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Sagar Watch News/ रामकथा हमें सिखाती है जीवन कैसे जीना है लेकिन जीवन में मोक्ष कैसे प्राप्त हो वह भागवत कथा ही सिखाती है। यह कथा भक्तों की कथा है। यह कथा व्यक्ति को जीते जी एवं मरने के बाद भी मोक्ष प्रदान करती है। यह कथा भगवान श्रीकृष्ण का वांग्यमय रूप है। यह महत्व की कथा पदमपुराण से ली गई है, जो छह अध्याय में वर्णित है।
यह उदगार आईजी बंगला से सिविल लाईन रोड में श्री हनुमान दुर्गा भैराव धाम में संगीतमय श्रीमद् भागवत कथा के प्रथम दिवस कथा व्यास आचार्य अरविंद भूषण महाराज द्वारा श्रीमद् भागवत कथा के महत्व का वर्णन करने के दौरान व्यक्त किये।
आचार्य श्री द्वारा कथा में बताया गया कि किसी भी पुराण के महत्व को जाने बिना श्रोता एवं भक्त में ग्रंथ के प्रति श्रद्धा उत्पन्न नहीं होती। श्रोताओं में श्रद्धा भक्ति उत्पन्न हो इसलिये ग्रंथ के वाचन के पहले उसके महत्व को समझाना शास्त्र सम्मत है।
यह कथा भगवान श्रीकृष्ण का वांग्यमय रूप है। यह महत्व की कथा पदमपुराण से ली गई है, जो छह अध्याय में वर्णित है। कथा में बताया गया कि सूत जी द्वारा सोनकादि ऋषियों को महत्व की कथा समझाई गई।
आत्मदेव को संतान न होने के कारण गहरा दुःख था। एक संत से मिलने पर उन्होंने संतान की चिंता छोड़ने का उपदेश दिया। संत ने कहा कि वंश बढ़ाने से अधिक महत्वपूर्ण है सत्कर्म। लेकिन आत्मदेव संतान की मांग पर अड़े रहे। संत ने उन्हें प्रसाद दिया, जिसे उनकी पत्नी ने गाय को खिला दिया। गाय से जन्मे पुत्र को गौकरण नाम दिया गया, जो विद्वान बने। वहीं, आत्मदेव की पत्नी ने अपनी बहन को प्रसाद खिलाकर एक और पुत्र धुधकारी को जन्म दिया, जो अत्याचारी निकला।
धुधकारी के पापों के कारण उसके माता-पिता दुखी हुए। बाद में गौकरण ने श्रीमद्भागवत कथा सुनाकर धुधकारी को प्रेत योनि से मुक्त किया। यह कथा हमें सिखाती है कि माता-पिता का सम्मान करना और सत्कर्मों में लगे रहना चाहिए। भागवत कथा के श्रवण से भक्ति, ज्ञान, और वैराग्य का उदय होता है और जीवन में चारों पुरुषार्थ की प्राप्ति होती है।
Report By KK Tiwari
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