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Shekhchilli ki Diary-महाकुम्भ से सियासी अटकलों का दौर शुरू

SAGAR WATCH-
शेखचिल्ली की डायरी

महाकुम्भ से सियासी अटकलों का दौर शुरू 

सियासतदारों की माने तो बुधवार को सागर में  संत रविदास की जयंती के अवसर परआयोजित हुआ  चौथा महाकुम्भ  भाजपा  की अपेक्षाओं पर खरा नहीं उतरा । कार्यक्रम में प्रदेश के मुख्यमंत्री के अलावा भाजपा की सरकार के करीब एक दर्जन मंत्री जुटे लेकिन इस सब के बावजूद भीड़ उतनी नहीं जुडी जो  अनुसूचित जाति वर्ग में पैठ बनाने की जुगत में लगे भाजपा के रणनीतिकारों को खुश कर पाती।

बताया जा रह है कि आलम यह था की भीड़ नहीं जुटने के चलते मुख्य अतिथि को भी निर्धारित समय से कुछ विलम्ब से आने के लिए कहा गया। कार्यक्रम शुरू होने की बाद भी मंच के आगे की कुर्सियों के खाली नजर आने के चलते आयोजन करता व् मंच से मंत्रियों को पुलिस को बार-बार निर्देश देने पड़े की मंच के करीब बने बेरीकेड  को खोल दिया जाए 

मुख्यमंत्री द्वारा समाज विशेष के लिए बड़ी-बड़ी  घोषणाएं करने के बाद भी जनता की और से अपेक्षित उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया नहीं मिलने पार बार-बार जनता से जोर से आवाज लगाने के लिए कहा गया । यहाँ तक कि मुख्यमंत्री को एक बार तो जनता से यह कहते हुए भी सुना गया कि " कैसे मरे-मरे से बोल रहे है आप लोग।"

कार्यक्रम में मुख्यमंत्री के आगमन को लेकर जिला प्रशासन ने सुरक्षा व्यवस्था को चाक-चौबंद बनाने के जो  इंतज़ाम किये थे वे भी जनता को रास नहीं आये। इस व्यवस्था के चलते जहां शहर के स्कूलों को अघोषित तौर पर छुट्टी करनी पड़ी और आज की दिन की परीक्षाओं के निरस्त होने से विद्यार्थियों में भी मायूसी छाई रही । हालाँकि शहर के अन्दर मुख्यमंत्री को कोई कार्यक्रम नहीं था इस सब के बावजूद भी शहर का सामान्य आवागमन बुरी तरह प्रभावित नजर आया 

कार्यक्रम में शामिल हुए मंत्रियों की आपसी केमिस्ट्री भी जनता, राजनैतिक विश्लेषकों  व् मीडिया के बीच भी खासी चर्चा  का विषय बनी रही। कार्यक्रम के दौरान  मंत्रियों, नेताओं व् पार्टी के पदाधिकारियों के आपसी बोलचाल ,भाव-भंगिमाओं और नजरों  की  गतिविधियों का  लोगों की पैनी नजरें लगातार पीछा करतीं रहीं

मप्र में इस साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनावों की आहट करीब आती जा रही है उसी के चलते महाकुम्भ जैसे जन-आयोजनों की छाँव में अटकलों की बेल  तेजी से फलने -फूलने लगी है। संत रवि दास महाकुम्भ भी अगर सियासी अटकलों  की खरपतवार को बढ़ावा दे तो कोई आश्चर्य  नहीं होगा 



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