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बुंदेलखंड अंचल में  स्वास्थ्य विभाग और चिकित्सकों के नैतिक दायित्वों और कामकाज से जुड़े दो ऐसे मामले सामने आये हैं जो ये दर्शाते हैं के डॉक्टर असली हों या नकली, डिग्री धारी हों या बगैर डिग्री वाले दोनों ही आम जनता की सेहत के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं एक और मरीजों का  विश्वास   छलने में लगे हैं 

वहीं दूसरी और सरकार को बेफकूफ बनाकर अपने नौकरी के समय जिस संसथान में पदस्थ हैं वहां से गायब रहकर  निजी अस्पतालों में सेवाएं देने में लगे हैं  और सरकार से मुफ्त की तनख्वाह लेते हैं । एक तरह के मामले सागर में बगैर डिग्री धारी कथित डॉक्टरों के क्लिनिक सी गए हैं वहीं  छतरपुर में एक अस्थिरोग विशेषज्ञ को नौकरी के समय  निजी अस्पताल में सेवाएं देते पकडे जाने पर निलंबित कर दिया गया है 

चिकित्सा क्षेत्र की यह समस्या जितनी दिखती है उससे कहीं ज्यादा गहरी और गंभीर है। यह बात भी आमजनता, प्रशासन और सरकारों से छुपी नहीं है कि किस किस  मेडिकल कॉलेज में  पदस्थ चिकित्सकों ने कॉलेज के सामने ही अपने बड़े-बड़े अस्पताल  खोले   रखे हैं और आश्चर्य जनक तौर पर वह दोनों ही संस्थाओं में हमेशा उपस्थित पाए जाते हैं कहीं साक्षात् तो कहीं कागजों  में । कमोबेश यह समस्या किसी एक क्षेत्र की नहीं पूरे प्रदेश की है । इस समस्या से निपटने के लिए सरकारों को बड़े पैमाने पर कदम उठाने होगें जिसके लिए मजबूत राजनैतिक इच्छाशक्ति और नैतिक इरादे की जरूरत होगी 

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संभागायुक्त डॉ. वीरेन्द्र सिंह रावत ने जिला चिकित्सालय छतरपुर के अस्थि रोग विशेषज्ञ डॉ. आर.के. धमनिया को सरकारी सेवा नियमों का उल्लंघन एवं निरीक्षण के दौरान अनुपस्थित पाए जाने के कारण तत्काल प्रभाव से निलंबित किया।


जिला प्रशासन की गठित टीम द्वारा 08 जनवरी 2025 को औचक निरीक्षण किया गया डॉ. आर.के. धमनिया द्वारा ग्राम इमलिया के निवासी पप्पू अहिरवार पिता चनुआ अहिरवार का हृदेश हॉस्पिटल में फेक्चर का ऑपरेशन जिला अस्पताल के समय में करना पाया गया। 

डॉ. धमनिया ने इस संबंध में स्वयं उनके द्वारा ऑपरेशन करने का लिखित पत्र प्रस्तुत किया जिसमे उनके द्वारा स्वयं प्राईवेट नर्सिंग होम में ऑपरेशन करना लेख किया गया है।

म.प्र.शासन लोक स्वा. एवं परिवार कल्याण विभाग के अनुसार कर्तव्य अवधि में किसी प्राईवेट नर्सिंग होम में ऑपरेशन या निजी प्रेक्टिस, जिसमे परामर्श सेवायें भी सम्मलित है की अनुमति नहीं है। 

इस व्यवस्था का उल्लंघन म.प्र. सिविल सेवा आचरण नियम 1965 के नियम का उल्लंघन है, एवं मध्य प्रदेश सिविल सेवा (वर्गीकरण नियंत्रण एवं अपील) नियम 1966 के अंतर्गत दण्डनीय होगा। 06 फ़रवरी 2025 को उनके द्वारा जिला अस्पताल छतरपुर का निरीक्षण किया गया निरीक्षण के दौरान भी डॉ. धमनिया ओ.पी.डी. में अनुपस्थित पाये गये है।

उक्त प्रस्ताव के अवलोकन एवं परिशीलन उपरांत प्रथम दृष्ट्या डॉ. आर.के. धमनिया दोषी प्रतीत होते है। उक्त कृत्य अपने पदीय दायित्वों के निर्वहन में अनुशासनहीनता व स्वेछाचारिता का द्योतक होकर म०प्र० सिविल सेवा आचरण नियम 1965 के नियम का उल्लघंन है। 

अतएव डॉ. आर.के. धमनिया, को म०प्र० सिविल सेवा (वर्गीकरण नियंत्रण एवं अपील) नियम 1966 के नियम 09 अन्तर्गत प्रदत्त अधिकारों का उपयोग करते हुए तत्काल प्रभाव से निलंबित किया गया है।
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