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Sagar Watch News

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डॉ  हरी सिंह गौर संकल्प के साथ कार्य करते थे। संकल्प व्यक्तिगत होता है और संकल्प का कोई विकल्प नहीं होता।  संकल्प न होने से महानतम कार्य रुक जाते हैं। प्रत्येक व्यक्ति यश पाना चाहता है लेकिन किस तरह का यश उसे प्राप्त करना है उसे खुद तय करना होता है। अगर आप पीढ़ियों तक यश प्राप्त करना चाहते हैं तो शिक्षा के केंद्र स्थापित कीजिए जैसा डॉ  गौर ने किया। 

यह विचार  मध्य प्रदेश शासन ग्रामीण विकास एवं पंचायत मंत्री प्रहलाद सिंह पटेल डॉक्टर हरीसिंह गौर विश्वविद्यालय, सागर के संस्थापक  डॉ सर हरीसिंह गौर के 155वें जन्म दिवस के उपलक्ष्य में 20 नवंबर से 26 नवंबर तक आयोजित किये जा रहे ‘गौर उत्सव’ 2024 के   उद्घाटन समारोह के मुख्य अतिथि के रूप में अपने उद्बोधन के दौरान व्यक्त किये ।

इसी सिलसिले में उन्होंने कहा कि डॉ गौर का  एक महान अधिवक्ता, समाज सुधारक, लेखक के रूप में उनका व्यक्तित्व हम सबके लिए प्रेरणादायी है।  हमें उनके संस्थान में पढ़ने, पढ़ाने और किसी भी रूप में जुड़े रहने पर गर्व होना चाहिए। 

इस अवसर पर मंत्री  पटेल ने कहा कि डॉ  गौर द्वारा स्थापित शिक्षा के इस मंदिर से मेरा बहुत पुराना नाता है. उन्होंने अपने पुरुषार्थ से कमाए हुए सर्वस्व धन को दान कर इस विश्वविद्यालय की स्थापना की थी। वे देश के अनमोल रत्न हैं, उनके जैसा उदाहरण पूरे देश में कहीं नहीं है।  उन्होंने कहा कि नव स्थापित राज्य विश्वविद्यालय डॉ  गौर के शिक्षा में अद्वितीय योगदान के उनके भाव को ताकत देगा। 

सागर विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. नीलिमा गुप्ता ने कहा कि पिछले तीन वर्षों से डॉ. गौर की जयंती उत्सव के रूप में मनाई जा रही है, जिसमें पूरे शहर की सहभागिता होती है। इस वर्ष 11 दिवसीय आयोजन के तहत युवा महोत्सव भी हो रहा है। खेलों के माध्यम से महोत्सव की शुरुआत हुई, जो समग्र व्यक्तित्व विकास का जरिया है। सांस्कृतिक कार्यक्रमों में संबद्ध महाविद्यालयों की भागीदारी रही।

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प्रो. गुप्ता ने कहा कि डॉ. गौर की प्रेरणा से विश्वविद्यालय ने कई उपलब्धियां हासिल की हैं। उनके सिद्धांतों और योगदान ने छात्रों को उच्च पदों पर पहुंचाया है। उन्होंने कहा कि डॉ. गौर के सिद्धांतों पर चलते हुए अपने कर्तव्यों का पालन करना ही उनकी सच्ची श्रद्धांजलि होगी।

रानी अवंतीबाई राज्य विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. विनोद मिश्रा ने पहली बार डॉ. गौर द्वारा स्थापित विश्वविद्यालय में आने पर प्रसन्नता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि डॉ. गौर का शिक्षा के लिए दान उनकी शिक्षा के प्रति प्रतिबद्धता और महान संकल्प को दर्शाता है। उनके योगदान से लाखों विद्यार्थी आज शिक्षा प्राप्त कर अपने भविष्य को संवार रहे हैं। प्रो. मिश्रा ने डॉ. गौर को महान व्यक्तित्व बताते हुए राज्य विश्वविद्यालय की प्रगति और उपलब्धियों को भी साझा किया। 

सांस्कृतिक  कार्यक्रम के पूर्व कैबिनेट मंत्री माननीय प्रहलाद सिंह पटेल ग्रामीण एवं पंचायत मंत्री (मध्यप्रदेश सरकार) और अतिथियों  ने गौर प्रांगण स्थित गौर समाधि पहुंचकर डॉ. हरीसिंह गौर को श्रद्धांजलि।

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सम्बद्ध महाविद्यालयों के विद्यार्थियों ने दी रंगारंग सांस्कृतिक प्रस्तुति 

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डॉ. हरीसिंह गौर विश्वविद्यालय, सागर से सम्बद्ध महाविद्यालयों द्वारा रंगारंग सांस्कृतिक प्रस्तुति दी गई. बी.टी. इन्स्टीटयूट ऑफ एक्सीलेन्स विद्यार्थियों ने गणेश वंदना व देशभक्ति गीत प्रस्तुत किया. छात्र-छात्राओं ने कठपुतली नृत्य, समूह नृत्य व एकल नृत्य, मूक अभिनय, राजस्थान का प्रसिद्ध कालबेलिया नृत्य, मराठी समूह नृत्य, एकल गायन भजन, , एकल नृत्य शास्त्रीय  आदि की बी.टी. इन्स्टीटयूट ऑफ एक्सीलेन्स, राजीव लोचनाचार्य महाविद्यालय खुरई, बी.के.पी. महाविद्यालय मालथौन , सुन्दरलाल श्रीवास्तव महाविद्यालय, ओम श्री महाविद्यालय, टाइम्स कालेज दमोह, एरिसेंट महा विद्यालय एवं अन्य सम्बद्ध महा विद्यालयों के विद्यार्थियों ने कार्यक्रमों की प्रस्तुति दी. कार्यक्रम समापन के अवसर पर सभी अतिथियों और प्रतिभागियों को स्मृति चिन्ह भेंट किए गए. 

