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Sagar Watch News/ गुरु पूर्णिमा के उपलक्ष्य में नगर की संस्था कृष्णविजय कलायतन संगीत अकादमी द्वारा पांच दिवसीय शास्त्रीय गायन की कार्यशाला "अर्पण" का निशुल्क आयोजन किया जा रहा है जो दिनांक 24 जुलाई से आरंभ होगी । पंजीयन फॉर्म अकादमी के कार्यालय शारदा कालोनी पंडापुरा वार्ड संजय ड्राइव जा सकते है। कार्यशाला राग, ताल एवं पारंपरिक बंदिशों के विषय पर केंद्रित रहेगी।

Sagar watch

Sagar Watch News/
 साहित्य सरस्वती सागर का पाँचवा साप्ताहिक क्रम काव्य गोष्ठी आयोजन सरस्वती पुस्तकालय वाचनालय तीनबत्ती से आयोजित हुआ। जिसकी अध्यक्षता  अरूण दुबे तुलसी साहित्य अकादमी ने की। 

प्रथम सत्र संविधान और उसकी रूप रेखा पर संभाषण  देव वाणी के  क्रांति जबलपुरी ने किया,मौलिक अधिकार और नागरिक कर्तव्य पर बात की,संविधान गढने वाले सदस्य की जानकारी दी। हमारे कर्तव्य, अधिकार व निर्माण पर बात कही। 

द्वितीय सत्र में राजू चौबे ने सरस्वती वंदना का पाठ किया एवं फाल्गुन पर कविता सुनायी लो होली आ गयी साथ ही  गजल सुनायी। सब इंस्पेक्टर के के मौर्य ने तरन्नुम में ताजी रची गजल प्रस्तुत की। 

प्राचार्य डाॅ. दिनेश कुमार साहू ने मुक्त छंद कविता सुनायी। क्रांति जबलपुरी ने सरस कविता पाठ किया।डाॅ.नलिन निर्मल ने होली पर गीत सुनाया - दिलों में रंग बिखरा लो कि होली आज आयी है।पुष्पेन्द्र दुबे कुमार सागर ने गीत सुनाया-जिंदगी है नदी पार करना कठिन  जितना जीना कठिन  उतना मरना कठिन। 

गीतकार  मणिदेव ठाकुर ने फाल्गुन पर ससुराल जाने वा क्या- क्या दुर्गत भयी गीत सुनाया। कोस रय जे स्यात की घंडी।  मुकेश तिवारी ने सरस्वती गीत सुनाया। दया करो हे दयालु मैया,हे शारदे माँ। गोष्ठी संचालक राधाकृष्ण व्यास ने कविता सुनायी- सच कहता हूँ कसम आपकी,मुझको कुछ नहीं आता है लिख देता हूँ वह लोंगो को भाता है। 

के एल तिवारी अलबेला ने वर्तमान व्यवस्था पर कविता सुनायी - कोई दलबदलू उधर से इधर आ गया,लगा चुनावों में असर आ गया। वृंदावन राय सरल ने श्रँगार गजल वा कविता सुनायी - ओंठो पर टेशु खिले,महुआ महके नैन,देह लगे कामायनी,यह बसंत की देन। 

वरिष्ठ साहित्यकार पूरन सिंह राजपूत ने हास्य-व्यंग्य वा होली पर दोहे,चौकडिये और कविता सुनायी - आमंत्रित है सब मदमाने। खेलत कुंज महल में होरी। अध्यक्ष श्री अरूण दुबे जी ने गजल प्रस्तुत की - मैं तेरे हुक्म के कुर्बान मेरी शम्मे हया। आभार व्यक्त श्री पूरन सिंह राजपूत ने व्यक्त किया।

World Yoga Day

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AGAR WATCH/ योगाचार्य विष्णु आर्य का कहना है कि  योग को योग ही बना रहने दे योगा नही बनाए। उन्होंने कहा कि योग हमारी प्राचीन संस्कृति  है। योग आसन आसानी से की जाने वाली क्रिया है इसे कसरत  जैसे नही करना चाहिए।  उनके मुताबिक प्रधानमंत्री  नरेंद्र मोदी ने योग दिवस के जरिए पूरे विश्व में नए सिरे से स्थापित किया है।


योगाचार्य श्री आर्य विश्व योग दिवस  21 जून की तैयारियों पर केंद्रित   योग निकेतन द्वारा पद्माकर सभागृह परिसर में  आयोजित  सामूहिक योगाभ्यास कार्यक्रम के दौरान व्यक्त किए।

 

world Yoga Day

इसी सिलसिले में कार्यक्रम के मुख अतिथि विधायक शैलेंद्र जैन  ने कहा कि आज दुनिया में भारत विश्व गुरु योग जैसी अध्यात्मिक शक्तियों की वजह से है। हमने भौतिक संसाधनों की बजाय योग आयुर्वेद जैसी प्रभावी परम्पराओं पर फोकस किया । यही कारण विश्व गुरु बनाने का है।  सागर में योग की लंबे समय से योगाचार्य विष्णु आर्य परंपरा को आगे बढ़ा रहे है।
अनेक संस्थाएं आगे आई है। सागरवासी योग को इस तरह अपनाए कि अब सागर को लोग योग नगरी के रूप में जाने और स्थापित हो।

भाजपा नेता सुशील तिवारी ने कहा कि  नगर निगम सागर इस तरह के आयोजनों के लिए जगह उपलब्ध कराए ताकि शहरवासी नियमित योगाभ्यास कर सकें।
कार्यक्रम का संचालन करते हुए योग गुरु भगतसिंह ने 21 जून को आयोजित होने वाले कार्यक्रम की विस्तार से चर्चा की।

इस अवसर पर लोगो को नियमित योगाभ्यास, श्रीयंत्र और श्री सूक्त के पाठ और नशामुक्ति का संकल्प पत्र भरवाया गया।

जनसमूह को योग कैलेंडर आदि वितरित किए गए। योगाभ्यास में अनेक स्कूलों और संस्थानों से जुड़े  महिला पुरुषो ने  बड़ी संख्या में भाग लिया।
कार्यकम में पगारा क्षेत्र के पवन विश्वकर्मा और उनके बेटे गौरव और बेटी  राधिका  ने योग की संगीतमय प्रस्तुति दी।



