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Sagar Watch News

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पूर्व गृहमंत्री, वरिष्ठ विधायक भूपेन्द्र सिंह के जन्मदिन के उपलक्ष्य में आयोजित वृहद रक्तदान शिविर के तीसरे दिन 359 लोगों ने रक्तदान किया है। तीन दिनों में एकत्रित रक्त की कुल मात्रा 1105 यूनिट हो चुकी है।

रक्तदान शिविर के तीसरे दिन रक्तदानियों की उपस्थिति इतनी अधिक थी कि जिले के स्वास्थ्य महकमे को दीपाली परिसर के वातानुकूलित इंपीरियल हाल के 60 बिस्तरों के हाल के साथ 40 और बेड लगा कर कोहेनूर हाल को भी रक्तदान के लिए खोला गया। 

लगभग 100 बिस्तरों की क्षमता के साथ दिन भर रक्तदान हुआ और लोग अपनी बारी के लिए बेड खाली होने की प्रतीक्षा करते रहे। नर्सिंग स्टाफ की  सक्रियता और कुशलता  रक्तदानियों की तरह ही द्रुत गति में थी। 

जनप्रतिनिधि, नेता, अधिकारी, कार्यकर्ता, स्वयंसेवी, सामाजिक संगठन, कर्मचारियों के संगठन, धार्मिक संगठन, मीडिया और पत्रकार समूह, पारिवारिक इकाइयां रक्तदान के लिए समूह बद्ध होकर आती रहीं। 

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जिले के दो विकासखंडों के एसडीएम रवीश श्रीवास्तव बंडा,  मनोज चौरसिया खुरई, तहसीलदार खुरई यशोवर्धन सिंह, पूर्व गृहमंत्री व वरिष्ठ विधायक  भूपेन्द्र सिंह की बेटी कु. उपमा सिंह ने रक्तदान किया जिन्हें मिलाकर भूपेन्द्र सिंह के कुल 19 परिजनों ने शिविर में रक्तदान किया है। 

सागर नगर निगम परिषद के अध्यक्ष वृंदावन अहिरवार, निगम पार्षद रूबी पटेल, पार्षद धर्मेंद्र गुड्डा खटीक, राजकुमार पटेल के परिजनों, एम आई सी सदस्य विनोद तिवारी के पुत्र वारिज तिवारी ने समर्थकों सहित, मालथौन नगर परिषद की अध्यक्ष मीना कुशवाहा, मालथौन नगर परिषद उपाध्यक्ष  मालती अहिरवार और उनके पति धर्मेंद्र अहिरवार ने 13 लोगों के साथ, मालथौन जनपद उपाध्यक्ष बलवीर सिंह सहित अनेक गणमान्य रक्तदान करने आए। 

इनमें से लगभग सभी अकेले नहीं बल्कि समर्थक समूहों में रक्तदान कर रहे थे। भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चे के अजमेरी राइन के साथ मुस्लिम समुदाय के 17 साथियों ने रक्तदान किया। सिंधी समाज के सुरेश हसरेजा और चंदू बुधवानी के साथ समाज के आठ सदस्यों ने रक्त दिया। खुरई के 5 और मालथौन बरोदिया के 3 पत्रकारों ने रक्तदान के यज्ञ में अपना योगदान दिया।

भोपाल से गोलू चौकसे, विदिशा जिले के गंजबासौदा तहसील के उदयपुर  से अमन चौरसिया, शुभम राय, आशीष साहू ने रक्तदान किया। क्षत्रिय महासभा की युवा शाखा के अध्यक्ष राहुल सिंह चौरा के नेतृत्व में रहली के 24 युवाओं के समूह ने रक्तदान किया। बीना के पूर्व विधायक महेश राय और वरिष्ठ भाजपा नेता संजय बापट के नेतृत्व में बड़े रक्तदाता समूहों ने रक्तदान किया। 

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बीना के आकाश सिंह गोदना के साथ आज उनकी पत्नी और भाभी बीना से रक्तदान करने यहां पहुंचीं। जीआरपी थाने के कांस्टेबल श्याम सुंदर चौबे इस शिविर से प्रभावित होकर आए और रक्तदान करके गये। जनपद पंचायत मालथौन के स्टाफ, कई सरपंचों, अनेक सचिवों, सहायक सचिवों ने 20 लोगों के समूह में आकर रक्तदान किया। 

दीपक मेमोरियल स्कूल के शिक्षकीय स्टाफ ने, रक्तदान किया। एमपीईबी के अधिकारी  अरजरिया ने अपने परिजनों और साथियों सहित रक्तदान किया। मालथौन के रावराजा राजपूत के नेतृत्व में अवधेश लोधी, निशांत मिश्रा, सचिन लोधी, राशिद खान, सौरभ मोदी बांदरी, पवन यादव बिदवासन सहित अनेक युवाओं ने रक्तदान किया। सागर के पार्षद रामू ठेकेदार के साथ बंसल समाज के 5 सदस्यों ने रक्तदान किया। पिठौरिया, ढाबरी से आज भी अनेक रक्तदाता आए।

महिला रक्तदान का एतिहासिक दिन

एक ही रक्तदान शिविर में लगभग 40 महिलाओं ने रक्तदान किया हो यह आज रक्तदान शिविर का आश्चर्यजनक तथ्य है। खुरई की अनुराधा शुक्ला ने आज रक्तदान की शुरुआत की। तत्पश्चात पूर्व गृहमंत्री, खुरई विधायक  भूपेन्द्र सिंह की पुत्री कु उपमा सिंह, कला लोधी, साधना गंधर्व, दिव्या लोधी, लता मलैया, विशाखा विश्वकर्मा, पुष्पा अहिरवार, भाग्य श्री अहिरवार, बरोदिया नगर परिषद अध्यक्ष मीना देवी कुशवाहा ने अनेक महिलाओं के साथ, मालथौन नप उपाध्यक्ष  मालती धर्मेंद्र अहिरवार ने स्व-सहायता समूह की महिलाओं के साथ, मालथौन की महिला मोर्चा की पूर्व मंडल अध्यक्ष सीमा राय ने परिजनों सहित, हेमलता मालवीय ने परिजनों सहित, विशाखा राजपूत, विनीता यादव, रीना राजकुमार राय, वर्षा सिंह गोदना, श्रीमती काजल आकाश सिंह गोदना, सोमनाथ पुरम की सिद्धि शुक्ला, खुरई से संत रविदास वार्ड की पार्षद कुसुम राजहंस, क्रांति चौधरी, कल्पना अहिरवार ने रक्तदान किया है। 

