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Sagar Watch News/ भारतीय दार्शनिक अनुसंधान परिषद (ICPR), नई दिल्ली की पहल पर 2 मई 2025 को डॉ. हरीसिंह गौर विश्वविद्यालय, सागर के दर्शनशास्त्र विभाग में आदि शंकराचार्य की जयंती को "भारतीय दार्शनिक दिवस" के रूप में मनाया गया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि प्रो. दिवाकर सिंह राजपूत थे, जबकि संयोजन डॉ. देवस्मिता चक्रवर्ती एवं डॉ. अर्चना वर्मा ने किया।
कार्यक्रम की शुरुआत आदि शंकराचार्य और डॉ. हरीसिंह गौर के चित्रों पर माल्यार्पण से हुई। वक्ताओं ने आदि शंकराचार्य की तार्किकता, नैतिक अनुशासन और अद्वैत वेदांत के सिद्धांतों पर प्रकाश डाला। डॉ. अनिल तिवारी ने शंकराचार्य के जीवन की प्रेरक घटनाएं साझा कीं और उनके द्वारा रचित ग्रंथों का उल्लेख किया।
इस अवसर पर वृत्तचित्र प्रदर्शन, पोस्टर प्रदर्शनी और विचार-विमर्श हुआ। डॉ. सत्यनारायण देवलिया, डॉ. नरेंद्र कुमार बौद्ध और अन्य वक्ताओं ने शंकराचार्य के दर्शन को आत्म-ज्ञान और सामाजिक कल्याण से जोड़ा।
कार्यक्रम का उद्देश्य शंकराचार्य की शिक्षाओं को जीवन में उतारना और भारतीय दार्शनिक परंपरा का सम्मान करना था। डॉ. अर्चना वर्मा ने आभार प्रकट करते हुए इसे विचारशील पीढ़ियों के लिए प्रेरणास्रोत बताया।
कार्यक्रम में प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता भी कराई गयी जसमें प्रथम स्थान पर दर्शन विभाग के स्नातकोत्तर के विद्यार्थी हेमंत तिवारी, दूसरे स्थान पर विभाग की शोधार्थी विभा पांडेय व तीसरे स्थान पर विभाग के विद्यार्थी वर्षा, रिषिका व सुशील रहे।
कार्यक्रम
में इतिहास
विभाग से प्रो. बी. के. श्रीवास्तव, मनोविज्ञान विभाग से डॉ. दिव्या भनोट, दर्शन विभाग के शोधार्थी
मनोहरलाल चौरसिया, विभा पाण्डेय, पूजा एवं गौरव कुमार के साथ-साथ स्नातक एवं स्नातकोत्तर के छात्र-
छात्राएं उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन विभाग के छात्र हिमांक चक्रबर्ती द्वारा
किया गया।
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