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Sagar Watch News/ बुंदेलखंड की होली से जुड़ी एक 300 से साल से ज्यादा पुरानी परंपरा है। जब बिहारी जी सरकार अपने भक्तों के साथ होली खेलने राजमंदिर से बाहर आते हैं और पूरा माहौल रंग गुलाल से सराबोर हो जाता है। जबकि रंगपंचमी के दिन बिहारी जी राजमंदिर में ही सिर्फ महिलाओं के साथ होली खेलते हैं।
सागर के सर्राफा बाजार में स्थित देव अटल बिहारी जी सरकार का मंदिर सागर शहर ही नहीं बल्कि आसपास के लोगों का आस्था का केंद्र हैै। यहां होली, दीपावली और सावन के महीने से जुड़ी कई तरह की परंपराएं हैं। जिनको सागर शहर के लोग आस्था और भक्ति के साथ मनाते हैं।
सागर के इस मंदिर का निर्माण निंबार्क परम्परा के संत श्री श्री 108 स्वामी दयालदास महाराज ने कराया था। हालांकि इस मंदिर का कोई लिखित इतिहास नहीं है, लेकिन स्थानीय लोगों का कहना है कि मंदिर 300 साल से ज्यादा पुराना है। ये मंदिर सागर शहर वासियों की अपार आस्था का केंद्र है और यहां लोग बिहारी जी को सखी रूप में पूजते हैं।
मंदिर की होली से जुड़ी ऐतिहासिक परंपरा
श्री देव अटल बिहारी जी सरकार की बात करें, तो होली, दीपावली और सावन से जुड़ी अलग-अलग परंपराएं हैं जिनको मंदिर निर्माण के समय से ही स्थानीय लोग आस्था और श्रृद्धा के साथ मनाते आ रहे हैं। इसी तरह से होली से जुड़ी परंपरा मंदिर निर्माण के समय से चली आ रही है।
यहां होली के दिन बिहारी जी सरकार अपने भक्तों के साथ होली खेलने राजमंदिर से बाहर निकलते हैं. यहां होली के दिन शाम को ये परंपरा निभायी जाती है बिहारी जी के साथ होली खेलने के इच्छुक भक्तगण सुबह से ही मंदिर के बाहर इकट्ठा होने लगते हैं और बिहारी जी के राजनिवास से बाहर निकलने का इंतजार करते हैं. जब बिहारी जी राजनिवास से बाहर निकलते हैं, तो सागर के सर्राफा बाजार का माहौल मथुरा वृंदावन से कम नजर नहीं आता है।
कैसे मनाते हैं बिहारी जी सरकार होली
मंदिर के पुजारी अमित चांचोदिया बताते हैं कि होलिका दहन के दूसरे दिन धुरेड़ी के दिन राजमंदिर से बाहर अपने भक्तों के साथ होली खेलने आते हैं. इसमें लोग रंग, गुलाल खेलते हैं और फागें गाते हैं। शाम के समय बिहारी जी की होली शुरू होती है, ये देर रात होली चलती है. भक्तों की मंडली फागें गाती है देर रात आरती होती है और फिर प्रसाद वितरण होता है. काफी धूमधाम से होली होती है, खूब रंग गुलाल होता है।
रंगपंचमी की परंपरा
वहीं दूसरी तरफ बिहारी के सिर्फ महिलाओं के संग होली खेलने के सम्बन्ध में मंदिर के पुजारी ने बताया पुजारी अमित चांचोदिया बताया कि बिहारी जी की भक्त महिलाओं ने इस बात पर एतराज किया था कि बिहारी जी के साथ उन्हें होली खेलने नहीं मिल पाती है।
बताया गया कि बिहारी जी जब होली के दिन जब बिहारी जी शहर से बाहर निकलते हैं,तो पुरूष वर्ग ज्यादा होने के कारण महिलाओं को अवसर नहीं मिल पाता था। तब से ये तय किया गया कि रंगपंचमी के दिन बिहारी जी राजमंदिर में ही सिर्फ महिलाओं के साथ होली खेलते हैं तब पुरूषों को मंदिर में प्रवेश तो मिलता है, लेकिन उन्हें मर्यादा में रहना होता है।
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