Creativity, Deepak, Vichar Sanstha
सागर वॉच। गाय के गोबर से तैयार होने वाले दियों की बाजार में बहुत मांग बढ़ रही है। इसका मुख्य कारण है कि यह दिए प्राकृतिक होने के साथ-साथ बाद में इनका अपशिष्ट शेष नहीं होता, बल्कि गमलों में यह खाद के रूप में उपयोग किया जा सकता हैं।
विचार समिति के संस्थापक अध्यक्ष कपिल मलैया बताते हैं कि समिति दो वर्षों से गोमय उत्पाद पर कार्य कर रही है। 750 महिलाएं 6.50 लाख से अधिक गोबर के दियों का निर्माण कर चुकी हैं। इस वर्ष के दियों की खासियत यह है कि यह दिया गोबर से बने होने के बावजूद आग नहीं पकड़ते हैं। इसलिए यह पूर्णतः सुरक्षित हैं। यह पानी में तैर सकते हैं औसतन 45 मिनिट से सवा घंटे तक जलते हैं एवं बहुत सुंदर हैं।
शास्त्रों के मुताबिक गौमाता के गोबर में लक्ष्मी जी का वास होता है । दीवाली पर घरों को रोशन करने के लिये जलाये जाने वाले मिट्टी के दियों के स्थान पर इस बार गोबर के दियों से घर-आंगन रोशन होंगे। रंग-बिरंगे गोबर के ये दीए पहली बार बाजार में आ भी गए हैं।
इस दीपक के जलने से घर में हवन की खुशबू महकेगी। जिससे घर के वातावरण को पटाखों की गैस को कम करने में सहायक होगी। दीये को दीपावली में उपयोग करने के बाद जैविक खाद बनाने उपयोग में लाया जा सकता है। दीये के अवशेष को गमला या कीचन गार्डन में भी उपयोग किया जा सकता है। इसलिए गोबर के दिये को पर्यावरण मित्र जाता है।
अब हम इन उत्पादों को बनाने में आत्मनिर्भर हो चुके हैं। जिसमें महिलाओं को घर बैठकर गोबर से विभिन्न उत्पाद बनाने का प्रशिक्षण समिति द्वारा दिया व महिलाओं ने बड़े ही रुचि के साथ इस कार्य को सीखा । इन उत्पादों के माध्यम से महिलाएं आर्थिक स्वालंबन की ओर आगे बढ़ेगी जिससे उनकी आर्थिक स्थिति मजबूत होगी।
महिलाओं द्वारा बनाए गए गुणवत्तापूर्ण दिए टीम द्वारा एकत्र किए जाते हैं एवं अन्य सभी जानकारियां उन्हें दी जाती है। इन सभी दिए पर बेस कलर के बाद कलाकृतियां उकेरी जाती हैं। सभी महिलाओं को दिए अनुसार भुगतान किया जाता है। रंग-बिरंगे दिए पैकिंग करके तैयार किए जा रहे हैं। गोमय आधारित रंग-बिरंगे दिए ऑफलाइन एवं ऑनलाइन दोनों माध्यम से प्राप्त किए जा सकते हैं।
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