इस अवसर पर जिलापंचायत अध्यक्ष,जिला पंचायत सीईओ,प्रभारी कुलसचिव डॉ. एस पी उपाध्याय सहित विश्विद्यालय के शिक्षक, कर्मचारी और विद्यार्थी मौजूद रहे।

Pride Day-व्यापारी वर्ग  रंग-बिरंगी रोशनियों से सजाएंगे घर-दुकानों को

सागर वॉच /
सागर विधायक शैलेंद्र जैन ने गौरव दिवस की तैयारियों को लेकर कटरा के व्यापारियों की बैठक ली। बैठक में व्यापारियों से उनके सुझाव दिए गए और उनसे आयोजन के संबंध में चर्चा की गई। उल्लेखनीय है कि डॉ हरिसिंह गौर जयंती के अवसर पर 26 नवंबर को सागर गौरव दिवस का आयोजन तीन बत्ती पर आयोजित किया जाएगा। 

इसमें मुख्य अतिथि के रूप में मध्य प्रदेश शासन के मुख्यमंत्री माननीय शिवराज सिंह चौहान जी उपस्थित रहेंगे,इस आयोजन को दीपावली की तरह मनाने की अपील विधायक जेल ने व्यापारियों से की सभी व्यापारियों ने एक सुर में अपनी अपनी सहमति दी और स्वयं अपनी ओर से अपने अपने मकानों और दुकानों पर मुख्यमंत्री जी के स्वागत तथा गौर साहब की जयंती के अवसर पर अपने-अपने घरों में लाइटिंग करने, दीप जलाने रंगोली बनाने कार्यक्रम में सम्मिलित होकर सफल बनाने की बात कही।

बैठक में मुख्य रूप से कैट के जिलाध्यक्ष सुरेंद्र जैन, देवेंद्र जैन, अजित समैया, अन्नी शाह, संजीव सराफ,संजीव दिवाकर,रज्जन अग्रवाल,वीरेंद्र जैन,सोमानी,सुधीर जैन,दीपक जैन,पंकज तिवारी,श्रीकांत जैन,अमित बैसाखिया,पराग बजाज उपस्थित थे।

Gour Utsav 2021-गौर जयंती  उत्सव नहीं अनुष्ठान है -कुलाधिपति बलवंत  राय जानी

सागर वॉच
 उन्होंने कहा कि डॉ. गौर का समूचा जीवन मनुष्य के अपराजेय जिजीविषा की जय-यात्रा है। उन्होंने जीवन-भर सर्वोच्चता की संकल्पना को अपने ढंग से सिरजा, सहेजा और साकार किया। आसमान की बुलंदी पर रहते हुए भी डॉ. गौर ने सागर की जमीनी हकीकतों को कभी भुलाया नहीं। वे जानते थे कि बुन्देलखंड की जय-यात्रा ज्ञान के रास्ते से होकर ही जायेगी। 

इस भूमि पर उन्होंने अपने पुरुषार्थ से ज्ञान की अनंत रष्मियों को संकलित कर सागर विश्वविद्यालय का रूप दे दिया। जीवन भर की जुटाई गयी निजी पूँजी को सार्वजनिक हित में इस तरह समर्पित कर गौर साहब ने जाहिर इतिहास का एक ऐसा अफसाना लिख दिया जिसे आज सारी दुनिया गुनगुना रही है। हमारा विष्वविद्यालय केवल बुन्देलखण्ड के लिए ही नहीं बल्कि पूरे देश के लिए ज्ञान का अभिनव तीर्थ है. 

विश्वविद्यालय कोरोना की महामारी के दौरान भी लगातार क्रियाषील रहा। दुनिया भर के शीर्ष वैज्ञानिकों की में 20 वैज्ञानिक हमारे विश्वविद्यालय के छात्र रहे हैं। इस प्रतिष्ठित सूची में सम्मिलित हमारे विवि के भी शिक्षक हैं. ज्ञान-विज्ञान के क्षेत्र शिक्षकों, विद्यार्थियों और अधिकारियों की उपलब्धियों के लिए बधाई दी और कहा कि यह कोशिश हमारे संस्थापक के सपनों को पूरा करने की दिशा में एक जागृत पहल है।  

उन्होंने विश्वविद्यालय  में जारी परियोजनाओं और भविष्य की योजनाओं के बारे में रूपरेखा भी प्रस्तुत किया उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय अपने विद्यार्थियों के चतुर्दिक विकास और अपनी अकादमिक प्रतिबद्धता के साथ ही अपने सामाजिक सरोकारों को भी नये ढंग से सृजित कर रहा है।

उन्होंने कहा कि डॉ. गौर अपने प्रगतिशील सरोकारों के साथ व्यक्तिगत मुक्ति की जगह सामूहिक मुक्ति के हिमायती थे। अपनी मातृभूमि के लिए ज्ञान के उजाले का जो सपना देखा था, उसे उन्होंने अपनी आस्था और त्याग से पूरा किया, आज उनके जन्मदिवस पर हम सबका कर्तव्य बनता है कि हम अपने संस्थापक के सपनों को कभी बेरंग नहीं होने देंगे। 

