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डॉ. हरिसिंह गौर विश्वविद्यालय, सागर की शोधार्थी और वर्तमान में राष्ट्रीय औषधीय शिक्षा अनुसंधान संस्थान, अहमदाबाद में कार्यरत डॉ. साक्षी ने कैंसर उपचार में एक उल्लेखनीय उपलब्धि हासिल की है। उनके शोध “लिपोसोम कम्पोज़ीशन एंड मेथड फॉर टारगेटेड ड्रग डिलीवरी” को भारतीय पेटेंट प्राप्त हुआ है। यह नवाचार विशेष रूप से स्तन कैंसर (ब्रेस्ट कैंसर) के लिए दवाओं को लक्षित ढंग से (Targeted Drug Delivery) कोशिकाओं तक पहुँचाने की दिशा में एक बड़ी सफलता है।

इस तकनीक में डॉक्सोरूबिसिन (Doxorubicin – एक एंटी-कैंसर दवा) को पॉलीथिलीन ग्लाइकोल लेपित लिपोसोम (PEGylated Liposome – एक तरह का जैविक कण जो दवा को ले जाने में मदद करता है) के माध्यम से शरीर में पहुँचाया गया। साथ ही इसे सेल पेनेट्रेटिंग पेप्टाइड (CPP) नामक अणु से जोड़ा गया, जो कैंसर कोशिकाओं को पहचानकर दवा केवल उन्हीं तक पहुँचाता है।

🔹 कीमोथेरेपी की तुलना में यह तकनीक सुरक्षित है क्योंकि यह केवल कैंसर कोशिकाओं को प्रभावित करती है, जिससे बाल झड़ना, उल्टी, कमजोरी जैसे साइड इफेक्ट्स काफी कम हो जाते हैं।

🔹 इस तकनीक की इन विट्रो (In Vitro – प्रयोगशाला में कोशिकाओं पर) और इन वाइवो (In Vivo – जीवित प्राणियों पर) परीक्षणों में यह कारगर और सुरक्षित सिद्ध हुई है।

यह प्रणाली कैंसर कोशिकाओं के डीएनए को क्षति पहुँचाकर उनकी मृत्यु सुनिश्चित करती है और ट्यूमर साइट पर अधिक समय तक बनी रहती है, जिससे बार-बार दवा देने की ज़रूरत नहीं होती।

इस उत्कृष्ट शोध के लिए डॉ. साक्षी को विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन की 40वीं युवा वैज्ञानिक कांग्रेस में युवा वैज्ञानिक पुरस्कार एवं नगद राशि से सम्मानित किया गया। यह नवाचार अब क्लिनिकल परीक्षण और औद्योगिक उपयोग की दिशा में अग्रसर है।

विषय विशेषज्ञ मनोनीत

👉डॉ. दिवाकर सिंह राजपूत, जो डॉ. हरिसिंह गौर विश्वविद्यालय, सागर में मानविकी एवं समाज विज्ञान संकाय के अधिष्ठाता हैं, उन्हें महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय, वर्धा के संस्कृति विद्यापीठ के स्कूल बोर्ड में विषय विशेषज्ञ के रूप में दो वर्ष के लिए मनोनीत किया गया है।

वे पूर्व में महाराष्ट्र के अमरावती, रामटेक और नागपुर में भी अपनी अकादमिक उपस्थिति दर्ज करा चुके हैं। वर्तमान में वे मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, उत्तरप्रदेश, उत्तराखण्ड सहित विभिन्न राज्यों के विश्वविद्यालयों तथा कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय समितियों के सदस्य हैं।

इस सम्मानजनक मनोनयन पर उनके शुभचिंतकों ने उन्हें बधाई दी है।

सागर विश्वविद्यालय में दस्तावेजों में हिंदी का प्रयोग प्रशंसनीय 

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डॉ. हरीसिंह गौर विश्वविद्यालय, सागर में राजभाषा (हिंदी) के उपयोग की नियमित रूप से समीक्षा की जाती है। हाल ही में गृह मंत्रालय, राजभाषा विभाग, भोपाल के उपनिदेशक  नरेन्द्र सिंह मेहरा ने विश्वविद्यालय का निरीक्षण किया। 

उन्होंने राजभाषा अधिकारी संतोष सोहगौरा और अन्य कर्मचारियों से मुलाकात कर हिंदी के उपयोग की स्थिति पर चर्चा की। एक प्रस्तुति के माध्यम से बताया गया कि विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. नीलिमा गुप्ता के मार्गदर्शन में हिंदी और अन्य भारतीय भाषाओं को बढ़ावा दिया जा रहा है।

श्री मेहरा ने कुलपति से भेंट कर विश्वविद्यालय की सराहना की और कहा कि यहाँ का कार्य अन्य सरकारी संस्थानों के लिए प्रेरणा है। उन्होंने कई कार्यालयों का दौरा किया और दस्तावेजों में हिंदी के प्रयोग की प्रशंसा की। 

उन्होंने सुझाव दिया कि ऑनलाइन सिस्टम में भी हिंदी का अधिक उपयोग हो। उन्होंने गौर संग्रहालय का भी निरीक्षण किया जो डॉ. हरीसिंह गौर की विरासत को सहेजता है।

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