ऋषि  दुर्वासा का श्राप अगर बीच में न आया होता तो शायद राजा दुष्यंत व शकुंतला के जीवन प्रवाह में वो उतार चढ़ाव नहीं आते जिनसे कालिदास कृत अभिज्ञान शाकुनतलम की प्रेम-कहानी एक कालजयी कृति बन गयी।  इसी कृति का नाट्य रूपांतरण राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय और रंग थिएटर फोरम के संयुक्त-तत्त्वावधान में संपन्न हुयी तीस दिवसीय अभ्यास कार्यशाला के उपरान्त स्थानीय रंगगृह रविन्द्र भवन में मंचित किया गया।  नाटक की ख़ास बात वह प्रयोग धर्मिता थी जिसके सहारे कालिदास की महान रचना अभिज्ञान शाकुंतलम के कथ्य को कहने के साथ-साथ समाज में महिलाओं की भूमिकाओं को लेकर उठ रहे सवालों से भी संवाद किया गया।  मूल कथानक को ज्यों का त्यों दिखाते हुए विदूषक व नट के हवाले से समाज में महिलाओं की भूमिका, आजादी व अधिकारों के मुद्दों को लेकर नाटक में विविध परिप्रेक्ष्य भी प्रस्तुत किये गए।  अलग-अलग कालखंडो के परिप्रेक्ष्य में कथा को घुमाए जाने के बावजूद मूल नाटक का  प्रवाह बदस्तूर बना रहा और दर्शकों को बांधे रहा। राजा दुष्यंत के प्रेम प्रसंग,शकुंतला की सखियों की इस प्रेम प्रसंग को लेकर की गयी चुहुल-बाजी और विदूषक के मसखरेपन की चासनी में पगी पटकथा दर्शको को रोमांस और हास्य का खट्टा-मीठा अहसास भी कराती रही।  नाटक में किरदार तो कम थे लेकिन कलाकारों की संख्या अधिक रही फिर भी उनके बीच में अच्छा तालमेल नजर आया। युवा कलाकारों की जोशभरी संवाद अदायगी में खनक, भावप्रवणता पर हावी रही।  पार्श्व-संगीत का उतार-चढाव और माधुर्य  दर्शकों को कहानी के मुताबिक विभिन्न कालखंडो के बीच प्रवाह्पूर्ण यात्रा कराने में सक्षम रहा। दृश्य एवं प्रकाश संयोजन भी कलात्मक रहा। संगीत संयोजन धानी गुन्देजा और अनंत गुन्देजा का रहा ।  किसी भी निर्देशक के लिए अभिज्ञान शाकुंतलम जैसी महान और भावपूर्ण  कृतियों पर युवा और नए कलाकारों के साथ काम करना आसान नहीं होता है।   नाट्य प्रस्तुति शुरू से अंत तक दर्शको को निर्देशक अर्पिता धगट की कलात्मक सोच और प्रयोग-धर्मिता से दर्शकों को रूबरू भी कराती रही।  और अंत में नाट्य गृह के अन्दर ऐसा भी महसूस होता रह की प्रस्तुति के प्रभावी होने के चलते नाट्य गृह के करीब ही चल रहे एक कोलाहलपूर्ण आयोजन की कर्कश आवाजे भीं दर्शकों की एकग्रता कम नहीं कर पायी।

नाट्य समीक्षा  -राजेश श्रीवास्तव 
SAGAR WATCH/ ऋषि  दुर्वासा का श्राप अगर बीच में न आया होता तो शायद राजा दुष्यंत व शकुंतला के जीवन प्रवाह में वो उतार चढ़ाव नहीं आते जिनसे कालिदास कृत अभिज्ञान शाकुनतलम की प्रेम-कहानी एक कालजयी कृति बन गयी।

इसी कृति का नाट्य रूपांतरण राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय और रंग थिएटर फोरम के संयुक्त-तत्त्वावधान में संपन्न हुयी तीस दिवसीय अभ्यास कार्यशाला के उपरान्त स्थानीय रंगगृह रविन्द्र भवन में मंचित किया गया।

नाटक की ख़ास बात वह प्रयोगधर्मिता थी जिसके सहारे कालिदास की महान रचना अभिज्ञान शाकुंतलम के कथ्य को कहने के साथ-साथ समाज में महिलाओं की भूमिकाओं को लेकर उठ रहे सवालों से भी संवाद किया गया।

मूल कथानक को ज्यों का त्यों दिखाते हुए विदूषक व नट के हवाले से समाज में महिलाओं की भूमिका, आजादी व अधिकारों के मुद्दों को लेकर नाटक में विविध परिप्रेक्ष्य भी प्रस्तुत किये गए।

अलग-अलग कालखंडो के परिप्रेक्ष्य में कथा को घुमाए जाने के बावजूद मूल नाटक का  प्रवाह बदस्तूर बना रहा और दर्शकों को बांधे रहा। राजा दुष्यंत के प्रेम प्रसंग,शकुंतला की सखियों की इस प्रेम प्रसंग को लेकर की गयी चुहुल-बाजी और विदूषक के मसखरेपन की चासनी में पगी पटकथा दर्शको को रोमांस और हास्य का खट्टा-मीठा अहसास भी कराती रही।

नाटक में किरदार तो कम थे लेकिन कलाकारों की संख्या अधिक रही फिर भी उनके बीच में अच्छा तालमेल नजर आया। युवा कलाकारों की जोशभरी संवाद अदायगी की  खनक, भावप्रवणता पर हावी रही।

पार्श्व-संगीत का उतार-चढाव और माधुर्य  दर्शकों को कहानी के मुताबिक विभिन्न कालखंडो के बीच प्रवाह्पूर्ण यात्रा कराने में सक्षम रहा। दृश्य एवं प्रकाश संयोजन भी कलात्मक रहा। संगीत संयोजन धानी गुन्देजा और अनंत गुन्देजा का रहा ।


किसी भी निर्देशक के लिए अभिज्ञान शाकुंतलम जैसी महान और भावपूर्ण  कृतियों पर युवा और नए कलाकारों के साथ काम करना आसान नहीं होता है।   नाट्य प्रस्तुति शुरू से अंत तक दर्शको को निर्देशक अर्पिता धगट की कलात्मक सोच और प्रयोग-धर्मिता से रूबरू भी कराती रही।

और अंत में नाट्य गृह के अन्दर ऐसा भी महसूस होता रह की प्रस्तुति के प्रभावी होने के चलते नाट्य गृह के करीब ही चल रहे एक कोलाहलपूर्ण आयोजन की कर्कश आवाजे भीं दर्शकों की एकाग्रता कम नहीं कर पायी।

National Theater Workshop- फिल्म अभिनेता  गोविन्द नामदेव ने किया 'अभिज्ञान शाकुंतलम्'  के पोस्टर का  विमोचन

SAGAR WATCH/ 
राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय दिल्ली (संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार) एवं रंग थिएटर फोरम सागर के संयुक्त तत्वाधान में चल रही 30 दिवसीय राष्ट्रीय रंग कार्यशाला मे सिने जगत के जाने-माने अभिनेता श्री गोविन्द नामदेव जी के कर कमलो द्वारा नाटक अभिज्ञान शाकुंतलम्' के पोस्टर अनावरण किया गया। साथ ही विश्व रंगमंच दिवस पर दिनांक 27 मार्च एवं 28 मार्च को रविन्द्र भवन में होने वाले नाटक 'अभिज्ञान शकुन्तलम’ नाटक का मंचन किये जाने की घोषणा की |

 गोविंद नामदेव  ने अपने व्यस्ततम कार्यक्रम के बीच 19 मार्च से 23 मार्च तक लगातार 5 दिनों तक रंग कार्यशाला में प्रतिभागियों  को अभिनय की बारीकियां सिखाई व अपना रंगमंचीय  अनुभव भी साझा किया।

पोस्टर अनावरण में  कैम्प डायरेक्टर संगीत श्रीवास्तव, रंग थिएटर फोरम के निदेशक मनीष बोहरे,नाटक निर्देशक अर्पित धगट, नृत्य गुरु रामतिलक जी, दीपेश सोनी, रूपेन्द्र क्षीरसागर, विस्मय  कुमार, अविकल श्रीवास्तव आदि मौजूद थे |


