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Sagar Watch News/ खेल परिसर के बाजू वाले मैदान में चल रही श्री राम कथा के दूसरे दिन में कथा वाचक स्वामी चिन्मयानन्द ने गुरु कि महिमा का बखान किया। उन्होंने कहा कि साधारण मनुष्य कभी गुरु नहीं बन सकता। गुरु को तो मनुष्य के रूप में देखना ही अपराध है, क्योंकि गुरु साक्षात परमात्मा का स्वरूप होते हैं।
इसी सिलसिले में साधु समाज की वंदना करते हुए बापूजी ने कहा कि प्रतिकार का पूर्ण सामर्थ्य और सहन करने की पूर्ण शक्ति जिसके अंदर है वही मनुष्य सच्चे रूप में साधु है। वंदना प्रकरण के बाद कथा को शिव चरित्र की ओर मोड़ते हुए कहा कि भगवान शिव अपनी पत्नी के साथ उत्तर से दक्षिण की ओर अगस्त ऋषि के यहाँ श्री राम कथा सुनने के लिए गए।
बापू जी ने कहा कि यदि दिल में प्यास हो तो पानी कितना भी दूर मिले इंसान पहुंच ही जाता है। यदि हमारे दिल में कथा के लिए प्रेम है तो हमारे शहर में कथा कितनी भी दूर हो सुनने वाला व्यक्ति वहां पहुंच ही जाता है।
बापूजी ने कहा कि राम कथा हमें सिर्फ सुना ही नहीं है बल्कि राम कथा लहू बनकर हमारे रग रग में दौड़नी चाहिए । भगवान शिव ने राम कथा सुनने के बाद राम दर्शन की मन में लालसा व्यक्त की और उनको भगवान राम का दर्शन भी हुआ।
कथा के माध्यम से बापूजी ने कहा कि हम भी कथा सुनने के बाद भगवान की लीलाओं का चिंतन करें जिससे कि हमारे मन में भी भगवान के दर्शन की लालसा हो और हमें भी भगवत कृपा से भगवान का दर्शन प्राप्त हो
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