पार्षद रूबी पटेल ने परिजनों सहित, शालू वाल्मीकि ने परिजनों सहित रक्तदान किया। याकृति जड़िया ने भी आज शिविर में आकर रक्तदानियों को प्रेरित किया। स्वास्थ्य विभाग का मानना है कि स्वस्थ महिलाओं को रक्तदान के लिए आगे आना चाहिए लेकिन इस वर्ग में इसके लिए जागरूकता की कमी देखी गई है। दीपाली परिसर में अब तक लगभग 45 महिलाओं का रक्तदान हो चुका है और शिविर की समाप्ति तक यह संख्या इतनी ही और बढ़ सकती है। महिला रक्तदान के लिए यह आंकड़ा बड़ा उत्साह जनक है।

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भारत में मप्र के सागर में स्थित नौरादेही (वीरांगना रानी दुर्गावती टाइगर रिजर्व)  देश-दुनिया के लिए पहला प्रयोग होने जा रहा है जहां चीता-टाइगर साथ रहेंगे हाल ही में भारतीय वन्यजीव संस्थान (Indian Institute of Wildlife-WII) देहरादून ने चीते की बसाहट के लिए दो नए स्थान चिन्हित किए हैं। उनमें से एक स्थान  मप्र के सागर स्थित  टाइगर रिजर्व को शामिल किया गया है। सागर के अलावा दूसरा स्थान  जबकि दूसरा स्थान गुजरात का  बन्नी ग्रासलैंड रिजर्व  है  

भारतीय वन्यजीव संस्थान (Indian Institute of Wildlife-WII) भारत के चीता प्रोजेक्ट की नोडल एजेंसी भी है। माना जा रहा है कि अगले वर्ष तक यहां चीतों की विस्थापन  हो जाएगी। अगर ऐसा होता है तो वीरांगना रानी दुर्गावती टाइगर रिजर्व देश का पहला ऐसा वन्यजीव क्षेत्र  होगा। जहां बिग केट फेमिली (Big Cat Family) के तीन सदस्य एक साथ देखने मिलेंगे। 

वर्तमान में  रिजर्व में बाघ और तेंदुए की बसाहट है। चीतों के आने से इस परिवार की तीन प्रजातियां हो जाएंगी। गौरतलब है  कि देश में चीतों की बसाहट के लिए भारतीय वन्यजीव संस्थान (Indian Institute of Wildlife-WII) ने देश में सबसे पहले सागर के इस टाइगर रिजर्व को चिन्हित किया था। वर्ष 2010 में यहां सर्वे किया गया था। जिसमें रिजर्व की तीन परिक्षेत्र  मुहली, सिंहपुर और झापन को चीता की बसाहट के अनुकूल माना गया था।

राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण(एनटीसीए) के डीआईजी डॉ. वीबी माथुर और भारतीय वन्यजीव संस्थान (Indian Institute of Wildlife-WII)  के एक वरिष्ठ वैज्ञानिक ने डिप्टी डायरेक्टर डॉ. एए अंसारी के साथ वीरांगना रानी दुर्गावती टाइगर रिजर्व की उक्त तीनों रेंज मुहली, झापन और सिंहपुर का दो दिन तक मैदानी मुआयना किया। 

जानकारों के अनुसार यह तीनों रेंज चीता की बसाहट के लिए आदर्श स्थान हैं। यहां लंबे-लंबे मैदान हैं। जिनमें यह जीव दौड़-दौड़कर शिकार कर सकेगा। इन तीनों रेंज का क्षेत्रफल करीब ६०० वर्गकिमी है। जबकि रिजर्व का संपूर्ण क्षेत्रफल 2339 वर्गकिमी है।

 नौरादेही टाइगर रिजर्व अब मुख्य रूप से बाघों का बसेरा बन चुका है। ऐसे में वन्य जीव विशेषज्ञों द्वारा अक्सर यह सवाल उठाया जाता रहा है कि टाइगर की बसाहट के बाद क्या यहां चीता को लाया जा सकता है? क्या वे यहां जीवित रह पाएंगे? 

इसके जवाब में दूसरे वन्य जीव शास्त्रियों का कहना है कि यह संभव है। क्योंकि चीता, तेंदुए और बाघ के शिकार का तरीका और उनके भोज्य  जीव-जंतु अलग-अलग होते हैं। बाघ जहां नीलगाय, भैंसा, हिरण प्रजाति के छोटे-बड़े जानवर का शिकार करता है। वहीं तेंदुए मध्यम श्रेणी के जानवर जैसे जंगली सुअर, हिरण, भैंसा के बच्चों का शिकार करता है। 

जबकि चीता छोटे और मझौले आकार के  हिरण जैसे चीतल, काला हिरण और खरगोश सरीखे जानवरों का शिकार करता है। अब रही इन तीनों जानवरों के आमने-सामने आने की बात तो चीता, सदैव बाघ व तेंदुए से दूरी बनाए रखता है। यह ठीक उसी तरह से संभव है, जिस तरह से बाघ के साथ तेंदुए भी जीवनयापन  कर लेते हैं।

 गाँव का  विस्थापन आवश्यक 

चीतों की बसाहट देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के महत्वाकांक्षी परियोजनाओं में  से एक है। ऐसे में इन जीवों की बसाहट से ज्यादा आवश्यक उनकी सुरक्षा व संरक्षण होगा। इस लिहाज से वीरांगना रानी दुर्गावती टाइगर रिजर्व में एक कमी यहां कई गांवों का विस्थापन शेष रह जाना है। इनमें सबसे बड़ा गांव मुहली है। जहां की आबादी करीब 1500 लोग हैं। इसके अलावा बाकी दो रेंज झापन और सिंहपुर में भी कुछ गांव हैं। जहां से लोगों को विस्थापित करने के लिए शासन को करीब 200 करोड़ रुपए व्यय करना होंगे।

मप्र से ही लुप्त हुआ था चीता, तीन और देशों से आएंगे आजादी के पहले तक भारत में चीतों की बसाहट मप्र से दिल्ली होते हुए पंजाब तक रही है। लगातार शिकार के चलते यह जानवर आखिर में मप्र में सिमट गया लेकिन यहां भी ज्यादा समय तक नहीं बच पाया। 

आजादी के चंद वर्ष बाद सन् 1952 में अविभाजित मप्र के आदिवासी क्षेत्र कोरिया के राजा ने आखिरी चीता भी मार दिया। इसके बाद करीब 75 साल बाद देश में चीता की वापसी हुई। एक जानकारी के अनुसार चीता के संरक्षण के लिए काम कर रहे दक्षिण अफ्रीका के पापुलेशन इनीशिएटि व चीता मेटा पापुलेशन प्रोजेक्ट के माध्यम से नामीबिया, बोत्सवाना और दक्षिण अफ्रीका से कुछ और चीते भारत लाए जाएंगे।