सागर वॉच।
  चर्चित  जनसंत विरंजन सागर महराज का चातुर्मास कटरा गौराबाई दिगंबर मन्दिर में चल रहा है, मंगल कलश स्थापना 17 जुलाई को है। चातुर्मास में पूरे चार महीने दिगम्बर संत किसी स्थान विशेष पर ठहरकर साधना करने का संकल्प लेते हैं, एवं उसी स्थान से धर्म का प्रचार प्रसार करते हैं । 

शनिवार को  पत्रकारों से चर्चा करते हुए मुनि श्री ने कहा कि सड़क सूर्य सरिता और संत किसी व्यक्ति विशेष के नहीं होते अपितु ये सबके होते हैं , उनका  चातुर्मास केवल गौराबाई दिगम्बर जैन मंदिर के लिए नहीं बल्कि पूरे सागर के सभी वर्ग के भक्तों के लिए है, कोई भी व्यक्ति किसी भी वर्ग से हो वह मेरे पास आकर अपनी शंका का समाधान कर धर्म लाभ ले सकता है।


उन्होंने कहा कि  दिगम्बर जैन संत दिगम्बर भेष धारण कर सभी प्रकार की मोह माया आधुनिक सुविधाओं से दूर रहते हैं सिर्फ त्याग तपस्या और जन  कल्याण उनका उद्देश्य होती हैं।। उन्होंने कहा कि वो सिर्फ जैन समाज को धर्म राह नहीं दिखाना चाहता बल्कि समाज और राष्ट्र के हितों की बात पहले पसंद करते हैं , जब राष्ट्र सुरक्षित होगा तभी धर्म सुरक्षित होगा।


उन्होंने बच्चो की शिक्षा प्रणाली में नैतिक मूल्यों को बढ़ाने की अपील की, कहा कि आज हमारी संस्कृति और संस्कारों का हनन हो रहा है, पश्चिमी सभ्यता हमारी संस्कृति पर हावी हो रही है। युवा वर्ग भटकाव की और है, अतः वे इस चातुर्मास की अवधि में नगर की विभिन्न शालाओ में प्रवचन कर छात्र छात्राओं से संवाद करेगे व नगर में जन कल्यान के अन्य कार्यक्रम भी कराएंगे।  किसी व्यक्ति विशेष वर्ग से पृथक होकर समाज के सभी वर्ग जन जन की बात करने के पुनीत उद्देश्य के कारण ही उन्हें जनसंत की उपाधि प्रदान की गई।



 17 जुलाई को कलश स्थापना कटरा मंदिर प्रांगण में होगी। उसके बाद पूरे चार महीने मुनि श्री के सानिध्य में समाज के सभी वर्गों को धर्म लाभ मिलेगा।। चातुर्मास कमेटी के मीडिया प्रभारी कवि अखिल जैन ने यह सूचना पत्रकारों को प्रदान की। इस मौके पर मुकेश जैन ढाना सहित अन्य श्रद्धालु मौजूद रहे।
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National Seminar-बुन्देलखण्ड के पुरास्थल एरण को वैश्विक पटल पर लाना होगा



सागर वॉच/ जिस प्रकार मनुष्य के शरीर का केन्द्र बिन्दु उसका हृदय होता है। उसी प्रकार भारत का हृदय स्थल बुन्देलखण्ड है। बुन्देलखण्ड के प्रमुख पुरास्थल एरण को वैश्विक पटल पर प्रदर्शित करने के लिए उसके संरक्षण एवं संवर्धन सहित बुन्देलखण्ड के प्रमुख पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने की जरूरत है

यह विचार डॉ हरिसिंह गौर केंद्रीय विश्वविद्यालय की कुलपति ने आज़ादी के 75 वीं वर्षगाँठ के अवसर पर भारत सरकार द्वारा आज़ादी का अमृत महोत्सव के तहत विश्वविद्यालय के  प्राचीन भारतीय इतिहास, संस्कृति एवं पुरातत्त्व विभाग, में ’बुन्देलखण्ड की सांस्कृतिक विरासत’ पर राष्ट्रीय संगोष्ठी में अपने संबोधन के दौरान व्यक्त किये । 

संगोष्ठी का आरम्भ पण्डित राजा मिश्रा द्वारा स्वस्तिक वाचन ,सरस्वती वंदना एवं अतिथियों के द्वारा दीप प्रज्वलन किया गया। संगोष्ठी के आरम्भ में विश्वविद्यालय के संस्थापक डॉ. हरीसिंह गौर एवं विभाग के संस्थापक प्रो. के. डी. वाजपेयी की आवक्ष मूर्तियों पर माल्यार्पण किया गया।

संगोष्ठी के मुख्य अतिथि पद्मश्री राम सहाय पाण्डेय द्वारा अपने वक्तव्य में यह कहा गया कि हम वर्ष 1975 से विश्वविद्यालय से जुड़े हुए हैं। ऐसे कई अवसर आये जिन में मुझे अपनी विरासत राई नृत्य के संरक्षण, संवर्धन एवं विकास के लिए विश्वविद्यालय के कार्यक्रमों में उपस्थित होने का अवसर प्राप्त हुआ। अंत में उन्होंने अपने मिले पद्मश्री सम्मान को व्यक्तिगत सम्मान न मानते हुए समूचे बुन्देलखण्ड का सम्मान माना है।

संगोष्ठी का बीज वक्तव्य इतिहास विभाग के अध्यक्ष प्रो. बी. के. श्रीवास्तव द्वारा प्रस्तुत किया गया इन्होंने अपने वक्तव्य में भारतवर्ष में पाषाणकाल से लेकर आधुनिक काल तक के इतिहास में बुन्देलखण्ड की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डाला। साथ ही बुन्देलखण्ड के विरासत स्वरूप अनेक घटनाक्रमों एवं स्थलों की महत्ता को भी बतलाया गया।

संगोष्ठी में अतिथियों का स्वागत संयोजक डॉ. आर. पी. सिंह द्वारा किया गया। इस संगोष्ठी पर प्रकाश डालते हुए विभागाध्यक्ष एवं संगोष्ठी निदेशक प्रो. नागेश दुबे द्वारा बुन्देलखण्ड की सांस्कृतिक विरासत पर नवीन तथ्यों के प्रकाश में आने की बात कही गयी। संगोष्ठी का संचालन संगोष्ठी आयोजन सचिव डॉ. सुरेन्द्र कुमार यादव द्वारा किया गया एवं संगोष्ठी के सह सचिव डॉ. सुल्तान सलाहुद्दीन ने अतिथियों का स्वागत किया। संगोष्ठी के उद्घाटन सत्र के अंत में विभागाध्यक्ष द्वारा समस्त अतिथियों का आभार प्रकट किया गया।

उद्घाटन सत्र के पश्चात प्रथम अकादमिक सत्र का आरम्भ हुआ जिसकी अध्यक्षता डॉ. शरद सिंह एवं हरगोविन्द विश्व ने किया, जिसमें डॉ. संतोष तिवारी द्वारा दमोह के शैलचित्र, अभिषेक खरे द्वारा बुन्देलखण्ड की सांस्कृतिक विरासत में लोक गीतों का योगदान डॉ. कविता शुक्ल द्वारा बुन्देलखण्ड के ताल तत्वज्ञ, डॉ. उमा पाराशर द्वारा झाँसी के संग्रहालय में संरक्षित कलाशिल्प तथा सत्र अंत में अंजली पाण्डेय द्वारा बुन्देलखण्ड के लोकगीतों पर शोध पत्र प्रस्तुत किया गया। सत्र की अध्यक्षता कर रहे डॉ. शरद सिंह एवं हरगोविन्द विश्व द्वारा बुन्देलखण्ड की विरासत से संबंधित अपने अनुभव को साझा किया।

