Shekhchilli Ki Diary
सियासी दलों ने प्रदेश में आगामी विधानसभा के मद्देनजर अपनी कमर कसना शुरू कर दी है। लंबे समय से प्रदेश में सत्ता सुख भोग रही भाजपा इस मामले में अन्य सभी दलों से काफी आगे है। अभी उसका अभियान पार्टी स्तर पर भले ही नदारद है लेकिन प्रशासन की पीठ पर सवार होकर "विकास" यात्रा पर निकल पड़ा है। हाल ही में शुरू हुआ विकास यात्राओं का दौर उसकी इसी रणनीति का नतीजा माना जा रहा है।
वहीं कांग्रेस पार्टी अभी जमीनी स्तर पर चुनावों की तैयारी को लेकर ज्यादा सक्रिय नजर नहीं आ रही है। फिर भी संगठनात्मक स्तर पर उसने शहर व ग्रामीण स्तर के अध्यक्षों की नियुक्ति की लंबी सूची जारी कर अपने इरादों के बारे में एक संदेश तो प्रतिद्वंदी पाट्रियों को दिया है।
प्रदेश में तीसरे विकल्प के रूप में अपनी पहचान बनाने की कवायद कर रही आप पार्टी के अंदर भी सुगबुगाहट तेज होती नजर आ रही है। हाल ही में आप पार्टी के युवा नेता व प्रदेश के संगठन प्रभारी ने पार्टी के प्रदेश की सभी 230 सीटों पर प्रत्याशी खड़े करने की पार्टी के फैसले का खुलासा किया है।
जबकि पडौ़सी प्रदेशों में सत्ता में रहीं राजनैतिक पार्टियों बहुजन समाजवादी पार्टी व समाजवादी पार्टी की ओर से प्रदेश में अब तक चुनावों को लेकर कोई भी गतिविधियां होते नहीं दिख रहीं हैं।
प्रदेश का मौजूदा राजनैतिक परिदृश्य राजनीतिक के जानकारों की राय में भाजपा को सत्ता में होने के कारण मिलने वाले अतिरिक्त लाभ मिलने के बावजूद भी उसका फिर से सत्ता में आना उतना आसान नहीं लग रहा है जितना वह मान रही होगी।
पिछले चुनावों में सरकार नहीं बना पाने का झटका वह अभी भूली नहीं होगी। भले ही कांग्रेस की सरकार के गिरने के चलते वह फिर से सत्ता में आ गयी थी। लेकिन एंटी इंनकांबेन्सी का घटक भाजपा को प्रभावित नहीं करेगा ऐसा नहीं माना जा रहा है।
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