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Off-Track-पत्नी-ने-किया-पति-का-अंतिम-संस्कार

सागर वॉच।
आमतौर पर  मातापिता को मुखाग्नि देने की घटनाएं देखने सुनने मिल जाती है। लेकिन पति के निधन पर पत्नी द्वारा मुखाग्नि देने के मामले कम है।  सम्भागीय मुख्यालय सागर पर एक ऐसा ही वाकया सामने आया। जिसमे  निसन्तान दंपत्ति में पति की मौत होने पर उसकी पत्नी ने अंतिम संस्कार किया।

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सागर शहर के बाहुवली कॉलोनी निवासी विश्वनाथ परांजपे के निधन पर उनकी पत्नी द्वारा मुखाग्नि दी गई. 77 वर्षीय विश्वनाथ परांजपे का आज मंगलवार की सुबह निधन हो गया था. मिलेट्री से सेनानिवृत्त अकांउटेंट परांजपे की कोई संतान नहीं थी. उनकी पत्नी श्रीमती मीनाक्षी परांजपे ने मुखाग्नि देने की इच्छा जताई. उनकी अंतिम यात्रा बाहुवली कॉलोनी माता मढिय़ा से शुरू हुई जो नरयावली स्थित मुक्तिधाम पहुंची. जहाँ पर उनकी पत्नी मीनाक्षी द्वारा मुखाग्नि दी गई. अंतिम यात्रा में विकास बेलापुरकर, ओमप्रकाश पंडा सहित अन्य वार्डवासी ने शामिल होकर श्रृद्धासुमन अर्पित किए.

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सागर वॉच -खबर जरा-हटके 

सागर शहर के लोगो खबरदार हो जाईए। अगर आप किसी भी मकसद से रेडियम कटर खरीदने का मन बना रहे हैं तो आपकी मुश्किलें बढ़ सकतीं हैं।  

होशियार किए जाने के बावजूद भी अगर आपने रेडियम खरीदने का मन बना ही लिया है तो आप वह सब को झेलने के लिए भी तैयार रहिए जो रेडियम कटर खरीद ने के बाद आपके साथ घटित  होगा।

सबसे पहले तो विक्रेता आपसे  नाम, पता, मोबाईल नंबर पूंछेगा और आधार कार्ड की प्रतिलिपि भी मांग ले तो आश्चर्य मत हैरान मत होना। बात यहीं खतम नहीं होगी दूर तलक जाएगी । आपकी सारी जानकारी रजिस्टर में दर्ज करने के बाद वह संबंधित थाने को भी  इत्तिला करेगा की फलां-फलां महानुभाव रेडियम कटर खरीद कर ले गए हैं।

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इसके बाद आपकी मुलाकात अपने क्षेत्र के रोबदार दरोगा साहब से भी हो सकती है । हो सकता है सत्यापन के लिए आपको थाने मे बुला लिया जाए या फिर उनका कोई सिपाही आपके घर आ पहुंचे । इससे आपको पुलिस द्वारा की जाने वाली तफ्तीश को करीब से देखने का मौका भी मिल सकता है।  अब देखिए पुलिस का बंदा है तो पूंछतांछ का अंदाज तो पुलिसिया ही रहेगा। आप भले ही यह कहते रह जाएंगे कि भला कोई ऐसे भी सवाल-जवाब करता है।

हालांकि कलेक्टर साहब ने यह फैसला खूब-सोच विचार कर लिया है।  यह कोई कम गंभीर बात नहीं है कि ट्वंटी-ट्वंटी साल की शुरूआत से  सिर्फ कोरोना महामारी ही धमाचैकड़ी नहीं मचा रहा है। ये  रेडियम कटर धारक भी कोई ज्यादा पीछे  नहीं हैं। वे भी गजब उत्पाद मचा रहे हैं। इन्होंने साल के नौ महीनों में 90 से ज्यादा कटर मारने की   घटनाओं को अंजाम दिया है। 

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इन पर लगाम लगाना तो बनती है । हालत की गंभीरता को देखते हुए कलेक्टर साहब ने भी सोमवार का इंतजार नहीं किया । रविवार को ही उन्होंने एक प्रतिबंधात्मक आदेश जारी कर रेडियम कटर की खरीद-फरोख्त पर रोक लगा दी है। यह आदेश 21 सितंबर से अगले आदेश तक लागू रहेगा। तो बड्डे रेडियम कटर रहने दो कछु और से काम चला लो। अगर दिमाग की बत्ती पूरी तरह से जल नहीं पा रही हो । लगातार लपलपा रही हो तो गूगल महाराज से सलाह ले  लेना। मगर रेडियम कटर खरीदने मत जाना।