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Sagar Watch, Chhoti Chhoti Batein

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कहते हैं सियासत जो न कराए सो कम है। जब मप्र के एक मंत्री से एक निजी चैनल के रिपोर्टर ने पूछा कि क्या आप गुड्डा राजा को जानते हैं? तब मंत्री जी की शक्ल बिगड़ गई और उन्होंने बड़े अनमने ढंग से जवाब दिया कि- वे नही जानते। 

लेकिन इसी जवाब में आगे उन्होंने जो कहा वह काफी चौकानें वाला था। आगे का जवाब कुछ उल्टी ही कहानी कह रहा था । अपने जवाब को जारी रखते हुए उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में योगी जी अपराधी और माफिया के खिलाफ सख्त कार्रवाई कर रहे है और मप्र में भी अपराधियों को कोई जगह नहीं हैं। 

इस बात का सुनकर लोगों को ऐसा लग रहा है जैसे वे कह रहे हों कि हां में जानता हूँ । वे (गुड्डा राजा) उत्तर प्रदेश के बाहुबली हैं और अपराधी हैं।

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 गुरुवार को शहर के एक नंबर विश्राम गृह में मप्र की एक नयी उभरती राजनैतिक पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने मीडिया के लोगों से औपचारिक चर्चा की। इस दौरान उन्होंने प्रदेश की सरकार के कामकाज के खूब बखिये उधेड़े। लेकिन उनकी यह अदा प्रदेश के सत्ताधारी दल के नुमाइंदों को बड़ी नागवार गुजरी और उन्होंने तपाक से कठोर कदम उठाया   

उन्होंने तत्काल जिले के स्वागत सत्कार अधिकारी की क्लास ली और कहा कि भाई ये क्या हो रहा है आपने कैसे ऐसे लोगों को हमारे भवनों को चर्चाओं के लिए उपलब्ध करा दिया जो सरकार के खिलाफ ही जहर उगल रहे है। बस आनन् -फानन में प्रशासन सक्रिय हुआ और विश्राम गृह के मुख्य सभा कक्षा के दरवाजे पर एक बड़ा सा ताला लटकता नजर आने लगा

यह घटनाक्रम यहीं ख़त्म नहीं हुआ। अब बारी दूसरे राजनैतिक दल की थी। "आप" को बता दें कि इस दल के नुमाइंदे  भी दोपहर में में इसी विश्राम गृह में मीडिया से चर्चा करना चाहते थे। यह पता चलते ही साहबों ने मुख्य सभा कक्ष तो दूर उनकों उस कमरे में भी मीडिया से मिलने पर ऐतराज जाहिर किया जिसमे कमरे में उस दल के निर्वाचित प्रतिनिधि ठहरे हुए थे। लेकिन पार्टी के कार्यकर्ताओं द्वारा विरोध जताने पर और निर्वाचित प्रतिनिधि के अधिकारों का हवाला देने पर साहबों ने अनमने मन से उनको कमरे में ही मीडिया से बातचीत कर लेने देने के लिए राजी हो गए

अब ये किस्से सियासतदारों और जनता के गलियारों में घूमने लगे हैं। जो भी सुनता है कुछ न कुछ कहने से खुद को रोक नहीं पा रहा है। ज्यादातर लोगों को कहना है कि ऐसा लगता है सरकार आगामी चुनावों को लेकर कुछ डरी हुई सी है। एक -एक कदम फूंक-फूंक कर रख रही है। विरोधी दलों को पनपने का छोटा सा भी मौका नहीं देना चाह रही है। हालांकि किस्सों के पीछों के असल वजह कुछ और भी हो सकती है लेकिन जिस रूप में ये किस्से सामने आ रहे हैं उनसे तो ऐसा ही लगता है जैसे सत्ता धारी दलों के ऐसे भयाक्रांत तेवर उसके द्वारा आये दिन मंचों से किये  जाने वाले जीत के दावों की कलई खोल रहे हों

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➽छोटी छोटी बातें-
BADDE KI 

मप्र में  विधान सभा चुनाव के करीब आते है सियासी दलों के अन्दर और बाहर उठा-पटक तेज होती जा रही है। सभी दल  पूरी ताकत से चुनाव जीतने के गुणा-भाग में लग गए  हैं। इस बार प्रदेश के  दो मुख्य  प्रतिद्वंदी दलों के अलावा आम आदमी पार्टी भी ख़म ठोक रही है। बहुजन समाजवादी  पार्टी और समाजवादी पार्टी भी सक्रिय हैं पर इनके अन्दर अन्य दलों के सामान जोश नजर नहीं आ रहा है। हालांकि जानकारों की माने तो इस बार जनता भी "लप्पू-पप्पू " बनकर नहीं बैठी है

सागर शहर में स्मार्ट सिटी के विकास कार्यों  की  गुणवत्ता को लेकर एकमत नहीं लगते हैं । संतोषी प्रवृत्ति के लोग  कहते  हैं काम चाहे जैसे हुआ हो कम से कम शहर के शक्ल तो बदली। लेन-देन खान-पान की बातें अब ताजगी का अहसास नहीं  दिला पा  रहीं हैं वहीं गुणवत्ता  के आधार पर स्मार्ट सिटी को कोसने वाले लोग उसे हर साल कोई न कोई अवार्ड मिलने से  घनचक्कर बने  हुए हैं । उनके दिमाग के पल्ले नहीं पड़ रहा है कि लाख बुराई करने और दिखाने के बाद भी ये हर बार पुरस्कारों की प्रतियोगिताएं में  अव्वल कैसे आ जाते हैं। ये वाला स्मार्ट वर्क इनकी समझ में ही नहीं आ रहा है 

मप्र में शहर और कस्बों के बीच अघोषित  से होड़ चल रही है । इस होड़ को  वो ही लोग हवा दे रहे हैं जो कस्बों से जीत कर आये हैं। हालांकि वो नुमाइंदे  तो प्रदेश के हैं । प्रदेश भर के विकास के जिम्मेदारी इनके कन्धों पर है लेकिन उन  पर सिर्फ अपने क्षेत्रों के विकास की धुन सवार है। जिन शहरों के अंतर्गत इनके क्षेत्र आते हैं वे शहर तो बेचारे बन कर रह गए हैं। महानुभावों के कस्बों में तो विकास की गंगा हिलोरें भरते नजर आ रही है। अख़बारों में हर रोज करोड़ों -अरबों के विकास कार्यों की शुरू होने और पूरे होने के बखान छप रहे हैं और वहीँ शहर विकास कार्यों की इन फेहरिस्त में खुद को हाशिये पर  देख कर मायूस हो रहे हैं