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मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी और केन्द्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री श्री नितिन गडकरी द्वारा मध्यप्रदेश को विकास पथ की अमूल सौंगात देने पर उनका आभार माना है। 

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री श्री मोदी के मार्गदर्शन में मध्यपेदश सरकार बढ़ती रोड कनेक्टिविटी के माध्यम से विकास का नया अध्याय लिख रही है। भोपाल-कानपुर इकोनॉमिक कॉरिडोर के 4-लेन में अपग्रेडेशन से इस क्षेत्र के आर्थिकक विकास को गति मिलेगी, यातायात सुगमता के साथ ही सड़क दुर्घटना में भी कमी आयेगी।

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने मध्यप्रदेश को मिली इस सौंगात के लिये प्रदेशवासियों की ओर से प्रधानमंत्री और केन्द्रीय मंत्री का आभार माना है।

केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री श्री नितिन गडकरी द्वारा मध्यप्रदेश में भोपाल-कानपुर इकोनॉमिक कॉरिडोर को 4-लेन में अपग्रेड करने के लिए भोपाल से विदिशा, विदिशा से ग्यारसपुर, सताईघाट से चौका और चौका से कैमाहा पैकेजों के लिए 3589.4 करोड़ रुपए की स्वीकृति दी गई है। 

इस अपग्रेडेशन से क्षेत्र में यातायात सुगम होगा और यात्रा के समय में उल्लेखनीय कमी आएगी, जिससे व्यापारिक गतिविधियों में तेजी आएगी और स्थानीय अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी। इसी के साथ मंडला-नैनपुर मार्ग के लिए भी 592 करोड़ की स्वीकृति दी गई है।

मध्यप्रदेश सरकार ने अपने संकल्प पत्र के तहत बुंदेलखंड विकास पथ की घोषणा की थी, जो राज्य की राजधानी भोपाल को बुंदेलखंड के सागर और छतरपुर जिलों से जोड़ने वाली एक महत्वपूर्ण 4-लेन सड़क परियोजना है। इस परियोजना का उद्देश्य भोपाल से सागर होते हुए छतरपुर और उत्तर प्रदेश बॉर्डर तक की कनेक्टिविटी को बेहतर बनाना है, जिससे क्षेत्रीय व्यापार और यातायात सुगमता में वृद्धि होगी। 

राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) द्वारा इस मार्ग को 4-लेन में विस्तारित करने की प्रक्रिया पहले से जारी थी, लेकिन कुछ हिस्सों के लिए मंजूरी लंबित थी। आज नई दिल्ली में आयोजित बैठक में भोपाल से सागर और छतरपुर से उत्तर प्रदेश बॉर्डर तक इस मार्ग को 4-लेन में अपग्रेड करने की अनुमति दी गई है। 

इस परियोजना की कुल लागत 3589.4 करोड़ रुपए निर्धारित की गई है। इस स्वीकृति से बुंदेलखंड विकास पथ के निर्माण में तेजी आएगी और सरकार के संकल्प को सिद्धि की ओर ले जायेगी। यह पथ न केवल कनेक्टिविटी को सुधारने में सहायक होगा, बल्कि क्षेत्रीय आर्थिक विकास और व्यापारिक गतिविधियों को भी बढ़ावा देगा।

इसी के साथ मंडला से नैनपुर तक 46 किलोमीटर लंबे मार्ग को अपग्रेड करने के लिए भी 592 करोड़ रुपए की स्वीकृति दी गई है। इस मार्ग के अपग्रेड होने से क्षेत्र की यातायात व्यवस्था को और अधिक सुरक्षित और कुशल बनाया जाएगा।

इन परियोजनाओं से राज्य में बुनियादी ढांचे के विकास के साथ रोजगार सृजन और क्षेत्रीय आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा मिलेगा। साथ ही परियोजनाओं के पूरे होने पर न केवल यातायात सुगम होगा, बल्कि औद्योगिक और व्यापारिक गतिविधियों को भी नई ऊंचाई मिलेगी।

 

