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Sagar Watch News/ आकाशवाणी प्रारंभ से ही सूचना, शिक्षा और मनोरंजन का प्रमुख स्रोत रहा है, किंतु वर्तमान में यह राजस्व उत्पन्न करने की दिशा में भी अग्रसर है। यह संगीत, लोक कला, लोक गीतों के संरक्षण के साथ-साथ कृषि विभाग के विकास में भी महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है।
यह विचार डॉक्टर हरीसिंह गौर विश्वविद्यालय सागर के संचार एवं पत्रकारिता विभाग में विश्व रेडियो दिवस के अवसर पर रेडियो में रोजगार की संभावनाएं विषय पर आयोजित विशेष व्याख्यान के मुख्य वक्ता सागर और छतरपुर आकाशवाणी केंद्र के कार्यक्रम प्रमुख दीपक निषाद ने व्यक्त किये।
इसी सिलसिले में उन्होंने बताया कि आज यह प्रश्न उठता है कि रेडियो सुनता ही कौन है? इस पर विशेषज्ञों का मत है कि भारत केवल शहरी क्षेत्रों तक सीमित नहीं है, बल्कि ग्रामीण आबादी का एक बड़ा वर्ग आज भी आकाशवाणी के कार्यक्रमों से जुड़ा हुआ है। किसान समुदाय ‘किसान वाणी’ जैसे कार्यक्रमों को नियमित रूप से सुनता है और डिजिटल युग में भी पत्राचार जारी है।
रेडियो में रोजगार की संभावनाएं विषय पर चर्चा में बताया गया कि युवाओं को संप्रेषण कौशल, भाषा, लेखन और रचनात्मकता को निखारना चाहिए। रेडियो में आरजे, उद्घोषक, वॉयस ओवर आर्टिस्ट, अनुवादक जैसे कई पदों पर नियमित भर्तियां होती हैं। इच्छुक युवा लगन और अभ्यास के माध्यम से इस क्षेत्र में सफल करियर बना सकते हैं।
कार्यक्रम की शुरुआत विभाग के सहायक प्राध्यापक डॉ. विवेक जायसवाल ने स्वागत वक्तव्य से हुई। बाद में डॉ अलीम अहमद खान ने विषय प्रवर्तन करते हुए रेडियो की वर्तमान प्रासंगिकता तथा रेडियो में रोजगार के इच्छुक छात्रों के लिए विशेष रूप से उनकी भाषाई पकड़ तथा उसकी महत्ता पर प्रकाश डाला।
व्याख्यान के पश्चात विभाग के छात्रों ने प्रश्न के जवाब दिए गए। कार्यक्रम का संचालन विभाग की शोधार्थी अनुष्का तिवारी और आभार ज्ञापन शोधार्थी सलोनी शर्मा ने किया।
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