीय जनता पार्टी के युवा नेता अविराज सिंह ने होली मिलन समारोह में कहा कि  होली राष्ट्रीय एकता और सद्भाव का पर्व है और यह भावना पूरे वर्ष बनी रहनी चाहिए। देश की संस्कृति को आगे बढ़ाने के लिए सभी नागरिकों को धर्म के अनुरूप आचरण करना चाहिए। 

उन्होंने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) प्रमुख मोहन भागवत जी के विचारों का समर्थन करते हुए कहा कि हिंदुत्व की संस्कृति ही भारत की रीढ़ है और जब यह आगे बढ़ेगी, तभी भारत विश्वगुरु बनेगा।

उन्होंने RSS के पांच संकल्पों और डॉ. हेडगेवार के विचारों का उल्लेख करते हुए कहा कि कलयुग में संगठन सबसे बड़ी शक्ति है। होलिका दहन का महत्व बताते हुए उन्होंने कहा कि अहंकार के कारण हिरण्यकश्यप का अंत हुआ, और संस्कार से सब कुछ पाया जा सकता है।

अविराज सिंह ने समारोह में आए RSS पदाधिकारियों व गणमान्य नागरिकों का स्वागत करते हुए शुभकामनाएं दीं।

मुख्य अतिथियों के विचार:

  • पूर्व गृह मंत्री व विधायक भूपेंद्र सिंह ने सभी को शुभकामनाएं दीं।
  • भाजपा जिला अध्यक्ष श्याम तिवारी ने कहा कि अविराज सिंह के विचार युवाओं के लिए प्रेरणादायक हैं।
  • भाजपा के वरिष्ठ नेता डॉ. सुशील तिवारी ने कहा कि बच्चों को अविराज सिंह से संस्कारों की प्रेरणा लेनी चाहिए।

समारोह में भोपाल की आर्केस्ट्रा पार्टी और स्थानीय कलाकारों ने गीत-संगीत और नृत्य प्रस्तुत किए। गुलाल की फुहारों और पुष्प वर्षा के बीच सभी ने होली के पारंपरिक गीतों का आनंद लिया।

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बुंदेलखंड की होली से जुड़ी एक 300 से साल से ज्यादा पुरानी परंपरा है। जब बिहारी जी सरकार अपने भक्तों के साथ होली खेलने राजमंदिर से बाहर आते हैं और पूरा माहौल रंग गुलाल से सराबोर हो जाता है। जबकि रंगपंचमी के दिन बिहारी जी राजमंदिर में ही सिर्फ महिलाओं के साथ होली खेलते हैं 

सागर के सर्राफा बाजार में स्थित देव अटल बिहारी जी सरकार का मंदिर सागर शहर ही नहीं बल्कि आसपास के लोगों का आस्था का केंद्र हैै। यहां होली, दीपावली और सावन के महीने से जुड़ी कई तरह की परंपराएं हैं। जिनको सागर शहर के लोग आस्था और भक्ति के साथ मनाते हैं।

सागर के इस मंदिर का निर्माण निंबार्क परम्परा के संत श्री श्री 108 स्वामी दयालदास महाराज ने कराया था। हालांकि इस मंदिर का कोई लिखित इतिहास नहीं है, लेकिन स्थानीय लोगों का कहना है कि मंदिर 300 साल से ज्यादा पुराना है। ये मंदिर सागर शहर वासियों की अपार आस्था का केंद्र है और यहां लोग बिहारी जी को सखी रूप में पूजते हैं।

मंदिर की होली से जुड़ी ऐतिहासिक परंपरा


श्री देव अटल बिहारी जी सरकार की बात करें, तो होली, दीपावली और सावन से जुड़ी अलग-अलग परंपराएं हैं जिनको मंदिर निर्माण के समय से ही स्थानीय लोग आस्था और श्रृद्धा के साथ मनाते आ रहे हैं। इसी तरह से होली से जुड़ी परंपरा मंदिर निर्माण के समय से चली आ रही है।

यहां होली के दिन बिहारी जी सरकार अपने भक्तों के साथ होली खेलने राजमंदिर से बाहर निकलते हैं. यहां होली के दिन शाम को ये परंपरा निभायी जाती है बिहारी जी के साथ होली खेलने के इच्छुक भक्तगण सुबह से ही मंदिर के बाहर इकट्ठा होने लगते हैं और बिहारी जी के राजनिवास से बाहर निकलने का इंतजार करते हैं. जब बिहारी जी राजनिवास से बाहर निकलते हैं, तो सागर के सर्राफा बाजार का माहौल मथुरा वृंदावन से कम नजर नहीं आता है।

