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Sagar Watch News/ लोकगीत व्यक्तिगत लिखे तो जाते हैं लेकिन लोक की मान्यता मिलने पर उन पर व्यक्ति का अधिकार नहीं रहता। लोकगीत में महिलाओं का योगदान पुरुषों से ज्यादा है।
यह विचार शासकीय कला एवं वाणिज्य महाविद्यालय सागर में भारतीय ज्ञान परम्परा प्रकोष्ठ के अंतर्गत आयोजित संभाग स्तरीय लोकगीत एवं पोस्टर प्रतियोगिता कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि एवं निर्णायक वरिष्ठ लोकगीत गायक श्री शिवरत्न यादव शिवरतन यादव ने अपने उद्बोधन के दौरान व्यक्त किये। संभाग स्तरीय लोकगीत प्रतियोगिता में पन्ना, छतरपुर, दमोह, टीकमगढ़ एवं सागर जिले की टीमों ने प्रतिभागिता की।
इसी सिलसिले में डॉ. गजाधर सागर वरिष्ठ लोक गीत गायक ने विद्यार्थियों को गायन के टिप्स देते हुए कहा कि समूह गायन में समन्वय आवश्यक होता है। चूंकि ये पारंपरिक गीत होते हैं अतः लय एवं शब्दों में सामंजस्य होना चाहिए।
निर्णायक जयंत विश्वकर्मा ने गायन से पहले सुनना जरूरी है। लोकगीत तीज, मौसम व प्रकृति पर आधारित होते हैं। कार्यक्रम का संचालन करते हुए डॉ. अमर कुमार जैन जिला नोडल अधिकारी भारतीय परम्परा प्रकोष्ठ ने कहा जब गीतों को लोक की मान्यता मिलती है तो वे लोकप्रिय हो जाते हैं।
संभाग स्तरीय लोक गीत प्रतियोगिता में प्रथम स्थान पर आयी शासकीय स्वशासी कन्या स्नातकोत्तर उत्कृष्टता महाविद्यालय सागर की छात्राओं अंशिता श्रीवास्तव, निकिता दीक्षित, डॉली काछी, शोभवी सिंह राजपूत, पलक अग्रवाल, शैलीराज अहिरवार द्वारा गाये गीत उठो गोरी मगरे पे बोल रहो कौआ, लगत तोरे मयके से आ गए लोऊआ ने सभागार में समाँ बाँध दिया।
द्वितीय स्थान पर शासकीय कन्या पी.जी. महाविद्यालय छतरपुर की छात्रा मोहनी पाठक के द्वारा गाये गीत सबहीं धरो रह जाने जो तन माटी में मिल जाने ने भी खूब तालियां बटोरी।
तृतीय स्थान शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय हटा की छात्रा दीक्षा काछी द्वारा गाये लोक गीत जैसो भारत देश महान, दूजो देश जगत में नहिए। को सराहना मिली।
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