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राजस्व विभाग विभाग इस बड़ी पेचीदा समस्या से जूझता नजर आ रहा है। विभाग की सबसे निचली पायदान का जो नुमाइंदा है, जो विभाग का की आँख-कान माना जाता है अब वही राजस्व भूमि को खुर्द-बुर्द करने के आरोपों में घिरता जा रहा है। कोटवार को  भरण पोषण के लिए सरकार सेवा भूमि देती है। 

लेकिन हाल ही में ऐसे चौकाने वाले  मामले सामने  आये जिसमें कई कोटवार इसी सेवाभूमि खरीद-बेच और हेराफेरी के आरोपों में घिरे नजर आये। इन मामलों से बौखलाए प्रशासन ने कोटवारों पर कड़ी नजर रखने के लिए कई सख्त कदम उठाने शुरू कर दिए हैं। 

इसका असर सागर जिले में भी दिखने लगा है। हाल ही में जारी निर्देशों पर नजर डालने से लगता है अब तहसीलदारों के जी का जंजाल बनेगीं, कोटवारों की बदमाशियां 

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कलेक्टर ने सभी एसडीएम, तहसीलदारों को कोटवारों को प्रदान की जाने वाली शासकीय सेवा भूमि को  सूचीबद्ध करने  और उसकी सूची प्रस्तुत करने के निर्देश जारी किये हैं।

कलेक्टर ने कहा कि देखने में आ रहा है कि कई कोटवार या उनके परिजनों द्वारा सेवा भूमि को खुर्द-बुर्द किया जाता है जिससे कि शासन को शासकीय भूमि की क्षति होती है। 

उन्होंने कहा कि कोटवारों को प्रदान की जाने वाली सेवा भूमि का कार्य कोटवारों के परिवार जनों का भरण पोषण करने के लिए होता है इसलिए इस भूमि को सुरक्षित एवं संरक्षित करने का कार्य जिला प्रशासन का है। 

उन्होंने कहा कि सभी कोटवारों को प्रदान की गई सेवा भूमि को सूचीबद्ध करें और सूची को जिला वरिष्ठ रजिस्ट्रीकरण अधिकारी के समक्ष प्रस्तुत करें जिससे कि उस भूमि का विक्रय न हो सके ,और उसकी रजिस्ट्री भी न हो। 

उन्होंने कहा कि इसके बाद भी यदि किसी भी कोटवार की सेवा भूमि का क्रय विक्रय होता है तो इसके लिए कोटवार के साथ संबंधित तहसीलदार दोषी होगा और इनके विरुद्ध सख्त से सख्त कार्रवाई की जाएगी। 

उल्लेखनीय है कि सागर जिले में 1550 कोटवारों को 1641 सेवा भूमि प्रदान की गई है। जिन कोटवारों के पास बिल्कुल भी जमीन नहीं होती उनको शासन के द्वारा ₹8000 प्रति माह की राशि प्रदान की जाती है।
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