कैसे मनाते हैं बिहारी जी सरकार होली

मंदिर के पुजारी अमित चांचोदिया बताते हैं कि होलिका दहन के दूसरे दिन धुरेड़ी के दिन राजमंदिर से बाहर अपने भक्तों के साथ होली खेलने आते हैं. इसमें लोग रंग, गुलाल खेलते हैं और फागें गाते हैं। शाम के समय बिहारी जी की होली शुरू होती है, ये देर रात होली चलती है. भक्तों की मंडली फागें गाती है देर रात आरती होती है और फिर प्रसाद वितरण होता है. काफी धूमधाम से होली होती है, खूब रंग गुलाल होता है।

रंगपंचमी की परंपरा

वहीं दूसरी तरफ बिहारी के  सिर्फ महिलाओं के संग होली खेलने के सम्बन्ध में मंदिर के पुजारी ने बताया  पुजारी अमित चांचोदिया बताया कि बिहारी जी की भक्त महिलाओं ने इस बात पर एतराज किया था कि बिहारी जी के साथ उन्हें होली खेलने नहीं मिल पाती है 
बताया गया  कि बिहारी जी जब होली के दिन जब बिहारी जी शहर से बाहर निकलते हैं,तो पुरूष वर्ग ज्यादा होने के कारण महिलाओं को अवसर नहीं मिल पाता था। तब से ये तय किया गया कि रंगपंचमी के दिन बिहारी जी राजमंदिर में ही सिर्फ महिलाओं के साथ होली खेलते हैं तब पुरूषों को मंदिर में प्रवेश तो मिलता है, लेकिन उन्हें मर्यादा में रहना होता है।

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 यह सिर्फ एक दिन का आयोजन नहीं बल्कि हर दिन नारी सम्मान का दिन है। सागर सांसद  लता वानखेड़े ने यह विचार अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर भोपाल में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की मौजूदगी में आयोजित कार्यक्रम का सीधा प्रसारण देखने के लिए स्थानीय महाकवि पद्माकर सभागार में शामिल हुईं महिलाओं को अपने संबोधन के दौरान व्यक्त किये 

उन्होंने बताया कि अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस की शुरुआत 1908 में महिलाओं के अधिकारों की वकालत के रूप में हुई थी। साथ ही महिलाओं को अपनी शक्ति पहचानने और आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया।  

 इसी सिलसिले में जहां सागर विधायक शैलेंद्र जैन ने कहा कि भारत में मातृभूमि को नमन करने की परंपरा अद्वितीय है, और नारी शक्ति भी प्रथम पूजनीय है। 

वहीं  महापौर  संगीता तिवारी ने कहा कि हर दिन शक्ति का पर्व है और महिलाएं समाज के हर क्षेत्र में अपनी पहचान बना चुकी हैं। 

जिला पंचायत अध्यक्ष हीरा सिंह राजपूत ने महिलाओं के सम्मान को समाज की उन्नति से जोड़ा और वीरांगनाओं के योगदान को रेखांकित किया। 

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इस अवसर पर कई गणमान्य व्यक्तियों की उपस्थिति रही। कार्यक्रम में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव का लाइव प्रसारण देखा गया, साथ ही, महिला सशक्तिकरण में उत्कृष्ट कार्य करने वाली बेटियों, आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं, आशा कार्यकर्ताओं, एएनएम, पर्यवेक्षकों और एनजीओ को सम्मानित किया गया।

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केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री डॉ. वीरेंद्र कुमार ने सागर जिले के गढ़ाकोटा में तीन दिवसीय रहस मेले का उद्घाटन किया। उन्होंने कहा कि दिव्यांगजनों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए दिव्य कला मेला का आयोजन किया जा रहा है, जिसमें अब तक 24 मेलों में 1500 दिव्यांगों ने 19 करोड़ रुपये का व्यवसाय किया है। भविष्य में इस पहल को और विस्तारित किया जाएगा।

मंत्री ने बताया कि स्वच्छता कर्मियों की सुरक्षा के लिए "नमस्ते योजना" शुरू की गई है, जिससे काम के दौरान होने वाली दुर्घटनाओं को रोका जाएगा। अनुसूचित जाति एवं पिछड़े वर्गों के लिए विदेश में उच्च शिक्षा हेतु नई योजनाएँ भी बनाई गई हैं।

सागर में शीघ्र ही एक दिव्यांग पार्क स्थापित किया जाएगा, जिसमें विशेष सुविधाएँ उपलब्ध कराई जाएंगी। साथ ही, सुनने और बोलने में अक्षम 0-5 वर्ष के बच्चों की सर्जरी के लिए सरकार विशेष प्रयास कर रही है, जिसके तहत अब तक 6500 बच्चों का सफल ऑपरेशन किया जा चुका है।

