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अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस को मनाने का उद्देश्य व्यक्तियों के मध्य भाषाओं की प्रति प्रेम व संरक्षण देना है।अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस के उपलक्ष पर पंडित दीनदयाल उपाध्याय शासकीय कला एवं वाणिज्य अग्रणी महाविद्यालय में भारतीय ज्ञान परंपरा प्रकोष्ठ द्वारा 'भारतीय भाषाएं एवं भारतीय ज्ञान परंपरा' विषय पर संगोष्ठी निबंध तथा भाषण प्रतियोगिता का आयोजन पर संगोष्ठी के मुख्य वक्ता अनुभवी शिक्षाविद सुखदेव तिवारी ने व्यक्त किये

इसी सिलसिले में उन्होंने  संस्कृत को ज्ञान का अथाह भंडार बताते हुए विभिन्न प्रसंगों से विद्यार्थियों को प्राचीन भारतीयों के ज्ञान का परिचय कराया। उन्होंने हिंदी भाषा में भावनाओं और संवेगों को व्यक्त करने की सशक्तता को रोचक उदाहरणों के साथ समझाया 

विषय को आगे बढ़ाते हुए हिंदी के सहायक प्राध्यापक डॉ.राणा कुंजर सिंह ने अपनी मातृभाषा को अपने अस्तित्व एवं संस्कृति की पहचान बताते हुए कहा कि विश्व के कई देश ऐसे हैं जहां विदेशी भाषा को अपना लेने के कारण उनकी मौलिक संस्कृति, रीति रिवाज, परंपरायें नष्ट हो गई अतःअपनी मौलिकता और अनूठापन सहेजने के लिए मातृभाषा का उपयोग सम्मान एवं गर्व के साथ होना चाहिए ।

संगोष्ठी में उद्बोधन के क्रम को आगे बढ़ाते हुए महाविद्यालय की हिंदी प्राध्यापक डॉ रंजना मिश्रा ने भारत को 300 से भी अधिक भाषाओं का घर बताते हुए बुंदेली भाषा में भावों के संप्रेषण की असीम क्षमता को प्रसंग के द्वारा व्यक्त किया साथ ही उन्होंने हिंदी की अन्य भाषाओं की शब्दावली को ग्रहण करने की एवं आत्मसात करने की अद्भुत क्षमता की बात कही।

उन्होंने भारतीय भाषाओं के विकास के लिए सरकार द्वारा विभिन्न तकनीक एवं व्यवसायिक विषयों की पाठ्य पुस्तकों के अनुवाद करवाये जाने की भी सराहना की। 

  • निबंध प्रतियोगिता में 
  • मुस्कान साहू प्रथम
  • अभिषेक अहिरवार द्वितीय 
  • सृष्टि बोहरे तृतीय स्थान तथा 
  • भाषण प्रतियोगिता में उमाकांत कटारे प्रथम, 
  • रमेश बंजारा द्वितीय तथा 
  • विनीता लोधी ने तृतीय स्थान प्राप्त किया।
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