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 मध्यप्रदेश के सबसे बडे टाइगर रिजर्व वीरांगना रानी दुर्गावती (नौरादेही) टाइगर रिजर्व से बडी खुशखबरी मिल रही है। यहां एक बाघिन ने चार शावकों को जन्म दिया है। 

टाइगर रिजर्व प्रबंधन से मिली जानकारी के अनुसार शावक 15 से 20 दिन के प्रतीत हो रहे हैं और चारों स्वस्थ नजर आ रहे हैं। शावकों की सुरक्षा के लिहाज से निगरानी बढा दी गयी है। इन चार नए शावकों के बाद नौरादेही टाइगर रिजर्व में बाघों की संख्या 23 पहुंच गयी है। खास बात ये है कि मदर आफ नौरादेही कही जाने वाली बाघिन राधा अब नानी बन गयी है। बाघिन राधा की पहली संतान ने दोबारा 4 बच्चों को जन्म दिया है।


बाघिन N-112 ने दोबारा दिया चार बच्चों को जन्म 

नौरादेही टाइगर रिजर्व से कई दिनों बाद बडी खुशखबरी मिली है। जहां मदर आफ नौरादेही कही जाने वाली बाघिन राधा की पहली संतान बाघिन N-112 ने चार शावकों को जन्म दिया है। जिनका फोटोग्राफ नौरादेही टाइगर रिजर्व की सर्च टीम ने खींचा है। 

चारों शावक फिलहाल 15-20 दिन के नजर आ रहे हैं और स्वस्थ बताए जा रहे हैं। नौरादेही टाइगर रिजर्व प्रबंधन ने सुरक्षा के लिहाज से आसपास निगरानी बढा दी है। फिलहाल जहां बाघिन N -112 अपने शावकों के साथ नजर आ रही है। वहां गश्ती के साथ-साथ सुरक्षा बढा दी गयी है। जो लगातार निगरानी कर रही है। 

ये दूसरा मौका है, जब N -112 ने एक साथ चार शावकों को जन्म दिया है। N-112 ने पहली बार चार बच्चों को जन्म दिया है। जिनमें से तीन बाघिन और एक बाघ है। जहां तक बाघिन N -112 की बात करें, तो बाघिन राधा ने पहली बार नौरादेही में 2019 में तीन शावकों को जन्म दिया था। जिनमें दो मादा और एक नर था।

क्या कहना है प्रबंधन का 

नौरादेही टाइगर रिजर्व के डिप्टी डायरेक्टर डाॅ ए ए अंसारी का कहना है कि कुछ दिन पहले हमारे गश्ती दल को कुछ शावक नजर आए थे। पहले तो हम लोगों को विश्वास नहीं हुआ, लेकिन गश्ती दल से अच्छे से जानकारी लेने पर हमनें एक रेंजर के नेतृत्व में एक सर्च की टीम को गठित किया। 

हमारी सर्च टीम हाथियों के साथ रवाना हुआ और तलाशी अभियान में बाघिन N-112 अपने चार शावकों के साथ नजर आई। हमारी सर्च टीम ने ही बाघिन N -112 का अपने शावकों के साथ फोटोग्राफ लिया है। ये शावक 15-20 दिन के नजर आ रहे हैं। 

इसके पहले N -112 ने जो चार शावकों को जन्म दिया था। जो करीब 22 महीने तक N -112 के साथ ही रहे। जैसे ही पहली बार जन्मे बच्चे अलग हुए, तो बाघिन N -112 ने एक बार फिर चार शावकों को जन्म दिया है। 

बाघों की कुल संख्या के बारे में डिप्टी डायरेक्टर अंसारी का कहना है कि शावकों को हम गणना में शामिल नहीं करते हैं। लेकिन अगर देखा जाए, तो अब बाघों की संख्या नौरादेही में 23 हो गयी है।

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समाजसेवी गांधीवादी चिंतक कांग्रेस विचारधारा के सशक्त हस्ताक्षर हेमचंद जी जैन  की म्रत्यु उपरांत उनकी इच्छानुसार आज उनका पार्थिव शरीर बुंदेलखंड मेडिकल  कॉलेज के शरीर रचना विभाग (एनाटोमी विभाग ) को निज परिजनों व शहरवासियों  की उपस्थिति में सौंप दिया गया 

कॉलेज परिसर में णमोकार मंत्र के उच्चारण के बीच सबने अपनी अपनी यादों का साझा किया हेमचंद जी को याद करने  वालो में उनके मित्र पूर्व सांसद लक्ष्मीनारायण यादव जी ने कहा कि हिम्मा भैया का सिद्धन्त था  जितना स्वयं को आवश्यक हो उतना ही बाकी समाज के लिए चाहे धन हो या समय। इस मौके पर  श्री यादव ने एक गीत गाया ये जिंदगी के मेले दुनिया मे कम न होंगे अफसोस हम न होंगे 

पूर्व मंत्री सुरेन्द्र चौधरी ने कहा कि वे जीवन भर सच्चे कांग्रेसी रहे  समाज के कमजोर तबकों की प्रतिभा को उभारा, पूर्व पार्षद चक्रेश सिंघई ने देहदान को सबसे बड़ा दान बताया, दो भाइयों के देहदान वाला परिवार साधुवाद का पात्र है 

अधिवक्ता अंकलेश्वर दुबे ने कहा कि संत जैसी चर्या थी उनकी सदैव भलाई व अच्छे विचारों को आगे बढाया, समाजसेवी संतोष घड़ी ने कहा कि वे समाज गौरव थे जब हम धर्म के क्षेत्र में देवनन्दी जी महाराज का सानिध्य मिला तो उन्होंने राह दिखाई एकता समिति के चंपक भाई ने भी उनके न रहने को बड़ा समाजिक नुकसान बताया अधिवक्ता अरविंद रवि ने उन्हें मानवतावादी राजनैतिक गांधी वादी चिंतक स्वतंत्र लेखक बताया

कालेज प्रबंधन  की ओर से डॉक्टर आयुषी ने परिवार के प्रति आभार जताते हुऐ कहा कि इस परिवार के देह दान  से  मेडिकल चिकित्सा में बनने वाले डॉक्टरों को शोध  करने की सुविधा मिलेगी  व मेडिकल चिकित्सा आगे बढेगी  कालेज प्रबंधन ने देहदान करता के लिए   परिवार के प्रति आभार व्यक्त करता है 

