Innovation-फसलों में नयी जान फूंक रहा है तरल यूरिया
सागर 26 दिसम्बर 2021
खाद की किल्लत एवं पर्यावरण समस्या दूर करने के लिए जिले के किसान खाद के नए अवतार तरल यूरिया (नैनो यूरिया) को अपना रहे हैं। जिले में इस साल 15 हजार बोतल नैनो यूरिया की खपत हो चुकी है, जिसे कृषि अधिकारी अच्छा रुझान मान रहे हैं। कृषि विभाग नैनो यूरिया को बढ़ावा भी दे रहा है। किसानों के बीच आयोजित सभाओं में नैनो यूरिया के इस्तेमाल की जानकारी दे रहे हैं।
विशेषज्ञों कि माने तो नैनो यूरिया में नाइट्रोजन की बर्बादी कम है, और पर्यावरण के दृष्टिकोण से भी अच्छा है। इससे जलस्रोत दूषित होने की संभावना बहुत कम हो जाती है। साथ ही किसानों के लिए यह किफायती भी है, इसका परिवहन व भण्डारण भी बहुत सुगम है।
कृषि विभाग के उप संचालक बी.एल.मालवीय ने कहा है कि नैनो यूरिया पत्तियों के माध्यम से काम करती है। जबकि दानेदार यूरिया जड़ के माध्यम से काम करती है। दानेदार यूरिया का इस्तेमाल करने पर 30 से 40 प्रतिशत हिस्सा ही पौधों को मिल पाता है। बाकी जमीन और हवा में चला जाता था।
जबकि नैनो यूरिया का इस्तेमाल करने पर इसके नाइट्रोजन का लगभग 80 से 85 प्रतिशत पौधों में जाता है। नैनो तरल यूरिया को 94 से ज्यादा फसलों पर देश भर में परीक्षण किया गया है। धान, आलू ,गेहूं, मक्का , प्याज , लहसुन और सब्जियों समेत सभी फसलों पर बेहद अच्छे परिणाम मिले हैं।
जैसीनगर क्षेत्र के ग्राम सेमरा गोपालमन के किसान बारेलाल विश्वकर्मा बताते हैं कि नैनो यूरिया का इस्तेमाल अपेक्षाकृत सुलभ है एवं परिणाम बेहतर हैं। खुरई क्षेत्र के ग्राम लहटवास के किसान आशीष जैन बताते हैं कि किसान अब नैनो यूरिया का इस्तेमाल किसान करने लगे हैं। उन्होने बताया कि यह फसल पर अच्छा काम कर रहा है। मैंने भी दो एकड़ में इस्तेमाल किया है। छिड़काव के लिए आधा लीटर नैनो यूरिया 150 लीटर पानी में घोलकर स्प्रे किया जाता है।

अधिक नाइट्रोजन चाहने वाली फसलों में इसे दो बार 25-30 दिनों एवं 45-50 दिनों पर स्प्रे किया जाता है। नैनो तरल यूरिया के कणों का साइज इतना कम है कि ये पत्ती से सीधे पौधे में प्रवेश कर जाता है। पौधे की जरूरत के अनुसार नाइट्रोजन को रिलीज करता है।
जबकि दानेदार यूरिया का नाइट्रोजन सिर्फ एक हफ्ते तक काम में आता है। इसमें बेकार जाने वाली यूरिया हवा, पानी, मिट्टी को सबको दूषित करता है। इसी प्रकार से बंडा क्षेत्र के ग्राम बासोना के किसान गोवर्धन विश्वकर्मा ने बताया कि मैंने एक एकड़ में नैनो यूरिया का छिड़काव किया था। इसका परिणाम ऐसा देखने मिला की, आसपास के किसान भी इससे प्रेरित हो रहे हैं।
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