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आज के सभी अखबारों ने बुंदेलखंड चिकित्सा महाविद्यालय के चिकित्सकों की हड़ताल के समाप्त होने की खबर छापी है। लेकिन किसी भी अखबार में इस बात को रेखांकित नहीं किया कि आखिर सरकार ने बिना न-नुकर के हड़ताली चिकित्सकों की मांगे क्यों मान लीं।
इस बारे में नवभारत लिखता है कि चिकित्सकों के खिलाफ जिला प्रशाासन ने द्वारा किए गए अनुशंसा की आदेशों को नस्तीबद्व कर दिया है। वहीं दैनिक आचरण ने खबर मे चिकित्सा शिक्षक संघ के अध्यक्ष सर्वेश जैन के हवाले से प्रमुखता से छापा है कि हड़ताली चिकित्सकों ने कलेक्टर को निलंबित करने की अपने तीसरी मांग के पूरी नहीं किए जाने पर फिर से हड़ताल पर जाने की चेतावनी दी है।जबकि अन्य अखबारों में एमटीएक अध्यक्ष का हड़ताल स्थगित किए जाने का ब्यान छापा है। नवदुनिया ने हड़ताल को समाप्त कराने में हड़ताली चिकित्सकों व चिकित्सा शिक्षा मंत्री के बीच स्थानीय विधायक के मध्यस्थ की भूमिका निभाने का जिक्र किया है।
पत्रिका ने चौथे पृष्ठ पर बुंदेलखंड चिकित्सा महाविद्यालय से जुड़ी तीन खबरें लगाईं हैं जहां हड़ताली चिकित्सकों की खबर में सरकार के हड़तालियों के आगे झुकने व तीन चिकित्सकों के खिलाफ कार्रवाई करने का आदेश वापिस लिए जाने पर हड़ताल समाप्त होने की खबर को ज्यादा स्थान दिया है। इसके अलावा प्रदेश सरकार का कोविड-19 जांच के सिलसिले में गुजरात की एक निजी कोविड-19 जाँच प्रयोगशाला से अनुबंध खत्म हो जाने पर कोविड-19 के जांच के लिए आए नमूने के लंबित होने के मुद्दे को भी उठाया है । इसी के साथ कोविड-19 संक्रमण के मामलों में कमी आने की खबर को भी लगाया है।
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लीक से हटकर खबरों में दैनिक आचरण ने आत्मनिर्भर भारत योजन के तहत संभाग के विभिन्न जिलों में प्रस्तावित खाद्य प्रसंस्करण ईकाईयों की स्थापना से जुड़ी जानकारी परक खबर छापी है। खबर में बताया गया है कि छतरपुर में हल्दी, पन्ना में आंवला, सागर में टमाटर व टीकमगढ़-निवाड़ी में अदरक प्रसंस्करण के ईकाईंया शुरू किए जाने की योजना है। हालंकि अखबार में जिले के गढ़कोटा में टमाटर प्रसंस्करण के संयत्र स्थापित करने के असफल प्रयासों का भी जिक्र कर कुछ संदेश दिया है।
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ऐसी ही एक खबर नवदुनिया अखबार में छपी है जिसमें दीपावली के मौके पर निजी कंपनियों की तरह सरकारी विभागों द्वारा जनता को कई तरह के आॅफर दिए जाने की बात कही है। खबर के मुताबिक सरकारी विभागों के दीपावली के नाम पर दिए जाने वाले उपहार करों में छूट या बिल जमा करने की अवधि बढ़ाने जैसे ही रहेंगें उनमें निजी कंपनियों के त्यौहारी ऑफर एक के साथ एक मुफ्त पाएं जैसी चमक-दमक नहीं रहती है।
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