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शोध एवं स्नातकोत्तर छात्राओं में आत्मविश्वास बढ़ाने , अकादमिक प्रोत्साहन, मार्गदर्शन, बेहतर सेहत , करियर मार्गदर्शन ,सूचना प्रौद्योगिकी  आधारित दक्षता तथा रोजगारपरक क्षमता विकास हेतु डॉ. हरिसिंह गौर विश्वविध्यालय के भूगोल विभाग द्वारा एक नया कार्यक्रम ग्लैड (GLAD-GOING, LEARNING AND ACHIVING DREAMS)  आरम्भ किया गया है। 

विश्वविद्यालय की  कुलगुरु  के द्वारा इस कार्यक्रम के पोस्टर का विमोचन किया गया।  उन्होंने विभाग द्वारा किए जा रहे शोध, नवाचार और शैक्षणिक गतिविधियों की प्रशंसा की तथा इसे और अधिक प्रभावी बनाने के लिए आवश्यक दिशा-निर्देश भी प्रदान किए।

कुलपति प्रो. नीलिमा गुप्ता ने ग्लैड (ग्रोइंग लर्निंग एंड अचीविंग ड्रीम्स) कार्यक्रम को छात्राओं के ज्ञान, अधिगम और आत्मनिर्भरता की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल बताया। इस कार्यक्रम के तहत छात्राओं को आधुनिक शैक्षणिक संसाधन, व्यावहारिक प्रशिक्षण और शोध के अवसर मिलेंगे, जिससे वे वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा कर सकेंगी। उन्होंने इसे विश्वविद्यालय के अन्य विभागों तक विस्तारित करने की आवश्यकता पर बल दिया।

वोइस (वाइब्रेंट ओपन इंटरैक्शन फॉर क्रिएटिव एक्सचेंज) कार्यक्रम पर चर्चा करते हुए उन्होंने इसे विद्यार्थियों के विचारों और रचनात्मकता को सशक्त बनाने वाला अभिनव मंच बताया। संवाद और विचारों के आदान-प्रदान को राष्ट्र के बौद्धिक विकास के लिए आवश्यक बताया।

लार्ड (लर्निंग अपॉर्च्युनिटीज फॉर रिसर्च एंड डेवलपमेंट) कार्यक्रम को उन्होंने शोध और नवाचार की दिशा में बड़ा कदम बताया, जिससे विद्यार्थी वैज्ञानिक सोच विकसित कर समाज और पर्यावरण से जुड़े मुद्दों पर गहन अध्ययन कर सकें। उन्होंने शोध को समाजोपयोगी बनाने और नवीन तकनीकों के अधिक उपयोग पर जोर दिया।

भूगोल विभाग की सहायक प्रोफेसर शिवानी मीना ने ग्लैड (लड़कियों के लिए विशेष पहल) कार्यक्रम की कार्ययोजना पर प्रकाश डालते हुए बताया कि इसका उद्देश्य शिक्षा को केवल किताबी ज्ञान तक सीमित न रखते हुए छात्राओं को वास्तविक जीवन की चुनौतियों के लिए तैयार करना है। इस कार्यक्रम के तहत उनके स्वास्थ्य, व्यक्तित्व विकास और मानसिक सशक्तिकरण पर विशेष ध्यान दिया जाएगा, जिससे वे आत्मनिर्भर और आत्मविश्वासी बन सकें।

ग्लैड कार्यक्रम के तहत स्वास्थ्य कल्याण कार्यशाला (Health Wellness Workshop),व्यक्तित्व विकास संगोष्ठी  (Personality Development Seminar) और शोध कार्यशालाओं का आयोजन किया जाएगा। शोध कार्यशालाओं में छात्राओं को जीआईएस, डेटा एनालिटिक्स और अनुसंधान पद्धतियों का प्रशिक्षण मिलेगा।

रचनात्मक आदान-प्रदान के लिए जीवंत खुली बातचीत (VOICE-VIBRAINT OPEN INTERACTION FOR  CREATIVE EXCHANGE) कार्यक्रम के तहत शोधार्थियों और संकाय सदस्यों के सहयोग से अकादमिक वातावरण को समृद्ध किया जाएगा।

इसके अलावा, लार्ड (आईटी क्षमता विकास और शोध समृद्धि) और घुमंतू (शैक्षणिक भ्रमण कार्यक्रम) की प्रगति पर भी चर्चा की गई, जिससे विद्यार्थियों को शोध और अनुभव आधारित शिक्षा में नए अवसर मिलेंगे।

कार्यक्रम के मेंटर डॉ. आर. बी. अनुरागी एवं डॉ. सथीश सी. सहित विभाग की शोधार्थी छात्राएं भी इस अवसर पर उपस्थित थीं।

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