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त्योहारों का मौसम में खाद्य सुरक्षा विभाग के महकमे के सक्रियता देखते ही बनती है। साल के बाकी समय में हाथ पर हाथ धरे बैठा रहने वाला विभाग त्योहारों के समय हिरणों जैसी कुलाछें भरने लगता है। एक दिन पहले शहर की एक मिष्ठान की दूकान से 300 किलो दूषित मावा जब्त किया था आज राहतगढ़ से 30 किलो दूषित मावा जब्त किया है। इससे लोगों के मन में सहज ही यह सवाल उठ सकता है कि अगर छोटे-छोटे स्थानों से इतनी बड़ी मात्रा में दूषित मावा जब्त हो रहा है तो शहर में न जाने कितनी बड़ी मात्रा में ऐसा दूषित मावा खपाया जा रहा होगा।
जिले में स्कूलों में अंधविश्वासों को दूर करने के लिए जादू नहीं विज्ञान है नाटिका का आयोजन किया जा रहा है। यह अच्छी पहला है लेकिन अगर इसके साथ आम जनता के लिए कोई एक ऐसी नाटिका भी बना का दिखने लगे जो लोगों को बता सके कि विकास के जादू के पीछे भी एक विज्ञान काम करता है जिसे कमिशन के खेल के नाम से जाना जाता है। हालाँकि जनता को यह बताने की जरूरत नहीं है इस कमीशन के खेल के उस्ताद कौन-कौन माने जाते हैं।
जिला आयुष अधिकारी ने नवम आयुर्वेद दिवस " वैश्विक स्वास्थ्य के लिए आयुर्वेद नवाचार "पर कार्ययोजना के विद्यार्थियों के स्वास्थ्य के लिए आयुर्वेद की अहमियत के बारे में जागरूक किया।
हालाँकि कोविड के दौर के बाद से समाज का बड़ा तबका भी इस बात को अच्छे से समझ गया है कि पारम्परिक चिकित्सा विद्याएं काम खर्चे में और प्राकृतिक उत्पादों से सेहतमंद बने रहने में मदद करतीं हैं।
लेकिन अन्य कथित तौर पर आधुनिक मानीं जाने वालीं चिकित्सा पद्धतियों के दायरे में आने पर मरीज को बीमारी से मुक्ति मिले या न मिले पर उसको कैसे अपनी मेहनत कमाई से हाथ धोना पड़ता है।
जी.एस. कालेज ऑफ कामर्स एण्ड इकानामिक्स, जबलपुर के प्रोफेसर डा. विनोद मिश्रा रानी अवंती बाई लोधी विश्वविद्यालय सागर के प्रथम कुलपति होंगे। कुलाधिपति राज्यपाल मंगू भाई पटेल द्वारा नियुक्ति आदेश जारी किया गया है।
एक नजरिये से इस नियुक्ति को बेहद ख़ास बताया जा रहा है। जानकारों का कहना है शिक्षा के क्षेत्र में यह नियुक्ति एक मील का पत्थर साबित होने वाली है। वह इस लिए कि अब राजनैतिक दलों के पदाधिकारियों के लिए भी शिक्षा संस्थानों के कुलगुरु बनने का रास्ता खुल गया है।
लोग खुलकर चर्चा कर रहे हैं की भारतीय जनता पार्टी में कभी जिलाध्यक्ष रहे प्रोफेसर साहब के कुलगुरु बनने से पार्टी के अन्य पदाधिकारियों की भी बांछे खिली नजर आने लगीं हैं।
स्थापत्य कला की बेमिसाल कृति ताजमहल अपनी खूबसूरती के लिए दुनिया भर में मशहूर है। उसी ताजमहल की सुंदरता बढ़ाने वाली दूधिया संगमरमर की जालियों के सामान नक्काशीदार जालियों से सागर की लाखा बंजारा झील को सजाया जा रहा है। झील के सौंदर्यीकरण की कवायद की जितनी भी तारीफ की जाए कम है।
लेकिन कुछ लोग ऐसे होते हैं जिनको अच्छाई पचती ही नहीं है। अब सागर तालाब के बारे में उनका कहना है कि झील की की शान पानी से लबालब भरे होने में है और पानी की पहचान उसके निर्मल स्वरुप से होती है। अब न तो झील पानी से लबालब है और न ही पानी ज्वालमुखी और खरपतवार से मुक्त है इस सब के बिना झील को सुन्दर कैसे माने।
इन जल-कुकड़ों का कहना है कि झील की सफाई को दरकिनार कर बाहरी सौंदर्य कर का गुणगान कर अपनी पीठ थपथपाने वाले के काम को उपलब्धि मानने की बात बहुत से लोगों के गले नहीं उतरेगी।
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