Bottle Pack Water | Plastic cups |
Sagar Watch News/ बोतल बंद पानी बेचने वालों, प्लास्टिक के प्यालों में चाय बेचने वालों की आज साँसे फूल गयीं होगीं। उन्हें दिमाग पर जोर डालना पद रहा होगा की अगर सरकारी कार्यालयों में से बोतलबंद पानी की आपूर्ति बंद हो गयी तो इस नुकसान की भरपाई कैसे होगी? चायवाले सोच रहे होंगे अब बड़ी तादाद में कांच के गिलास या चीनी मिटटी के प्यालों का प्रबंध कहाँ से करें? एक दम से आये इस बड़े खर्चे का बोझ कैसे सह पाएंगे?
बात यहीं पर नहीं रुकेगी। पहले ही दिन से कम से कम कलेक्ट्रेट कार्यालय में चपरासियों को सभी कर्मचारियों को पानी कांच के गिलास में पिलाना पड़ेगा। इसका मतलब है काम से कम सौ-दौ सो गिलास रोज धोने पड़ेंगे।
ये तो गजब हो गया इतना काम तो उन्होंने सालों से नहीं किया और दिन भर गिलास धोयेंगे तो कार्यालय की फाइलों का आवागमन प्रभावित होगा। बताइये भला फाइल को एक टेबल से दूसरी टेबल तक पहुँचाना और उनकी गति "वजन" के हिसाब से कम-बढ़ करवाना जैसे जरूरी काम भी तो प्रभावित होंगे।
खैर लोग कुछ भी कहें साहब का यह आदेश है तो काफी अच्छा लेकिन ये जितना पर्यावरण हितैषी है उतना ही उन व्यापारियों और कमीशन एजेंटों को दुश्मन नजर आ रहा है जो सरकारी कार्यालयों में बोतल बंद पानी कि आपूर्ति और अन्य प्लास्टिक पैकिंग वाले खाद्य पदार्थों की बिक्री से मुनाफा कमा रहे थे ?
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