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Sagar Watch News/ केंद्र सरकार की भांति प्रदेश में भी नवकरणीय ऊर्जा क्षेत्र को बढ़ावा देने की नीति तैयार की गई है।  उद्योगपति सरकार के प्रोत्साहन से  अपने उद्योग को नया आयाम दे  कर  रोजगार के अवसर बढ़ाएं । प्रदेश में पवन और सौर ऊर्जा के साथ ही जल शक्ति  में निवेश वृहद संभावना का क्षेत्र है।   सरकार उद्योगपतियों के बेहतर विचारों  और सुझाव पर आगे बढ़ेगी।

ये विचार मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव शुक्रवार को सागर में चौथे रीजनल इंडस्ट्री कॉन्क्लेव में शामिल उद्योगपतियों के साथ राउंड टेबल कांफ्रेंस में नवीन एवं नवकरणीय ऊर्जा क्षेत्र में उपलब्ध व्यापक अवसर और चुनौतियों के संबंध में चर्चा के दौरान व्यक्त किये ।

उन्होंने कहा कि   नवीन निवेश प्रोत्साहन नीति अनुसार उद्यमियों को तय  समय  में सभी सुविधाएं व स्वीकृतियां मिलेंगीं   जमीन आवंटन की जानकारी भी आसानी से मिलेगी  ।

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 बुंदेलखंड के संभागीय मुख्यालय सागर में 27 सितंबर को होने वाली "क्षेत्रीय औद्योगिक सम्मलेन(Regional Industrial Conclave) बुंदेलखंड के विकास में मील का पत्थर साबित होगी। 

अतिम चरण की तैयारियों का जायजा लेने आये प्रदेश के खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री ने कहा कि  आयोजन में देश और विदेश के साढ़े चार हजार से अधिक उद्यमियों ने अभी तक पंजीयन कराया है। उद्योग
 के विभिनन क्षेत्रों से 60 से अधिक उद्योगपति शामिल होंगे। 

उन्होंने बताया कि"क्षेत्रीय औद्योगिक सम्मलेन(Regional Industrial Conclave) के  इस एक दिवसीय इस आयोजन में खनिज, पर्यटन, नवकरणीय उर्जा, कपडा उद्योग, आईटी, डॉटा सेंटर के क्षेत्र में भरपूर निवेश होने की संभावना है। 

औद्योगिक सम्मलेन के लिए पूरे शहर को आमंत्रित अतिथियों के स्वागत में दुल्हन की तरह सजाया जा रहा है। मंत्री ने बताया "क्षेत्रीय औद्योगिक सम्मलेन(Regional Industrial Conclave) में मध्य प्रदेश के साथ-साथ देश और विदेश के उद्यमियों को शामिल होने का निमंत्रण दिया गया है। इस अवसर पर मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव उद्यमियों से चर्चा कर बुंदेलखंड में निवेश करने के विभिन्न पहलुओं पर विस्तार से चर्चा करेंगे।

उन्होंने कहा मुख्यमंत्री डॉ यादव को बुंदेलखंड के औद्योगिक विकास की चिंता है। वे हर समय मुझे से बुंदेलखंड के विकास पर चर्चा करते हैं। उन्होंने बताया बुंदेलखंड क्षेत्र में खनिज, पर्यटन, कुटीर उद्योग ,जैसे बीड़ी, अगरबत्ती ,नवकरणीय ऊर्जा, पेट्रोल केमिकल्स ,प्लास्टिक, खाद्य प्रसंस्करण, डेरी और फर्नीचर निर्माण में उद्योग लगाने की पर्याप्त संभावनाएं हैं।

सागर की पहचान चांदी उद्योग के रूप में देश में है फूड प्रोसेसिंग के क्षेत्र में चनौआ में टमाटर, चितौरा में मिर्ची, जैसीनगर की हल्दी और शाहगढ़ में देसी घी के उत्पादन की इकाइयां स्थापित किए जाने की पर्याप्त संभावनाएं हैं। यदि यह प्रयास किए जाते हैं तो सागर फूड प्रोसेसिंग एवं उत्पादन का हब बन सकता है। 

इसी प्रकार शाहगढ़  और हीरापुर क्षेत्र में खनिज उत्पादन इकाइयां स्थापित किए जाने की बेहतर संभावनाएं हैं। यहां का रॉक फास्फेट , डोलामाइट, जिप्सम, सोप स्टोन , आयरन प्रचुर मात्रा में है। शाहगढ़  का खनिज पूरे देश में विख्यात है। एक समय शाहगढ़ के काले पत्थर की विदेश में काले सोने के रूप में पहचान थी। 

