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  कथावाचक चिन्मयानद ने श्री रामकथा के छठवें दिन वरम विवाह के प्रसंग चर्चा के दौरान दहेज़ प्रथा पर अपने अंदाज़ में गहरी चोट करते नजर आये। उन्होंने कहा कि मांगने की प्रथा गलत है जो आजकल विवाह समारोहों  में जोर पकड़ती जा रही है 

उन्होंने लोगों से आव्हान किया कि वो ऐसे लोभियों के यहां कभी अपनी बेटियों का  विवाह न करें,जो लोग विवाह को एक सौदा में परिवर्तित कर रहे हैं खेल परिसर के बगल वाले मैदान में चल रही श्री राम कथा आज छः दिन पूरे हुए 


कथा के प्रारंभ में कथावाचक बापू चिन्मयानन्द ने कहा कि कभी-कभी हमें आशक्ति के कारण भी दुख उठाना पड़ता है । इस धरती पर पूर्ण सुखी कोई नहीं हो सकता जब स्वयं प्रभु राम के पिता को भी रोना पड़ा तो हम सब तो साधारण मनुष्य है। 

बापूजी ने भगवान् राम के जीवन से जुड़े प्रयागराज स्थित वट वृक्ष की चर्चा करते हुए कहा कि जो लोग राम के ऊपर सवाल उठाते हैं राम के अवतार लेने पर सवाल उठाते हैं वह प्रयागराज में जाकर अक्षय वट का दर्शन करें।

जिसको कई बार मुगल शासन में और अंग्रेजों के शासन में जला दिया गया नष्ट कर दिया गया उसकी पश्चात भी अक्षय वट  आज भी प्रयागराज में उपस्थित है और हम उसका दर्शन करते हैं क्योंकि अक्षय वट स्वयं प्रभु राम के जीवन से जुड़ा है जहां वनवास काल के दौरान भगवान राम ने एक रात्रि विश्राम किया था।

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