21अक्टूबर 2021
स्मार्ट सिटी के कामों की गुणवत्ता को लेकर नगर विधायक शैलेन्द्र जैन द्वारा कलेक्टर को लिखे पत्र की जबरदस्त प्रतिक्रिया सामने आ रही है। जहां कुछ लोग इसे विधायक द्वारा जनहित में उठाया साहसपूर्ण कदम बता रहें हैं तो वहीं कुछ लोगों इसे राजनैतिक बाजीगिरी का नाम दे रहें हैं।
जो इस कदम में राजनीति देख रहें हैं उनका तर्क है कि अगर स्मार्ट सिटी को लेकर सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है तो शिकायत प्रदेश या केन्द्र स्तर पर की जानी चाहिए। वहीं भाजपा के प्रति झुकाव रखने वाला एक पक्ष खुद से ही यह सवाल करते नहीं थक रहा है कि सत्तापक्ष ही विपक्ष की भूमिका निभाने के लिए उतारू क्यों है ?
मीडिया ने भी विधायक के पत्र और स्मार्ट सिटी के कामों को लेकर बड़ी सुर्खियों में खबर को छापा है। सियासत दारों का मानना है कि सत्ता पक्ष के विधायक द्वारा स्मार्ट सिटी परियोजना के निर्माण कार्यों की मौके पर जाकर मुयायना करने और समीक्षा बैठकों में जाने की खबरें लगातार मीडिया में आतीं रहतीं हैं ।
वे अधिकारियों के सीधे संपर्क में रहते फिर भी पत्र के जरिए संवाद करने का क्या औचित्य है। उनके द्वारा ही अपनी ही पार्टी के राष्ट्रीय मुखिया के महत्वाकांक्षी स्मार्ट सिटी परियोजना में अनियमित्ताएं होने का मामला उठाना कोई छोटा मामला नहीं है। विधायक के इस कदम की अनूगूंज काफी दूर और देर तक सुनायी देगी।