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मेयर-इन-काउंसिल की बैठक में नगर विकास के विभिन्न विषयों पर चर्चा उपरांत निर्णय लिये गये। उनमें से कुछ मुद्दों पर पक्ष और विरोध में चर्चाओं का दौर शुरू हो गया है और उन विषयों को लेकर तरह-तरह के सवाल और प्रतिक्रियाएं सोशल मीडिया पर वायरल होने लगीं हैं।
सबसे ज्यादा आग पानी के मुद्दे पर लगी है। परिषद् ने शहर में जल-कर में बढ़ोतरी करने का फैसला लिया है। लोगों का कहना है कि शहर में वर्षों से महीने के आधे दिन पानी की आपूर्ति होती है लेकिन पैसा महीने भर का वसूला जाता है यह कैसे उचित माना जा सकता है।
यह सवाल भी उठाया जा रहा है कि एक ओर तो नगर निगम जल-कर बढ़ाना चाह रही है वहीँ दूसरी ओर वह ने बाँध के निर्माण के बिना शहर को चौबीसों घंटे पेयजल आपूर्ति करने से हाथ खड़े कर रही है।
लोगों का यह भी कहना कि जातिगत आधार पर उपभोगताओं से अलग-अलग दर से जल-कर वसूलना भी संविधान कि भावना के अनुरूप नहीं बताया जा रहा है। इस मामले पर निगम प्रशासन जनप्रतिनिधि चुप्पी साधे हुए हैं।
जल-कर मुद्दे पर चुटकी लेते हुए एक नगर वासी ने इसे जनता के लिए नगर निगम के ओर से धनतेरस और दिवाली का तौहफा बताया है। वहीं एक और तंज सामने आया है जिसमें २० बरस बीत जाने के बाद भी नगर कि पेयजल आपूर्ति नहीं दुरुस्त नहीं कर पर पाने को निगम कि सबसे बड़ी उपलब्धि बताया गया है।
महिला स्व सहायता समूह द्वारा पानी कि गुणवत्ता परीक्षण कार्य कराये जाने हेतु सर्वाधिक अंक प्राप्त करने वाले स्व सहायता समूहों का चयन करने के संबंध में स्वीकृति प्रदान की गई। साथ ही जन नायक स्व.कर्पूरी ठाकुर पूर्व मुख्यमंत्री बिहार सरकार की प्रतिमा पूर्व प्रस्ताव अनुसार अटल पार्क में लगानेका विषय को परिषद में भेजने का निर्णय लिया गया।
बैठक में वर्तमान नगर निगम भवन की जगह आधुनिक व्यवसायिक परिसर निर्माण हेतु ऑनलाईन निविदा आमंत्रित की गई। जिसमें उच्चतम आफर संस्था को प्राप्त हुआ वह भी चर्चा का विषय बना हुआ है। निगम के कामकाज पर पैनी नजर रखने वाले लोगों का कहना है निगम के कर्ताधर्ताओं को इसके अलावा किसी का काम रास ही नहीं आता है ?
सागर स्मार्ट सिटी लिमिटेड सागर द्वारा निर्मित शी-लांज कि भी अपनी अलग ही व्यथा है। निविदा पर निविदा बुलाये जाने के बाद भी कोई इन का काम काज सँभालने को तैयार नजर नहीं आ रहा है। जिसके चलते वर्षों पहले बनकर तैयार हो जाने के बाद भी इन "शी-लांज" महिलाओं को राहत न दी पाने के लिए मजबूर बनीं हुईं हैं।
इस बात से शायद ही कोई इंकार करेगा कि यह आम जनता का अधिकार है की उसे उन व्यावसायिक प्रतिष्ठानों के नाम बताएं जाएँ जहां से जिला प्रशासन द्वारा उनके अमानक स्तर की खाद्य सामग्री जब्त कर नष्ट की गयी है। लेकिन आश्चर्यजनक रूप से देवरी में हुयी ऐसी कारवाई में जिला प्रशासन ने जिला जनसम्पर्क से जारी अधिकृत जानकारी में इन नामों को शामिल नहीं कराया।
जिला प्रशासन ने मंगलवार को देवरी में खाद्य सुरक्षा प्रशासन एवं खाद्य आपूर्ति एवं राजस्व विभाग द्वारा संयुक्त कार्यवाही कर मिठाई दुकानों से मावा पेडा, चेना,मावा, पनीर के नमूने लिये गए।
कार्रवाई के तहत चांदी के वर्क की जॉच प्राथमिक स्तर पर करने पर अमानक पाए जाने पर 20 किलोग्राम बर्फी मौके पर नष्ट कराई गई।
इस कार्यवाही के दौरान 5 घरेलू गैस सिलेंडर का उपयोग व्यावसायिक कार्यों में करते पाये जाने पर जब्त किये गए ।
लेकिन पूरी कार्रवाई में किस दुकान पर खाद्य सामग्री के नमूने लिए गए, किस दुकान से व्यवसायिक उपयोग में लिए जा रहे घरेलू गैस सिलिंडर जब्त किये गए उन प्रतिष्ठानों के नामो को सार्वजनिक नहीं करने कि वजहों पर अटकलों का दौर गर्म है।
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