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Sagar Watch News/ डॉ. हरीसिंह गौर विश्वविद्यालय के मनोविज्ञान विभाग में 2 अप्रैल 2025 को अंतरराष्ट्रीय ऑटिज्म जागरूकता दिवस मनाया गया। इस कार्यक्रम का उद्देश्य समाज में ऑटिज्म को लेकर जागरूकता बढ़ाना था। ऑटिज्म एक स्नायु -विकास संबंधी विकार है, जो व्यक्ति की सामाजिक और संप्रेषण क्षमता को प्रभावित करता है।
ऑटिज़्म एक ऐसा विकास से जुड़ा विकार (disorder) है जो बच्चों में जन्म से या बचपन में ही दिखने लगता है। इसका असर बच्चे के सोचने, समझने, बोलने और दूसरों से मेलजोल करने के तरीके पर पड़ता है।(SAGAR WATCH EXPLAINER)
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि प्रो. दिवाकर सिंह राजपूत ने बताया कि इसके लक्षण बचपन में ही दिखाई देने लगते हैं, जो प्रत्येक व्यक्ति में अलग-अलग हो सकते हैं। छात्र-छात्राओं ने नुक्कड़ नाटक और कविताओं के माध्यम से जागरूकता का संदेश दिया।
विशेष रूप से दिल्ली के डायरेक्टरेट ऑफ एजुकेशन से प्रवीन कुमारी ने ऑनलाइन जुड़कर अपने व्यावहारिक अनुभव साझा किए और ऑटिज्म के कारण, लक्षण व उपचार पर प्रकाश डाला। जिला अस्पताल के विशेषज्ञों ने मोबाइल के अत्यधिक उपयोग को ऑटिज्म के बढ़ते मामलों से जोड़ा। कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के शिक्षक, शोधार्थी और विद्यार्थी सक्रिय रूप से सम्मिलित हुए।
सागर विवि को मिला पटकथा लेखन पुरस्कार
फिल्म का निर्माण, स्क्रिप्ट, निर्देशन और संपादन धीरज सनमोरिया द्वारा किया गया, जिसमें विवेकानंद सोनी और आकाश श्रीवास्तव ने अभिनय किया। कुलपति प्रो. नीलिमा गुप्ता और केंद्र निदेशक डॉ. पंकज तिवारी ने इस उपलब्धि पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए टीम की सराहना की।
ईएमएमआरसी द्वारा भेजी गई अन्य प्रविष्टियों में गुलज़ार पर आधारित डॉक्यूमेंट्री, स्टूडियो क्लास और परिचर्चा वीडियो शामिल थीं, जो विभाग की रचनात्मक विविधता को दर्शाती हैं।
दिव्यांग विद्यार्थी होते हैं अद्भुत प्रतिभा के धनी
डॉ. हरीसिंह गौर विश्वविद्यालय, सागर के सामाजिक-आर्थिक रूप से वंचित समूहों प्रकोष्ठ (एस.ई.डी.जी. सेल) द्वारा विश्वविद्यालय में अध्ययनरत दिव्यांग विद्यार्थियों को भारत सरकार की योजनाओं की जानकारी दी गई। इसी क्रम में शिक्षाशास्त्र विभाग के विद्यार्थी विष्णु प्रसाद डांगी को जिला दिव्यांग पुनर्वास केंद्र सागर द्वारा ट्राइसाइकिल प्रदान की गई।
कुलपति ने प्रकोष्ठ को निर्देश दिए कि सरकार द्वारा प्रदत्त सभी सहायक सामग्री दिव्यांग विद्यार्थियों तक पहुँचे और भविष्य में भी अधिक से अधिक संसाधन उपलब्ध कराए जाएं। उन्होंने कहा कि दिव्यांग विद्यार्थी अद्भुत प्रतिभा के धनी होते हैं और उचित अवसर मिलने पर वे राष्ट्र निर्माण में अहम भूमिका निभा सकते हैं। प्रकोष्ठ का उद्देश्य इनके बहुआयामी विकास को प्रोत्साहित करना है।
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