 डॉ. गौर को मिले भारत रत्न: सांसद राजबहादुर सिंह

विशिष्ट अतिथि सागर लोक सभा सांसद श्री राजबहादुर सिंह ने कहा कि गौर साहब की 150 वीं जयन्ती के अवसर पर मैंने लोकसभा में डॉ. गौर को भारत रत्न देने की मांग उठाई थी. सरकार भी मेरी इस मांग पर विचार कर रही हैं लेकिन इस मुहिम में जनसहयोग भी उतना ही आवश्यक है।  

उन्होंने उम्मीद जताई कि डॉ. गौर को भारत रत्न मिले, इसके लिए जनभागीदारी और सबका सहयोग मिलेगा।  डॉ. गौर ने विश्वविद्याय के माध्यम से शिक्षा की अलख जगाई थी. इस बुंदेलखंड क्षेत्र में आज उन्हीं के कारण हम सब कुछ पढ़-बन पाए. इस अंचल के लोगों को शिक्षा के इस केंद्र का लाभ मिले इसके लिए ठोस प्रयास किये जाने चाहिए. 

उत्सव नहीं बल्कि अनुष्ठान :कुलाधिपति प्रो.जानी

अध्यक्षीय उद्बोधन में कुलाधिपति प्रो. बलवंतराय शांतिलाल जानी ने कहा कि डॉ. गौर की जयन्ती पर बौद्धिक समुदाय और जनभागीदारी को देखकर ऐसा लग रहा है कि यह उत्सव नहीं बल्कि अनुष्ठान है. लोगों की डॉ. गौर के प्रति श्रद्धा और सम्मान देखकर मेरा मन आह्लादित है. पूर्व विद्यार्थियों की विश्वविद्यालय के प्रति सोच की मैं प्रशंसा करता हूँ. डॉ. गौर अर्वाचीन समय के भामाशाह हैं. निश्चित तौर पर यह विश्वविद्यालय तेजस्वी विकास करेगा.  




' समय'  और 'मध्य भारती का विमोचन

इस अवसर पर अलग-अलग श्रेणी में विद्यार्थियों को पुरस्कृत किया गया. पत्रकारिता विभाग के प्रायोगिक समाचार-पत्र ' समय'  और 'मध्य भारती' शोध पत्रिका के 80वें अंक के विमोचन के साथ ही कई शिक्षकों की पुस्तकों का भी विमोचन हुआ. इस अवसर पर उत्कृष्ट कार्यों और सेवाओं के लिए विश्वविद्यालय के शिक्षकों, अधिकारियों और कर्मचारियों को सम्मानित किया गया।कार्यक्रम का संचालन डॉ. ललित मोहन ने किया. 

    तीनबत्ती पर ये हुए शामिल   



सागर विश्वविद्यालय के संस्थापक डॉ हरिसिंह गौर की 152 वी जयंती शुक्रवार को सागर में उत्साह पूर्वक मनाई गई ।तीन बत्ती स्थित गौर प्रतिमा पर कुलपति प्रोफ़ेसर नीलिमा गुप्ता ने  माला पहनाई ।इस अवसर पर सांसद राजबहादुर सिंह पूर्व सांसद लक्ष्मी नारायण यादव, पूर्व सांसद आनंद अहिरवार ,डॉ सुरेश आचार्य सुखदेव प्रसाद तिवारी ,चतुर्भुज सिंह राजपूत ,डॉ सुखदेव मिश्रा ,डॉ अशोक अहिरवार, संदीप बाल्मीकि SVN के कुलपति डॉ अनिल तिवारी ,राजीव टंडन मनीष पुरोहित,सन्तोष सहगोरा,पंकज सिंघई ,जगदेव सिंह ठाकुर आशीष ज्योतिषी ,मुन्ना लाल यादव ,सुरेश जाट बहादुर यादव, भोलेश्वर तिवारी ,सुरेंद्र गाडेवार, पप्पू फुसकेले, अनिल पुरोहित, राकेश शर्मा,  विवेक तिवारी ,मीडियाकर्मियों सहित बड़ी संख्या में लोग मौजूद थे ।

Gour Utsav 2021- केंद्रीय विश्वविद्यालय से जो लाभ मिलने थे नहीं मिले -कैबिनेट मंत्री भूपेंद्र सिंह

सागर,मप्र/ 26 नवंबर
/ मप्र के नगरीय विकास एवं आवास मंत्री का कहना है कि वो निःसंकोच कह सकते हैं कि डॉ. हरिसिंह केन्द्रीय विश्वविद्यालय को केन्द्रीय दर्जा मिलने से स्थानीय लोगों को जो लाभ मिलने थे वो नहीं मिल सके हैं। इसकी वजह विश्वविद्यालय में जिस तरह के कुलपति आने थे उस तरह के कुलपति यहां नहीं आए। इस विश्वविद्यालय की प्रवेश परीक्षा में पचास फीसदी स्थान स्थानीय विद्यार्थियों को आरक्षित किए जाने चाहिए।

 मप्र के सबसे पुराने विश्वविद्यालय सागर विश्वविद्यालय के संस्थापक डॉ. हरिसिंह गौर की 152 जयंती के अवसर पर डॉ. हरिसिंह केन्द्रीय विश्वविद्यालय के परिसर में आयोजित गौर-उत्सव कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में शिरकत करने आए मप्र शासन के केबिनेट मंत्री ने अपने उद्बोधन में कहा कि दानवीर के रूप मे महाभारत के किरदार कर्ण के बाद अगर किसी का नाम लिया जा सकता है तो वह डॉ. हरिसिंह गौर ही हैं जिनके दान से सागर  विश्वविद्यालय  की स्थापना हुई। राजा कर्ण के बाद इतिहास में ऐसे उदाहरण नहीं मिलते हैं।