इस संगोष्ठी के प्रायोजक भारतीय सामाजिक विज्ञान अनुसंधान परिषद (प्ब्ैत्)्, नई दिल्ली एवं भारतीय स्टेट बैंक, विश्वविद्यालय शाखा, सागर हैं। इस संगोष्ठी में मानविकी एवं सामाजिक विज्ञान अध्ययनशाला के अधिष्ठाता प्रो. ए. डी. शर्मा, प्रो. ए. पी. दुबे, प्रो. वी. आई. गुरू, प्रो. सरोज गुप्ता, प्रो. नवीन गिडियन. प्रो. अशोक अहिरवार, प्रो. ममता पटेल, डॉ. शशि सिंह, डॉ. कृष्णा राव, डॉ. पंकज सिंह, डॉ. संजय बरोलिया, डॉ. विश्वजीत परमार, डॉ. दीपशिखा परमार, डॉ. के. के. त्रिपाठी, डॉ. लक्ष्मी पाण्डेय एवं प्रदीप शुक्ला के साथ-साथ शोधार्थी एवं विद्यार्थीगण देश के विभिन्न राज्यों से उपस्थित रहे।

Yog Ayog- योग शिक्षा से मिलेगी परोपकारी नागरिक  तैयार करने में मदद-मुख्यमंत्री

सागर वॉच
 मध्यप्रदेश में योग आयोग का गठन किया जाएगा। योग की शिक्षा का कार्य अभियान के रूप में चलेगा। साथ ही योग विज्ञान से जुड़े विशेषज्ञों और अनुभवी योगाचार्यों से मार्गदर्शन प्राप्त किया जाएगा। खेल विभाग की गतिविधियों में भी योग को शामिल किया जाएगा। 

राष्ट्रभक्त, चरित्रवान और परोपकारी नागरिक तैयार करने में भी योग की शिक्षा का उपयोग किया जाएगा। मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने हरिद्वार में पतंजलि योगपीठ न्यास के संस्थापक स्वामी रामदेव, उनके सहयोगी आचार्य बालकृष्ण के साथ चर्चा के पश्चात यह जानकारी दी।

मुख्यमंत्री श्री चौहान ने योगपीठ सभाकक्ष में स्वामी रामदेव, आचार्य बालकृष्ण, न्यास के पदाधिकारियों, विद्यार्थियों, उपस्थित नागरिकों, विद्वतजन और आमंत्रित श्रोताओं को अपने संबोधन से मंत्र-मुग्ध कर दिया। 

योगपीठ के सभाकक्ष में मुख्यमंत्री श्री चौहान ने भारतीय सनातन संस्कृति, भारतीय योग परम्परा, विश्व के राष्ट्रों में भिन्न-भिन्न विचारधाराओं के प्रारंभ और समाप्त होने के साथ ही पंडित दीनदयाल उपाध्याय के दर्शन, वर्तमान वैश्विक चुनौतियों और भारत के नेतृत्व को मिल रहे समर्थन के संबंध में विस्तार से विचार व्यक्त किए। 

मुख्यमंत्री श्री चौहान ने मनुष्य द्वारा मन, शरीर, बुद्धि और आत्मा के सुख की चाह को विभिन्न दृष्टांतों के साथ प्रस्तुत किया। मुख्यमंत्री श्री चौहान बाबा रामदेव की उपस्थिति में योगपीठ, हरिद्वार में 'वैश्विक चुनौतियों का सनातन समाधान-एकात्म बोध' संगोष्ठी को संबोधित कर रहे थे।

योग विज्ञान का महत्व

मुख्यमंत्री श्री चौहान ने योग विज्ञान के महत्व की जानकारी दी। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि वे अनेक वर्ष से नियमित रूप से योग कर रहे हैं। मुख्य रूप से प्राणायाम, भस्त्रिका, अनुलोम-विलोम, कपाल भाति आदि के साथ ही श्वांस लेने और छोड़ने के अभ्यास कर रहे हैं। गति के साथ साँस लेने के साथ नई ऊर्जा, नई चेतना और नई शक्ति शरीर को मिलती है, साँस छोड़ने पर अनेक विकार और कुविचार बाहर निकल आते हैं।

सनातन परम्परा में निहित हैं विश्व की समस्याओं के समाधान

मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि सभी चुनौतियों का समाधान हमारी सनातन परम्परा में पहले से ही मौजूद है। मेरा-तेरा करने का भाव छोटे दिल वालों का होता है, जो विशाल ह्रदय वाले होते हैं, वह कहते हैं पूरी दुनिया ही मेरा परिवार है। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि दो इच्छाएँ हर व्यक्ति की होती हैं। एक कोई कभी मरना नहीं चाहता और दूसरा सब सुखी जीवन चाहते हैं। मनुष्य शरीर, मन, बुद्धि और आत्मा का समुच्चय है। अगर मनुष्य को सुखी होना है तो इन चारों को सुखी करना होगा। आज धरती का शोषण हो रहा है।

ग्लोबल वार्मिंग के विषय पर पूरा विश्व चिंतित 

मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी भारत को विश्व का सिरमौर बनाने के लिए लगे हैं। हम इसमें कोई कसर नहीं छोड़ेंगे। ग्लोबल वार्मिंग के विषय पर पूरा विश्व चिंतित है। हमारे प्रधानमंत्री हाल ही में अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी में वन-सन, वन-ग्रिड और वन-वर्ल्ड की बात कर चुके हैं। 
समावेशी विकास के लिए शांति आवश्यक है। यह विश्व में सबसे बड़ी चुनौती है। प्रधानमंत्री श्री मोदी के नेतृत्व में वैभवशाली और गौरवशाली राष्ट्र का निर्माण हो रहा है। राष्ट्र के पुनर्निर्माण के कार्य में स्वामी रामदेव जैसे व्यक्तित्व भी यह उत्तरदायित्व निभा रहे हैं।

एकात्म भाव भारतीय संस्कृति का मूल भाव

हमारी परम्परा में वसुधैव कुटुम्बकम् की बात कही गई है। सारी दुनिया एक परिवार की तरह है। प्राणियों में सद्भावना और विश्व के कल्याण का विचार भारत ने दिया। सर्व-कल्याण का भाव और सभी को आत्म-भाव से देखने की दृष्टि का समर्थन किया गया है। जीव-जन्तु, कीट-पतंग सबमें एक ही चेतना व्याप्त है। 

एकात्म भाव भारतीय संस्कृति का मूल भाव है। भगवान का नरसिंह अवतार हुआ, जिसका अर्थ है कि विश्व में समस्त प्राणियों का सह-अस्तित्व हैं। हमारे आराध्य देवी-देवता लक्ष्मी जी, सरस्वती जी, भगवान शिव और विष्णु भगवान भी पशु-पक्षियों के साथ दृष्टव्य होते हैं। वृक्षों की पूजा हजारों साल से हो रही है। भगवान श्री कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत की पूजा की परम्परा के निर्वहन की प्रेरणा दी। भौतिकता की अग्नि में झुलस रहे विश्व को भारत का दर्शन राह दिखाएगा।

