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 ढोल नगाड़ों की ध्वनि के के बीच आरती कि सुनहरी लौ से चमकती सागर कि ऐतिहासिक लाखा बंजारा झील के चकराघाट पर हर शाम   भव्य सार्वजनिक आरती का आयोजन शुरू हो गया है 
 लाखा बंजारा झील के ऐतिहासिक एवं धार्मिक महत्त्व को देखते हुये झील के चकराघाट पर  12 अगस्त 2024, दिन सोमवार को शाम 7 बजे गंगा आरती का सांस्कृतिक आयोजन किया गया। 

 इस सांस्कृतिक आयोजन का उद्देश्य शहर के नागरिकों में ऐतिहासिक विरासतों और पर्यावरण के संरक्षण की भावना विकसित करना है, अधिक से अधिक नागरिक इस आयोजन में शामिल होकर शहर के साफ-स्वच्छ और सुन्दर ऐतिहासिक धार्मिक व सांस्कृतिक महत्त्व के स्थलों की जिम्मेदार नागरिक के रूप में संरक्षण व सुरक्षा हेतु संकल्पित हों। 

 चकराघाट पर किले की ओर स्थापित महाकवी पदमाकर की मूर्ति के पास बने घाट पर 11 पुजारी विशाल आरतियों के माध्यम से डमरूदल, ढोल नगाड़ों की ध्वनि और सांस्कृतिक प्रस्तुति के साथ आरती करेंगे। 

स्थानीय लोककलाकारों द्वारा बरेदी नृत्य, रमतूला ढपली ढोलक आदि की थाप पर दुलदुल घोड़ी, अखाड़े आदि का प्रदर्शन इस सांस्कृतिक आयोजन को और भी आकर्षक बनायेगा। विशेष साजसज्जा लाइटिंग के साथ लगभग 1100 दीयों की रौशनी से जगमग होगा चकराघाट। 

 उल्लेखनीय है की शासन-प्रशासन के द्वारा राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (NCAP), जल गंगा संवर्धन अभियान सहित अन्य कई अभियान पर्यावरण संरक्षण हेतु चलाये जा रहे हैं। पर्यावरण के प्रति नागरिक जागरूक बने और अपने आस-पास के वातावरण हवा, पानी, आकाश, पृथ्वी को साफ-स्वच्छ बनाने हेतु आवश्यक जीवनशैली अपनायें। 

अपने शहर, प्रदेश और देश को प्रदूषणमुक्त करने में सहयोगी बने। इसके साथ ही अपनी गौरवशाली ऐतिहासिक विरासतों को साफ, स्वच्छ रखते हुये संरक्षित व भविष्य के लिए सुरक्षित बनाने में सहयोगी बने।
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