केबिनेट मंत्री भूपेन्द्र सिंह ने बताया कि मप्र के पहले विश्वविद्यालय सागर विश्वविद्यालय को केन्द्रीय विश्वविद्यालय  बनवाने के लिए लंबे समय तक चले छात्र आंदोलन में उन्हों ने भी शिरकत थी। जब आंदोलन चल रहा था तब वह छात्रसंघ के सचिव थे। उन्होंने कहा कि इस आंदोलन के चलते उन्हें सात महीने तक प्रदेश की विभिन्न जेलों में रहने का अवसर मिला।

उन्होंने अफसोस जताया कि सागर विश्वविद्यालय के केन्द्रीय बनने के बाद स्थानीय लोगों को जो लाभ मिलने थे वो नहीं मिल सके। इसकी वजह केन्द्रीय विश्वविद्यालय बनने के बाद विश्वविद्यालय में जिस तरह के कुलपति आना थे उस तरह के कुलपति यहां नहीं आए। उन्होंने कहा कि हालांकि विश्वविद्यालय की नवनियुक्त कुलपति नीलिमा गुप्ता स्थानीय लोगों की अपेक्षाओं को पूरा करने की दिशा में बढ़ रहीं हैं।

उन्होंने कहा कि डॉ हरिसिंह गौर चाहते तो नागपुर, दिल्ली कहीं भी विश्वविद्यालय स्थापित कर सकते थे लेकिन उन्होंने बुंदेलखंड की गरीबी व अशिक्षा को घ्यान में रख कर सागर में ही विश्वविद्यालय स्थापित किया। उनको भरोसा था कि यहां विश्वविद्यालय शुरू होने से अंचल की गरीबी व अशिक्षा दूर होगी। उन्होंने कहा कि देश दुनिया में नाम कमा रहें लोगों में से कई लोग तो इस क्षेत्र  अगर विश्वविद्यालय न होता तो शायद आगे की पढ़ाई ही पूरी नहीं कर पाते।

सागर देश का 18 वां विश्वविद्यालय था व यहां ऐसे विषय में पढ़ाई शुरू हुई जो विषय देश की किसी भी अन्य यूनिवर्सिटी में नहीं पढ़ाए जाते थे। इतना ही नहीं डॉ गौर इन विषयों को पढ़ाने के लिए दुनिया के जाने-माने शिक्षकों को विश्वविद्यालय लेकर आए। जिनमें विश्वविख्यात डॉ वेस्ट जैसे प्रोफेसर का भी नाम शामिल है। 

उन्होंने कहा कि डॉ हरिसिंह गौर ने कभी नहीं चाहा कि विश्वविद्यालय उनके नाम से जाना जाए। उन्होंने अपनी वसीयत में भी इस बात का  जिक्र किया था । लेकिन राजनैतिक कारणों से सागर विश्वविद्यालय का नाम बदल कर उनके नाम पर कर दिया गया। नाम बदले जाने के पहले सारी दुनिया में यह विश्वविद्यालय को सागर विश्वविद्यालय के रूप में ही जाना जाता था।

उन्होंने कहा कि डॉ गौर का सपना था कि बुंदेलखंड के विद्यार्थी पढ़ें उन्हें अच्छी शिक्षा मिले। उन्होंने कहा कि विश्वविद्याय के केन्द्रीय बन जाना खुशी का विषय है लेकिन स्थानीय लोगों को लाभ दिलाने के लिहाज से इस विश्वविद्यालय की प्रवेश परीक्षा में पचास फीसदी स्थान स्थानीय बच्चों को आरक्षित किए जाने चाहिए। उन्होंने कहा कि यह कोई नयी बात नहीं है ऐसी व्यवस्था बनारस विश्वविद्यालय व एएमयू (अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी) में पहले से ही चल रही है।

उन्होंने कहा कि अभी भी डॉ. हरिसिंह गौर केन्द्रीय विश्वविद्यालय के बाईलॉज (उपनियम) नहीं बनें हैं। अतः उनके बनाते समय ऐसी व्यवस्था की जा सकती हैं। उन्होंने आरक्षण के मसले पर जोर देते हुए कहा कि " सागर केन्द्रीय विश्वविद्यालय में बुंदेलखंड के विद्यार्थियों को पचास फीसदी आरक्षण मिलना ही चाहिए।"

इस मौके पर उन्होंने कहा कि देश के प्रधानमंत्री नई शिक्षा नीति लेकर आए हैं जो रोजगारोन्मुखी शिक्षा पर जोर देती है। इस सिलसिले में उन्होंने कुलपति से आग्रह किया कि डॉ हरि सिंह गौर  केन्द्रीय विश्वविद्यालय में भी होटल प्रबंधन, इंजीनियरिंग कॉलेज, पर्यटन शिक्षा, पेपर एंड प्लास्टिक के पाठ्यक्रम इसके अलावा फिजियोथैरैपी, क्लीनिकल पैथोलॉजी, ऐयरोस्पेस इंजीनियरिंग जैसे पाठ्यक्रम भी शुरू किए जाने चाहिए।

