सागर वॉच। प्रदेश में भाजपा की सरकार ने अगस्त 2021 में मानसून सत्र सिर्फ चार दिन के लिए बुलाया। शिवराज सरकार को पता था कि कमलनाथ जी के नेृतृत्व में कांग्रेस पार्टी जनता के मुद्दों को पूरी ताकत से उठाएगी और सरकार को निरुत्तर कर देगी। श्री कमलनाथ जी के सामने सरकार टिक नहीं सकती थी, इसलिए जानबूझकर सिर्फ 4 दिन का सत्र बुलाया और उसे भी 3 घंटे में खत्म कर दिया।कांग्रेस पार्टी की संभागस्तर पर आयोजित प्रेसवार्ता में पूर्व विधायक हर्ष यादव,प्रदेश मीडिया प्रवक्ता संदीप सबलोक, अरुणोदय चौबे ने बताया कि उनकी पार्टी मंहगाई, बाढ़ की तबाही,कोरोना और जहरीली शराब के पीने से हुईं मौतों, पेगासस जासूसी जैसे तमाम मुद्दों पर सर्कार को विधानसभा में घेरने वाली थी। चूंकि सरकार के पास इनके उत्तर नहीं हैं इसलिए उन्होंने इन विषयों को कार्यसूची में शामिल ही नहीं किया और एक ही दिन में सारे कार्य कार्य सूची में लिखकर विधानसभा समाप्त कर दी
कांग्रेस पार्टी प्रदेश में आदिवासी समाज पर बढ़ रहे अत्याचार और अत्याचारियों को मिल रहे राजनैतिक संरक्षण का मुद्दा उठाना चाहती थी। लेकिन यह मुद्दे न उठ सकें इसलिए सरकार ने आदिवासी समाज का अपमान किया। 9 अगस्त को अंतरराष्ट्रीय आदिवासी दिवस पर कमलनाथ सरकार द्वारा घोषित अवकाश को रद्द कर आदिवासी समाज का अपमान किया।
ओबीसी आरक्षण 27 फीसदी करने का मुद्दा:-
कमलनाथ ने सरकार बनते ही सबसे पहले प्रदेश के अन्य पिछड़ा वर्ग का आरक्षण 14 फीसदी से बढ़ाकर 27 फीसदी कर दिया। इससे घबराकर भाजपा ने षड़यंत्र कर कमलनाथ सरकार गिरा दी ताकि ओबीसी के साथ न्याय न हो सके। भाजपा के प्रवक्ता जान-बूझकर यह भ्रम फैला रहे हैं कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के मुताबिक आरक्षण की कुल सीमा 50 फीसदी से अधिक नहीं हो सकती।
पेट्रोल डीजल:-
मध्य प्रदेश में पेट्रोल और डीजल की कीमतों पर सबसे ज्यादा वैट मध्य प्रदेश की सरकार लगा रही है। प्रदेश में डीजल 100 रुपये के पार और पेट्रोल 112 रुपये प्रति लीटर तक पहुंच चुका है। जब अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतें 132 डाॅलर प्रति बैरल के पार थी तब भी कांग्रेस की मनमोहन सिंह सरकार ने तेल की कीमत 68 रुपये के करीब ही रखी। अब जब पिछले साल अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चा तेल जीरो, शून्य डाॅलर प्रति बैरल से भी नीचे पहुंच गया था, तब भी मोदी सरकार ने जनता से लूट जारी रखी।
गैस सिलेंडर:-
केंद्र सरकार द्वारा शौचालय से लेकर सचिवालय तक उज्ज्वला योजना में गरीबों को सिलेंडर देने का विज्ञापन तो किया जा रहा है। जबकि सच्चाई यह है कि मोदी सरकार ने जनता को बिना बताए गैस सिलेंडर पर सब्सिडी खत्म कर सिलेंडर की कीमत ढ़ाई गुना अधिक बढ़ा दी। जो सिलेंडर मनमोहन सिंह की सरकार में 400 रुपये का आता था, वही सिलेंडर मोदी सरकार में 850 रुपये का आ रहा है।
