मेयर-इन-काउंसिल की बैठक में महापौर संगीता तिवारी द्वारा नगर विकास एवं सौन्दर्यीकरण के संबंध में पूर्व की बैठकों में लिये गये निर्णयों की समीक्षा की गई। अगर बैठक की बातचीत पर गौर किया जाए तो बड़ी ही रोचक और चौकाने वाली कहानी सामने आती है। बैठक का मजमून पढ़ कर ऐसा लगता है जैसे यहाँ उठाईं गयीं समस्याएँ पहली बार निगम प्रशासन के ध्यान में लायीं गयीं हैं और निगम बड़ी तत्परता से उन्हें हल करने जा रहा है।
बैठक में महापौर यानी शहर के प्रथम नागरिक ने एक से ज्यादा गंभीर मामलों का जिक्र किया उन्हें सुनकर निगम प्रशासन ने जैसी प्रतिक्रिया दी उसे जानकार ऐसा लगता है इन मुद्दों के बारे में निगम प्रशासन को भनक तक नहीं लगी ?
जलभराव के स्थान चिन्हित पर उपचार बाकी
बैठक में शहर में जलभराव से संबंधित विषय पर लिये गये निर्णय अनुसार निगमायुक्त ने बताया कि शहर में जिन-जिन स्थानों पर जलभराव होता है ऐसे स्थानों को चिन्हित कर लिया गया है, लेकिन जलभराव न हो इसके लिये कार्य किया जा रहा है। यानि काम अभी पूरा नहीं हुआ है।
निल बटे सन्नाटा
वार्डो में बिजली की समस्या है उसको हल करने के लिये बैठक में निगम के नुमाइंदों के जवाब सुनकर लगता है कि सबसे पहले स्मार्ट सिटी एवं नगर निगम की टीम बनाई जाएगी फिर कार्य योजना तैयार की जाएगी उसके बाद समस्याओं के समाधान का काम किया जायेगा यानी फिलहाल वार्डों की बिजली समस्या के हल के इंतज़ाम "निल बटे सन्नाटा " ही माने जाएँ ।
फैसला नहीं सिर्फ चर्चा
इस संबंध में प्रकाश प्रभारी ने बताया कि पहले विद्युत सामग्री के लिये जो टेंडर जिस ठेकेदार का स्वीकृत हुआ था वह काम नहीं कर रहा है। इस संबंध में ऐसे ठेकेदारों को ब्लैक लिस्टेड करने के विषय पर सिर्फ चर्चा की गई पर कोई फैसला नहीं हुआ है ।
वार्डों में पार्षद निधि के तहत लंबित विकास कार्यों के बारें में निगमायुक्त को कोई जानकारी नहीं है न इसलिए लोककर्म विभाग से कहा गया है कि वार्डों के लंबित कामों की जानकारी तैयार कर बताये।
महापौर को पता है पर निगम अनभिज्ञ
बैठक में महापौर ने बताया कि शहर में बिना नक्शा मंजूर कराये भवनों का निर्माण चल रहा है। जबकि ऐसी कोई जानकारी निगम के अमले के पास नहीं है। तभी तो महापौर द्वारा यह मुद्दा उठाये जाने पर निगमायुक्त ने भवन भूमि शाखा के इंजीनियरों से वार्डों का भ्रमण कर हकीकत का पता लगाने के निर्देश दिए हैं।
महापौर ने माना डेयरी विस्थापन हुई विफल
महापौर ने एक और धमाके दार जानकारी बैठक में दी है जिससे ये साफ़ हो गया है कि नगर निगम की बहुचर्चित डेयरी विथापन योजना पूरी तरह से असफल हो गयी है। महापौर ने कहा कि विस्थापन स्थल से शहर में अधिकांश डेयरियां वापिस लौट आयी है जिससे लोगों को यातायात में परेशानी हो रही है इस पर सख्ती से कार्यवाही की जाये।
इस सिलसिले में निगमायुक्त ने कहा कि डेयरी विस्थापन स्थल पर दूध के विक्रय एवं गोबर गैस प्लांट लगाने हेतु आवश्यक कार्यवाही की जा रही है तथा बैंकों से डेयरी संचालकों को ऋण उपलब्ध कराने के लिये प्रयास किये जा रहे है। ये सब जानकार शायद लोगों के मन में सवाल आ सकता है कि जब ज्यादातर डेयरीयां वापस शहर ही आ गयीं हैं तो विस्थापन स्थल पर इतनी मशक्कत करने की क्या जरूरत है?
कुत्तों की नसबंदी "निविदा" में अटकी
जिला चिकित्सालय से प्राप्त आंकड़ों के मुताबिक अस्पताल में है महीने एक हज़ार से ज्यादा कुत्तों के हमलों के शिकार पीड़ित आ रहे है और नगर निगम आवारा कुत्तों की रोकथाम के लिये निविदा जारी करने की प्रक्रिया में ही उलझा है। इस से साफ़ होता है की आवारा कुत्तों द्वारा लोगों को काटे जाने की समस्या से निपटने के प्रति निगम कितना गंभीर है।
पस्त निगम ने चुस्ती से काम करने का वादा
दिन प्रति दिन गंभीर होती यातायात ठप्प होने, जगह-जगह अपशिष्ट निकास की व्यवस्था से होते रिसाव और सालों से बन कर तैयार खड़े और आम जनता की सुविधा के लिए शुरू होने को तरस रहे शी-लाउन्ज की बदहाली को सुधरने के लिए भी निगम के नुमाईंदों ने बड़े ही बेमन से कुछ करने की इच्छा भी जताई है।