सागर के सिद्गुंआ औद्योगिक क्षेत्र को विकसित करने के भरपूर प्रयास किए जाएंगे। यहां के उद्यमियों को सड़क , बिजली और पानी जैसी सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी। उन्होंने बताया आयोजन में एक जिला एक उत्पाद पर कार्यशाला का आयोजन किया जाएगा। जिसमें उत्पादों के प्रोसेसिंग मार्केटिंग , बैंक सुविधाओं और निर्यात के संबंध में उद्यमियों से मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव चर्चा करेंगे।

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मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने 27 सितंबर को सागर में आयोजित होने वाली "क्षेत्रीय औद्योगिक सम्मलेन " (Regional Industrial Conclave) के संबंध में वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से आयोजित बैठक में कहा कि बुंदेलखंड क्षेत्र में वर्तमान उद्योगों के साथ-साथ नए उद्योगों की स्थापना में आने वाली अड़चनों को दूर किया जाएगा। खासकर अगरबत्ती जैसे बीमारू उद्योगों को इस सूची से बाहर निकालने की दिशा में कार्य किया जाएगा।

यहां छोटे उद्योगों के साथ-साथ सहायता समूहों के द्वारा बनाए जाने वाले विभिन्न उत्पादों को भी आगे बढ़ाने के अवसर दिए जाएंगे। शासन की "हर आंगन में रोजगार" नीति के तहत वर्तमान संसाधनों के साथ उद्योगों को प्रोत्साहन दिया जाएगा  इसी प्रकार अगरबत्ती जैसे बीमारू उद्योगों को इस सूची से बाहर निकालने की दिशा में कार्य किया जाएगा।

27 सितंबर को आयोजित होने वाली रीजनल इंडस्ट्रियल कॉन्क्लेव की तैयारी एवं उद्योगपतियों की बैठक में मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने कहा कि बुंदेलखंड की बीड़ी एवं अगरबत्ती उद्योगों की समस्याओं को केंद्र एवं राज्य स्तर पर चर्चा करके निराकृत किया जाएगा एवं बड़ी एवं अगरबत्ती उद्योग को पुनर्जीवित कर रोजगार उपलब्ध कराए जाएंगे‌। 

उन्होंने कहा कि सागर संभाग के 6 जिलों में स्थानीय स्तर के उद्योगों को आगे बढ़ाने के लिए उनकी हर संभव मदद दी जाएगी। उन्होंने कहा कि पीतल की मूर्ति, बर्तन उद्योग, अगरबत्ती उद्योग, बीड़ी उद्योग, पर्यटन, फूड प्रोसेसिंग इंडस्टरीज, लकड़ी उद्योग, अदरक, टमाटर,लहसुन के उत्पादों को आगे बढ़ाने के प्रोत्साहन दिया जाएगा। 

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि सागर संभाग सहित संपूर्ण बुंदेलखंड में पर्यटन की अपार संभावनाएं हैं और इस दिशा में आगे बढ़ने के लिए सभी कलेक्टर संभाग कमिश्नर के नेतृत्व में कार्य योजना तैयार कर प्रस्तुत करें। उन्होंने निर्देश दिए कि 27 तारीख को आयोजित होने वाली रीजनल इंडस्ट्रियल कॉन्क्लेव में शासन की योजनाओं की जानकारी का प्रदर्शन किया जाए।

इस अवसर पर रहली के विधायक ने कहा की रहली विधानसभा क्षेत्र में नौरादेही टाइगर रिजर्व में पर्यटन की अपार संभावनाएं हैं इसके लिए और प्रयास करने होंगे।  

सागर के विधायक ने कहा कि सागर की बीड़ी एवं अगरबत्ती उद्योग की समस्याओं को दूर करने के लिए शासन स्तर पर लगातार प्रयास किया जा रहे हैं। सागर में अगरबत्ती उद्योग में उपयोग किए जाने वाले बांस की प्रमुख समस्या है, जिसे आयात करना पड़ता है और इस कारण लागत भी कई गुना बढ़ जाती है। यदि बांस स्थानीय क्षेत्र में ही उपलब्ध हो जाए तो अगरबत्ती उद्योग पुनर्जीवित हो सकेगा। 

वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में सागर के बीड़ी उद्योगपति ने बीड़ी उद्योग के संबंध में एवं अपने उद्योग के संबंध में जानकारी दी एवं उनकी समस्याओं को दूर करने की अपेक्षा की।

मुख्यमंत्री डॉक्टर मोहन यादव ने सागर, छतरपुर, निवाड़ी दमोह, पन्ना  के उद्योगों एवं उनके जिलों में उद्योगों की स्थिति के संबंध में जानकारी प्राप्त की।

इस अवसर पर भोपाल से खाद्य , नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण मंत्री, सूक्ष्म लघु, मध्यम उद्योग मंत्री,रहली के  विधायक एवं सागर विधायक, महापौर, संभाग कमिश्नर, कलेक्टर, अपर कमिश्नर, जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी सहित अन्य जनप्रतिनिधि, उद्योगपति एवं अधिकारी मौजूद थे।


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27 सितंबर 2024 को सागर में रीजनल इंडस्ट्रियल कॉन्क्लेव की तैयारियों के तहत संभाग आयुक्त डॉ. वीरेंद्र सिंह रावत की अध्यक्षता में बुंदेलखंड क्षेत्र के माइनिंग उद्योगपतियों की बैठक आयोजित हुई। डॉ. रावत ने बताया कि बुंदेलखंड में खनिज की कोई कमी नहीं है, और यह क्षेत्र निवेश की अपार संभावनाएं प्रदान करता है। 

उद्योगपतियों ने भंडारण नियमों और लाइसेंस से जुड़ी समस्याएं साझा कीं, जिनके समाधान हेतु राज्य सरकार से नियमों में बदलाव की मांग की गई। इसके अलावा, अवैध निर्माण और अतिक्रमण पर कार्रवाई की जरूरत पर भी चर्चा हुई।

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इसी सिलसिले में संचालक श्री अनुराग चौधरी द्वारा उद्योगपतियों को आश्वासन दिया गया कि वे उद्योगपतियों द्वारा बताई गई सभी समस्याओं तथा सुझावों पर गंभीरता से विचार कर "उद्योग मित्र" (Industry Friendly) उपाय अपनाकर कार्रवाई करेंगे।

उल्लेखनीय है कि 

सागर संभाग में खनिज बहुतायत में उपलब्ध हैं। सागर में मुख्य खनिज रॉक फॉस्फेट, आयरन ओर तथा गौण खनिज गिट्टी, फ्लैग स्टोन, ग्रेनाइट, एमसेंड, मुरम , बोल्डर, डोलोमाइट, पायरोफ्लाइट ; 

दमोह में चूना पत्थर मुख्य खनिज जबकि गौण खनिज फ्लैग स्टोन, गिट्टी ,मुरम, बोल्डर, परिष्कृत पत्थर;

पन्ना में लाइमस्टोन ,डायमंड मुख्य खनिज जबकि गौण खनिज फ्लैग स्टोन, गिट्टी ,ग्रेनाइट बोल्डर , एम सेंड , मुरम, मिट्टी; 

छतरपुर में मुख्य खनिज रॉक फॉस्फेट, आयरन ओर , डायमंड तथा गौण खनिज ग्रेनाइट, गिट्टी, डोलोमाइटष डायस्पोर, पायरोफ्लाइट, सोपस्टोन, क्वार्ट्ज, क्वार्ट्ज़ाईट , रेड ओकर, रेत; 

टीकमगढ़ में गिट्टी, मुरम, मिट्टी, ग्रेनाइट, एम सेंड , पायरो फ्लाइट, डायस्पोर, क्वार्ट्ज तथा 

निवाड़ी में आयरन ओर मुख्य खनिज तथा गिट्टी, मुरम, ग्रेनाइट, पायरोफ्लाइट , डायस्पोर आदि गौण खनिज पाए जाते हैं।

