Music, Dr Rajesh Kelkar

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 संगीत एक श्रवण विद्या है, संगीत को समझने के लिए कानसेन बनिये। प्रतिदिन अच्छा संगीत सुने। यह विचार संगीत विभाग,डॉ हरीसिंह गौर विश्वविद्यालय मै आयोजित गुरु नमन कार्यशाला के दौरान एम एस विश्वविद्यालय के डॉ राजेश केलकर ने व्यक्त किये 

डॉ केलकर ने राग अहीर भैरव का संपूर्ण स्वरूप स्पष्ट किया। साथ ही राग अहीर भैरव की विशेष स्वर संगतियो को बताया। उन्होंने राग अहीर भैरव में ही छोटा ख्याल " मनवा तू जगत रहियो " सिखाया। आलाप, बोल आलाप, और तानों जैसी विभिन्न स्वर संगति,के द्वारा बंदिश को कैसे सजाया जाता है व्यवहारिक तरीके से समझाया । 

तबला पर संगत शैलेंद्र सिंह राजपूत के द्वारा एवं हारमोनियम पर संगत निलय साल्वी के द्वारा की गई। डॉ केदार मुकादम, डॉ चिराग सोलंकी, दुष्यंत रूपोंलिया,हेमंत भट्ट सहित अनेक संगीत रसिक एवं विद्धान कार्यशाला मे उपस्थित रहे। शोध छात्र आकाश जैन एवं यश गोपाल श्रीवास्तव के समन्वय मै कार्यशाला का समापन हुआ। 

संचालन डॉ अवधेश प्रताप सिंह तोमर जी ने एवं आभार व्यक्त डॉ राहुल स्वर्णकार जी ने किया। कार्यशाला की अध्यक्षता डॉ ललित मोहन ने की। संगीत विभाग,डॉ हरीसिंह गौर विश्वविद्यालय मै आयोजित गुरु नमन कार्यशाला का समापन सत्र रहा। 

जबकि कार्यशाला का प्रारंभ माँ सरस्वती पूजा एवं वंदना से हुआ सभी प्रतिभागियों ने पं रामसिंह "रागी" द्वारा रचित समूह गुरु वंदना की प्रस्तुति दी। कार्यशाला मै विषय विशेषज्ञ के रूप मे एम एस विश्वविद्यालय के डॉ राजेश केलकर जी रहे। डॉ केलकर का सम्मान डॉ राहुल स्वर्णकार, डॉ अवधेश प्रताप सिंह के द्वारा किया गया।

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