इस अवसर पर शहर के गणमान्य नागरिकों प्रमुख रूप से पूर्व  विधायक सुनील जैन शहर सेवादल अध्यक्ष सिंटू कटारे समाजसेवी रमेश बिलेहरा , सुनील भाई पटेल  कोमल यादव  चंपक भाई पटेल हरगोविंद विश्व , पूर्व पार्षद राकेश राय ,नरेश यादव , राजेश केशरवानी विनोद पहलवान , नलिन जैन नीरज मुखारया,संभागीय प्रेस क्लब के अध्यक्ष  सुदेश तिवारी कमल चैनपुरा नीलेश पांडेय प्रफुल्ल चौधरी संजीव राहुल मानक चौक , अधिवक्ता अरविंद रवि अनिल नैनधरा रामकुमार पचौरी राजकुमार कोरी सहित दिवंगत के  परिवार की ओर से उनके पुत्र मनोज जैन, अजय जैन  व भतीजे पंकज सिंघई भी उपस्थित  रहे 


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Sagar Watch News/ मध्यप्रदेश राज्य कर्मचारी संघ के प्रदेश महामंत्री जितेन्द्र सिंह ने प्रदेशाध्यक्ष की अनुशंसा पर मोहन अग्रवाल को म.प्र.राज्य कर्मचारी संघ का सागर संभाग का अध्यक्ष नियुक्त किया। उनके साथ ही संभागीय ईकाई मे सागर से श्रीमती हेमलता सेंगर एवं स्वल्पना नायक को उपाध्यक्ष बनाया है।

मोहन अग्रवाल के संभागीय अध्यक्ष बनने पर राज्य कर्मचारी संघ के प्रदेश मंत्री राकेश श्रीवास्तव, जिलाध्यक्ष अवधेश उपाध्याय, सचिव राजकुमार कपूर, मजदूर संघ के जिलाध्यक्ष जगदीश जारोलिया, मंत्री दीपक मिश्रा,राजशेखर सेन, अशोक तिवारी वीर सिंह ठाकुर, देव तिवारी,अजय गर्ग, संजय कोरी, विकास उपाध्याय, आशुतोष पाराशर,दीपक दीक्षित,भारती खरे, ओमप्रकाश श्रीवास्तव, हरगोविंद मिश्रा,दिनेश कन्नौजिया, पंकज सिंह राजपूत, प्रेम नारायण अहिरवार ने बधाई दे है  

धाई देने वालों में पेंशनर्स महासंघ के दिलशाद खान,अध्यक्ष प्रदीप सिंह, गणेशराम कोरी शिक्षक संघ के राकेश गुप्ता, चंद्रभान सिंह राजपूत अजाक्स के जिलाध्यक्ष चंदभान रोहित,राजू अहिरवार, गोटीराम अहिरवार शिक्षक कांग्रेस के प्रदेश उपाध्यक्ष शशिभूषण तिवारी, जिलाध्यक्ष संजय बिल्थरे राजीव शुक्ला समग्र शिक्षक संघ के विनीत चौहान, बसंत तिवारी स्वास्थ्य विभाग के डॉ आशीष शास्त्री, विनोद नामदेव, नवीन गुरु आदि भी शामिल हैं ।

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भगवान चित्रगुप्त प्राकट्योत्सव के उपलक्ष्य में रविवार को नगर में एक भव्य वाहन रैली का आयोजन किया गया
धार्मिक आस्था और सांस्कृतिक समरसता की प्रतीक इस  रैली की शुरुआत संजय ड्राइव मार्ग  से हुई और यह शहर के प्रमुख मार्गों से होती हुई शंकर प्लेस पर संपन्न हुई। नगर विधायक शैलेंद्र जैन ने हरी झंडी दिखाकर रैली को रवाना किया।

इस अवसर पर विधायक जैन ने घोषणा की कि नगर के एक प्रमुख चौराहे का नाम भगवान चित्रगुप्त के नाम पर रखा जाएगा। उन्होंने कहा कि भगवान चित्रगुप्त कर्म, सत्य और न्याय के प्रतीक हैं और उन्हें किसी एक समाज से जोड़ना उचित नहीं।

रैली में वाहनों को फूलों और भगवा ध्वजों से सजाया गया था, और श्रद्धालु पारंपरिक वेशभूषा में जयघोष करते हुए शामिल हुए। शहर के विभिन्न हिस्सों में पुष्पवर्षा और स्वागत द्वारों से रैली का भव्य स्वागत किया गया।

परकोटा स्थित भगवान चित्रगुप्त मंदिर में विशेष पूजा-अर्चना हुई, जिसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने नगर की सुख-शांति की कामना की।

समापन कार्यक्रम में नरयावली विधायक प्रदीप लारिया और नगर पालिका अध्यक्ष मिहीलाल अहिरवार मौजूद रहे। विधायक लारिया ने कहा कि भगवान चित्रगुप्त समस्त मानवता के मार्गदर्शक हैं और ऐसे आयोजनों से समाज में एकता और भाईचारे का संदेश फैलता है। कायस्थ परिवार  ने सफल आयोजन के लिए प्रशासन और पुलिस विभाग का आभार जताया।

इस अवसर पर अखिल भारतीय कायस्थ महासभा के जिला अध्यक्ष, मंदिर ट्रस्ट अध्यक्ष अजय, श्रीवास्तव, सचिव राजेंद्र श्रीवास्तव, मोहन खरे पटवारी, विवेक सक्सेना पार्षद, गजेंद्र सक्सेना, अजय श्रीवास्तव मकरोनिया, हेमंत श्रीवास्तव, मनीष माथुर, ओमकार श्रीवास्तव, बसंत श्रीवास्तव गोपालगंज, गणेश श्रीवास्तव, शैलेश वर्मा, अनिल हिलगन, बसंत श्रीवास्तव मकरोनिया, अनिल श्रीवास्तव पीपरा , शुभम श्रीवास्तव ,संदीप वर्मा गोपालगंज, आशीष श्रीवास्तव,,एडवोकेट जागेश्वर श्रीवास्तव एडवोकेट योगेश श्रीवास्तव,राकेश श्रीवास्तव राज्य कर्मचारी संघ, नवनीत श्रीवास्तव गोपालगंज, महेंद्र खरे,पवन श्रीवास्तव, डॉ अनिल खरे, सतीश श्रीवास्तव, महिला मोर्चा से श्रीमती अर्चना खरे अध्यक्ष, तृप्ति श्रीवास्तव महामंत्री,अंजली श्रीवास्तव, भावना श्रीवास्तव, अनीता श्रीवास्तव, अंजू खरे, विनीता सक्सेना, प्रमिला सक्सेना, रश्मि श्रीवास्तव , वंदना श्रीवास्तव, श्रीमती हर्षिका श्रीवास्तव सहित बड़ी संख्या में कायस्थ परिवार के सदस्य शामिल हुए 

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Sagar Watch News/  मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने सागर जिले के ग्राम मेनपानी में इस्कॉन इंटरनेशनल द्वारा लगभग 50 करोड़ रुपये की लागत से बनने वाले मंदिर के भूमिपूजन कार्यक्रम को वर्चुअली संबोधित किया। 

