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 मप्र शासन संस्कृति विभाग और मप्र नाट्य विद्यालय भोपाल एवं ज़िला प्रशासन सागर द्वारा 5 दिवसीय रंग प्रयोग नाट्य समारोह का आयोजन शहर के पद्माकर सभागार मोतीनगर में किया गया । जिसके अंतिम दिन नाटक आदि विक्रमादित्य का मंचन हुआ। इसके लेखक दिनेश नायर एवं निर्देशक मध्यप्रदेश नाट्य विद्यालय भोपाल के निदेशक श्री टीकम जोशी है।

"आदि विक्रमादित्य" एक शानदार नाटक है जो सिंहासन बत्तीसी और बेताल पच्चीसी की कहानियों का संकलन प्रस्तुत करता है। यह नाटक चार प्रमुख गुड़ियों के माध्यम से राजा विक्रमादित्य और राजा भोज की महाकाव्यात्मक यात्रा को जीवंत करता है। 

राजा भोज द्वारा सिंहासन की खोज से शुरू होकर, यह कहानी विक्रमादित्य और बेताल की रहस्यमयी दुनिया में प्रवेश करती है। नाटक का अंत इस गहरे विचार से होता है कि विक्रमादित्य के अद्वितीय स्थान को कोई अन्य राजा, चाहे कितना भी शक्तिशाली क्यों न हो, नहीं ले सकता।

लोककथाओं के माध्यम से नैतिकता और आदर्श समाज की कल्पना को बहुत ही प्रभावशाली ढंग से चित्रित किया गया है। विक्रमादित्य और भोज के चरित्रों को ऐसे नायकों के रूप में पेश किया गया है जो समाज के नैतिक मूल्यों के प्रतीक हैं। इन कथाओं की आधुनिक समाज में प्रासंगिकता पर भी विचार किया गया है, जो दर्शकों को विचारशील बनाता है।

नाटक की शैली और रचना प्रक्रिया प्रायोगिक है, जो इसे पारंपरिक नाटकों से अलग बनाती है। आधुनिक अभिनेताओं के साथ किए गए प्रयोग और काल का अद्वितीय समन्वय इसे और भी विशेष बनाते हैं। कुल मिलाकर, "आदि विक्रमादित्य" एक सजीव और प्रेरणादायक प्रस्तुति है जो इतिहास और लोककथाओं के आदर्शों को पुनर्जीवित करती है।

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