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विधायक गोपाल भार्गव ने रहस मेले के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि यह प्राचीन संस्कृति को संरक्षित करने का माध्यम है। मेले में लोक कल्याणकारी योजनाओं के लाभार्थियों को सुविधाएँ दी जा रही हैं, साथ ही नि:शुल्क स्वास्थ्य परीक्षण और दवा वितरण भी किया जा रहा है।


मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव का 28 फरवरी को बुंदेलखंड स्तरीय किसान सम्मेलन के तहत गढ़ाकोटा में आयोजित रहस लोकोत्सव एवं अन्य स्थानीय कार्यक्रमों में शामिल होंगे। इसके साथ ही उनका सागर के बड़तूमा में बन रहे संत रविदास मंदिर एवं संग्रहालय का निरीक्षण भी करेंगे।

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अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस को मनाने का उद्देश्य व्यक्तियों के मध्य भाषाओं की प्रति प्रेम व संरक्षण देना है।अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस के उपलक्ष पर पंडित दीनदयाल उपाध्याय शासकीय कला एवं वाणिज्य अग्रणी महाविद्यालय में भारतीय ज्ञान परंपरा प्रकोष्ठ द्वारा 'भारतीय भाषाएं एवं भारतीय ज्ञान परंपरा' विषय पर संगोष्ठी निबंध तथा भाषण प्रतियोगिता का आयोजन पर संगोष्ठी के मुख्य वक्ता अनुभवी शिक्षाविद सुखदेव तिवारी ने व्यक्त किये

इसी सिलसिले में उन्होंने  संस्कृत को ज्ञान का अथाह भंडार बताते हुए विभिन्न प्रसंगों से विद्यार्थियों को प्राचीन भारतीयों के ज्ञान का परिचय कराया। उन्होंने हिंदी भाषा में भावनाओं और संवेगों को व्यक्त करने की सशक्तता को रोचक उदाहरणों के साथ समझाया 

विषय को आगे बढ़ाते हुए हिंदी के सहायक प्राध्यापक डॉ.राणा कुंजर सिंह ने अपनी मातृभाषा को अपने अस्तित्व एवं संस्कृति की पहचान बताते हुए कहा कि विश्व के कई देश ऐसे हैं जहां विदेशी भाषा को अपना लेने के कारण उनकी मौलिक संस्कृति, रीति रिवाज, परंपरायें नष्ट हो गई अतःअपनी मौलिकता और अनूठापन सहेजने के लिए मातृभाषा का उपयोग सम्मान एवं गर्व के साथ होना चाहिए ।

संगोष्ठी में उद्बोधन के क्रम को आगे बढ़ाते हुए महाविद्यालय की हिंदी प्राध्यापक डॉ रंजना मिश्रा ने भारत को 300 से भी अधिक भाषाओं का घर बताते हुए बुंदेली भाषा में भावों के संप्रेषण की असीम क्षमता को प्रसंग के द्वारा व्यक्त किया साथ ही उन्होंने हिंदी की अन्य भाषाओं की शब्दावली को ग्रहण करने की एवं आत्मसात करने की अद्भुत क्षमता की बात कही।

उन्होंने भारतीय भाषाओं के विकास के लिए सरकार द्वारा विभिन्न तकनीक एवं व्यवसायिक विषयों की पाठ्य पुस्तकों के अनुवाद करवाये जाने की भी सराहना की। 

  • निबंध प्रतियोगिता में 
  • मुस्कान साहू प्रथम
  • अभिषेक अहिरवार द्वितीय 
  • सृष्टि बोहरे तृतीय स्थान तथा 
  • भाषण प्रतियोगिता में उमाकांत कटारे प्रथम, 
  • रमेश बंजारा द्वितीय तथा 
  • विनीता लोधी ने तृतीय स्थान प्राप्त किया।

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Sagar Watch News/s सुरखी विधानसभा क्षेत्र में आने वाले देवलचौरी गाँव में ग्राम वासियों और आयोजकों ने भगवान श्री राम की लीलाओं के मंचन की परंपरा को 120 वर्षों से निरंतर श्रद्धापूर्वक निर्वाह करते हुए इस रामलीला आयोजन को जिले और प्रदेश की समृद्ध परंपरा बना दिया है। 

आज इसी रामलीला कार्यक्रम देखने पहुंचे पूर्व गृहमंत्री, खुरई विधायक भूपेन्द्र सिंह ने व्यक्तिगत रूप से आयोजन समिति को 51 हजार रुपए भेंट करते हुए कहा कि 120 वर्ष बड़ा कालखंड है और आज श्री रामलीला का आयोजन मंचन महंगा और कठिन होता है पर देवलचौरी के आयोजनकर्ता बधाई और प्रशंसा के पात्र हैं।