योग स्वस्थ रहने का क्रांतिकारी माध्यम

मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि कोरोना काल में पतंजलि योगपीठ के सहयोग से मध्यप्रदेश में करीब ढाई लाख लोगों ने योग से निरोग का लाभ लेकर स्वास्थ्य लाभ लिया। आज रोगों के उपचार के लिए अनेक औषधियों का प्रयोग होता है, लेकिन योग का अपना विशेष महत्व है। अनेक रोगों का समाधान योग में समाहित है। योग स्वस्थ रहने का एक क्रांतिकारी और कारगर माध्यम है।

मध्यप्रदेश विकास का पर्याय बना: स्वामी रामदेव

योगपीठ न्यास के संस्थापक स्वामी रामदेव ने कहा कि मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री श्री चौहान ने राष्ट्रधर्म और सेवाधर्म को सबसे ऊपर रखा है। मध्यप्रदेश की पहचान गड्डों वाली सड़कों के राज्य के रूप में थी। आज मध्यप्रदेश विकास का पर्याय बना है। बेटियों की शिक्षा और सुरक्षा, अंत्योदय के भाव को महत्व देने वाले मुख्यमंत्री श्री चौहान योग, आध्यात्म और भारतीय संस्कृति में विश्वास रखते हैं। आजादी के अमृत महोत्सव में मध्यप्रदेश योग के क्षेत्र में सबसे ऊपर होगा। योग रचना-धर्मिता और मनुष्य की प्रतिभा को बढ़ाता है। योग कर्मकांड नहीं है, जीवन का उत्सव है।

योग साधना में मप्र कर रहा है प्रगति :आचार्य बालकृष्ण

आचार्य बालकृष्ण ने स्वागत भाषण में कहा कि मुख्यमंत्री श्री चौहान का योग ऋषि के आँगन में स्वागत है। मध्यप्रदेश अन्न उत्पादन में आगे है और पूरे राष्ट्र को मध्यप्रदेश के शरबती गेहूँ का लाभ मिलता है। योग साधना में भी मध्यप्रदेश प्रगति कर रहा है। सभी ग्रामों और स्कूलों तक योग पहुँचाया जा रहा है। यह प्रशंसनीय है।

योगपीठ के सभाकक्ष में मुख्यमंत्री श्री चौहान के आगमन पर सभी उपस्थितों ने हर्ष के भाव से मुख्यमंत्री श्री चौहान और श्रीमती साधना सिंह चौहान का स्वागत किया।

Gour-Utsav-2021-गौर-उत्सव-के-पहले-दिन-बही-काव्य-गंगा


सागर वॉच
21 नवंबर। गौर उत्सव के पहले दिन बही काव्य-गंगा ‘कुछ मन की, कुछ माटी की’ आयोजन में शिक्षकों ने सुनाईं कवितायें विश्वविद्यालय के स्वर्ण जयन्ती सभागार में ‘कुछ मन की, कुछ माटी की’ शीर्षक से शिक्षकों के काव्य पाठ का आयोजन संपन्न हुआ

इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि कुलपति प्रो. नीलिमा गुप्ता ने कहा कि विश्वविद्यालय के शिक्षकों में अपार प्रतिभाएं हैं, उनकी प्रतिभा के हर क्षेत्र का लाभ विश्वविद्यालय को मिलना चाहिए साथ ही शिक्षकों को भी अपनी प्रतिभाओं को निखारने का अवसर मिलना चाहिए. विश्वविद्यालय इसके लिए सबसे सुयोग्य स्थल है यह शिक्षकों का, शिक्षकों द्वारा और शिक्षकों के लिए किया गया आयोजन है

कहकशां हूँ मैं, सारे सितारे मुझमें.......बहता दरिया हूँ, सारे किनारे मुझमें.........
प्रो. नवीन कांगो ने गजल की प्रस्तुति दी और डॉ. गौर के जीवन-चरित्र पर कविता भी सुनाई. डॉ. राकेश सोनी ने माउथ ऑर्गन बजाते हुए गीतकार संतोष आनंद की रचना ‘इक प्यार का नगमा है.....महफ़िल में समां बांधा सपनों की इस नगरी में, कुछ सपने लेकर आई हूँ, शीर्षक से डॉ. वन्दना राजौरिया ने अपनी रचना का पाठ किया डॉ. पंकज तिवारी ने डॉ. गौर के अवदान पर केंद्रित कविता पाठ किया. कुलसचिव संतोष सोहगौरा ने महादानी डॉ. गौर पर स्वरचित कविता सुनाई
विश्वविद्यालय के शिक्षक-कवियों डॉ. पंकज तिवारी, प्रो. जी एल पुणताम्बेकर, डॉ. अफरोज, डॉ. अफरीन खान, डॉ. हिमांशु, डॉ. संजय कुमार, प्रो. दिवाकर सिंह राजपूत, डॉ. कालीनाथ झा, प्रो. बी.के. श्रीवास्तव, डॉ. ललित मोहन, डॉ. किरण आर्या, डॉ. शशि कुमार सिंह, डॉ. रामहेत गौतम, डॉ. नीरज उपाध्याय, डॉ. त्रिलोकी नाथ ने अपनी काव्य रचनाओं का पाठ किया

कार्यक्रम के अंत में वरिष्ठ प्रो. पीपी सिंह, प्रो. पी के कठल, कुलसचिव संतोष सोहगौरा और संयोजक प्रो. नवीन कांगो ने सभी शिक्षक-कवियों को स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया. इस अवसर पर विश्वविद्यालय के शिक्षक, अधिकारी, कर्मचारी, विद्यार्थी और सागर शहर के अनेक गणमान्य नागरिक और पत्रकार बंधु उपस्थित थे. संचालन सह-संयोजक डॉ. राजेन्द्र यादव ने किया और डॉ. आशुतोष ने आभार ज्ञापन किया.


इसके अलावा गौर उत्सव के पहले दिन विद्यार्थियों ने शब्द, चित्र और रंगों से अपने मन के डॉ. हरीसिंह गौर को दर्शाया
गौरतलब है कि डॉ. हरीसिंह गौर विश्वविद्यालय, सागर के संस्थापक महान शिक्षाविद् एवं प्रख्यात विधिवेत्ता, संविधान सभा के सदस्य एवं दानवीर डॉ. सर हरीसिंह गौर के 152वें जन्म दिवस के उपलक्ष्य में 21 नवंबर से 26 नवंबर तक ‘गौर उत्सव’ का आयोजन किया जा रहा है

पहले दिन महाविद्यालयीन और स्कूल के विद्यार्थियों ने डॉ. गौर की जीवनी और उनके पर केंद्रित निबंध और चित्रकला प्रतियोगिता में भाग लिया यह दोनों प्रतियोगिताएं गर्ल्स डिग्री कॉलेज और एमएलबी स्कूल, सागर में आयोजित की गई थीं आयोजन के सह-संयोजक डॉ. राजेन्द्र यादव ने बताया कि दोनों प्रतियोगिताओं में सौ से अधिक विद्यार्थियों ने प्रतिभागिता की. विश्वविद्यालय के शिक्षकों डॉ. अरविन्द कुमार और अरविन्द गौतम के निर्देशन में ये आयोजन संपन्न हुआ.

