Film Review - एक पीडिता से अपराधी बनने के सफर है फिल्म ''अ थर्सडे''
सागर वॉच/ फिल्म 'अ थर्सडे' समाज की सबसे वीभत्स समस्या महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराधों में से एक सबसे संगीन विषय बलात्कार को बहुत पुरजोर तरीके से उठाती हैं। फिल्म की नायिका ने अपने किरदार नैना के जरिए एक पीडिता से अपराधी बनने के सफर को बड़े प्रभावी ढंग से जिया है।
'अ थर्सडे' फिल्म की कहानी का मूल किरदार नैना एक स्कूल शिक्षिका है। जो सबकी प्रिय होती है। यहां तक कि वो जिस प्ले स्कूल को संभालती है, वहां के बच्चे, उनके अभिभावक और कर्मचारी सभी उसे बहुत मानते हैं।
लेकिन उसकी जिन्दगी में एक दिन बाद भूचाल सा आ जाता है । जब वह करीब तीन हफ्ते तक छुट्टी करने के बाद प्ले स्कूल ज्वाइन करती है और अपनी अपनी योजना के तहत वो स्कूल के 16 बच्चों को अगवा कर लेती है।
इसके बाद पुलिस को फोन करके एक आला पुलिस अधिकारी से बातें करनी की मांग करती है।उसी दौरान दूसरी पुलिस अधिकारी पुलिस अफसर कैथरीन अल्वारेज़ (नेहा धूपिया) वहां पहुंच कर उससे बात करती है, लेकिन उसका उग्र रूप देखकर वह अधिकारी अपने वरिष्ठ को स्कूल पर आने के लिए बोलती है।
नैना के पास 16 बच्चों के अलावा उसके स्कूल मे़ड और एक बच्ची का ड्राइवर भी बंधक होता है। इंस्पेक्टर के आने के बाद नैना उससे पांच करोड़ रुपए की मांग करती है। इसके बदले एक बच्चे को छोड़ने की बात कहती है।
पहली मांग पूरी होने के बाद वो दूसरी मांग में सीधे प्रधानमंत्री से बात करने के लिए कहती है।लेकिन जब उसकी बात पीएम से कराई जाती है, तो वो उनके अपने पास बुलाती है और आमने-सामने बात करने को कहती है।
इस पर पीएम का स्टाफ भड़क जाता है। उसे मारने के आदेश दे दिए जाते हैं, लेकिन नैना कुछ चीजें ऐसी करती है, जिसकी वजह से पीएम को उसके पास जाना पड़ता है। इसी दौरान पुलिस अधिकारीयों को पता चलता है कि नैना के साथ स्कूल के समय में जोर-जबरदस्ती हुई है। इसके आगे क्या होता है, ये जानने के लिए फिल्म देखनी चाहिए।
Post A Comment:
0 comments so far,add yours