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श्रीमद्भागवत कथा का समापन
Sagar Watch News/ बालाजी मंदिर के गिरिराज स्वरूप गिरी पर आयोजित श्रीमद्भागवत कथा का समापन बुधवार को हुआ। कथा व्यास पं. इंद्रेश जी महाराज ने सात दिवसीय कथा का सार प्रस्तुत करते हुए कहा कि सागर शहर का सौंदर्य और मंदिरों की भव्यता उन्हें वृंदावन जैसा अनुभव कराती है।
उन्होंने भक्ति के विभिन्न स्वरूपों पर चर्चा करते हुए बताया कि भगवान को मित्र बनाना ही भागवत प्राप्ति का संकेत है। साख्य भक्ति के महत्व को समझाते हुए उन्होंने कहा कि जितेंद्रिय, विरक्त इंद्रिय और प्रशांत आत्मा के गुणों से ठाकुर जी को सखा बनाया जा सकता है।
उन्होंने तीन प्रकार के दुखों – काल, कर्म और स्वभावजन्य दुखों की व्याख्या करते हुए कहा कि परिस्थिति के कारण कई लोग अपराध कर बैठते हैं, लेकिन हमें उनके प्रति हीन भावना नहीं रखनी चाहिए। कथा में भगवान श्रीकृष्ण के 16,108 विवाह, अश्वमेघ यज्ञ, सुदामा चरित्र और यदुवंश के अंत की कथा का वर्णन किया गया।
माता-पिता की सेवा से श्रेष्ठ राष्ट्र का निर्माण
पूज्य महाराज जी ने समाज में वृद्धाश्रमों के बढ़ते चलन पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि जब भारत में एक भी वृद्धाश्रम नहीं रहेगा, तभी इसे श्रेष्ठ राष्ट्र कहा जाएगा। माता-पिता की सेवा भगवान को प्रसन्न करती है, इसलिए उनके प्रति प्रेम और सम्मान बनाए रखना चाहिए।
उन्होंने कैदियों के प्रति संवेदनशील दृष्टिकोण अपनाने की आवश्यकता बताई और कहा कि परिस्थिति के कारण ही व्यक्ति गलत कार्य करता है, इसलिए हमें उन्हें हेय दृष्टि से देखने के बजाय उनके सुधार में सहयोग देना चाहिए।
राजनीति और आध्यात्म का संगम
समापन अवसर पर कैबिनेट मंत्री कैलाश विजयवर्गीय की उपस्थिति का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि राजनीति और अध्यात्म का अद्भुत संगम उनमें देखा जा सकता है। इस अवसर पर माध्व गौड़ेश्वर वैष्णवाचार्य श्री पुंडरीक गोस्वामी जी सहित कई संतजन भी उपस्थित रहे।
पूज्य संतों ने कथा के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि जैसे पहले कुंभ स्नान के लिए जाने वाले व्यक्ति पूरे गांव की भेंट ले जाते थे, वैसे ही वे सागरवासियों के प्रेम को कुंभ स्नान में समर्पित करेंगे। कथा व्यास ने सागरवासियों को पुनः दर्शन देने का आश्वासन देते हुए सभी को प्रणाम किया।
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