आज की बात
आज फिर खबर आई कि स्मार्ट सिटी के तहत चल रहे विकास कार्यों की समीक्षा बैठक हुई। जिल्ले जिलाही ने फिर वही राग आलापा है काम समय पर पूरा करें, काम गुणवत्ता पूर्ण करें जरूरत हो तो काम के लिए आदमी और मशीनें बढ़ा लें। यह सब पढ़ कर शहर के लोग विचलित से नजर आ ने लगते हैं। उनके मन में लगातार ऐसे ही सवाल उठ रहे हैं कि आखिर इन प्रगति बैठकों में अधिकारियों को वह काम क्यों नजर नहीं आते हैं जो हफ्तों-महीनें से अधूरे पड़े हैं। जिनके कारण शहरवासियों को बड़ी तकलीफों का सामना करना पड़ रहा है।
अगर स्मार्ट सिटी के विकास कार्यों में से कथित एसआर-2 सड़क की ही बात करें तो काली चरण चौराहे से सिविल लाईन चौराहे के बीच चल रहा कार्य महीने भर से ज्यादा वक्त गुजरने के बाद भी अधूरा पड़ा है और दुर्घटनाओं को आमंत्रण दे रहा है। साईं मंदिर के सामने सड़क किनारे खोदी गई नाली महीनों से खुली पड़ी है और कभी भी किसी बड़ी दुर्घटना का कारण बन सकती है। इतने से ही स्मार्ट सिटी के इंजीनियरों का मन नहीं भरा तो इस काम को अधूरा छोड़ कर द्वारका काम्प्लेक्स के आगे बड़े-बड़े गडृढे कर दिए। यही हाल दीपक होटल के पास का हैवहां भी नाली खोदकर लावारिश सी छोड़ दी गयी है।
इन अधूरे पड़े कामों से जहां दिन भर यहां यातायात के जाम होने के हालात बने रहते हैं। वहीं बारिश होने के बाद से सड़कों पर प्रतिदिन दुपहिया वाहनों के फिसलने की घटनाएं हो रहीं है। यह वह मार्ग हैं जहां से जिले के सजग अधिकारी भी निकलते है। लेकिन वे भी स्मार्ट सिटी के इन अधूरे पड़ें कामों से नजरें फेर कर लगातार कार्यो की प्रगति समीक्षा बैठक करते रहते है।
ऐसा ही हाल शहर के अन्य हिस्सों का भी है। तहसीली से तिली के बीच के हिस्से में स्मार्ट कार्य करने वाले विभाग ने पूरी सड़क एक साथ खोद दी। जबकि सामान्यतः होता यह है कि निर्माण कंपनियां पहले सड़क के आधे हिस्से को बनाती हैं उसके पूरा हो जाने के बाद सड़क के दूसरे हिस्से पर काम शुरू करतीं है।
तिली चौराहे से बस स्टैंड वाले मार्ग पर जगह-जगह तालाब की मिटटी जमी हुई है जिस पर फिसल कर वाहनों के गिरने का सिलसिला चलता ही रहता है। लेकिन इस मिट्टी को हटाने का घ्यान स्मार्ट कार्य करने वालों को अभी तक नहीं आया। अब लोगों ने कहना शुरू कर दिया है कि बेतरतीब ढंग से चल रहे शहर के विकास कार्यां को स्मार्ट तरीके से किए जा रहे काम कैसे मान लें ?