उन्होंने इस्कॉन को भगवान राम और कृष्ण की सनातन संस्कृति को विश्वभर में फैलाने वाला संस्था बताया और कहा कि इस्कॉन ने विदेशों में मांस, मदिरा जैसी आदतों से मुक्ति दिलाकर सनातन मूल्यों को स्थापित किया है। उन्होंने मंदिर निर्माण के लिए भूमि दान करता  और उनके परिवार को बधाई दी और इसे बुंदेलखंड की संस्कृति के लिए एक नया संकल्प बताया।

 सागर  में बनेगा मप्र का दूसरा सबसे बढ़ा  राधा-कृष्ण मंदिर 

मप्र का दूसरा सबसे बड़ा इस्कॉन मंदिर  सागर में मेनपानी गाँव में बन रहा है। इस्कॉन सागर के अध्यक्ष कृष्णार्चनदास प्रभुजी ने बताया कि  इंटरनेशनल सोसाइटी फॉर कृष्णा कॉन्शियसनेस यानी इस्कॉन (ISCON) संस्था शहर से लगे मेनपानी गांव की पहाड़ी पर भगवान राधा-कृष्ण का भव्य मंदिर बनाएगी।  

उन्होंने बताया कि मंदिर बनने से सागर के इस क्षेत्र का तेजी से विकास होगा। धार्मिक पर्यटन बढ़ने से इस क्षेत्र में रोजगार के अवसर भी उपलब्ध होंगे। परिवहन सहित व्यापारिक गतिविधियां इस क्षेत्र में बढ़ने से सागर के निवासियों को भी फायदा मिलेगा।

मुख्य मंदिर के अलावा 12 प्रकल्प बनेंगे

उन्होंने बताया की मुख्य मंदिर सफेद मार्बल और राजस्थान के लाल पत्थरों से 20 हजार वर्गफीट में   पहाड़ी पर 3 एकड़ क्षेत्र में 50 करोड़ की लागत से बनेगा  इसके अलावा बाकी क्षेत्र में गौशाला और चिकित्सा जैसे सेवा के प्रकल्प बनाए जाएंगे। संस्था को दान में मिली  3 एकड़ भूमि  पर होने जा रहे  

इस्कॉन सागर के अध्यक्ष कृष्णार्चनदास प्रभुजी ने बताया कि भगवान राधा कृष्ण की प्रतिमाएं जयपुर से तैयार होकर आएंगी। प्रतिमाएं करीब साढ़े तीन से चार फीट ऊंची होंगी। मुख्य मंदिर के अलावा 12 प्रकल्प बनाए जाएंगे। 

जिनमें वैदिक गुरुकुल स्कूल, भक्तिवेदांत अस्पताल, गौ शाला व आर्गेनिक खेती, प्रसादम हाल, वैदिक लाइब्रेरी, संत आश्रम, प्राकृतिक गांव, बुजुगों के लिए आश्रम, गेस्ट हाउस, रेस्तरां, कीर्तन बैंक्वेट हाल, पशुओं की देखभाल के लिए फार्म बनाया जाना प्रस्तावित किया गया है। 

उन्होंने बताया कि पहले मंदिर बनेगा फिर प्रकल्पों के काम शुरू होंगे। मंदिर निर्माण के लिए कोई समय सीमा तो निर्धारित नहीं की गई है लेकिन प्रयास होगा मंदिर जल्द से जल्द बने। मंदिर निर्माण के लिए राशि दान से ही जुटाई जाएगी। मार्बल व लाल पत्थरों को तराशने के लिए जयपुर से कलाकार आएंगे, बाकी काम स्थानीय कलाकार ही करेंगे। मंदिर निर्माण के लिए एक समिति का गठन भी किया जाएगा।

इस्कॉन सागर के अध्यक्ष कृष्णार्चनदास ने बताया कि जबलपुर में भी बड़ा मंदिर निर्माण चल रहा है। वह इससे कुछ विशाल हो सकता है। भोपाल में बना मंदिर 2 एकड़ क्षेत्र में है। इंदौर और उज्जैन के भी मंदिर हैं तो बड़े ही लेकिन क्षेत्रफल के लिहाज से यह दूसरा बड़ा मंदिर बनेगा। 


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🌞 ग्रीष्मकालीन खेल प्रशिक्षण शिविर 2025

(आयोजक: संचालनालय, खेल एवं युवा कल्याण विभाग, म.प्र. भोपाल)

📅 आयोजन अवधि:
01 मई 2025 से अगले 30 दिनों तक
📍 स्थान: खेल परिसर, सागर (जिला मुख्यालय)
👧🧒 उम्र सीमा: 08 से 19 वर्ष तक के बालक/बालिका


📝 पंजीयन प्रक्रिया:

  • स्थान: खेल परिसर, सागर (कार्यालयीन समय में)

  • अथवा संबंधित खेल प्रशिक्षकों से सीधे संपर्क करें।

  • पंजीयन के समय साथ लाएं:

    • निर्धारित आवेदन पत्र

    • जन्म प्रमाण पत्र

    • आधार कार्ड की प्रति


🏅 उपलब्ध खेल (जिला मुख्यालय - सागर):

खेलप्रशिक्षक का नामसंपर्क नंबर

  • बास्केटबॉल

  • श्री प्रेमनेती राय

  • 9754289234

  • वॉलीबॉल

  • श्रीमती सीमा चक्रवर्ती

  • 8878181168

  • हॉकी

  • श्री उमेशचंद्र मोर्य / श्री नफीस खान

  • 9380049142 / 7879222075

  • फुटबॉल

  • श्री विशाल तोमर

  • 9131230483

  • कबड्डी

  • श्रीमती संगीता सिंह

  • 9826278476

  • एथलेटिक्स

  • श्री मंगल सिंह यादव

  • 9752778714

  • मलखंब

  • श्री श्यामलाल पाल

  • 9893968981

  • टेबल टेनिस

  • श्री शैलेन्द्र यादव

  • 7987579594

  • योगा

  • कु. वंदना तिवारी

  • 8463066067

  • ताईक्वांडो

  • कु. रीमा ठाकुर

  • 8889165723

  • कूडो

  • कु. मेघा भोजक

  • 7509644201

  • बैडमिंटन

  • श्री मिलन्द देउस्कर

  • 9827597797

  • कुश्ती

  • श्री नरेन्द्र सोनी (शिवाजी व्यायामशाला, चकराघाट)

  • 7697965332

  • खो-खो

  • श्री कमलेश कोरी

  • 6261857523

  • लॉन टेनिस

  • श्री नरवहादुर सिंह राजपूत

  • 8770381306


🏫 विकासखंड स्तर पर प्रशिक्षण शिविर:

