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उप संचालक कृषि राजेश त्रिपाठी की खरीफ फसलों की बुवाई की तैयारी में जुटे सभी किसानों को सलाह है कि इस बार अपनी फसलों में नैनों डीएपी तरल का प्रयोग अवश्य करना चाहिए  नैनों डीएपी एक तरल उर्वरक है जिसमें मुख्या रूप से नाइट्रोजन और फॉस्फोरस होता है। जिससे पौंधों को तुरंत पोषक तत्व मिलते हैं व उनके जल्दी वृद्धि होती है

उन्होंने नैनों डीएपी तरल की खूबियाँ गिनाते हुए  बताया कि इसमें  8.0% नाइट्रोजन (N, W/V) और 16.0% फॉस्फोरस (P2O5 W/V) होता है। अन्य उर्वरकों के मुकाबले नैनो डीएपी के कण आकार में छोटे होते हैं। इनका आकार 100 नैनोमीटर से कम होता है। इसकी अनूठी क्रिया इसे बीज की सतह के अंदर या स्टोमेटा और अन्य पौधों के उभार के माध्यम से आसानी से प्रवेश करने में सक्षम बनाती है।


उप संचालक त्रिपाठी के मुताबिक नैनो डीएपी से बीज उपचार करने एवं फसलों पर छिड़काव करने से विभिन्न लाभ प्राप्त होता है। बीज अंकुरण के तुरंत बाद पौधे को पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है जो परंपरागत डीएपी से समय पर नहीं मिल पाती। नैनो डीएपी के उपयोग से पौधे को तुरंत पोषक तत्व मिलते है। जिससे जड़ और पौधे की वृद्धि तेजी से होती हैं। पौधे में जड़ों की संख्या बढ़ती है। नमी की कमी होने पर पौधे की सूखा सहन करने की क्षमता बढ़ती है। पौधे की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है।

 ऐसे करें उपयोग नैनो डीएपी

नैनो डीएवी को 3 प्रमुख तरीके से उपयोग किया जा सकता है। इसका उपयोग बीजोपचार, जड़/कंद उपचार और पत्तों पर छिड़काव करके किया जा सकता है। बीजोपचार बीज उपचार के लिये 3-5 मिली.नैनों डीएपी को प्रति किलोग्राम बीज के हिसाब से पानी में घोलकर 20-30 मिनट के लिये बीज को भिगोया जाता है, फिर छाया में सुखाकर बुवाई की जाती है। 

इससे बीज की अंकुरण क्षमता और फसल की उपज में सुधार होता हैं। जड़/कंद उपचार जड़ और कंद के उपचार के लिए नैनो डीएवी का 3-5 मिली प्रति लीटर पानी के हिसाब से उपयोग करें। पत्तों पर छिडकाव पत्तों पर छिड़काव फसल में 2 बार किया जा सकता है। 

पहला छिड़काव पत्ते आने की अवस्था में (जुताई के समय शाखाएं आने पर) 2-4 मिली प्रति लीटर पानी में और दूसरा छिड़काव फूल आने से पहले की अवस्था में करें ।

उन्होंने किसानों  से अपील की है कि इस वर्ष नैनो डीएवी से बीज उपचार अवश्य करें। साथ ही डीएपी की कमी को देखते हुये वैकल्पिक उपाय किये जा सकते हैं।

डीएपी के स्थान पर अन्य वैकल्पिक उर्वरकों का प्रयोग

किसान भाई डीएपी के स्थान पर वैकल्पिक उर्वरकों का प्रयोग कर अपनी फसल का उत्पादन बढ़ाएं। फसलों के उत्पादन में रासायनिक उर्वरकों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। चूंकि राज्य स्तर पर डीएपी उर्वरक की कमी की आशंका व्यक्त की गई है।

पौधों के फास्फोरस एवं नतनाइट्रोजन पोषक तत्वों की पूर्ति के लिए अन्य उर्वरकों की वैकल्पिक व्यवस्था आवश्यक है। कृषक सेवा सहकारी समितियों के माध्यम से अधिकांश मात्रा में उर्वरकों का अग्रिम उठाव कर रहें है।

विभाग द्वारा इस परिपेक्ष्य में किसानों को यदि डीएपी की कमी होने पर अन्य उर्वरकों का प्रयोग कर फसलों की अधिकतम उपज प्राप्त करने की तकनीकी सलाह दी जाती है। पौधों द्वारा आवश्यक एन.पी.के. की मात्रा की पूर्ति विभिन्न उर्वरक विकल्पों के द्वारा की जा सकती है। 

यूरिया + एसएसपी, यूरिया + डीएपी, यूरिया + एनपीके, यूरिया + टी.एस.पी धान एवं अन्य खरीफ फसलों की बुआई के लिये डी.ए.पी. उर्वरक के स्थान पर कॉम्प्लेक्स खाद् जैसे एन.पी.के., एस.एस.पी. तथा उर्वरकों का उपयोग फायदेमंद होता है।

उपरोक्त जानकारी देते हुये उप संचालक कृषि ने किसानों से अपील की है कि डी.ए.पी. उर्वरक में केवल नाईट्रोजन (18 प्रतिशत) तथा फास्फोरस (46 प्रतिशत) तत्व होते है, जबकि कॉम्प्लेक्स एन.पी. के. में नाईट्रोजन (10 प्रतिशत) फास्फोरस (16 प्रतिशत) एवं पोटाश (10 प्रतिशत) तत्व होते है।

इन उर्वरकों में भूमि एवं फसलों को पोटाश तत्व भी उपलब्ध होता है, जो कि दानों का वजन एवं चमक बढ़ाने में सहायक होता है। इसी प्रकार 20:20:0:13 उर्वरक में नाईट्रोजन (20 प्रतिशत) फास्फोरस (20 प्रतिशत) तथा सल्फर (गंधक 13 प्रतिशत उपलब्ध होता है। 

भूमि एवं पौधों में सल्फर (गंधक) की उपलब्धता होने से पौधों की रोगों से लड़ने की क्षमता में वृद्धि होती है। फलस्वरूप फसल में कीट व्याधि प्रकोप कम होता है। 

उन्होंने बताया कि एस.एस.पी. अन्य उर्वरकों की तुलना में कम घुलनशील होता है, इसलिए इसे हमेशा जुताई के समय खेतों में डालना चाहिये क्योंकि कम घुलनशील होने के कारण यह मिट्टी में घुलने में अधिक समय लेता है, परिणामस्वरूप अंकुरण के बाद पौधों को बेहतर लाभ मिलता है। 

यदि किसी कारणवश इसका उपयोग जुताई के समय नहीं किया गया था तो आप इसे फूल आने और फल लगने के समय कर सकते है। क्योंकि फूल से फल बनने में लगभग 15 से 20 दिवस का समय लगता है और इन दिनों में सिंगल सुपर फास्फेट मिट्टट्टी में अच्छे से घुल जाता है।
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