आयोजन समिति के प्रमुख अजय तिवारी देवलचौरी ने बताया कि जिस चबूतरे पर श्री रामलीला का आयोजन हो रहा है उसे सुरखी विधायक रहते हुए भूपेन्द्र भैया ने विधायक निधि से बनवाया था। श्री सिंह ने कोरोना काल में भी यह आयोजन नहीं
रुकने दिया,
उस दौरान पुलिस आयोजन को रोकने पहुंची तो अजय तिवारी की सूचना पर उन्होंने ही हस्तक्षेप करके अनुमति दिलाई थी ताकि प्राचीन परंपरा की निरंतरता बनी रहे। उन्होंने यह परंपरा अक्षुण्ण रखने के लिए ग्रामवासियों को धन्यवाद दिया।

इस अवसर पर अपने संबोधन में पूर्व गृहमंत्री, खुरई विधायक श्री भूपेन्द्र सिंह ने कहा कि मेरे आने का उद्देश्य ही यह था कि मैं इस रामलीला आयोजन के आयोजकों व कलाकारों का अभिनंदन करना चाहता था। 

पूर्व मंत्री भूपेंद्र सिंह ने कहा कि हम सभी जीवन में भगवान श्री राम के आदर्शों,मर्यादाओं और धर्म पर चलें तो समाज और जीवन में सुख शांति समृद्धि आती रहती है। उन्होंने कहा कि भगवान श्री राम यदि 14 वर्ष के वनवासी जीवन में संघर्षों से नहीं गुजरते तो संभवतः वे भगवान के स्थान पर सिर्फ एक राजकुमार ही होते। 

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उन्होंने कहा कि हमें रामायण से यह सीख मिलती है कि भगवानों को भी जीवन में संघर्ष करना पड़ता है, बिना संघर्ष के जीवन में कुछ नहीं मिलता और यदि मिलता भी है तो उसका कोई मूल्य नहीं रहता। उन्होंने अत्याचार,अनीति, अधर्म के विरुद्ध लड़ते हुए रावण के अत्याचारों को समाप्त किया। 

इस आयोजन को देखने से जीवन में अच्छाई बुराई का भेद हमेशा स्मरण होता रहता है और यह स्मरण भी मिलता है कि भगवान श्री राम शाश्वत रूप से हमारे जीवन में रहते हैं। उन पर अटूट आस्था रखने वाले को वे कभी निराश नहीं करते और संकट में सहायता के लिए सदैव उपस्थित रहते हैं।

पूर्व गृहमंत्री खुरई विधायक भूपेन्द्र सिंह ने रामलीला के सीता स्वयंवर व श्री राम द्वारा शिव जी का धनुष तोड़ने का प्रसंग देखा। उन्होंने मंच पर स्वयंवर हेतु पधारे श्रीराम लक्ष्मण और उनके गुरु ऋषि तथा भगवान शिव जी के धनुष का पुष्प हार से अभिनंदन किया।

अनेक ग्रामों में हुआ पूर्व गृहमंत्री का स्वागत

आयोजक अजय तिवारी देवलचौरी के परिवार ने पूर्व मंत्री भूपेंद्र सिंह का अभिनदन किया। सागर से देवलचौरी तक के मार्ग में भापेल स्थित जैसीनगर तिगड्डा, सत्ता ढाना,सेमाढाना, सरखड़ी, नयाखेड़ा और सागौनी गुरु में पूर्व गृहमंत्री खुरई विधायक भूपेन्द्र सिंह का स्थानीय जनता द्वारा जोरदार स्वागत किया गया। सरखड़ी में फलों से तुलादान किया गया।

कार्यक्रम में महापौर प्रतिनिधि डा सुशील तिवारी, मंगल सिंह सागौनी, सोमेश जड़िया, महेश साहू, लक्ष्मण सिंह, अतुल नेमा, उमेश यादव, अभिषेक तिवारी नयाखेड़ा, प्रदीप पप्पू गुप्ता सचिन सिंह सागौनी, सुरेन्द्र तिवारी, संतोष दुबे, राजू तिवारी, शरद जैन, विजय नीखरा, निकेश गुप्ता, प्रतीक चौकसे, आदित्य राजा मैनवारा, अंकित विश्वकर्मा शुभम घोसी, बाटू दुबे, मधुर तिवारी, मनोज शुक्ला, शुभम साहू, अत्तू यादव सहित हजारों की संख्या में ग्रामीणजन उपस्थित रहे।