(प्रत्येक विकासखंड मुख्यालय पर 2 खेलों में निःशुल्क प्रशिक्षण)

विकासखंडस्थान / प्रभारीसंपर्क नंबर
  • मालथौन
  • श्री श्यामलाल पाल
  • 9893968981
  • केसली
  • श्री मनोज गौड़ (खेल परिसर केसली)
  • 9993007423
  • देवरी
  • श्री बसीम राजा खान (स.सि.म. खेल मैदान)
  • 9424822208
  • जैसीनगर
  • श्री भीकम पटेल (गोविंद स्टेडियम)
  • 9993917588
  • रहली
  • श्री राजेश गौड़ (इंडोर स्टेडियम)
  • 6267122212
  • खुरई
  • श्री प्रेमनेती राय
  • 9754289234
  • बण्डा
  • श्रीमती कमला गौतम (शासकीय मिडिल स्कूल)
  • 9131110386
  • राहतगढ़
  • श्री मंगल सिंह यादव
  • 9752778714
  • शाहगढ़
  • कु. पल्लवी अवस्थी (खेल परिसर)
  • 6265411427
  • बीना
  • श्रीमती डॉली अवस्थी (स्टेडियम, अभिनव स्कूल)
  • 9340989149

ℹ️ अधिक जानकारी हेतु:

खिलाड़ी, खेल संघ एवं संस्थाएं खेल परिसर सागर या संबंधित विकासखंड प्रभारी से संपर्क कर निःशुल्क प्रशिक्षण शिविर में सहभागिता सुनिश्चित करें।

 

Sagar Watch News

भारत निर्माण का डॉ. अम्बेडकर का मानवशास्त्रीय स्वप्न"

डॉ. भीमराव रामजी अम्बेडकर, जिन्हें हम बाबासाहेब के नाम से जानते हैं, न केवल एक महान विधिवेत्ता और समाज सुधारक थे, बल्कि एक गहरे मानवशास्त्रीय दृष्टि वाले विचारक भी थे। उनका भारत के विकास और एकीकरण का दृष्टिकोण मात्र राजनीतिक या आर्थिक नहीं था, बल्कि यह सामाजिक और सांस्कृतिक संरचनाओं की गहरी समझ पर आधारित था।

जाति व्यवस्था का मानवशास्त्रीय विश्लेषण

डॉ. अम्बेडकर ने भारतीय समाज की सबसे बड़ी चुनौती, जाति व्यवस्था, का मानवशास्त्रीय विश्लेषण किया। उन्होंने इसे मात्र सामाजिक भेदभाव का रूप नहीं माना, बल्कि एक ऐसी संस्था के रूप में देखा जो भारतीय समाज की संरचना को गहराई से प्रभावित करती है। 

जाति व्यवस्था..सामाजिक असमानता को बनाए रखती है

उन्होंने अपनी पुस्तक "जाति का विनाश" (Annihilation of Caste, 1936) में जाति व्यवस्था को एक ऐसी प्रणाली के रूप में वर्णित किया जो न केवल सामाजिक असमानता को बनाए रखती है, बल्कि मानवीय गरिमा को भी नष्ट करती है। 

उन्होंने तर्क दिया कि जाति व्यवस्था भारत के विकास के लिए एक बड़ी बाधा है, क्योंकि यह लोगों को उनकी क्षमता के अनुसार योगदान करने से रोकती है। (बी.आर. अम्बेडकर, "जाति का विनाश", 1936)

 सभी को समान अवसर मिले तो ही...देश का विकास संभव 

डॉ. अम्बेडकर ने भारत के विकास के लिए सामाजिक न्याय और समता को अनिवार्य माना। उनका मानना था कि जब तक समाज में सभी लोगों को समान अवसर नहीं मिलेंगे, तब तक देश का विकास संभव नहीं है। 

उन्होंने संविधान में सामाजिक न्याय के सिद्धांतों को शामिल करने पर जोर दिया, ताकि सभी नागरिकों को समान अधिकार और अवसर मिल सकें। उन्होंने "राज्य और अल्पसंख्यक" में अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा पर विशेष ध्यान दिया। (बी.आर. अम्बेडकर, "राज्य और अल्पसंख्यक", 1947)

सांस्कृतिक एकीकरण के लिए शिक्षा और जागरूकता अहम

डॉ. अम्बेडकर ने भारत के सांस्कृतिक एकीकरण और राष्ट्रीय एकता को महत्वपूर्ण माना। उन्होंने विभिन्न सांस्कृतिक समूहों के बीच संवाद और समझ को बढ़ावा देने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने यह भी माना कि राष्ट्रीय एकता के लिए सभी नागरिकों को अपनी सांस्कृतिक पहचान बनाए रखने का अधिकार होना चाहिए। उन्होंने "पाकिस्तान या भारत का विभाजन" में भारत के विभाजन पर अपने विचार व्यक्त किए। (बी.आर. अम्बेडकर, "पाकिस्तान या भारत का विभाजन", 1940)

 दलितों और वंचित समुदायों के लिए शिक्षा के ज्यादा अवसर मिलें..

डॉ. अम्बेडकर ने शिक्षा और जागरूकता को सामाजिक परिवर्तन के लिए महत्वपूर्ण उपकरण माना। उन्होंने दलितों और अन्य वंचित समुदायों के लिए शिक्षा के अवसरों को बढ़ाने पर जोर दिया। उनका मानना था कि शिक्षा लोगों को अपने अधिकारों के बारे में जागरूक करती है और उन्हें सामाजिक और आर्थिक रूप से सशक्त बनाती है। उन्होंने "शूद्र कौन थे?" में शिक्षा के महत्व को दर्शाया। (बी.आर. अम्बेडकर, "शूद्र कौन थे?", 1946)

डॉ. अम्बेडकर का भारत के विकास और एकीकरण का मानवशास्त्रीय दृष्टिकोण आज भी प्रासंगिक है। उन्होंने हमें दिखाया कि सामाजिक और सांस्कृतिक असमानताओं को दूर किए बिना भारत का विकास संभव नहीं है। उनका सपना एक ऐसे भारत का निर्माण करना था, जहां सभी नागरिकों को समान अधिकार और अवसर मिलें। हमें उनके विचारों को अपनाकर एक समतामूलक और न्यायपूर्ण समाज का निर्माण करना चाहिए।

🖋 प्रोफेसर अजीत जायसवाल 

मानव विज्ञान विभाग प्रमुख 

डॉ. हरिसिंह गौर विश्वविद्यालय, सागर (म.प्र.)


