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Sagar Watch News/ भगवान् राम के विवाह प्रसंग पर कथावाचक बापू चिन्मयानन्द ने कहा कि धनुष अहंकार का प्रतीक है और जब तक मनुष्य के भीतर का अहंकार खत्म नहीं होता तब तक मनुष्य की भक्ति प्रभु को समर्पित नहीं होती। जैसे भगवान राम द्वारा धनुष भंग करते ही सीता प्रभु को समर्पित हुई।खेल परिसर के बगल वाले मैदान में चल रही श्री राम कथा के आज पांचवे दिन भगवान् का राम का विवाह संपन्न हुआ।
शुरुआत में कथा के दौरान बापूजी ने कहा कि एक अच्छे और संस्कारी बच्चे का कर्तव्य है की अपनी शिक्षा पूर्ण करने के बाद अपने पिता के कार्यों में हाथ बंटाए और उनका सहारा बने।यही सच्चे और एक अच्छे पुत्र का धर्म है।
भगवान राम ने जनकपुर की यात्रा के दौरान अहिल्या का उद्धार किया। बापूजी ने कहा कि अहिल्या की गलती भी उसके लिए उसका श्राप नहीं आशीर्वाद के रूप में काम आया क्योंकि जिन परमात्मा का दर्शन करने के लिए मनुष्य जन्म जन्मांतर तपस्या करता है, ऐसे परमात्मा की चरण राज उसको एक भूल से ही प्राप्त हो गई। उन्होंने अपनी चरण राज से अहिल्या को श्राप से मुक्ति दिलाई।
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