#Education | #Gurukul Tradition | #Bharat | #Chanakya | #India
Sagar Watch News/ भारत विश्व गुरु के रूप में उस गुरुकुल परंपरा को स्थापित करना चाहता है, जो चाणक्य के ज़माने से चंद्रगुप्त और विक्रमादित्य तक कायम रही है। यही गुरुकुल परंपरा हमारे देश की शिक्षा का आधार रही है। जिसमें शिक्षक हमेशा पूज्य थे और पूज्य रहेंगे।
यह विचार मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव रविवार को रवीन्द्र भवन सभागार में शिक्षा भूषण अखिल भारतीय शिक्षक सम्मान समारोह में अपने संबोधन के दौरान व्यक्त किये। समारोह का आयोजन मध्यप्रदेश शिक्षक संघ द्वारा किया गया।
गुरुकुल परंपरा में गुरु का विशेष महत्व
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि राष्ट्र के हित में शिक्षा, शिक्षा के हित में शिक्षक और शिक्षक के हित में समाज के उद्देश्य से आयोजित शिक्षक समारोह के आयोजन में शैक्षिक फाउंडेशन और अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ की महत्वपूर्ण भूमिका है।
उन्होंने कहा कि भारत की गुरु और गुरुकुल परंपरा में गुरु का बड़ा महत्व है। इतिहास में जब भी कोई प्रश्न खड़े हुए तो गुरु की भूमिका सामने आई। यदि भगवान श्रीराम और लक्ष्मण को गुरु वशिष्ठ वनवास के लिए नहीं ले जाते तो रामायण में राम का चरित्र अधूरा रहता। भगवान श्रीकृष्ण की शिक्षा में गुरु सांदीपनि का उज्ज्वल चरित्र शिष्यों के लिए अनुकरणीय और चुनौतियों में प्रेरणा का स्रोत रहा है।
शिक्षा सत्ता की दासी नहीं
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सदस्य सुरेश सोनी ने कहा कि असली विकास तभी संभव है जब हमारे आसपास का माहौल और जीवन के मूल्य भी विकसित हों। उन्होंने काका कालेलकर के 1928 में दिए गए एक भाषण का हवाला देते हुए बताया कि शिक्षा का उद्देश्य सत्ता, कानून, विज्ञान, या कला के लिए काम करना नहीं है, बल्कि यह धर्म और मानवीय मूल्यों को मजबूत करने के लिए है। शिक्षा का काम व्यक्ति के मन, हृदय, और इंद्रियों को सही दिशा में विकसित करना है।
काका कालेलकर के अनुसार, शिक्षा में तर्क और निरीक्षण जैसे दो महत्वपूर्ण पहलू हैं, और इसे उत्साह और कड़ी मेहनत की जरूरत होती है। ऐसी शिक्षा से व्यक्ति आत्मनिर्भर बनता है और अपनी इच्छाओं को पूरा कर सकता है।
श्री सोनी ने यह भी कहा कि भारत में ऐसी शिक्षा प्रणाली बनानी चाहिए जो देश के मूल्यों पर आधारित हो और शिक्षकों का सम्मान बढ़ाए। ऐसी मूल्य आधारित शिक्षा से ही भारत 2047 तक दुनिया का प्रमुख नेतृत्वकर्ता बन सकेगा।
कार्यक्रम में पुरुस्कृत डॉ. रामचंद्रन आर., प्रोफेसर के.के. अग्रवाल और प्रोफेसर कुसुमलता केडिया ने भी अपने विचार व्यक्त किए।
मुख्यमंत्री डॉ. यादव द्वारा सरस्वती वंदना के साथ दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। अखिल भारतीय कार्यकारिणी सदस्य राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ सुरेश सोनी, स्कूल शिक्षा एवं परिवहन मंत्री राव उदय प्रताप सिंह, राज्यसभा सदस्य स्वामी उमेश नाथ जी महाराज कार्यक्रम में विशेष रूप से उपस्थित थे। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने शिक्षा भूषण अखिल भारतीय शिक्षक सम्मान -2024 से डॉ. रामचंद्रन आर., प्रोफेसर के.के. अग्रवाल और प्रोफेसर कुसुमलता केडिया को सम्मानित किया।
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