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श्री सर्व सिद्धेश्वर हनुमान समिति
के तत्वावधान में भगवान श्री हनुमान जी के प्रकटोत्सव पर एक भव्य शोभायात्रा और धार्मिक समारोह का आयोजन किया जा रहा है, जिसमें सागर शहर ही नहीं बल्कि पूरे जिले और अन्य राज्यों से भी हनुमान भक्त भाग लेंगे।

🔸 12 अप्रैल (शनिवार) को यह विशाल शोभायात्रा शाम 5 बजे चंपाबाग मंदिर से प्रारंभ होकर शहर के प्रमुख मार्गों से होती हुई वापस मंदिर पहुंचेगी।

🔸 प्रातः काल से ही मंदिर में 51 पंडितों द्वारा विशेष हनुमान पूजन, अनुष्ठान, सुंदरकांड पाठ और भोग प्रसादी का आयोजन होगा।

🔹 शोभायात्रा में इंदौर, उज्जैन, भोपाल, केरल, जबलपुर, गाडरवारा आदि से आए अखाड़े, ढोल-नगाड़े, दमरों की टोली, कीर्तन मंडलियां और केरल की थेय्यम झांकी विशेष आकर्षण रहेंगी।

🔹 गुजरात से निर्मित भगवान हनुमान जी की भव्य प्रतिमा पालकी में विराजमान होगी, जिसका श्रृंगार राजस्थान की मंडली द्वारा किया जाएगा।

🔹 शोभायात्रा के मार्ग पर 101 स्थानों पर पुष्पवर्षा की जाएगी।

🌸 पूरे शहर में स्वागत द्वार, घरों में निमंत्रण पत्र और मीडिया के माध्यम से सूचना दी जा रही है, जिससे हर नागरिक की सहभागिता सुनिश्चित हो सके।

🔹 शोभायात्रा में 100 से अधिक अखाड़े, कीर्तन मंडलियां, महिला मंडल, और युवा भक्त धर्म ध्वजा लेकर जयकारे लगाते हुए चलेंगे।

🔹 यह आयोजन सनातन धर्म की आस्था, धार्मिक एकता और भक्ति का संदेश पूरे शहर में फैलाने वाला होगा।

🔸 पत्रकार वार्ता में समिति के अध्यक्ष अभिषेक पुरोहित सहित श्री सर्व सिद्धेश्वर समिति के अमन खटीक चक्ररेश चौधरी अंकित खटीक, मोहित सोनी सोमू, आदित्य, मनोज रेंकवार विशाल सहित अन्य सदस्य एवं श्रद्धालुजन भी उपस्थित रहे।


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कायस्थ समाज की बैठक गोपालगंज में आयोजित की गई, जिसमें 4 मई 2025 (रविवार) को चित्रगुप्त जयंती के अवसर पर एक भव्य वाहन रैली निकालने का सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया।

  • 🔸 रैली सुबह 8 बजे मुख्य बस स्टैंड तालाब से प्रारंभ होकर शहर के प्रमुख मार्गों से होते हुए एसएलएस कॉलेज, मकरोनिया में पंचकुंडीय गायत्री यज्ञ के साथ समाप्त होगी।
  • 🔸 शहर के 48 वार्डों से कायस्थ समाज के लोग समूह में भाग लेंगे।
  • 🔸 रैली मार्ग में विभिन्न स्थानों पर पुष्पवर्षा और जलपान की व्यवस्था की गई है। 
  • 🔹 बैठक में यह स्पष्ट किया गया कि रैली किसी संगठन के नाम से नहीं, बल्कि केवल कायस्थ समाज के नाम से आयोजित की जाएगी।
  • 🔹 रैली की अगली तैयारी बैठक 20 अप्रैल को शाम 5 बजे, श्री बालाजी कंस्ट्रक्शन (क्रोमा मॉल, मकरोनिया) में आयोजित की जाएगी।
  • 🔹 बैठक में कायस्थ समाज के कई वरिष्ठजन और युवा सदस्य शामिल हुए और अपने-अपने सुझाव दिए।
  • इस आयोजन का उद्देश्य भगवान चित्रगुप्त जी के सम्मान में समाज को एकजुट करते हुए सांस्कृतिक और धार्मिक भावना को प्रकट करना है।

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भगवान महावीर के अनुसार मनुष्य अपने जीवन में जो धारण करे वही धर्म है। धर्म दिखावा, रूढ़ी, प्रदर्शन किसी के प्रति घृणा नहीं एवं एक दूसरे के प्रति भेदभाव नहीं, बल्कि मानव में मानवीयता के गुणों की विकास शक्ति है।

महावीर स्वामी की साधना आध्यात्मिक चिंतन और मनन का पर्याय है। भगवान महावीर ने जिस जीवन को दर्शाया है, वह वर्तमान परिवेश में सामाजिक समस्याओं का अहिंसात्मक समाधान है। उनकी वाणी ने मानव की दृष्टि को विहंगम बनाया। 

वे महामृत्यु के ध्याता तीर्थंकर थे, जिनके आदर्श और उपदेश आज भी जीवन प्रेरणा का स्रोत बने हुए हैं। भगवान महावीर के पुण्य-स्मरण से हम निश्चित रूप से गौरान्वित होते हैं। महावीर विश्व के महानतम युग प्रवर्तकों में एक हैं। वे पहले इतिहास पुरूष हैं,

जिन्होंने मुक्ति के मार्ग पर बढ़ने के लिए स्त्रियों को भी प्रेरित किया। उनके चिन्तन ने न केवल भारतीय जनमानस को आलोकित किया बल्कि संसार के समस्त प्राणियों के कल्याण का मार्ग भी प्रशस्त किया। भगवान महावीर भारतीय संस्कृति के प्रणेता थे। भारतीय संस्कृति से उनका जीवन दर्शन जुड़ा हुआ है। 

वे जैन धर्म के चौबीसवें तीर्थंकर है। उनसे पहले 23 तीर्थंकर और हुए है। भगवान महावीर ने जो भी कहा वह सर्वोदयी था। उनके सिद्धांतों को देखे तो वे विश्व कल्याण और बंधुत्व की भावना पर आधारित है। जनमानस के अत्याधिक निकट होने के कारण उन्होंने अपनी बात सरल भाषा में ही व्यक्त की। छुआछूत अथवा जात-पात से उनका कोई संबंध नहीं था। 

उनके मुख्य उपदेशों में जियो और जीने दो, सभी प्राणी महान है, मनुष्य की पहचान जन्म से नहीं कर्म से होती है, आत्मा ही अपने गुणों का विकास कर परमात्मा बनती है, शामिल है। 

अहिंसा, सत्य, अपरिग्रह, तप, त्याग और संयम ही जीवन के मूलाधार तत्व है, जैसी शिक्षाएं मानव के संपूर्ण पक्ष को छू लेने वाली हैं। भगवान महावीर की शिक्षा जीवन की आधार-शिला है, जिससे प्रत्येक प्राणी सुख और शांति से रह सकता है।