खाने का तेल और दालें:-
प्रदेश के इतिहास में लोगों ने पहली बार सरसों और रिफाइंड तेल 200 रुपये प्रति लीटर खरीदा। दालों की कीमत 100 रुपये किलो के ऊपर चली गई। यह सरकार लोगों को भूखों मारने पर उतारू है।
बेरोजगारी:-
केंद्र में मोदी और राज्य में शिवराज सरकारों ने नौजवानों के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। विधानसभा चुनाव के घोषणापत्र में भाजपा ने हर साल 10 लाख रोजगार देने का वादा किया था। लेकिन सरकार बनने के बाद से शिवराज सरकार नौकरी देना तो दूर पहले से चयनित अभ्यर्थियों को ही नियुक्ति नहीं दे रही है। जब ये चयनित लोग अपनी नौकरी मांगते हैं तो उन्हें पुलिस की लाठियां मिलती हैं। मध्य प्रदेश सरकार के रोजगार पोर्टल पर 33 लाख से ज्यादा पंजीकृत बेरोजगार हैं। सरकार न तो इन्हें सरकारी नौकरी दे रही है और न ही निजी क्षेत्र में नौकरी का प्रबंधन कर रही है।
कोरोना से हुई मौतें:-
मप्र सरकार ने कोरोना से हुई भयावह मौतों के आंकड़े को छिपाने के लिए तरह-तरह के आदेश निकाले। मृत्यु प्रमाण पत्रों में मृत्य के कारण की जानकारी न देने हेतु निर्देश दिये गये। आंकड़ों में हेरफेर स्वयं सरकार ने स्वीकार की। मप्र में 12 महीनों में सामान्यतः 2017 से 3 लाख 50 हजार औसत मौतें एक वर्ष में होती हैं, किंतु वर्ष 2020 में 5 लाख 18 हजार और वर्ष 2021 के (जनवरी-मई) पांच महीनांे में 3 लाख 28 हजार 963 मौतें पंजीकृत हुई हैं। यह सामान्य मौंतों से 54 प्रतिशत अधिक मौतें हैं।
इसे यदि सांख्यिकी के प्रयायीकता के सिद्धांत से गणना की जाये तो लगभग 1 लाख 13 हजार मौतें कोरोना से हुई प्रतीत होती हैं। जबकि मौतों की संख्या में सुधार करने के बाद भी सरकार लगभग 10 हजार मौतें ही बता रही है। यह कोरोना से मृत निर्दोष लोगों के प्रति अन्याय हैं। वे चिकित्सा, दवा, आक्सीजन, बिस्तरों की कमी के शिकार हुये हैं। जो उत्तरदायित्व सरकार की जिम्मेदारी होती है। सरकार योजनाओं का लाभ देने से बचना चाहती है। इसलिए मौतों को स्वीकार करने से भाग रहे है।
महिला उत्पीड़न:-
ऐसा कोई दिन नहीं जाता जिस दिन मध्य प्रदेश में हमारी बहन-बेटियों पर जुल्म नहीं होता हो। शिवराज सरकार में मध्य प्रदेश में महिला उत्पीड़न के मामले चरम पर हैं। कहीं किसी लड़की का शोषण करने के बाद उसका शव जमीन में 10 फुट नीचे गाड़ दिया जाता है। बलात्कार के ऐसे जघन्य मामले सामने आ रहे हैं, जिनके बारे में सुनकर ही शर्म से माथा झुक जाता है।
मप्र में वर्ष 2021 में केवल तीन माह में 2600 से अधिक बलात्कार की घटनाएं दर्ज हुई हैं और मप्र बलात्कार के मामलों में फिर देश में नं. वन हो गया है। मप्र में फांसी का कानून बनाने वाली सरकार बताये कि इस कानून के बाद भी सरकार बलात्कार क्यों नहीं रोक पा रही है।