प्रतियोगिता स्थलों पर पहुँचकर कुलपति ने किया विद्यार्थियों का उत्साहवर्धन
विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. नीलिमा गुप्ता ने प्रतियोगिता स्थलों पर पहुँचकर प्रतिभागी विद्यार्थियों का उत्साहवर्धन किया. इस दौरान विश्वविद्यालय के कुलसचिव संतोष सोहगौरा और उपकुलसचिव सतीश कुमार मौजूद रहे.
22 नवंबर 2021 को आयोजित कार्यक्रम
मीडिया अधिकारी डॉ. विवेक जायसवाल ने बताया कि 22 नवंबर को पूरे दिन खेल-कूद प्रतियोगिताओं का आयोजन किया गया है. सुबह 08.30 बजे से विश्वविद्यालय के शिक्षकों और अधिकारियों के बीच 20 ओवर का मैत्री क्रिकेट मैच होगा. 11.00 बजे से विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों के लिए कबड्डी प्रतियोगिता रखी गई है

इसी के स
मानांतर 11 बजे से ही विश्वविद्यालय के विद्यार्थी वालीबाल प्रतियोगिता में भाग लेंगे. 12.00 बजे से विश्वविद्यालय के महिला शिक्षक, अधिकारी, कर्मचारी तथा महिला क्लब के सदस्यों के लिए म्यूजिकल चेयर और दोपहर 01.30 बजे से ‘टग ऑफ़ वॉर’ प्रतियोगिता का आयोजन किया गया है. 22 नवंबर को आयोजित सभी प्रतियोगिताएं विश्वविद्यालय के शारीरिक शिक्षा विभाग के प्रांगण में संपन्न होंगी.

Garba-Dance-Event--अश्लील-फ़िल्मी-गानों-पर गरबा नृत्य संस्कृति और आस्था पर कुठाराघात?
सागर वॉच। मुख्यमंत्री के नाम सौंपे ज्ञापन में हिन्दू जागरण मंच के कार्यकर्ताओं ने नवरात्रि महापर्व के मौके पर गरबा नृत्य के आयोजक मंडलों पर आरोप लगाया है कि उनके द्वारा गरबा को अश्लील फिल्मी गाना लोकगीतों और परिधान का उपयोग कर हिंदू धर्म संस्कृति और आस्था के प्रतीक नवरात्रि पर्व को खंडित किया जा रहा है। 

मंच के संयोजक डॉ उमेश सराफ के नेतृत्व में जिला कलेक्टर एवं पुलिस अधीक्षक को मुख्यमंत्री के नाम सौंपे ज्ञापन में आयोजकों के ऊपर हिंदू जागरण मंच सख्त कानूनी कार्रवाई की मांग की है। 

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ज्ञापन में प्रशासन से हिंदू धर्म एवं संस्कृति और आस्था पर कुठाराघात करने वालों के ऊपर सख्त से सख्त कानूनी कार्रवाई किये जाने की मांग करते हुए कहा है कि कि अगर  प्रशासन द्वारा गरबा आयोजक मंडलों के ऊपर कोई कार्रवाई नहीं होती है तो हिंदू जागरण मंच स्वयं आंदोलन कर एवं आयोजन स्थल पर जाकर बंद कराने के लिए बाध्य होगा। 

 गौरतलब है कि एक दिन पूर्व भी एक होटल में चल रही गरबा की तैयारियों में बज रहे अश्लील फिल्मी गानों को लेकर शिवसेना राज्य उप प्रमुख पप्पू तिवारी ने प्रदर्शन कर ज्ञापन दिया था। 

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Lokarpan-युवा-पीढ़ी-को-सरल-हिंदी-भाषा-में-राम-कथा-से-रूबरू-कराती-है-यह-कृति

सागर वॉच आज़ादी के अमृत महोत्सव और हिन्दी पखवाड़ा के अवसर पर डॉ.हरीसिंह गौर विश्वविद्यालय सागर के हिन्दी विभाग द्वारा शहर के जाने माने शायर अशोक मिज़ाज की भारतीय ज्ञानपीठ से प्रकाशित पुस्तक श्रीराम कहानी के लोकार्पण, परिचर्चा और कवि स्मेलन का आयोजनअंग्रेज़ी विभाग के स्वामीनाथन सभागार में किया गया। 

कार्यक्रम का शुभारंभ युवा कवयित्री सोनाली सेन द्वारा की गई मधुर सरस्वती वंदना से हुआ। मुख्य अतिथि के रूप में बोलते हुए कुलसचिव संतोष सहगौरा ने कहा कि राम का तो नाम ही भवसागर से तारने के लिए काफी है।

अशोक मिज़ाज की कृति श्रीराम कहानी युवा पीढ़ी तक सरल हिंदी भाषा में भगवान श्रीराम के संदेश को पहुंचाने में सफल रहेगी। अध्यक्षीय उद्बोधन में संस्कृत विभाग अध्यक्ष प्रो. आनंद प्रकाश त्रिपाठी ने कहा कि शायर अशोक मिज़ाज की श्रीराम कहानी लोक जागरण की दृष्टि से एक महत्वपूर्ण कृति है। जो अपनी सहज गद्य शैली  और राम - कथा की सरस प्रस्तुति के कारण जन मानस में लोकप्रिय होगी। 


हिन्दी विभाग में सहा.प्रा.डॉ.आशुतोष मिश्र ने समीक्षा करते हुए कहा कि कोई साहित्यकार जो अपनी पहचान अपने विशेष क्षेत्र में बना चुका हो उसमें परिवर्तन करते हुए दूसरे रूप में आना अपने आपको विसर्जित करने जैसा कार्य है। ये साहस शायर अशोक मिज़ाज ने किया है। ठीक ही है जब राम मिल गए तो फिर किस चीज़ की ज़रूरत है। 

इस पुस्तक में जो शायर अशोक मिज़ाज को ढूंढ़ेंगे वो निराश होंगे और जो राम को देखेंगे वो ख़ुश हो जाएंगे। समीक्षक डॉ. सुजाता मिश्र ने कहा कि किताब पर आशुतोष राणा और आनंदप्रकाश त्रिपाठी जैसे लोगों का फ्लैप पर लिखना ही सब कुछ कहता है, यह कहानी अपने उद्देश्य में पूर्णत: सफलहै।

 
हिन्दी विभागाध्यक्ष प्रो. चंदा बैन और सारस्वत अतिथि डॉ. सुश्री शरद सिंह ने भी श्री राम कहानी को सरल सहज भाषा में एक सफल प्रयास बताया। संकायाध्यक्ष और भाषा अध्ययन शाला के अधिष्ठाता भवतोष इन्द्रगुरू विशिष्ट अतिथि के रूप में मौजूद रहे। लेखक अशोक मिज़ाज ने गज़़लों की दुनिया से गद्य लेखन के प्रति आकर्षित होने को श्रीराम की प्रेरणा और उनके प्रति श्रद्धा भाव कहा। 

इस अवसर पर डॉ. छबील कुमार मेहर को उनकी साहित्यिक उपलŽिधयों के लिए शाल और श्रीफल से स्मानित किया गया। बाद में कवि स्मेलन भी हुआ जिसमें आदर्श दुबे, सोनाली सेन,प्रभात कटारे, आर.के. तिवारी, डॉ. सुश्री शरद सिंह,अशोक मिज़ाज ने काव्यपाठ किया। 