उन्होंने कहा कि वो चाहते हैं कि सागर एड्यूकेशन का हब (शिक्षा का केन्द्र ) बने  लेकिन इसके लिए सागर को जरूरत है एक हवाई अड्डा की। उन्होंने कहा कि संयोग से इस समय नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया मप्र से ही है और वो सागर में हवाई अड्डा शुरू करने के लिए कोशिश करेंगें।

Gour Utsav 2021- डॉ गौर ने प्रधानमंत्री का भी प्रस्ताव ठुकराया था  सागर में विवि बनाने की चाह में -रघु ठाकुर

सागर वॉच। 25 नवंबर
। 
समाजवादी चिंतक एवं विचारक रघु ठाकुर ने डॉ हरिसिंह गौर विश्वविद्यालय में गौर सप्ताह के तहत आयोजित एक व्याख्यान में बताया कि डॉ हरिसिंह गौर ने दूसरी बार दिल्ली विश्वविद्यालय का कुलपति बनने संबंधी प्रधानमंत्री के प्रस्ताव को सिर्फ इसलिए नकार दिया था क्योंकि उनकी रूचि अपनी मातृभूमि में एक उच्चस्तरीय विश्वविद्यालय बनाने में थी।
 
इसके बाद ही वे सागर आए और यहां एक विश्वविद्यालय की स्थापना की डॉ गौर ने अपने सपनों के विश्वविद्यालय के लिए उच्च स्तरीय सोच रखी थी उन्होंने सागर विश्वविद्यालय के प्रथम कुलपति के रूप में दिल्ली जाकर जो मांग पत्र तत्कालीन शासकों के समक्ष रखा था उसमें सागर में अच्छा हवाई अड्डा निर्मित करने बेहतर सुविधाओं के साथ रेलवे स्टेशन का निर्माण करने और सागर को देश की राजधानी बनाने का प्रस्ताव रखा था 
 
 रघु ठाकुर ने बताया कि उस समय इलाहाबाद को दूसरी राजधानी के रूप में विकसित करने की चर्चा थी तब डॉक्टर हरिसिंह गौर ने यह तर्क भी रखे थे की इलाहाबाद को राजधानी का दर्जा सुरक्षा कारणों से नहीं मिलना चाहिए बुंदेलखंड का सागर बाहरी आक्रमणों की दृष्टि से भी सुरक्षित था इसलिए इसे राजधानी भी बनाना चाहिए 
 
यदि डॉ गौर के इन प्रस्तावों पर सकारात्मक फैसला हो जाता तो आज सागर विश्वविद्यालय कई गुना तरक्की कर देश ही नहीं दुनिया का श्रेष्ठ विश्वविद्यालय होता हरिसिंह गौर विश्वविद्यालय से हमने क्या लिया इस बात पर विचार करने की जगह हमने विश्वविद्यालय को क्या दिया इस पर विचार किया जाए तो यह विश्वविद्यालय ज्यादा तरक्की करेगा
 
 व्याख्यान में डॉ सुरेश आचार्य , प्रोफेसर एसपी व्यास , डॉक्टर जी एस चौबे, कुलाधिपति बलवंत जानी और कुलपति प्रोफेसर नीलिमा गुप्ता ने भी अपने विचार रखे कार्यक्रम का संचालन कुलसचिव संतोष सह गोरा ने किया

डॉ. गौर के जन्म का दशक प्रतिभाओं के जन्म का दशक है- डॉ. चौबे 

ख्यातिलब्ध चिकित्सक डॉ. जी एस चौबे ने कहा कि डॉ. गौर का जन्म जिस दशक में हुआ, वह देश में प्रतिभाओं के जन्म का दशक था. 1861 में जन्मे रवींद्र नाथ ठाकुर को नोबल पुरस्कार से नवाजा गया. 1863 में जन्में स्वामी विवेकानंद के विचारों और कार्यों ने ने पूरी दुनिया में भारत को विश्वगुरु के रूप में स्थापित किया. 1869 में जन्मे गांधीजी ने सत्य और अहिंसा के रास्ते पर पूरे देश को चलने की प्रेरणा दी और अप्रतिम त्याग का परिचय दिया. 1870 में जन्मे डॉ. गौर ने अपना सर्वस्व धन दानकर विद्या के एक मंदिर की स्थापना की. ऐसा उदाहरण पूरी दुनिया में कहीं नहीं मिलेगा.  
 

डॉ.गौर के प्रयासों से खुला महिलाओं के लिए वकालत करने का रास्ता - प्रो. व्यास 

वरिष्ठ शिक्षाशास्त्री एवं वैज्ञानिक प्रो. एस पी व्यास ने कहा कि डॉ. गौर के व्यक्तित्व को शब्दों में उतारना बड़ा ही कठिन कार्य है. उनके सपने के अनुरूप बहुत से मंगल कार्य किये जा रहे हैं. यही उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि है डॉ. गौर के सद्प्रयासों से महिलाओं के लिए वकालत का रास्ता खुला. वे एक व्यक्ति नहीं विचार थे विश्वविद्यालय की स्थापना करके एक छोटे से ग्रामीण इलाके को विश्वपटल पर सम्मान दिलाने वाले वे पहले व्यक्ति थे. उनका व्यक्तित्व संत का व्यक्तित्व था. उनके जन्म दिवस के अवसर पर हमें यह प्रण लेना होगा कि हम हर दिन की शुरुआत उनके संकल्पों के अनुरूप कार्य करने से करेंगे. अनुशासित रहकर इस शिक्षा के केंद्र को एक नई ऊंचाई पर ले जाने के लिए सदैव श्रमशील रहेंगे
 
