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Kahi-Ankahi-तुझको मिर्ची लगे तो मैं क्या करूं

सागर वॉच /
कही-अनकही 

सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे एक वीडियो में विकास यात्रा के कार्यक्रम में मंच पर युवती फिल्मी धुन पर कूल्हे मटकाते दिख रही है। जिस गाने पर वह नाच रही है ऐसा लग रहा है जैसे  उस युवती के बहाने सरकार अपने प्रतिद्वंदी राजनैतिक दलों को विकास यात्रा पर मीनमेख निकालने के जवाब में चिढ़ा रही हो कि ...तुझको मिर्ची लगे तो मैं क्या करूं।

सियासी फायदे के लिए प्रशासन को मोहरा बनाने की कला कोई आज कल की बात नहीं है। जो भी सियासी दल सत्ता में रहा है उसने वक्त जरूरत के हिसाब से इस कला का भरपूर उपयोग किया है। वर्तमान में प्रदेश में चल रही विकास यात्रा भी इस कला का ही निखरा हुआ रूप नजर आ रही है।

जिले के प्रशासनिक मुखिया से जब पत्रकारों ने पूछा कि विकास यात्रा राजनैतिक है या प्रशासनिक ?  तो वे बंगले झांकते नजर आए.. पर जल्दी ही खुद को संभालते हुए बोले कि विकास यात्रा पूरी तरह प्रशासनिक है। 

लेकिन पत्रकार भी सजग थे वे आसानी से कलेक्टर महोदय को बख्शने के मूड में नहीं थे। उन्होंने तुरंत कलेक्टर पर दूसरा सवाल दागा कि अगर विकास यात्रा प्रशासनिक है तो क्या वे इसमें शामिल होने के लिए दूसरे राजनैतिक दलों को भी आमंत्रित करेंगें?

सवाल का जवाब देने के पहले कुछ पलों के कलेक्टर महोदय सकपकाए पर जल्दी ही यह कहते हुए बात समाप्त करने की कोशिश की  वो किसी को आमंत्रित नहीं कर रहे हैं लेकिन विकास यात्रा में जो भी शामिल होना चाहते हैं तो उसका स्वागत है।

विकास यात्रा का मकसद यह बताया गया है कि यात्रा के जरिए जनता को सरकार द्वारा चलायी जा रही हितग्राही मूलक शासकीय योजनाओं का अधिक से अधिक लाभ दिलाना। इस सिलसिले में हितग्राहियों की शिकायतों व समस्याओं का निराकरण भी सुनिश्चित कराया जा सके।

लेकिन विकास यात्राओं के जो स्वरूप सामने आ रहे हैं वो बड़े अजब-गजब है। कहीं सरकार के मंत्री रथों में महाराजाओं की तरह सवारी कर रहे है। तो कहीं कहीं दनादन भूमि पूजनों व कार्यक्रमों के उद्घाटनों का सिलसिला चल रहा है। ऐसा लग रहा है जैसे प्रदेश भर में विकास कार्यों की बारिश हो रही है।


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कही-अनकही 

कोरोना संक्रमण अब कुलांचे भरने लगा है। प्रदेश के लगभग सभी जिलों में रोज कोरोना पाजिटिव आने वाले मरीजों की संख्या  100 के आंकड़ें पार करती नजर आ रही है।

अकेले सागर जिले में ही कोरोना जो तेवर दिखा रहा है उसको देखते हुए लगता है कि अप्रैल  महीने के पहले पखवाड़े के खत्म होने के पहले ही कोरोना संक्रमितों का आंकड़ा हजार को पार कर जाएगा।

ऐसा नहीं है  कि जिले में कोविड के जाल में सिर्फ आम नागरिक ही फंस रहे हों। मंत्री, संत्री, अफसर, व्यापारी व चिकित्सक तक इसके शिकंजे में फंसते नजर आ रहे हैं।

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राज्य सरकार, प्रशासन और समाज सेवी संगठन लोगों को कोरोना से बचने के लिए मास्क पहनने, मेल-मिलाप में दो गज की दूरी बनाए रखने व बेहद जरूरी होने पर ही घर से बाहर निकलने के संदेश देने में लगे हुए हैं।

लोग बहुत हद तक इन निर्देशों को मान भी रहे हैं। लेकिन पड़ोस के जिले मे चुनावी माहौल के चलते राजनैतिक दलों खासकर -सत्ताधारी दल कोविड से बचने के ऐहतियाती कदमों को नजरंदाज करने के आरोपों से घिरे हुए हैं।

प्रदेश में बेलगाम सा हो रहा कोरोना संक्रमण के फैलाव के लिए प्रबंधन भी पहले की अपेक्षा कम चुस्त दिख रहा है। कोरोना उपचार की आड़ में अकूत संपत्ति बटोरने की हवस से निजी चिकित्सा संस्थानों के लिप्त होने के आरोपों का दौर भी आए दिन जोर पकड़ता दिख रहा है। 

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कोरोना उपचार के लिए जरूरी उपकरणों की खरीद व नमूनों की जांच में कमीशनखोरी व दवाओं की पैदा हुई किल्लत को भी कृत्रिम बताने के आरोपों में आ रही  तल्खी भी आम जनता महसूस करने लगी है।

कोरोना संक्रमण के फैलाव को रोकने में सरकार की कथित ढिलाई के चलते आम जनता में यह चर्चा जोर पकड़ चुकी है कि चुनावों की प्रक्रिया पूरी नहीं होने तक सरकारें कोरोना नियंत्रण के लिए उतनी गंभीर शायद ही हों जैसी की जनता उनसे उम्मीद कर रही है।

अब वक्त आ गया है कि कोरोना के संक्रमण से बचाव के लिए आम लोगों को सरकार का मुंह ताकते रहने की जरूरत नहीं है। प्रदेश के हर नागरिक को अपने स्तर पर ही जितना अधिक हो सके उतना ऐहतियात बरतना चाहिए।

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