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Sagar Watch News/ महान गणितज्ञ श्रीनिवास रामानुजन का सबसे बड़ा योगदान रामानुजन संख्या 1729 को माना जाता है। गणित विषय के क्षेत्र में उनके योगदानों में मुख्य रूप से गणितीय विश्लेषण, अनंत श्रृंखला, संख्या सिद्धांत, निरंतर भिन्न और खेल सिद्धांत को माना जाता है। उनके सूत्रों का इस्तेमाल क्रिस्टल विज्ञान में भी किया जाता है।
यह विचार शासकीय कला एवं वाणिज्य महाविद्यालय में महान गणितज्ञ श्रीनिवास रामानुजन के जन्मदिवस पर राष्ट्रीय गणित दिवस के रूप में आयोजित 4 दिवसीय श्रृंखलाबद्ध कार्यक्रमो दौरान विषय विशेषज्ञ सेवानिवृत्त प्रोफेसर एल. एल. श्रीवास्तव ने अपने व्याख्यान के दौरान व्यक्त किये।
इसी सिलसिले नें उन्होंने बताया कि गणितज्ञ श्रीनिवास रामानुजन ने अपने जीवनकाल मे 3,884 गणितीय प्रमेयों की खोज की थी। इसके अलावा उन्होंने गणित के सहज ज्ञान व बीजगणित प्रकलन के अद्वितीय प्रतिभा के बल पर कई मौलिक और अपारंपरिक परिणाम निकाले थे।
कार्यक्रम की मुख्य अतिथि डॉ रेनू बाला शर्मा ने विद्यार्थियों को गणित की महत्ता बताते हुए कहा कि जिस तरह मोर की शिखा और नागो मे मणि का स्थान सबसे ऊपर है, वैसे ही सभी वेदांग और शास्त्रो मे गणित का स्थान सबसे ऊपर है।
व्यस्तता के चलते भूल गए हैं सोलह में से चौदह संस्कार
आजकल मनुष्य के जीवन में व्यस्तता के चलते दो ही संस्कार बचे हैं-विवाह संस्कार और अंतिम संस्कार। सनातन धर्म की 16 संस्कारों में से हम 14 संस्कार तो भूल ही गए हैं। यह बात कथावाचक चिन्मयानन्द ने शहर के खेलमैदान में चल रही रामकथा के तीसरे दिन श्रद्धालुओं को याद दिलाई।
उन्होंने कहा कि यदि हम सनातनी हैं और सनातन धर्म में जन्मे हैं तो मैं तो हमें अपने संस्कारों का त्याग नहीं करना चाहिए।
उन्होंने बच्चों की शिक्षा पर जोर देते हुए कहा कि हम अपने बच्चों को शिक्षा के साथ-साथ धर्म के भी संस्कार दें आजकल की पढ़ाई से हमें अधिकारी वर्ग तो बहुत मिल रहा है लेकिन स्वामी विवेकानंद जैसी महान विभूति आज ढूंढ पाना मुश्किल है।
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