डॉ.गौर के सपनों के अनुरूप अपनी सामाजिक भागीदारी सुनिश्चित करेगा विश्वविद्यालय- कुलपति  


Gour Utsav 2021- डॉ गौर ने प्रधानमंत्री का भी प्रस्ताव ठुकराया था  सागर में विवि बनाने की चाह में -रघु ठाकुर



कुलपति प्रो. नीलिमा गुप्ता ने कहा कि डॉ. गौर बेहद अभाव की स्थिति से निकलकर उच्च शिखर पर पहुँचने वाले महान व्यक्तित्व थे. आज लोग अपने परिवार और बच्चों के लिए पूंजी इकट्ठा करते हैं. लेकिन डॉ. गौर ने परिवार के साथ-साथ समाज के लिए एक बड़ा हिस्सा भी रखा और एक अद्भुत शिक्षा का केंद्र हमें विरासत में मिला है

 हमारी यह जिम्मेदारी है कि हम उनके अवदानों को याद करते हुए उनके संकल्पों को पूरा करने में अपनी ऊर्जा लगाएं. उन्होंने हाल ही में हुए विभिन्न संस्थाओं के साथ हुए अकादमिक अनुबंधों की चर्चा करते हुए कहा कि हम नए-नए पाठ्यक्रमों के माध्यम से ऐसी पीढ़ी तैयार करेंगे कि आने वाले समय में यह विश्वविद्यालय अपने शिखर पर पहुंचेगा

 ग्रामीण विकास, स्किल डेवलेपमेंट पाठ्यक्रमों के जरिये हम आदर्श गाँव भी बनायेंगे. समाज और समुदाय की बेहतरी के लिए भी विश्वविद्यालय अपनी भागीदारी सुनिश्चित करेगा. डॉ. गौर ने विश्वविद्यालय के रूप में जो बीजारोपण किया है हम उनके संकल्पों और सपनों के अनुरूप इसे हरा-भरा बनाएंगे

उन्होंने कहा कि जल्द ही गौर म्यूजियम बनकर तैयार होगा. उन्होंने अपील की कि जिनके पास भी उनसे जुडी हुई वस्तुएं हों वे विश्वविद्यालय को सौंपकर अपना योगदान दें ताकि म्यूजियम के माध्यम से वे वस्तुएं सभी के लिए उपलब्ध हो पायें 
 
गौर जयंती पर शहर से विवि जुलूस आने की परंपरा 1970 में शुरू हुयी-प्रो.सुरेश आचार्य 

वरिष्ठ साहित्यकार प्रो. सुरेश आचार्य ने कहा कि पूरे बुंदेलखंड में डॉ. हरीसिंह गौर 'गौर बब्बा' के नाम से जाने जाते हैं. यह यहाँ के लोगों का उनके प्रति अगाध प्रेम है और यह रिश्ता बड़ा ही नायाब है. उनके द्वारा स्थापित इस विश्वविद्यालय की रक्षा, इसकी समृद्धि, वृद्धि और इसकी कीर्ति पताका चारों ओर फहराना हम सबका कर्तव्य है

आज के आधुनिक युग में लोग अंधाधुंध संपत्ति इकठ्ठा कर विलासितापूर्ण जीवन जीने में संलग्न हैं लेकिन डॉ. गौर ने एक-एक पैसा जोड़कर विश्वविद्यालय के रूप में एक कल्पवृक्ष लगाया जिसमें देश भर के लोग अध्ययन करने के लिए आते हैं 

इस विश्वविद्यालय में बहुत कुछ अद्भुत है. 1970 में उनकी जन्म शताब्दी मनाई गई थी जिसमें शहर से एक बहुत बड़ा जुलूस विश्वविद्यालय में आया था आज भी यह परम्परा जारी है यह उनके प्रति श्रद्धानवत होने का अवसर है

 

Gour Utsav 2021-जय गौर
सागर विश्वविद्यालय के संस्थापक डॉ हरी सिंह गौर के जन्मदिन की पूर्व संध्या पर रोशनी से  नहाये विवि का एक आकर्षक नजारा 

Gour-Utsav-2021-बिना-विद्यार्थी-के-शिक्षक-अस्तित्वहीन-है-अरुंधती कावडकर

सागर वॉच। 24 नवम्बर
 विश्वविद्यालय ज्ञान और  गुरुत्व के केंद्र के रूप में होने चाहिए. विद्यार्थी गुरुत्व के स्पर्श से ही आगे बढ़ता है. उसके जीवन में गुरु का बहुत महत्त्व होता है. गुरु को भी अपने विद्यार्थियों को समझने की योग्यता होनी चाहिए शिक्षक अपने विद्यार्थियों के कारण ही शिक्षक कहलाता है. बिना विद्यार्थी के शिक्षक अस्तित्वहीन है 

यह विचार विश्वविद्यालय के स्वर्ण जयन्ती सभागार में आयोजित गौर व्याख्यानमाला श्रृंखला के अंतर्गत राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020: उच्च शिक्षा की नवाचारी भूमिका विषय पर आयोजित कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के रूप में सुश्री अरुंधती कावडकर, अखिल भारतीय महिला प्रकल्प सहप्रमुख एवं पालक अधिकारी, महाकौशल प्रान्त एवं मध्यभारत, भारतीय शिक्षण मंडल ने व्यक्त किये

