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महिलाओं के खिलाफ अपराध के रुझान और बदलते समाज के लिए बच्चों का हस्तक्षेप","Trends in Crime against Women and Children's Intervention for the Changing Society" विषय पर केंन्द्रित 6 वीं अंतर्राष्ट्रीय एवं 44 वीं राष्ट्रीय अखिल भारतीय अपराधशास्त्र सम्मलेन  National All India Criminology Conference का आयोजन, यूनिवर्सिटी ऑफ मद्रास में विगत सप्ताह किया गया।

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कॉफ्रेंस में "इंडियन सोयायटी ऑफ क्रिमिनालॉजी" (Indian Society of Criminology'-ISC) के मुख्यालय - मद्रास के त्रिवार्षिक चुनाव संपन्न हुए ।  जिसमें डॉ. हरीसिंह गौर केन्द्रीय विश्वविद्यालय, सागर के अपराध शास्त्र  एवं विधि  विज्ञान विभाग के सहायक प्राध्यापक डॉ. मुकेश कुमार चौरसिया को आईएससी का उपाध्यक्ष नियुक्त किया गया है।

इसके साथ ही इस संस्था के द्वारा वर्ष 2009 में आई.एस.सी. फैलोशिप अवार्ड से सम्मानित किया गया था। डॉ. चौरसिया 1991 से आजीवन सदस्य के रूप में एवं कार्यकारिणी सदस्य के रूप में अपराधविज्ञान एवं न्यायिक विज्ञान के क्षेत्र में शिक्षण कार्य एवं शोध कार्यो को बढ़ावा देने के लिए कार्य कर रहे हैं।

मद्रास विश्वविद्यालय, मद्रास के सीनेट हाउस में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में "महिलाओं और बच्चों के विरुद्ध अपराध की प्रवृत्तियाँ" विषय पर पहला तकनीकी सत्र आयोजित किया गया। डॉ. चौरसिया को इस तकनीकी सत्र की सह-अध्यक्षता के लिए आईएससी द्वारा सम्मानित किया गया।

तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में डॉ. चौरसिया के मार्गदर्शन में तैयार 10 शोध पत्र प्रस्तुत किए गए। शोध पत्रों की प्रस्तुति में परास्नातक के छात्र 

  • ऋषिराज जी ने महिलाओं और बच्चों की तस्करी
  • स्नेहा अठिया ने भारत में महिलाओं के खिलाफ अपराध में पितृसत्तात्मक नारकोटिक्स के प्रभाव
  • प्राची देवलिया ने महिलाओं द्वारा महिलाओं पर की जाने वाली हिंसा
  • निष्ठा ठाकुर ने दहेज संबंधी महिलाओं पर हिंसा पर शोध पत्र प्रस्तुत किए। 

स्नातक के छात्रों में 

  • शमा फातिमा सिद्दीकी ने पुरुषों के खिलाफ घरेलू हिंसा फर्जी भरण-पोषण के मामले
  • शेरिल जैन ने महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराध की  प्रवृत्तिया,
  • तेजस्वी राय और 
  • ऐश्वर्या कलसिया ने सागर जिले में महिलाओं के खिलाफ घरेलू हिंसा, 
  • गरिमा दिया करनानी ने महिलाओं के खिलाफ अपराध की रोकथाम पर विश्वविद्यालय की छात्राओं की धारणा
  • खुशी सलूजा ने अंतरंग भागीदारों के खिलाफ हिंसा और 
  • नैन्सी यादव ने महिलाओं के खिलाफ डिजिटल अपराध पर शोध पत्र प्रस्तुत किए। 

सभी शोध पत्रों की प्रस्तुति के पश्चात तकनीकी सत्रों में उठाए गए प्रश्नों का समाधान डॉ. चौरसिया एवं शोधकर्ताओं द्वारा किया गया। सम्मेलन में परास्नातक एवं स्नातक स्तर के विद्यार्थियों द्वारा शोध पत्रों की प्रस्तुति विषय विशेषज्ञों के बीच सराहनीय चर्चा का विषय रही।

डॉ. चौरसिया ने इस उपलब्धि का श्रेय कुलपति प्रो. नीलिमा गुप्ता की प्रेरणा और अपराधशास्त्र एवं विधि-विज्ञान विभाग के अधिष्ठाता एवं स्कूल ऑफ एप्लाइड साइंसेज के प्रमुख प्रो. देबाशीष बोस तथा विभाग की वरिष्ठ प्रोफेसर ममता पटेल एवं शिक्षकों के सहयोग एवं मार्गदर्शन को दिया। 


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