इस प्रकार खनिज की उपलब्धता को देखते हुए संपूर्ण बुंदेलखंड क्षेत्र में खनन उद्योगों में निवेश की अपार संभावनाएं हैं।
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क्षेत्रीय औद्योगिक सम्मलेन  में भाग लेने के लिए प्रतिभागी अपने-अपने पंजीयन करें। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के द्वारा 27 सितंबर को सागर में क्षेत्रीय औद्योगिक सम्मलेन (Regional Industrial Conclave) का आयोजन किया जा रहा है जिसमें बुंदेलखंड सहित प्रदेश, देश के उद्योग जगत के उद्योगपति शामिल होंगे। 

क्षेत्रीय औद्योगिक सम्मलेन  में शामिल होने के लिए लिंक के माध्यम से अपना पंजीयन करें और कॉन्क्लेव में शामिल हो। रीजनल इंडस्ट्रियल कॉन्क्लेव में प्रदर्शनी में शामिल होने के लिए प्रतिभागी 10 सितंबर तक अपनी पंजीयन कर सकते हैं। 

जो प्रतिभागी रीजनल इंडस्ट्रियल कॉन्क्लेव में भाग लेना चाहते है या बायर सेलर मीट में भाग लेना चाहते है 15 सितंबर तक लिंक पर जाकर पंजीयन कर सकते है। 

 प्रदर्शनी सह विक्रय में पंजीयन की अंतिम तिथि 10 सितंबर है जो उद्योगपति प्रदर्शनी लगाना चाहे 10 सितंबर तक लिंक पर पंजीयन कर सकते हैं। RIC Sagar: Registration for Exhibition cum Sale Participation is live now:  एवम् जो प्रतिभागी रीजनल इंडस्ट्रियल कॉन्क्लेव में भाग लेना चाहते है या बायर सेलर मीट में भाग लेना चाहते है 15 सितंबर तक लिंक पर जाकर पंजीयन कर सकते है है।
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मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने ग्वालियर में रीजनल इंडस्ट्री कॉन्क्लेव में 47 नई औद्योगिक इकाइयों का भूमिपूजन और लोकार्पण किया, जिससे 35,000 से अधिक रोजगार के अवसर उत्पन्न होंगे। 8,000 करोड़ रुपये के निवेश प्रस्ताव प्राप्त हुए। उन्होंने ग्वालियर-चंबल क्षेत्र में 4 नए औद्योगिक पार्कों की घोषणा की और औद्योगिक विकास के लिए अनुकूल नीतियों का वादा किया। इस कार्यक्रम में उद्योगों के विकास, रोजगार सृजन और क्षेत्रीय समृद्धि पर जोर दिया गया। प्रमुख वक्ताओं ने औद्योगिकीकरण की आवश्यकता और प्रदेश की प्रगति पर चर्चा की।

  • अडानी समूह निवेश: करण अडानी ने मध्य प्रदेश में दो नई औद्योगिक इकाइयों की घोषणा की, जिसमें शिवपुरी में रक्षा क्षेत्र और गुना में सीमेंट यूनिट शामिल है, कुल ₹3,000 करोड़ का निवेश।

  • रिलायंस समूह: मध्य प्रदेश में बायोगैस और ऊर्जा उत्पादन के क्षेत्र में निवेश की योजना।
  • ट्रॉपोलाइट का निवेश: खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र में ₹100 करोड़ का निवेश, जिससे लगभग 500 महिलाओं को रोजगार मिलेगा।

  • ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट: फरवरी 2025 में भोपाल में आयोजित होने वाली है, बड़े निवेश की तैयारी।

  • पर्यटन विकास: 20 प्रमुख धार्मिक स्थलों का विकास और पर्यटन सुविधाओं में वृद्धि पर ध्यान।

  • खनिज क्षेत्र की वृद्धि: मध्य प्रदेश में कोयला और अन्य खनिज उत्पादन में वृद्धि, राज्य हीरा, तांबा और मैंगनीज उत्पादन में अग्रणी है।

  • सीमेंट उत्पादन: मध्य प्रदेश भारत के सीमेंट उत्पादन का एक-छठा हिस्सा देता है, प्रमुख निवेशक सक्रिय हैं।

  • आईटी क्षेत्र की वृद्धि: पिछले दशक में आईटी क्षेत्र में 43% की वृद्धि, डाटा सेंटर और आईटी पार्क के लिए अनुकूल वातावरण।