उन्होंने  कहा कि  राष्ट्रीय शिक्षा नीति मातृभाव से प्रेरित है। एर्ली चाइल्डहुड एजुकेशन की संकल्पना राष्ट्रीय शिक्षा नीति का अहम हिस्सा है. यहीं से एक विद्यार्थी की नींव पड़ती है उन्होंने कहा कि नए भारत को गढ़ने के लिए भारतमाता को जानना बहुत ही आवश्यक है नदियों, पर्वतों और प्रकृति के सभी घटकों को जानना-पहचानना एक विद्यार्थी के लिए बहुत ही जरूरी है 

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इसी सिलसिले में मुख्य अतिथि
मुकुल कानिटकर ने कहा कि गुरु के बिना भारत का विश्वगुरु बनाना असंभव है
 राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में ऐसे कई बिंदु हैं जो शिक्षक को नवाचार की पूरी स्वायत्तता देते हैं एक शिक्षक को नवाचार करने के लिए संस्था और सरकारों पर निर्भर नहीं रहना चाहिए

उन्होंने कहा कि शासन केंद्रित व्यवस्था से समाज के अंतिम व्यक्ति का हित नहीं संभव है समाज केंद्रित व्यवस्था से ही अंतिम व्यक्ति का कल्याण संभव है राष्ट्रीय शिक्षा नीति पढ़ते समय उसमें हमें स्व मन का भाव मिलता है उसमें बहुत सी जीवनोपयोगी और तार्किक बातें हैं जिनके माध्यम से भारतीयता का बोध पैदा होता है

शिक्षक और संस्था दोनों का कार्य नवोन्मेष करना है आज के शिक्षक और विद्यार्थी को लीक से हटकर सोचना चाहिए. यही समय की मांग है पहले हम आयातित ज्ञान पर निर्भर थे लेकिन आज इस शिक्षा नीति के माध्यम से हम भारतीय शिक्षा पद्धति की बात कर पा रहे हैं यही इसका सुफल है मातृभाषा में पठन-पाठन के लिए हमें अनुवाद पर निर्भरता ख़त्म करते हुए मातृभाषा में पाठ्य सामग्री तैयार करना चाहिए. यह काम शिक्षकों का है यह चुनौती भी है हमें इसी को अवसर में बदलना है और यही नवाचार है। यह सृजनशीलता का अवसर भी है

Gour-Utsav-2021-बिना-विद्यार्थी-के-शिक्षक-अस्तित्वहीन-है-अरुंधती कावडकर

कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे विश्वविद्यालय के कुलाधिपति प्रो. बलवंत राय शांतिलाल जानी ने कहा कि डॉ. हरीसिंह गौर की दैवीय विलक्षणता ही है कि हम प्रतिवर्ष उनके जन्मदिन को एक उत्सव के रूप में मनाते हैं

वह एक विश्वविद्यालय स्थापित करने और सब कुछ दान कर देने वाले एक व्यक्ति नहीं बल्कि एक स्वप्नद्रष्टा थे जो उन्होंने भावी भारतीय युवा पीढ़ी के लिए देखा था आज बहुत सी विदेश की संस्थायें भारतीय युवा मेधा को अपने यहाँ शिक्षा और रोजगार के लिए आकर्षित कर रही हैं

डॉ गौर ऐसे व्यक्ति थे जिन्होंने कैम्ब्रिज में पढ़ाई तो की लेकिन वे भारतीय युवा पीढी के लिए भारत में कैम्ब्रिज जैसी संस्था शुरू करने का संकल्प लेकर भारत वापस आ गये यह विश्वविद्यालय उसी सपने की देन है भारतीय युवाशक्ति प्रचंड मेधा संपन्न है, इसका पलायन नहीं होना चाहिए राष्ट्रीय शिक्षा नीति इसके लिए संकल्पित है  राष्ट्रीय शिक्षा नीति के बहुआयामी क्रियान्वयन के माध्यम से  डॉ. गौर द्वारा स्थापित यह विश्वविद्यालय केवल सागर और मध्य प्रदेश ही नहीं बल्कि पूरे देश के लिए अनुकरणीय बनेगा 

डॉ. हरीसिंह गौर विश्वविद्यालय, सागर के संस्थापक महान शिक्षाविद् एवं प्रख्यात विधिवेत्ता, संविधान सभा के सदस्य एवं दानवीर डॉ. सर हरीसिंह गौर के 152वें जन्म दिवस के उपलक्ष्य में दिनांक 21 नवंबर से 26 नवंबर तक आयोजित 'गौर उत्सव' के चौथे दिन 'आचार्य शंकर भवन' (मानविकी एवं समाज विज्ञान व्याख्यान कक्ष कॉम्प्लेक्स) का लोकार्पण मुकुल मुकुंद कानिटकर, राष्ट्रीय संगठन मंत्री, भारतीय शिक्षण मंडल, नागपुर, कुलाधिपति प्रो. बलवंतराय शांतीलाल जानी एवं कुलपति प्रो. नीलिमा गुप्ता की गरिमामयी उपस्थिति में संपन्न हुआ

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सागर वॉच।
 डॉ. सर हरिसिंह गौर की जन्म जयंती को लेकर रविवार से विश्वविद्यालय ने गौर उत्सव की शुरुआत कर दी है, लेकिन प्रबंधन का ध्यान अब तक सर गौर  की प्रतिमा पर पर नहीं गया। जिन सर गौर के नाम पर पूरे सप्ताह के कार्यक्रमों की तैयारी कर रहा है उनकी विश्वविद्यालय में लगी प्रतिमा की धूल भी नहीं हटाई गई। 