संस्कृत विभाग के सहा.प्रा. डॉ.शशि कुमार सिंह ने प्रभावी संचालन किया एवं आभार हिन्दी विभाग सहा.प्रा.डॉ.राजेन्द्र यादव ने माना। सागर विश्वविद्यालय परिवार के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ जब तीन तीन भाषा विभागों के विभागाध्यक्ष और कुलसचिव की उपस्थिति में किसी शायर की किताब का लोकार्पण हुआ हो और उसमें  अन्य विभागों के प्रोफेसर्स, शोध छात्रों के अलावा शहर  की साहित्यिक संस्थाओं के अध्यक्ष और प्रमुख साहित्यकार उपस्थित हों।


इस अवसर पर शहर से पधारे वरिष्ठ लोक संस्कृति कर्मी शिवरतन यादव, श्यामलम् अध्यक्ष उमाकांत मिश्र, स्तंभकार डॉ. राकेश शर्मा, प्रलेस अध्यक्ष टीका राम त्रिपाठी रुद्र, ललित कला मंडल अध्यक्ष मुन्ना शु€ला, श्रुतिमुद्रा व बुनियाद संस्था से कविता शु€ला,पाठक मंच केंद्र संयोजक आर.के तिवारी, अ.भा. हिन्दी सेवा समिति अध्यक्ष ज.ला. राठौर, हरी शु€ला, डॉ.राम रतन पांडेय, डॉ. यू.के. चौबे, एम.डी. त्रिपाठी प्राचार्य, कवि रमेश दुबे, संगीत श्रोता समाज के डॉ. अशोक कुमार तिवारी की उपस्थिति उल्लेखनीय रही।

Gurudhaam-Radha-Prakatyotsav-श्रीराधातत्व-एवं-उनकी-महिमा-पर-हुआ -धर्म-प्रवचन

सागर वॉच।
 भगवान् 
श्रीकृष्ण की आह्लादिनी शक्ति श्री राधारानी का प्राकट्योत्सव सागर के भूतेश्वर मार्ग पर स्थित श्रीगुरुधाम हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। 

राधाष्टमी 59वें  वार्षिक महोत्सव में 14 सितम्बर मंगलवार को प्रात: 6 बजे मंगलारती के पश्चात् भजन-संकीर्तन एवं श्री हरिनाम संकीर्तन प्रभातफेरी निकाली गई। श्री गुरुधाम से प्रारम्भ होकर मोतीनगर थाना, चमेलीचौक,बड़ाबाजार सराफा कोतवाली होकर चकराघाट पहुँचकर वापिस उसी मार्ग से प्रभातफेरी गुरुधाम में समाप्त हुई। 

प्रभातफेरी में भोपाल से रवीन्द्र श्रीवास्तव, राकेश श्रीवास्तव अजमेर से निर्मल प्रभु कोटा से हरिनारायण शर्मा दमोह से कपिल सोनी,ललित कृष्ण असाटी, सीताराम सोनी नरयावली से रामनारायण विश्वकर्मा मोतीलाल,लखन हरई से शंकरलाल, अशोक, गैसाबाद से कमल ,बलदेव ,खुरई से महेश श्रीवास्तव, राधामोहन माहेश्वरी, देवेश चौरसिया, ललित राजपूत सेमरा (ढाना)से रामेश्वर बलराम ,गोविन्द राहतगढ़ से पप्पू अग्रवाल आदि भक्तों ने भाग लिया ।

प्रभातफेरी पश्चात् 10 बजे से भजन संकीर्तन एवं धर्मप्रवचन के माध्यम से श्रीराधातत्व एवं उनकी महिमा पर प्रकाश डाला गया। दोपहर 12.30 बजे श्रीराधारानी जी का महाअभिषेक एवं आरती का दर्शन सभी भक्तों ने किया। तत्पश्चात् एक विशाल भण्डारे का आयोजन हुआ।

यह आयोजन श्रीविरही जी महाराज के कृपापात्र नित्यलीला प्रविष्ट ऊँ भगवद्पाद श्रीश्री 108  श्री चक्रधर प्रसाद ब्रह्मचारी जी भक्ति शास्त्री जी महाराज के कृपाआशीर्वाद से एवं उनके प्रिय शिष्य श्रीहरेकृष्ण दास ब्रह्मचारी जी की पावन सन्निधि में सम्पन्न हुआ। जिसमें श्री गौरहरि संकीर्तन मण्डल वं श्री चैतन्य प्रेमभक्ति वैष्णव संस्थान सागर के सभी भक्तों का विशेष योगदान रहा। कल बुधवार को श्री गुरुधाम में श्री भागवत जयंती के उपलक्ष्य में विविध भक्ति अनुष्ठान सम्पन्न होंगे।

Poetry-फिर-घर-आँगन-महकाएगी

  फिर घर आँगन महकाएगी 

 

फिर से धरती मुसकाएगी

          फिर गीत खुशी के गाएगी

 फिर फूल खिलेंगे बगिया में

           फिर से सावन रुत आएगी।



हम दूर अभी एक दूजे से रहने को माना शापित हैं यह दूरी हमको निश्चित ही कुछ और पास ले आएगी।

अब कौन बचा ऐसा जिसको
खोने के दुःख का भान नहीं
सामूहिक दुःख की अनुभूति
हम सब को एक बनाएगी।

यह धरा पढ़ाती है हम को अति कोमलता से पाठ कई सब याद रखें अथवा इतनी निष्ठुरता से समझाएगी।

तब राह नई बन पाएगी।
सब शासित शासक सजग रहें
चेताएँ भी चिन्तित भी हों
हम भूल अगर स्वीकार करें


माना पतझड़ की बेला में दुःख भी है गहन उदासी है
लेकिन वसन्त की पुरवाई

फिर घर आँगन महकाएगी।
साभार : संतोष रोहित

 

Koun-Banega-Cororepati-KBC-Appeal-अमिताभ-बच्चन-ने-शिवराज-सरकार-से-की-तबादले-की-अपील

KBC : अमिताभ ने मप्र सरकार से कहा :आरक्षक पति-पत्नी की पोस्टिंग मंदसौर में कर दीजिए ना, क्या जाता है आपका


★ केबीसी में सिपाही का छलका दर्द तो अमिताभ बच्चन  ने शिवराज सरकार से की तबादले की अपील

 बिग बी अमिताभ बच्चन के हिट शो कौन बनेगा करोड़पति (केबीसी)  में मध्य प्रदेश के मंदसौर में पदस्थ पुलिसकर्मी  का दर्द छलका तो शो को होस्ट बिग बी ने  शिवराज सरकार से अपने ही अंदाज में उनके तबादले की अपील कर दी। अमिताभ ने  शिवराज सरकार से कहा- पति-पत्नी की पोस्टिंग मंदसौर में कर दीजिए ना।अमिताभ की अपील के बाद पुलिस कर्मी दम्पत्ति के  तबादले की सिफारिश भी मंदसौर के विधायक यशपाल सिंह सिसोदिया ने सीएम से की है। 


  केबीसी में तबादले पर ऐसे हुए चर्चा 

मंगलवार रात को प्रसारित केबेसी के  एपिसोड में पुलिस कर्मी विवेक परमार अभिनेता अमिताभ बच्चन के सामने हॉट सीट पर थे। बातचीत में जब परिवार की बात चली तो विवेक का दर्द छलक गया कि मैं और पत्नी एक ही विभाग में हैं, लेकिन पत्नी ग्वालियर में और मैं मंदसौर में पदस्थ हूं। कुछ कारणों से हमारी तैनाती एक जगह नहीं हो सकती। पत्नी ने भी कार्यक्रम में प्रसारित वीडियो में अपनी पीड़ा सुनाई, तो अमिताभ बच्चन अपने अंदाज में मध्य प्रदेश की शिवराज सरकार से बोल उठे- 'पति-पत्नी की पोस्टिंग मंदसौर में कर दीजिए ना। क्या जाता है आपका?' शो में विवेक ने 25 लाख रुपये जीते हैं।