महावीर के दो पक्ष हैं, आध्यात्मिक एवं सामाजिक। पहले पक्ष में कठोर महाव्रत शामिल है, जिनको अंगीकार कर आत्मा परमात्मा पद प्राप्त होता है। दूसरे पक्ष के संदर्भ में महावीर ने जो दृष्टि दी, वह आज के युग में भी उतनी ही उपयोगी और शाश्वत सत्य है, जितनी ढाई हजार वर्ष पहले थी। 

महावीर का जब अभ्युदय हुआ, तब देश कर्मकाण्ड, वर्गभेद और मानवीय अत्याचार की स्थिति से पीड़ित था। भगवान महावीर ने इसके लिये आवाज उठाई, लेकिन इसके पूर्व स्वयं के जीवन को तप, त्याग, संयम और प्राणी कल्याण की भावना में तपाया। 

भगवान महावीर ने अहिंसा, अपरिग्रह और अनेकांत की एक ऐसी संरचना प्रदान की, जो किसी भी सामाजिक व्यवस्था को सुचारू रूप से संचालित करने के लिये थी। भगवान महावीर ने धर्म की अहिंसात्मक क्रांति की उन्होंने धर्म के आपसी भेदों के विरूद्ध आवाज उठाई तथा धर्म को सीमाओं के कठघरे से बाहर निकालकर स्थापित किया। 

भगवान महावीर ने लोक मंगल की आचरण मूलक भूमिका के व्यावहारिक सामाजिक सूत्र भी प्रतिपादित किये हैं। सृष्टि के प्राणी मात्र के प्रति जब राग-द्वेष के स्थान पर सह-अस्तित्व, मैत्री एवं करूणा की भावना जागृत होती है, तभी उसका चित्त धार्मिक बनता है। 

जब व्यक्ति दूसरों को समभाव से देखता है तो राग-द्वेष का विनाश हो जाता है। उसका मन धार्मिक हो जाता है। राग-द्वेष हीनता धार्मिक बनने की प्रथम सीढ़ी है। समस्त जीवों पर समभाव की दृष्टि रखना ही अंहिसा है।

'अहिंसा' को मानव मानसिकता से जोड़ते हुए भगवान महावीर ने कहा कि अप्रमत्त आत्मा अहिंसक है। अहिंसा से मानवीयता एवं सामाजिकता का जन्म होता है। अपरिग्रह एवं अनेकांतवाद अहिंसा से जुड़ी हुई भावनाएँ हैं। 

अपरिग्रह वस्तुओं के प्रति ममत्वहीनता का नाम है। परिग्रह की प्रवृत्ति उनकी मानवीयता का विनाश करती है। अनेकांत व्यक्ति के अहंकार को झकझोरता है। उसकी आंतरिक दृष्टि के सामने प्रश्नवाचक चिन्ह लगाता है।

इस प्रकार महावीर दर्शन मौजूदा प्रजातांत्रिक शासन व्यवस्था तथा वैज्ञानिक सापेक्षवादी चिन्तन के भी अनुरूप है। मानव के भीतर अशांति, उद्वेग तथा मानसिक तनावों को दूर करता है। 

यदि मानव के अस्तित्व को बरकरार रखना है तो भगवान महावीर की वाणी को आज के संदर्भ में व्याख्यायित करना होगा। हम अपने चिंतन और मनन में उदारता लाएं तथा सह-अस्तित्व की भावना को आत्मसात कर प्राणी जगत का कल्याण करने का संकल्प लें। 

लेख: प्रलय श्रीवास्तव, पूर्व संभागीय संयुक्त संचालक, जनसंपर्क विभाग, मप्र 

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 मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने सागर जिला निवासी अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त लोकनृत्य कलाकार पद्मश्री रामसहाय पांडे के निधन पर दुख व्यक्त किया है।

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि श्री राम सहाय पांडे ने विपरीत परिस्थितियों में कला क्षेत्र को अपनाया और धारा के विपरीत बहते हुए इस क्षेत्र में अनेक उपलब्धियां अर्जित कीं। भारत के साथ अन्य देशों में भी उन्होंने बुंदेलखंड के राई लोक नृत्य को पहचान दिलवाई। उनके योगदान को रेखांकित करते हुए भारत सरकार द्वारा श्री पांडे को पद्मश्री से अलंकृत किया गया।

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि बुंदेलखंड के गौरव, लोकनृत्य राई को वैश्विक पहचान दिलाने वाले लोक कलाकार पद्मश्री श्री पांडे का निधन मध्यप्रदेश और कला जगत के लिए अपूरणीय क्षति है। लोक कला एवं संस्कृति को समर्पित उनका सम्पूर्ण जीवन हमें सदैव प्रेरित करता रहेगा।

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने स्व. पांडे को श्रद्धांजलि देते हुए उनकी आत्मा की शांति और शोकाकुल परिवार को यह दुख सहने करने की सामर्थ्य देने की ईश्वर से प्रार्थना की है।

बुंदेलखंड की पहचान 

लोक नृत्य राई के प्रसिद्ध कलाकार और पद्मश्री सम्मानित रामसहाय पांडे का निधन सागर के एक निजी अस्पताल में लंबी बीमारी के बाद हो गया। उनके निधन पर जनप्रतिनिधियों, प्रशासनिक अधिकारियों, सांस्कृतिक क्षेत्र से जुड़े लोगों और आम नागरिकों ने श्रद्धांजलि अर्पित की।

सागर विधायक शैलेन्द्र जैन, जिला पंचायत अध्यक्ष हीरा सिंह राजपूत, महापौर प्रतिनिधि सुशील तिवारी, और प्रशासनिक अधिकारियों सहित कई गणमान्य व्यक्तियों ने श्रद्धा सुमन अर्पित किए। संभाग आयुक्त डॉ. वीरेंद्र सिंह रावत और कलेक्टर संदीप जी आर ने उनके निधन को लोक संस्कृति के लिए अपूरणीय क्षति बताया।

रामसहाय पांडे (जन्म 11 मार्च 1933) ने राई नृत्य को सामाजिक मान्यता दिलाने में जीवन समर्पित कर दिया। वे बेड़िया समुदाय से नहीं थे, फिर भी उन्होंने इस परंपरागत नृत्य को राष्ट्रीय पहचान दिलाई। उन्हें 2022 में पद्मश्री, नृत्य शिरोमणि, और शिखर सम्मान सहित कई पुरस्कार मिले। उनकी अंतिम विदाई पूरे सम्मान के साथ की गई, मुखाग्नि उनके पुत्र संतोष पांडे ने दी।