हैरानी की बात यह है कि हर रोज सर गौर की प्रतिमा के सामने से ही कुलपति से लेकर तमाम जिम्मेदार अधिकारी निकल रहे हैं, लेकिन किसी का ध्यान सर गौर की प्रतिमा पर नहीं गया, इतना ही नहीं रविवार को इस संबंध में युवाओं ने प्रबंधन तक सूचना भी पहुंचाई इसके बाद भी किसी ने गौर नहीं किया।

प्रबंधन की यह लापरवाही देख रविवार दोपहर शहर के गौर प्रेमी युवा एकत्रित हुए और विश्वविद्यालय पहुंचे, जहां उन्होंने सर गौर की प्रतिमा की सफाई करते हुए दुग्धाभिषेक कर माल्यर्पण किया। युवाओं ने प्रबंधन को सद्बुद्धि देने के लिए डॉ. गौर से यह प्रार्थना की।

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इस अवसर पर कपिल स्वामी, डॉ. मनीष बोहरे,मधुर महाराज, जय मिश्रा, गुड्डू यादव, सुरेन्द्र गौतम, सुरेंद्र पांडे, हरिनारायण पांडे, दीपक स्वामी, नीलेश मिनू गौतम, गौरव पांडे, राहुल नगाइच, प्रेम पटेल, अतीश नेमा, जगदीश तिवारी सहित शहर के अन्य गौर प्रेमी युवा उपस्थित थे।

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सागर वॉच। मप्र के सबसे पुराने और पहले केंद्रीय विश्वविद्यालय के संस्थापक  डॉक्टर सर हरीसिंह गौर की जयंती पर  विश्वविद्यालय द्वारा कई कार्यक्रम आयोजित किये जा रहे हैं जो लगातार एक हफ्ते तक चलेंगे। इस सिलसिले में विश्वविद्यालय प्रबंधन ने शनिवार को पत्रकार वार्ता के जरिये मीडिया को विस्तृत जानकारी दी। 

पत्रकार वार्ता में विश्विविद्यालय की कुलपति नीलिमा गुप्ता ने बताया कि विश्व विद्यालय के संस्थापक  डॉक्टर हरी सिंह गौर के जन्मदिवस 26 नवम्बर को उत्साह पूर्वक मनाने के लिए 21 नवम्बर से गौर सप्ताह शुरू हो रहा है। इस सप्ताह में पहले दिन महाविद्यालयीन और स्कूली विद्यार्थियों के लिए निबंध और चित्रकला प्रतियोगिताएं के अलावा विश्वविद्यालयीन  शिक्षकों  के काव्य पाठ का  आयोजन भी किया जायेगा। 

प्रतियोगिता के दूसरे दिन खेलकूद प्रतियोगिताएँ, तीसरे व चौथे दिन लोकार्पण कार्यक्रम और गौर व्याख्यान माला, पांचवे दिन डॉक्टर हरी सिंह के जीवनवृत  का प्रदर्शन व डॉक्टर गौर परिसंवाद कार्यक्रम  और शाम को अखिल भारतीय कवि सम्मेलन आयोजित किया जायेगा ।

लेकिन इस आयोजन के सिलसिले में कुछ विषयों को लेकर आम जन में चर्चाएँ भी शुरू हो गयीं हैं जिनमें कुछ विसंगितियों की और ध्यान खींचा जा रहा है। अहम् चर्चा गौर सप्ताह के कार्यक्रमों के लिए विश्विद्यालय द्वारा जारी आमंत्रण  पत्र व साहित्य को लेकर है । कहा जा रहा है । आमंत्रण पत्र में सागर लोकसभा क्षेत्र के सांसद का नाम नहीं है । जबकि केंद्रीय विश्वविद्यालय के कार्य क्रमों में केंद्र सरकार के प्रतिनिधि के तौर पर स्थानीय सांसद की गरिमामय उपस्थिति अपेक्षित मानी जाती  है 

वहीँ दूसरी और यह भी चर्चा है कि कार्यक्रम की आमंत्रण पत्र में   आमंत्रित अतिथियों के नाम के क्रम में उनके पदों की वरिष्ठता की लिहाज से विसंगति नजर आ रही है  यह आरोप लगाने वालों का तर्क है कि केंद्रीय विश्वविद्यालय के  विजिटर चांसलर, कुलपति व  प्रदेश के राज्यपाल  के नियुक्ति  देश का राष्ट्रपति करता है। वहीं प्रदेश के मंत्रियों की   नियुक्ति  राज्यपाल करता है । विजिटर चांसलर भी  केंद्रीय विश्वविद्यालयों के कार्यक्रमों  में राष्ट्रपति का प्रतिनिधि के तौर पर शामिल होता है

तीसरा मुद्दा  विश्वविद्यालय प्रबंधन द्वारा पत्रकारों को डॉक्टर हरी सिंह गौर के जीवन के बारे   में वितरित जानकारी के अंग्रेजी प्रारूप में डॉ गौर के नाम की स्पेलिंग, प्रचलित और अधिकृत स्पेलिंग से अलग लिखी है  विविरण में Gour के स्थान पर GAUR लिखा गया है 

कुछ जानकारों  की नजर में किसी  केंद्रीय संस्थान के प्रमुख की  हैसियत से  प्रमुख विशेष    का  घर घर जाकर आमंत्रण देने भी  प्रोटोकॉल के अनुरूप नहीं बताया जा रहा है