  • इन्फ्रास्ट्रक्चर विकास: ग्वालियर-चंबल क्षेत्र में नए औद्योगिक पार्कों की घोषणा और विभिन्न क्षेत्रों में नए निवेश।

  • रोजगार सृजन: नई औद्योगिक परियोजनाओं से हजारों नौकरियों का सृजन, महिलाओं के रोजगार और क्षेत्रीय आर्थिक विकास पर विशेष जोर।

औद्योगिक इकाइयों को भूमि आवंटन

रीजनल इंडस्ट्री कॉन्क्लेव में 120 औद्योगिक इकाइयों को 268 एकड़ भूमि आवंटित कर आशय-पत्र जारी किये गये। इसमें 1680 करोड़ से अधिक का पूँजी निवेश होगा एवं 6600 लोगों को रोजगार मिलेगा। एमएसएमई विभाग अंतर्गत 19 इकाईयों के लोकार्पण एवं भूमि-पूजन किये गये, जिसमें 265 करोड़ से अधिक का पूँजी निवेश एवं लगभग एक हजार व्यक्तियों को रोजगार मिलेगा। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने प्रतीक स्वरूप 5 इकाइयों को भूमि आवंटन के आशय-पत्र प्रदान किए। मुख्यमंत्री ने जय विलास प्रवेश द्वार का लोकार्पण भी किया। इस अवसर पर उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न स्व. अटल बिहारी वाजपेयी का स्मरण भी किया।

शुभारंभ सत्र में पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री श्री प्रहलाद पटेल, सूक्ष्म, ऊर्जा मंत्री श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर, किसान कल्याण एवं कृषि विकास मंत्री श्री एदल सिंह कंषाना, जल संसाधन मंत्री श्री तुलसीराम सिलावट, लोक निर्माण मंत्री श्री राकेश शुक्ला, सामाजिक न्याय एवं दिव्यांगजन कल्याण, उद्यानिकी मंत्री श्री नारायण सिंह कुशवाहा, संस्कृति राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री धर्मेन्द्र भावसिंह लोधी, सांसद श्रीमती संध्या राय, सांसद भी भारत सिंह कुशवाह, सांसद श्री शिवमंगल सिंह तोमर, ग्रामोद्योग राज्य मंत्री श्री दिलीप जायसवाल, उपस्थित थे।
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सागर वॉच न्यूज़/18 जुलाई 2024/  मध्यप्रदेश में औद्योगिक निवेश की गति को और तेज करने के लिए मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की पहल पर रीजनल इंडस्ट्री कॉन्क्लेव की श्रृंखलाएं आयोजित करने की शुरूआत की गई है। 

इस श्रृंखला की तीसरी कड़ी में 20 जुलाई को जबलपुर में रीजनल इंडस्ट्री कान्क्लेव आयोजित हो रही है। इसके बाद सितंबर में ग्वालियर और अक्टूबर में रीवा में रीजनल इंडस्ट्री कान्क्लेव का आयोजन प्रस्तावित है। 

इसी दिशा में एक कदम और आगे बढ़ते हुए प्रदेश के बाहर तमिलनाडु के कोयंबटूर में 25 जुलाई को, कर्नाटक के बेंगलुरु में अगस्त में, दिल्ली में सितंबर और इंदौर में सितंबर में ही प्रस्तावित है। जबलपुर में 1500 से अधिक निवेशकों की भागीदारी हो रही है। 

आयोजन में बायर-सेलर मीट भी रखी गई है, जिसमें 1000 से ज्यादा प्रतिनिधियों ने भागीदारी की सहमति दी है। इसमें ब्रिटेन, कोस्टारीका, फिजी, ताइवान और मलेशिया का प्रतिनिधिमंडल भी भाग लेगा और कृषि एवं रक्षा क्षेत्र में निवेश की संभावनाओं पर चर्चा होगी। 

कॉनक्लेव में लगभग 70 परियोजनाओं के लोकार्पण और शिलान्यास होंगे। रीजनल इंडस्ट्री कान्क्लेव के बाद 7 और 8 फरवरी 2025 को ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट के आयोजन की तैयारियां शुरू हो जायेंगी। 

ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट में मध्यप्रदेश की नई निर्यात नीति की घोषणा होगी और निवेश बढ़ाने के लिए नये निवेशकों के साथ नई उद्योग नीति में किए गए प्रावधानों को सांझा किया जाएगा। 

 निवेश परिदृश्य में सकारात्मक बदलाव मध्यप्रदेश का निवेश परिदृश्य सकारात्मक रूप से बदल रहा है। उज्जैन में मेडिकल डिवाइस पार्क बन रहा है। यह 222.77 करोड़ रूपये की लागत से 360 एकड़ में विकसित हो रहा है। 

इसी प्रकार धार में पीएम मित्रा-पीएम मेगा इंटीग्रेटेड टैक्सटाइल एंड एपेरेल पार्क भी आकार ले रहा है। इसकी लागत 1000 करोड़ रुपए है और यह 1563 एकड़ में फैला है। 

नर्मदापुरम में 227 एकड़ में मैन्यूफैक्चरिंग जोन फार पावर एंड रिन्यूएबल एनर्जी इक्विपमेंट भी अपना स्वरूप ले रहा है। इस पर 464.65 करोड़ रुपए की लागत आएगी। 

इसके अलावा मुरैना में मेगा लेदर फुटवियर एसेससरीज क्लस्टर डेवलपमेंट पार्क 161 एकड़ में बन रहा है जिसकी लागत 222.81 करोड़ रुपए आएगी। इस प्रकार इन चारों परियोजनाओं पर 1910.23 करोड़ रुपए की लागत आएगी। 

 राज्य सरकार प्रदेश को औद्योगिक केंद्र के रूप में स्थापित करने में सुनियोजित प्रयास कर रही है। मध्यप्रदेश में निर्माण क्षेत्र में सुधार आने के साथ ही प्रदेश से विदेशी निर्यात की अपार संभावनाएं बनी है। 

अब विदेश व्यापार नीति के अनुसार मध्यप्रदेश ने निर्यात पर विशेष ध्यान देना शुरू कर दिया है। विशेष रूप से छोटे और मध्यम उद्यम, किसान और किसान उत्पादक संगठनों, कलाकारों के हस्तशिल्प प्रोडक्ट और उद्यमियों के स्टार्टअप को सहयोग दिया जा रहा है। 

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने मध्यप्रदेश से निर्यात की संभावनाओं का आंकलन कर ऐसे उत्पादों की निर्यात सूची बनाई गई है, जिनकी विदेशी बाजार में मांग है। जिलों में निर्यात सुविधा प्रकोष्ठ मुख्यमंत्री डॉ. यादव की पहल पर सभी जिलों में निर्यात सुविधा प्रकोष्ठ बन गए हैं। 

इससे छोटे और मझौले स्तर के उत्पादकों में निर्यात के प्रति जागरूकता आई है। मध्यप्रदेश व्यापार संगठन परिषद और निर्यात प्रकोष्ठों ने मिलकर कई कार्यक्रम आयोजित किये हैं जिससे निवेश की संभावनाओं का आंकलन करने में सरकार को मदद मिली। 

 नीमच, हरदा, अशोकनगर, नरसिंहपुर, शहडोल, बालाघाट, बैतूल और धार में जिला निर्यात संवर्धन कार्यक्रम आयोजित किये गये। प्रदेश भारत के कुल व्यापारिक निर्यात में योगदान बढा़ने की दिशा में प्रयासरत हैं। 

वित्तीय वर्ष 2023-24 में दवा उत्पाद, कपास, परमाणु रिएक्टर, बॉयलर, मशीन, कपड़ा, जैविक रसायन, एल्युमिनियम, धातु, अनाज, विद्युत मशीनरी उपकरण, प्लास्टिक जैसे प्रोडक्ट का निर्यात हुआ है। सबसे ज्यादा दवा उत्पादों का निर्यात हुआ। 

इनका निर्यात मूल्य 13,158 करोड़ रूपये है। दोगुना निर्यात का लक्ष्य अगले तीन सालों में मध्यप्रदेश का निर्यात दोगुना करने का लक्ष्य रखा गया है। इंदौर सबसे ज्यादा निर्यात करने वाला जिला है, जिसने 20,256 करोड़ रुपए का निर्यात किया। इसके बाद धार, रायसेन और सीहोर जिलों से ज्यादा निर्यात हुआ। 

