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लोकतांत्रिक समाजवादी पार्टी के संरक्षक रघु ठाकुर का मानना है कि तमिलनाडु के मुख्यमंत्री स्टालिन का विरोध राजनीतिक है, और यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि आज़ादी के 77 वर्ष बाद भी भाषा की राजनीति जारी है। 

सागर प्रवास के दौरान पत्रकारों से चर्चा करते हुए उन्होंने यह बात कही। उन्होंने भाषा विवाद पर बोलते हुए कहा कि त्रिभाषा फार्मूला कोई नई अवधारणा नहीं है, बल्कि यह लंबे समय से चर्चा का विषय रहा है। 

उन्होंने हिंदी भाषा की उपेक्षा पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि यह संख्या बल के बावजूद भी हाशिये पर है, क्योंकि इस पर राजनीतिक संरक्षण नहीं है। उन्होंने स्टालिन से अपील की कि यदि हिंदी से आपत्ति है तो वे उर्दू, कन्नड़ या तमिल में शिक्षा प्रदान कर सकते हैं।

उन्होंने कहा कि भारत सरकार ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति में इसी फार्मूले को दोबारा लागू किया है। श्री ठाकुर ने कहा कि यदि कोई भाषा वास्तव में थोपी गई है, तो वह अंग्रेजी है। दक्षिणी राज्यों में पहली भाषा उनकी मातृभाषा या राज्य भाषा होती है, दूसरी अंग्रेजी और तीसरी कोई अन्य भारतीय भाषा।

श्री ठाकुर ने सुझाव दिया कि संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) की परीक्षाओं में सी-सैट-2 को समाप्त कर दिया जाए और चयनित अभ्यर्थियों को उनके कार्यक्षेत्र के राज्य की भाषा का प्रशिक्षण अनिवार्य किया जाए।

अंतरराष्ट्रीय स्थिति पर बोलते हुए, उन्होंने पाकिस्तान की अस्थिरता और सरकार व सेना की कमजोरी का जिक्र किया। उन्होंने यूक्रेन संकट से सीख लेने की आवश्यकता बताई और कहा कि अंतरराष्ट्रीय कर्ज के दुष्परिणाम बेहद गंभीर हो सकते हैं।

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