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Sagar Watch News/ भारतीय संस्कृति में नौकरी को बहुत सम्मान से नहीं देखा जाता है बल्कि कृषि उद्यम को सर्वश्रेष्ठ माना गया है। एक उद्यम हजार नौकरी पैदा करता है अतः आप नौकरी देने वाले बने न कि नौकरी करने वाले बने।
यह विचार नगर विधायक शैलेन्द्र जैन ने पं. दीनदयाल उपाध्याय शासकीय कला एवं वाणिज्य महाविद्यालय सागर में कौशल सम्बर्द्धन: स्वरूप एवं संभावनाए विषय पर आयोजित एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी में अपने संबोधन के दौरान व्यक्त किये।
कार्यक्रम की अध्यक्षता डॉ. रेखा बरेठिया अतिरिक्त संचालक, जनभागीदारी अध्यक्ष एवं सुनील कुमार सिंह क्षेत्रीय महाप्रबंधक एस.बी.आई. रहे।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि विद्यायक शैलेन्द्र जैन ने अपने उदबोधन में विद्यार्थियों से कहा कि कौशल युक्त हाथो ने मिट्टी को भी सोना बना दिया है। हमारे कुम्हार भाई मिट्टी की कलाकृतियों को विदेशों में बेचकर डॉलर कमा रहे है। उन्होंने सेमिनार को विद्यार्थियों के लिए प्रयोगशालाए बताते हुए कहा कि इनमें विषय के जानकार अपना अनुभव आपको देते है।
प्राचार्य ने स्वागत भाषण देते हुए संगोष्ठि की उपयोगिता पर विस्तृत प्रकाश डालते हुए कहा कि कौशल वर्तमान समय की न केवल आवश्यकता है बल्कि आर्थिक विकास के लिए उपयोगी भी है।
कार्यक्रम में प्रथम सत्र के मुख्य अतिथि डॉ. श्रीराम परिहार ने कहा कारीगर जब कौशल करता है तो वह अपना सर्वोच्च समर्पण करता है। विज्ञान पदार्थो का ज्ञान नहीं है बल्कि तत्व चिंतन के आधार पर सत्य की खोज का नाम विज्ञान है। भाषा कौशल से आशय उच्चारण एवं लेखन दोनो से है।
विशिष्ट अतिथि अजय तिवारी कुलाधिपति स्वामी विवेकानंद विश्वविद्यालय, सागर ने भाषा की कुशलता को व्यवसायिकता से संबंध स्थापित करते हुए कहा कि भाषा तपस्या है ऐसा लिखे जो सूत्र वाक्य बन जाये।
मुख्य वक्ता डॉ. रजनी गुप्ता ने कहा कि ऐसा कार्य करो जो लीक से हटकर हों तथा आपकी रूचि का है वह कौशल है। वैश्विक बाजार हस्तशिल्प माटीकला रेशम के लिए भारतीय उद्योगो पर निर्भर है।
डॉ. विवेकानद उपाध्याय बनारस ने कहा हजार वर्षो के इतिहास में हिन्दी में जितने रोजगार उपलब्ध है वह पहले कभी नहीं थे।
डॉ. शरद सिंह ने कहा कौशल का आपको उदाहरण देखना है तो आप भिखारियों को देखिये वह अपने कौशल से आपको रूपये देने के लिए बाध्य कर देते है।
डॉ. बहादुर सिंह परमार छतरपुर ने भाषा कौशल से रोजगार के संबंध में कहा स्थानीय भाषाओं में रील बनाकर ग्रामीण लोग लाखों रूपये कमा रहे है। भाषा का प्रस्तुतिकरण रोजगार का माध्यम बनता है। व्याख्याता टीकाराम त्रिपाठी ने वेदो से रोजगार के विषय में अपनी बात रखी
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