धार से 10,973 करोड़, रायसेन से 7561 करोड़ रुपए, सीहोर से 4,045 करोड़ रुपए मूल्य का निर्यात हुआ। मोहन सरकार ने औद्योगिक निवेश को बढ़ावा देने के लिए पर्याप्त बजट आवंटित किया है। बड़े निवेशकों और कंपनियों को आकर्षित करने के लिए 100 करोड़ रुपए और उससे अधिक निवेश की इच्छा रखने वाले निवेशकों के लिये राज्य में एक कस्टमाइज पैकेज का प्रावधान भी है। 

निवेश प्रक्रिया और अनुमोदन को सरल बनाने के लिए एकल खिड़की प्रणाली काम कर रही है। वर्तमान में इस पोर्टल पर 12 विभाग सूचीबद्ध है और 46 सेवाएं उपलब्ध है। औद्योगिक निवेश को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने 2024-25 के बजट में आकर्षक प्रावधान किए हैं। 

निवेश प्रोत्साहन योजना के लिए 2000 रुपए का बजट प्रावधान किया है। औद्योगीकरण विकास के लिए 490 करोड़ रुपए, भू-अर्जन, सर्वे और सर्विस चार्ज के लिए 177 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है। इसी प्रकार सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योगों के प्रोत्साहन के लिए निवेश संवर्धन सुविधा प्रदान करने के लिए 699 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है। 

इन सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योगों को प्रोत्साहन देने के लिए 200 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है। मुख्यमंत्री उद्यम क्रांति योजना के संचालन के लिए 125 करोड़ रुपए का प्रावधान है। भविष्य में उदयोगों के संवर्धन में गति आयेगी। निवेश की अच्छी शुरूआत रीजनल इंडस्ट्री कान्क्लेव की शुरूआत उज्जैन से हुई थी। 

इसमें एग्रो ऑयल एंड गैस कंपनी ने 75 हजार करोड़ रुपए निवेश की घोषणा की थी। जेके सीमेंट ने 4000 करोड़, वोल्वो ने 1500 करोड़, एशियन पेंट्स ने 2000 करोड़, एचईजी ने 1800 करोड़, हिंदुस्तान इंजीनियर इंडस्ट्रीज ने 1500 करोड़, एलएनटी माइंड ट्री ने 800 करोड़, पेंशन ग्रुप में 400 करोड़ और ओरिएंटल पेपर मिलने 980 करोड़ रूपये निवेश करने की सहमति दी। 

इन एक लाख करोड़ रूपये के निवेश प्रस्तावों के पूरा होने से लगभग 1 लाख से ज्यादा रोजगार का निर्माण होगा। इसी प्रकार मुंबई इंडस्ट्री कान्क्लेव में प्रदेश में 75 हजार करोड़ रुपए का निवेश आएगा और एक लाख से ज्यादा रोजगार का सृजन होगा। 

 गोदरेज कंज्यूमर प्रोडक्ट ने 450 करोड़ रुपए, रिलायंस अनिल धीरूभाई अंबानी ग्रुप ने 50 हजार करोड़ रुपए, ग्रासिम इंडस्ट्री ने 4000 करोड़ रुपए, जेएसडब्ल्यू लिमिटेड ने 17000 करोड़ रुपए, जोत डाटा सर्विस ने 500 करोड़ और एलएनटी ने 2000 करोड़ रुपए का निवेश प्रस्ताव दिया। पर्यटन के क्षेत्र में महिंद्रा हॉलिडे ने 750 करोड़ रुपए और ओबेरॉय होटल समूह ने 400 करोड़ रुपए निवेश का वादा किया है।

 रीजनल स्तर पर ऐसे प्रयासों से क्षेत्र एवं आसपास के निवेशकों को प्रोत्साहन मिलेगा। साथ ही सभी क्षेत्रों का समान रूप से विकास करने पर फोकस है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के नेतृत्व में यह अनूठा प्रयास है। इन प्रयासों से मध्यदेश में औदयोगिक निवेश की गति तेज हो गई है। कनेक्टि विटी, उदयोग-मित्र नीतियों और उदयोग-अनुकूल अधोसंरचनाओं से मध्यप्रदेश निवेशकों की पहली पसंद बन गया है।