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Sagar Watch News-संस्कृतिक रिपोर्ट
कथक नृत्यांगना आस्था गुप्ता : सागर से अंतरराष्ट्रीय मंच तक का सफर
सागर की प्रतिभाशाली कथक नृत्यांगना आस्था गुप्ता ने अपनी अद्वितीय नृत्य प्रतिभा के दम पर अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत का प्रतिनिधित्व करने का गौरव प्राप्त किया है। उन्हें अक्टूबर 2025 में थाईलैंड में आयोजित होने वाली International Performing Arts Competition के लिए भारत की ओर से चयनित किया गया है। यह उपलब्धि उन्होंने हाल ही में पुणे में आयोजित 21st Cultural Forum of Performing Arts में बेहतरीन प्रदर्शन कर हासिल की, जिसका आयोजन अखिल भारतीय सांस्कृतिक संघ (ABSS) द्वारा किया गया था।
राष्ट्रीय मंच पर उल्लेखनीय प्रदर्शन
पुणे में 21 मई से 1 जून 2025 तक चले इस राष्ट्रीय सांस्कृतिक आयोजन में आस्था ने 31 मई को अपनी कथक प्रस्तुति दी। निर्णायक मंडल ने उनकी प्रस्तुति को सराहा और उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर चतुर्थ स्थान प्रदान किया गया। इसी प्रदर्शन के आधार पर उन्हें थाईलैंड में होने वाली प्रतियोगिता के लिए नामित किया गया। उल्लेखनीय है कि आस्था को इस अंतरराष्ट्रीय मंच के बारे में जानकारी इंस्टाग्राम के माध्यम से मिली थी, जिसके बाद उन्होंने Google फॉर्म के जरिए अपना पंजीकरण कर चयन प्रक्रिया में भाग लिया।
पूर्व उपलब्धियां और निरंतर अभ्यास
यह पहली बार नहीं है जब आस्था ने राष्ट्रीय स्तर पर अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया हो। नवंबर 2024 में आयोजित ‘कालपर्व फेस्टिवल’ में उन्हें तृतीय स्थान प्राप्त हुआ था। यह आयोजन नृत्य दर्पण डांस एकेडमी द्वारा किया गया था। इसके अतिरिक्त फरवरी 2024 में खजुराहो में आयोजित गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड कार्यक्रम में भी उन्होंने कथक प्रस्तुति देकर दर्शकों को मंत्रमुग्ध किया था।
आस्था ने अपनी कथक यात्रा की शुरुआत तीसरी कक्षा से की थी। उन्होंने सागर से कथक में छह वर्षीय डिप्लोमा पूरा किया, तत्पश्चात खैरागढ़ विश्वविद्यालय (छत्तीसगढ़) से Bachelor of Performing Arts (BPA) की डिग्री प्राप्त की। वर्तमान में वे वहीं से Master of Performing Arts (MPA) की पढ़ाई कर रही हैं। वे सागर निवासी दीपा और संतोष गुप्ता की सुपुत्री हैं।
सागर और मध्यप्रदेश के लिए सम्मान की बात
आस्था गुप्ता की यह उपलब्धि केवल उनके व्यक्तिगत जीवन में एक मील का पत्थर नहीं है, बल्कि यह सागर शहर और मध्यप्रदेश राज्य के लिए भी गर्व का विषय है। उनका चयन यह दर्शाता है कि स्थानीय प्रतिभाएं सही मार्गदर्शन और परिश्रम से वैश्विक मंचों तक अपनी कला को पहुंचा सकती हैं। उनकी यह सफलता निश्चित रूप से युवा कलाकारों को प्रेरणा देगी कि भारतीय शास्त्रीय नृत्य की समृद्ध परंपरा को अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाना संभव है।
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