मंदसौर के विधायक ने ट्वीट कर मुख्यमंत्री तक पहुंचाई आरक्षक की बात

अमिताभ बच्चन की अपील के बाद मंदसौर के विधायक यशपाल सिंह सिसौदिया ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को ट्वीट किया कि 'मेरी विधानसभा क्षेत्र के मंदसौर मुख्यालय पर पदस्थ आरक्षक विवेक परमार को केबीसी में अमिताभ बच्चन के साथ बैठने का गौरव प्राप्त हुआ है। मुख्यमंत्री से आग्रह है कि वे विवेक की समस्या का समाधान करने का आदेश प्रदान करें।'

Culture-&-Tradition-Vine-of-Immoratality-लक्ष्मी-देवी-की-प्रिय-अमरबेल -में -छुपा-है-अमरता-का-राज

दिवाली विशेष : लेखक- वरिष्ठ पत्रकार -कमलेश तिवारी 

 सागर वॉच । दीपवली पर मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने भक्तजन कई उपाय करते हैं। लेकिन ज्यादातर लोग इस बात से अंजान हैं कि खंडहरों, निर्जन ईलाकों मे किसी पेड़ से लिपटी पीले रंग के  धागेनुमा बेल अमरबेल कहलाती है व यह लक्ष्मी जी की प्रतीक मानी जाती है।

ऐसी मान्यता है कि जिस पूजन स्थल या पूजन सामग्री में अमरबेल मौजूद रहती है उस घर या स्थल पर लक्ष्मी जी का सहज आगमन होता है। इस बेल का धार्मिक महत्व के साथ औषिधीय महत्व भी बताया जाता है। इसमें बुढ़ापे को थामने की ताकत होती है। अंग्रेजी मे जिसे एंटी ऐजिंग गुण के रूप में जाना जाता है।

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इसके अलावा गृह-शांति व वास्तु पूजन में भी इसका प्रयोग होता है। आयुर्वेद व अध्यात्म ही नहीं साहित्य में भी इसका काफी उल्लेख किया गया है। कवि रहीम ने अपने एक दोहे मे  अमरबेल का जिक्र करते हुए लिखा है “ अमलबेल बिनु मूल की प्रतिपालत है ताहि, रहिमन ऐसे प्रभुहि तहिं, खोजत फिरिए काहि।” यानी जो ईश्वर बिना जड़ की अमरबेल का भी पालन पोषण करता है ऐसे ईश्वर को छोड़कर बाहर किसी ढूंढते फिरते हो। 

वर्तमान मे दुनिया भर की जान सांसत मे लाने वाले कारोना वायरस के उपचार के मामले मे भी केन्द्र सरकार के आयुष विभाग ने भी इस बीमारी के फैलाव को रोकने व बचाव मे अमर बेल के उपयोग का परामर्श जारी किया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी अपने लोकप्रिय कार्यक्रम मन की बात व अन्य माध्यमों से कोरोना के बचाव के लिए पारंपरिक व भारतीय मूल की प्रचलित पद्धतियों को अपनाने की सलाह दे चुके हैं।

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बुंदेलखंड की आवोहवा अमरबेल के लिए पैदा होने के लिए मुफीद मानी जाती है। इसीलिए यह इस अंचल के ग्रामीण व शहरी क्षेत्रों मे नजर आ जाती हैं। बताया जाता है कि भारत के अलावा चीन, कोरिया, थाईलैंड व पाकिस्तान की पारंपरिक चिकित्सा प्रणालियों मे भी उपचार के लिए अमरबेल का उपयोग किया जाता हैं। विश्व मे इसकी करीब 180 प्रजातियां  पाईं जातीं हैं। यह वैज्ञानिक जगत मे कुस्कुटा के नाम से जानी जाती है। भारत मे कुस्कुटा रिफ्लेक्सा बहुतायत मेंबेर, बबूल और सहपर्णी पेड़ों पर मिलती है।

अमलबेल के चिकित्सकीय गुणों के बारे मे फार्मोकोलाॅजी जर्नल्स में उल्लेख है कि इस अमरबेल में बुढ़ापे को रोकने, दर्द-निवारक, कृमिनाशक,नेत्र विकार, लीवर व किडनी के रोगों के उपचारक गुण भी होते हैं। बच्चों के शारीरिक विकास के लिए भी इसे लाभदायक बताया जाता है।

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प्रकृतिविद् किशोर पवार के मुताबिक अमरबेल अद्भुत होती है। इसमें न तो जड़ होती है और न ही पत्तियां। फिर भी सालों-साल जीवित रहती है। यह परजीवी जिस पेड़ पर लिपटती है उसी से भोजन-पानी प्राप्त करती हैंे। पौधे के नाम पर इसमें केवल पीला तना होता है और बिना सहारे के यह केवल एक हफ्ते से ज्यादा जीवित नहीं रह सकती है। इसलिए अंकुरित होते ही पोषण के लिए पेड़ से लिपट जाती है और धरती से उसका नाता हमेशा के लिए टूट जाता है।

इसके तने से निश्चित दूरी पर हिस्टोरिया नाम की जड़ें निकलतीं हैं जो इसे इसके पसंदीदा पेड़ से चिपकाए रखतीं हैं और यहीं जड़ें उसके लिए पेड़ से तैयार भोजन की आपूर्ति करती  रहतीं हैं।

अनुसंधानकर्ता रूनयान के मुताबिक अमरबेल अपने पसंदीदा पेड़ की ओर उसकी गंध के सहारे  बढ़ती है और अंकुरित होने के बाद एक घंटे के अंदर ही उस पेड़ से लिपट जाती है। जमीन से कोई संबंध नहीं रहने के कारण इसे कहीं-कहीं आकाश बेल भी कहा जाता है। बंगाल में यह स्वर्णलता के नाम से जानी जाती है।

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Bundelkhand's Cutural Fusion-Durga-Stuti

सागर वॉच।
सागर के studio Anashté द्वारा दुर्गा स्तुति पर कथक नृत्य की प्रस्तुति तैयार की है।  बुंदेलखंड का यह ऐसा पहला कार्य है जिसमें अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर  संयोजन हुआ है ।  

इस दुर्गा स्तुति का संगीत फ्रांस की मनुएला लिसन्ज़ातो (manuela licenziato ) संजोया है । जबकि नृत्य कत्थक शैली में नृत्यांगना  स्वाति यादव ने किया है । दुर्गा स्तुति को स्वर सागर की गायिका लीना घोष, जॉली घोष एवं गायक पार्थो घोष ने दिया  है। 

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सागर के युवा संगीतकार यश के.जी श्रीवास्तव बताते है कि यह अद्भुत प्रयास है जिससे भविष्य में भारतीय संगीत को समूचे विश्व में लोकप्रिय बनाया जा सकता है । ऐसी परियोजना पहली बार सागर के कलाकारों  द्वारा कि गई है जिसमें अंतरराष्ट्रीय कलाकारों के साथ मिलकर नृत्य एवम् संगीत का सर्जन किया है