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योग गुरु विष्णु आर्य ने योग शिक्षा और संस्कारों की आवश्यकता पर जोर देते हुए बताया कि बदलती दिनचर्या, गलत खानपान और मोबाइल के अत्यधिक प्रयोग से सभी आयु वर्ग के लोगों में स्वास्थ्य समस्याएँ बढ़ रही हैं। उन्होंने योग को दैनिक जीवन का हिस्सा बनाने की सलाह दी।

योग गुरु ने अपने ये विचार डॉक्टर हरीसिंह गौर विश्वविद्यालय सागर एवं राष्ट्रीय सामाजिक सुरक्षा संस्थान, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय भारत सरकार के संयुक्त तत्वावधान में विश्वविद्यालय के अभिमंच सभागार में वरिष्ठ नागरिकों के लिए  आयोजित दो दिवसीय राज्य स्तरीय सम्मेलन के दूसरे दिन अपने सम्बोधन के दौरान व्यक्त किये। 

इसी सिलसिले में डॉ. ज्ञानेश तिवारी ने मानसिक स्वास्थ्य में गिरावट और उससे निपटने के उपायों पर चर्चा की। इस दौरान मनोविज्ञान विभाग के विद्यार्थियों ने मानसिक स्वास्थ्य परामर्श शिविर भी आयोजित किया।

डॉ. रेखा कालिया भारद्वाज ने सकारात्मक सोच के महत्व को समझाया और कहा कि उम्र सिर्फ एक संख्या है। सही खानपान से स्वास्थ्य में सुधार किया जा सकता है।

संयुक्त कुलसचिव संतोष सोहगौरा ने मनोबल ऊंचा रखने और बच्चों को संस्कारवान बनाने पर जोर दिया। उन्होंने वरिष्ठ नागरिकों से संबंधित सरकारी योजनाओं, चिकित्सा और अधिनियमों की जानकारी दी।

पेंशनर्स एसोसिएशन के जिला प्रमुख हरिओम पाण्डेय ने वरिष्ठ जनों के संगठन की आवश्यकता बताई और कहा कि आपसी विमर्श और सहयोग से मानसिक एवं शारीरिक मजबूती बनाए रखी जा सकती है।

सामाजिक न्याय विभाग के संयुक्त संचालक डॉ. धनसिंह यादव ने कहा कि विकसित भारत के लिए मन का विकास जरूरी है। उन्होंने वरिष्ठ नागरिकों को समाज का ज्ञान भंडार बताया और सरकार द्वारा किए जा रहे प्रयासों, चिकित्सा सुविधाओं और वृद्ध आश्रमों की जानकारी दी।

एडवोकेट वीनू राणा ने वृद्ध जनों से जुड़े कानूनी पहलुओं पर चर्चा की और लोक अदालत तथा बेदखली से संबंधित कानूनों के बारे में जागरूक किया।

अपर जिला मजिस्ट्रेट रुपेश उपाध्याय ने समाज में वरिष्ठ जनों की स्थिति सुधारने और सामाजिक संरचना को नए सिरे से गढ़ने की आवश्यकता बताई। उन्होंने सागर में वरिष्ठ नागरिकों के लिए नई सरकारी पहलों पर चर्चा की।

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समापन कार्यक्रम के मुख्य अतिथि प्रो. एस. पी. व्यास
 कहा कि मनुष्य को अपनी आवश्यकताओं को पहचानना चाहिए और विज्ञान के माध्यम से जीवन जीने की शैली समझनी चाहिए। उन्होंने सामाजिक जुड़ाव और वृद्धावस्था में अच्छे गुणों को अपनाने की आवश्यकता पर जोर दिया।

डॉ. रेखा भारद्वाज ने परोपकार, आशावाद और आत्मदेखभाल का महत्व बताया। उन्होंने कहा कि वर्तमान में जीना, संघर्ष करना और सामुदायिक भागीदारी से सक्रिय रहना आवश्यक है।

विशिष्ट अतिथि डॉ. रेखा कालिया भारद्वाज और अध्यक्षता प्रो. अर्चना पांडे ने की। कार्यक्रम का स्वागत उद्बोधन संयोजक प्रो. विनोद भारद्वाज ने दिया, और सम्मेलन का प्रतिवेदन डॉ. ऋतु यादव ने प्रस्तुत किया। प्रतिभागियों ने फीडबैक भी साझा किया।

कार्यक्रम में विश्वविद्यालय से सेवानिवृत्त शिक्षक, अधिकारी, कर्मचारयों सहित सागर शहर एवं आस-पास के गाँवों के वरिष्ठ नागरिकों ने इस आयोजन में अपनी सहभागिता की। 

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